📍नई दिल्ली/जैसलमेर/कच्छ | 12 Nov, 2025, 10:58 PM
Exercise Trishul 2025: भारत की तीनों सेनाएं थलसेना, नौसेना और वायुसेना इन दिनों देश के पाकिस्तान से सटे पश्चिमी सीमावर्ती इलाकों में एक साथ बड़े पैमाने पर एक्सरसाइज त्रिशूल 2025 में हिस्सा ले रही हैं। इसे अब तक की सबसे बड़ी ट्राई सर्विसेज एक्सरसाइज माना जा रहा है। एक्सरसाइज त्रिशूल की विशालता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अकेले सेना की तरफ से इसकी 7 सब-एक्सरसाइज भी हो रही हैं। इस एक्सरसाइज में सेना की तरफ से 20,000 जवान, नौसेना से 20-25 जहाज, वायुसेना से 40+ विमान जैसे राफेल, सुखोई-30 शामिल हो रहे हैं। वहीं जवानों के अलावा सेना की तरफ से मेन बैटल टैंक्स, हॉवित्जर्स, हेलीकॉप्टर्स, और मिसाइल सिस्टम भी शामिल हैं।

Exercise Trishul 2025: भारतीय कोस्टगार्ड और बीएसएफ भी शामिल
यह अभ्यास भारतीय सेना के दक्षिणी कमांड के नेतृत्व में 30 अक्टूबर से 13 नवंबर 2025 तक राजस्थान के थार रेगिस्तान, गुजरात के कच्छ क्षेत्र, सौराष्ट्र तट और उत्तरी अरब सागर में चलाया जा रहा है। यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में तीनों सेनाओं के साथ भारतीय कोस्टगार्ड और बीएसएफ ने सीमावर्ती इलाकों में एक साथ अपनी सामरिक क्षमताओं का प्रदर्शन किया है।
Exercise Trishul 2025: JAI यानी जॉइंटनेस, आत्मनिर्भरता और इनोवेशन
एक्सरसाइज त्रिशूल का मुख्य उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच समन्वय को बढ़ाना और मल्टी-डोमेन युद्ध परिस्थितियों में आपसी तालमेल की क्षमता का परीक्षण करना है। इस अभ्यास का मूल सिद्धांत प्रधानमंत्री मोदी के विजन JAI यानी जॉइंटनेस, आत्मनिर्भरता और इनोवेशन पर आधारित है।
इस कॉम्प्रीहेंसिव फ्रेमवर्क के तहत कई उप-अभ्यास भी आयोजित किए गए, जिनमें मरूज्वाला, अखंड प्रहार, ब्रहमशिरा, महागुजराज, वायु समन्वय-2, सुदर्शन क्षमता, त्रिनेत्र और एम्फीबियस एक्सरसाइज शामिल हैं।

Exercise Trishul 2025: मरूज्वाला और अखंड प्रहार अभ्यास
थार रेगिस्तान में भारतीय सेना की 21 कॉर्प्स यानी सुदर्शन चक्र कॉर्प्स और 12 कॉर्प्स यानी कोणार्क कॉर्प्स की तरफ से आयोजित मरूज्वाला और अखंड प्रहार अभ्यासों में थलसेना और वायुसेना ने संयुक्त हथियार चलाने की क्षमता के साथ, मोबिनलिटी, और ड्रोन-आधारित निगरानी तकनीकों का प्रदर्शन किया। दक्षिणी कमांड की सुदर्शन चक्र कोर और शाहबाज डिवीजन ने इन अभ्यासों में मुख्य भूमिका निभाई। वायुसेना के सुखोई-30 एमकेआई और राफेल विमानों ने हवाई समर्थन और एयर-लैंड इंटीग्रेशन की क्षमता को परखा।
Exercise Trishul 2025: कच्छ में ब्रहमशिरा अभ्यास
इसके अलावा गुजरात के कच्छ क्षेत्र और सर क्रीक सेक्टर में ब्रहमशिरा अभ्यास किया गया, जिसमें थलसेना, नौसेना, वायुसेना, तटरक्षक बल और बीएसएफ ने भाग लिया। इस अभ्यास में भूमि, समुद्र और वायु की संयुक्त रणनीति पर विशेष फोकस रहा। इस क्षेत्र की भौगोलिक चुनौतियों के बावजूद सेनाओं ने सटीक समन्वय और ऑपरेशनल तैयारी का प्रदर्शन किया।

Exercise Trishul 2025: एम्फीबियस एक्सरसाइज का आयोजन
सौराष्ट्र तट पर 12 नवंबर को पोरबंदर के तट पर एम्फीबियस एक्सरसाइज आयोजित की जाएगी। जिसमें भारतीय नौसेना के आईएनएस जलश्वा, मर्कोस कमांडो और अन्य लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी जहाज हिस्सा लेंगे। इसमें तटीय इलाकों पर उतरने और मल्टी-डोमेन पावर प्रोजेक्शन की रणनीति का अभ्यास किया गया।
Exercise Trishul 2025: महागुजराज-25 अभ्यास
वहीं, महागुजराज-25 अभ्यास में वायुसेना की प्रमुख भूमिका रही, जिसमें इंटिग्रेटेड एयर ऑपरेशंस और एयर डिफेंस मिशनों का अभ्यास किया गया। इस दौरान लड़ाकू विमानों ने पहली बार नागरिक हवाई अड्डों से ऑपरेशन कर सिविल-मिलिट्री कोआर्डिनेशन की मिसाल पेश की।

