📍मुंबई | 11 Oct, 2025, 1:40 PM
Rolls Royce Indian Navy: ब्रिटिश इंजीनियरिंग कंपनी रोल्स-रॉयस ने भारत के साथ अपने रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के लिए भारतीय नौसेना के साथ मिलकर देश का पहला इलेक्ट्रिक वॉरशिप बनाने की इच्छा जताई है। कंपनी का कहना है कि वह भारतीय नौसेना को भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हाइब्रिड-इलेक्ट्रिक और फुल-इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम उपलब्ध कराएगी, जिससे जहाज एनर्जी-एफिशिएंट, ड्यूरेबल और लंबी दूरी तक ऑपरेशन कर सकेंगे।
रोल्स-रॉयस के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अभिषेक सिंह ने बताया कि कंपनी के पास भारतीय नौसेना के लिए आधुनिक हाइब्रिड-इलेक्ट्रिक और फुल-इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम तैयार हैं, जो ईंधन की खपत को कम करते हुए जहाजों की ऑपरेशनल रेंज को बढ़ाने में मदद करेंगे। उन्होंने कहा, “हम भारत को अगली पीढ़ी के इलेक्ट्रिक वॉरशिप विकसित करने में तकनीकी सहयोग देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”
यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब यूनाइटेड किंगडम का कैरियर स्ट्राइक ग्रुप, जिसमें एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स एक्सरसाइज कोंकण में हिस्सा लेने के लिए मुंबई पहुंचा हुआ था। इस जहाज में रोल्स-रॉयस का एमटी30 गैस टर्बाइन इंजन लगा है। यह इंजन आज की तारीख में दुनिया के सबसे एडवांस नौसैनिक पावर सिस्टम्स में से एक माना जाता है।
रोल्स-रॉयस के डायरेक्टर एलेक्स जीनो ने कहा कि ब्रिटिश जहाज का भारत दौरा भारतीय रक्षा अधिकारियों के लिए कंपनी की अत्याधुनिक तकनीक को करीब से समझने का एक अनोखा अवसर था। उन्होंने कहा कि रोल्स-रॉयस की यह टेक्नोलॉजी भारतीय नौसेना की क्षमता ऑपरेशनल रीच को कई गुना बढ़ा सकती है।
रोल्स-रॉयस का एमटी30 इंजन बेहद ताकतवर और कॉम्पैक्ट डिजाइन वाला है। एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स में लगे दो एमटी30 गैस टर्बाइन अल्टरनेटर चार डीजल जनरेटरों के साथ मिलकर करीब 109 मेगावाट बिजली पैदा करते हैं, जो किसी छोटे शहर को एनर्जी देने के लिए पर्याप्त है। इस कैरियर स्ट्राइक ग्रुप में एचएमएस रिचमंड और एक सबमरीन भी शामिल हैं, जो रॉल्स-रॉयस के स्पे मरीन गैस टर्बाइन और न्यूक्लियर सिस्टम्स से ऑपरेट होती हैं।
रोल्स-रॉयस ने कहा कि कंपनी का उद्देश्य भारतीय नौसेना को ‘ग्रीन डिफेंस’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करना है। इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम्स से जहाजों का ऑपरेशन न केवल अधिक एफिशियंट होगा, बल्कि शोर और प्रदूषण में भी कमी आएगी। यह भारतीय नौसेना की “फ्लीट ऑफ द फ्यूचर” योजना का हिस्सा है, जिसमें आने वाले दशक में अधिक सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी पर जोर दिया जा रहा है।
कंपनी ने कहा कि उसकी यह पहल केवल तकनीकी सहायता तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि भारत में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, लोकल प्रोडक्शन और जॉब क्रिएशन के नए अवसर भी पैदा करेगी। रोल्स-रॉयस पहले ही भारत में अपने इंजीनियरिंग और सप्लाई चेन नेटवर्क को मजबूत कर चुकी है, और अगले कुछ वर्षों में इस नेटवर्क को दोगुना करने की योजना बना रही है।
रोल्स-रॉयस का भारत के साथ संबंध कोई नया नहीं है। कंपनी पिछले 90 वर्षों से भारत में काम कर रही है। वर्तमान में भारतीय सेनाओं के 1,400 से अधिक प्लेटफॉर्म्स पर रोल्स-रॉयस के इंजन लगे हैं। इनमें भारतीय वायुसेना के हॉक जेट ट्रेनर, भारतीय नौसेना के डीजल इंजन वाले जहाज और सेना के कुछ विशेष प्लेटफॉर्म शामिल हैं।
कंपनी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अभिषेक सिंह ने बताया कि भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच रक्षा सहयोग तेजी से बढ़ रहा है। 2021 में रोल्स-रॉयस ने भारतीय नौसेना के लिए इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी डेवलप करने की इच्छा जताई थी। 2023 में दोनों देशों ने इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन कैपेबिलिटी पार्टनरशिप (ईपीसीपी) के तहत सहयोग शुरू किया, जिसमें इंटीग्रेटेड इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम (आईईपीएस) को भारत में डेवलप करने की दिशा में काम हुआ। इसके अलावा, 2024 में रोल्स-रॉयस ने भारत की ट्रिवेणी इंजीनियरिंग के साथ MT30 इंजन के लिए ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी को लेकर समझौता किया।
रोल्स-रॉयस ने कहा कि उसकी इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन तकनीक पहले से ही ब्रिटिश नेवी के जहाजों में इस्तेमाल हो रही है। एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ और एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स में लगा एमटी30 इंजन 36 मेगावाट की पॉवर जनरेट करता है। इस इंजन की खूबी है कि यह अधिक पावर के साथ कम ईंधन खर्च करता है और मैरीटाइम ऑपरेशन में शिप को ज्यादा स्टैबिलिटी मिलती है।
कंपनी के डायरेक्टर एलेक्स जीनो ने कहा, “हम मानते हैं कि भारतीय नौसेना विश्व के सबसे सक्षम और आधुनिक बेड़ों में से एक बनने की दिशा में आगे बढ़ रही है। रोल्स-रॉयस उसके साथ इस सफर का हिस्सा बनकर गर्व महसूस करता है।”
बता दें कि भारतीय नौसेना ने ‘फ्लीट ऑफ द फ्यूचर’ और सस्टेनेबल डिफेंस की रणनीति के तहत इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड-इलेक्ट्रिक युद्धपोतों की दिशा में रुचि दिखाई है। नौसेना पहली ही कह चुकी है कि वह भविष्य के वॉरशिप्स अब भारत में ही बनाए जाएंगे। नौसेना की ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान और ग्रीन डिफेंस पहल के तहत, इलेक्ट्रिक टेक्नोलॉजी को अगली पीढ़ी के डिस्ट्रॉयर्स, फ्रिगेट्स, और संभावित रूप से अगले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर में शामिल करने की योजना है। हालांकि भारतीय नौसेना ने पहले से कुछ जहाजों, जैसे आईएनएस विशाखापट्टनम (प्रोजेक्ट 15B डिस्ट्रॉयर), में कुछ हद तक इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम का इस्तेमाल शुरू किया है, लेकिन पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वॉरशिप अभी भारीतय नौसेना के बेड़े के नहीं है।