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BrahMos missiles: ऑपरेशन सिंदूर 2.0 में पाकिस्तान में तहलका मचाएंगी 800 किमी रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइलें!

सूत्रों के अनुसार, 800 किमी रेंज ब्रह्मोस का ट्रायल चल रहा है। इसमें एक मॉडिफाइड रैमजेट इंजन और कई टेक्निकल अपग्रेड भी किए गए हैं। इन मिसाइलों को पारंपरिक (नॉन-न्यूक्लियर) वर्जन के तौर पर डेवलप किया जा रहा है...

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📍नई दिल्ली | 20 Oct, 2025, 2:57 PM

BrahMos missiles: भारत आने वाले सालों में पहले से ज्यादा लंबी रेंज की ब्रह्मोस मिसाइलें शामिल करने की योजना बना रहा है। आने वाले दो वर्षों में भारतीय सशस्त्र बलों में 800 किलोमीटर रेंज वाली नई ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें शामिल की जाएंगी। इसके साथ ही 200 किलोमीटर रेंज वाली ‘अस्त्र मार्क-2’ एयर-टू-एयर मिसाइलों का प्रोडक्शन भी 2026-27 तक शुरू हो जाएगा।

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800 किमी रेंज ब्रह्मोस का ट्रायल

सूत्रों के अनुसार, 800 किमी रेंज ब्रह्मोस का ट्रायल चल रहा है। इसमें एक मॉडिफाइड रैमजेट इंजन और कई टेक्निकल अपग्रेड भी किए गए हैं। इन मिसाइलों को पारंपरिक (नॉन-न्यूक्लियर) वर्जन के तौर पर डेवलप किया जा रहा है। लक्ष्य है कि 2027 के आखिर तक यह मिसाइल पूरी तरह तैनाती के लिए तैयार हो जाए।

इस समय भारतीय नौसेना और वायुसेना के पास 450 किमी रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइलें हैं, जो मैक 2.8 की रफ्तार (आवाज की गति से लगभग तीन गुना) से उड़ती हैं। मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इन्हीं मिसाइलों का प्रयोग पाकिस्तान की सीमा के भीतर आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमलों के लिए किया गया था। ऑपरेशन सिंदूर में पूरी दुनिया ने ब्रह्मोस की ताकत देखी कि कैसे भारत के पारंपरिक हथियारों में ब्रह्मोस सबसे भरोसेमंद और घातक सिस्टम बन चुकी है।

रक्षा सूत्रों के मुताबिक, 800 किमी रेंज वाली मिसाइल का डेवलपमेंट लगभग पूरा हो चुका है। अब सिर्फ कुछ और ट्रायल किए जाने बाकी हैं, जिसमें यह टेस्ट किया जाएगा कि इंटरनल इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम और एक्सटर्नल सैटेलाइट नेविगेशन भरोसेमंद हैं या नहीं।

सॉफ्टवेयर अपग्रेड के जरिए बदलाव

एक बार सभी परीक्षण पूरे होने के बाद नौसेना अपनी मौजूदा 450 किमी रेंज वाली ब्रह्मोस को 800 किमी वर्जन में सॉफ्टवेयर अपग्रेड के जरिए बदल सकेगी। इसके लिए फायर कंट्रोल सिस्टम के ग्राफिकल यूजर इंटरफेस और अन्य सेटिंग्स में मामूली बदलाव ही करने होंगे।

सूत्रों ने बताया कि मिसाइल और लॉन्चर का मूल स्ट्रक्चर समान रहेगा, इसलिए नौसेना और थलसेना पहले 800 किमी वर्जन को शामिल करेंगी, जबकि एयर-लॉन्च्ड वर्जन को थोड़ा समय और लगेगा।

200 किमी रेंज वाली ‘अस्त्र मार्क-2’