Exercise Trishul 2025: एक्सरसाइज वायु समन्वय-2
थार के रेगिस्तानी इलाके में दो दिन तक नेक्स्ट-जनरेशन वारफेयर एक्सरसाइज वायु समन्वय-2 का भी आयोजन किया गया। एक्सरसाइज त्रिशूल 2025 के तहत दक्षिणी कमांड की तरफ से आयोजित इस अभ्यास में ड्रोन और काउंटर-ड्रोन ऑपरेशंस चलाए गए। इसमें उभरते हवाई खतरों जैसे स्वार्म अटैक्स और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध से निपटने की रणनीतियों का अभ्यास किया गया।

Exercise Trishul 2025: त्रिनेत्र ड्रिल
इसके अलावा त्रिशूल 2025 के प्रारंभिक चरण में सुदर्शन चक्र कॉर्प्स (21 कॉर्प्स) द्वारा डेजर्ट सेक्टर में 21 अक्टूबर को दो-दिवसीय ड्रिल त्रिनेत्र का भी आयोजन किया गया। इसमें भारतीय वायुसेना, भारतीय नौसेना के साथ सेना के इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर यूनिट्स, ड्रोन, जेमर्स और सिग्नल कोर ने इसमें भाग लिया। इसमें स्पेक्ट्रम डोमिनेंस और एडवांस इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर का अभ्यास किया गया। यह अभ्यास आधुनिक युद्ध की तकनीकों जैसे लेक्ट्रॉनिक स्पेक्ट्रम ऑपरेशंस, काउंटर-ड्रोन किल चेन, और मल्टी-डोमेन कोऑर्डिनेशन पर फोकस था।

लॉजिस्टिक्स एक्सरसाइज सुदर्शन क्षमता
इसके अलावा एक्सरसाइज त्रिशूल में भारतीय सेना की लॉजिस्टिक्स क्षमता को परखने के लिए दक्षिण कमांड ने एक्सरसाइज सुदर्शन क्षमता का भी आयोजन किया। इसका उद्देश्य लंबी अवधि तक चलने वाले ऑपरेशंस में सेना की लॉजिस्टिक्स स्टेमिना यानी ईंधन, गोला-बारूद, स्पेयर पार्ट्स और मेडिकल सपोर्ट की निरंतर सप्लाई सुनिश्चित करना था। 72+ घंटे तक चले इस अभ्यास में ड्रोन, एविएशन रिफ्यूलर, इन्वेंटरी मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर, एरियल रीप्लेनिशमेंट और नेटवर्क-इन-अ-बॉक्स सिस्टम जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया गया।
इस अभ्यास में ड्रोन, “नेटवर्क-इन-अ-बॉक्स” सिस्टम, एआई-बेस्ड ट्रैकिंग और 3D प्रिंटिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया। इसमें गोला-बारूद और ईंधन ट्रांसपोर्ट के लिए 50+ वैगन, चिनूक हेलीकॉप्टर से एयर ड्रॉप,
स्पेयर पार्ट्स और भोजन की सप्लाई के लिए 100 से ज्यादा सिविल ट्रक, और रियल टाइम लोकेशन ट्रेकिंग के लिए एआई ट्रैकिंग एप का इस्तेमाल किया गया।
सेना के साथ भारतीय वायुसेना और नौसेना ने भी भाग लिया, जबकि सिविल एडमिनिस्ट्रेशन ने सड़क, रेल और हवाई मार्ग से सप्लाई में सहयोग किया। इस अभ्यास ने दिखाया कि भारतीय सेना अब आत्मनिर्भर और टेक्नोलॉजी-ड्राइवन सैन्य लॉजिस्टिक्स की दिशा में आगे बढ़ रही है।
एक्सरसाइज त्रिशूल के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर, साइबर सुरक्षा, इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉनिसेंस जैसी आधुनिक तकनीकों का भी व्यापक इस्तेमाल हुआ। यह अभ्यास भारत की रक्षा तैयारियों में तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
रक्षा सूत्रों के अनुसार, इस अभ्यास में करीब 30,000 से अधिक सैनिक, 40 से ज्यादा विमान और 20 से अधिक नौसैनिक जहाज शामिल हुए। भारतीय तटरक्षक और अन्य केंद्रीय एजेंसियों की भी सक्रिय भागीदारी रही, जिसने अभ्यास को और अधिक रियल एंड होलिस्टिक बनाया।
भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि त्रिशूल 2025 ऑपरेशन सिंदूर के बाद सबसे बड़ा ट्राई सर्विस एक्सरसाइज है। पाकिस्तान की सीमा के नजदीक हो रहे इस अभ्यास का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और तत्परता को दिखाना है।