वहीं, डीआरडीओ ‘अस्त्र मार्क-2’ मिसाइल की रेंज को 160 किमी से बढ़ाकर 200 किमी से अधिक कर रहा है। इस मिसाइल का इंजन और ट्रेजेक्टरी सिस्टम अपग्रेड किया जा रहा है ताकि यह ज्यादा थ्रस्ट और लंबे समय तक बर्न टाइम प्रदान करे। फिलहाल भारतीय वायुसेना अपने सुखोई-30 एमकेआई और तेजस लड़ाकू विमानों के लिए 280 अस्त्र मार्क-1 मिसाइलें शामिल कर रही है।

सूत्रों के अनुसार, वायुसेना ने शुरुआती तौर पर 700 अस्त्र मार्क-2 मिसाइलों के इंडक्शन का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है। इसके बाद ‘अस्त्र मार्क-3’ पर काम शुरू होगा, जिसमें सॉलिड-फ्यूल डक्टेड रैमजेट प्रोपल्शन सिस्टम जोड़ा जाएगा। इससे रेंज 350 किमी तक बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन इसके ऑपरेशनल होने में अभी तीन साल का समय लग सकता है।

रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अस्त्र मिसाइल सीरीज भारत की वायुसेना के लिए निर्णायक होगी क्योंकि यह भविष्य में रूस, फ्रांस और इज़राइल से आयात की जाने वाली महंगी मिसाइलों का विकल्प बनेगी।

नौसेना ने 220 से अधिक ब्रह्मोस मिसाइलें खरीदी

ब्रह्मोस एयरोस्पेस के साथ हुए विभिन्न सौदों का मूल्य अब तक 58,000 करोड़ से अधिक पहुंच चुका है। ये मिसाइलें भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना तीनों इस्तेमाल कर रही हैं। पिछले साल मार्च में रक्षा मंत्रालय ने नौसेना के लिए 19,519 करोड़ रुपये का सबसे बड़ा सौदा किया था, जिसके तहत 220 से अधिक ब्रह्मोस मिसाइलें खरीदी गईं। इस समय नौसेना के लगभग 20 युद्धपोत, जिनमें नवीनतम डिस्ट्रॉयर और फ्रिगेट्स शामिल हैं, वर्टिकल लॉन्च सिस्टम से लैस ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस हैं।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल ने वायुसेना के लिए भी 110 एयर-लॉन्च्ड ब्रह्मोस मिसाइलों की मंजूरी दी, जिसकी अनुमानित कीमत 10,800 करोड़ रुपये है।

प्रस्तावित इंटीग्रेटेड रॉकेट फोर्स का हिस्सा

सूत्रों के अनुसार, 800 किमी रेंज वाली नई ब्रह्मोस का टेरेस्ट्रियल वर्जन भी प्रस्तावित इंटीग्रेटेड रॉकेट फोर्स का हिस्सा बनेगा। इस फोर्स में प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल (400 किमी रेंज) और लॉन्ग-रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइलें (1000 किमी रेंज) भी शामिल की जाएंगी, जो निर्भय मिसाइल के अपग्रेडेड वेरिएंट हैं।

रक्षा सूत्रों ने बताया कि मई 2025 के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान वायुसेना ने चीन-निर्मित जे-10 लड़ाकू विमान तैनात किए थे, जो पीएल-15 मिसाइलों (200 किमी रेंज) से लैस थे। जिसके बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि भविष्य के युद्ध वियोंड विजुअल रेंज वाले होंगे और लंबी दूरी से फायर की जाने वाली मिसाइलें ही जीत में अहम भूमिका निभाएंगी। जिसके बाद भारत ने ब्रह्मोस और अस्त्र मिसाइलों की ज्यादा रेंज पर फोकस करना शुरू किया है।

सूत्रों के अनुसार, 800 किमी रेंज वाली ब्रह्मोस का अगला परीक्षण नवंबर-दिसंबर 2025 में होने की संभावना है। इसके सफल होने पर यह मिसाइल भारत की सबसे लंबी रेंज वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बन जाएगी। यह संस्करण पूरी तरह स्वदेशी इंजन, गाइडेंस सिस्टम और सॉफ्टवेयर से लैस होगा।

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  • News Desk

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