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Sukhoi-30MKI: जल्द ही भारत के सुखोई-30 के आगे ढेर होगा चीन का लेटेस्ट J-35 फाइटर जेट! रूस ने दिया सुखोई-57 का इंजन लगाने का ऑफर

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📍नई दिल्ली | 12 Feb, 2025, 3:41 PM

Sukhoi-30MKI: बेंगलुरु में चल रहे एरो इंडिया 2025 के बीच रूस की तरफ से भारत को तगड़ा ऑफर मिला है। रूस ने भारतीय वायुसेना के बैकबोन कहे जाने वाले लड़ाकू विमान सुखोई-30MKI के अपग्रेड को लेकर जबरदस्त ऑफर दिया है। रूस ने अपने लेटेस्ट स्टील्थ फाइटर सुखोई-57 में इस्तेमाल हो रहे एडवांस AL-41 इंजन को भारतीय सुखोई विमानों के लिए पेश किया है। ये इंजन मौजूदा AL-31 इंजन से ज्यादा ताकतवर और बेहतर है, जिसके बाद भारतीय वायुसेना की ताकत में बड़ा इजाफा होगा।

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भारतीय वायुसेना के पास इस वक्त 272 सुखोई-30MKI जेट्स हैं, जो किसी भी एक विमान मॉडल के मुकाबले सबसे बड़ा बेड़ा है। इन विमानों को अपग्रेड करने के लिए भारत रूस के साथ बातचीत कर रहा है। इस नए इंजन से भारत के फाइटर जेट्स की ताकत और परफॉर्मेंस में बड़ा बदलाव आ सकता है।

Sukhoi-30MKI: क्या खास है इस नए इंजन में?

अभी सुखोई-30MKI फाइटर जेट्स में AL-31 इंजन इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन रूस का नया AL-41 इंजन ज्यादा पावरफुल है और यह सुखोई-57 जैसे एडवांस्ड स्टील्थ फाइटर में भी इस्तेमाल होता है। नए इंजन से सुखोई-30 की स्पीड, रेंज और फ्यूल एफिशिएंसी में जबरदस्त सुधार हो सकता है।

एयरो इंडिया 2025 के दौरान रूसी विमान निर्माता यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन के सीईओ वादिम बाडेखा ने इस ऑफर का एलान किया। उन्होंने कहा, “हम भारत को सुखोई-30 के अपग्रेड के हिस्से के रूप में यह नया इंजन ऑफर कर रहे हैं। AL-41 इंजन लगने के बाद सुखोई-30MKI की परफॉरमेंस बेहतर हो जाएगी, जिससे यह विमान नई पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को भी टक्कर देगा।

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वहीं, भारत में सुखोई-30MKI को बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL)का कहना है कि इस अपग्रेड के लिए डील जल्द साइन हो सकती है।

वहीं, सुखोई-30MKI का यह अपग्रेड केवल इंजन तक सीमित नहीं रहेगा। अपग्रेडेड विमानों में भारतत में बने एवियोनिक्स, रडार और मिशन कंप्यूटर लगाए जाएंगे। DRDO के बनाए उत्तम एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड अरे (AESA) रडार से विमान की पहचान और ट्रैकिंग में भी सुधार होगा।

इसके अलावा, विमान का कॉकपिट पूरी तरह डिजिटल होगा, जिसमें बड़े टचस्क्रीन डिस्प्ले पायलट को बेहतर कंट्रोल और विजिबिलिटी देंगे। नए मिशन कंप्यूटर भी जोड़े जाएंगे ताकि नई टेक्नोलॉजी को हैंडल किया जा सके।

भारत की योजना है अपग्रेडेड सुखोई-30MKI में 78 फीसदी स्वदेशी पार्ट्स इस्तेमाल किए जाएं। इससे मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा और विदेशी तकनीक पर निर्भरता कम होगी।

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रूस का दूसरा बड़ा ऑफर: भारत में सुखोई-57E का निर्माण

एयरो इंडिया 2025 के दौरान रूस ने भारत को एक और बड़ा ऑफर दिया है। रूस ने भारत को सुखोई-57E (एक्सपोर्ट वर्जन) की लोकल मैन्युफैक्चरिंग का प्रस्ताव दिया है। अगर यह डील फाइनल होती है, तो 2025 से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में सुखोई-57E का निर्माण शुरू हो सकता है।

रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के एक प्रवक्ता ने बताया कि रूस भारत में पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट का उत्पादन करने के लिए पूरी तकनीकी मदद देने को तैयार है। उन्होंने कहा, “अगर सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में सुखोई-57E का उत्पादन 2025 तक शुरू हो सकता है।”

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साथ ही, रूस ने भारत के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रोजेक्ट में भी सहयोग की पेशकश की है। इसमें इंजन टेक्नोलॉजी, AESA रडार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एडवांस्ड सॉफ्टवेयर शामिल हैं। यह भारत के AMCA फाइटर जेट प्रोजेक्ट को बड़ा बूस्ट मिल सकता है।

सूत्रों का कहना है कि रूस का यह ऑफर भारत के लिए बड़ा मौका है। इससे भारत को क्रिटिकल टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। रूस के अधिकारियों ने कहा कि इस तरह के सहयोग से भारत को भविष्य में किसी भी इंटरनेशनल प्रतिबंध या सप्लाई चेन में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

Sukhoi-30MKI: भारत का सबसे बड़ा रक्षा सहयोगी है रूस

भारत और रूस के रिश्ते दशकों पुराने हैं। रूस लंबे समय से भारत का सबसे बड़ा रक्षा सहयोगी रहा है। 2000 से 2020 के बीच भारत के कुल हथियार आयात का 66.5 फीसदी रूस से आया है। आज भी भारतीय सेना के हथियारों में रूस का असर साफ दिखा जा सकता है।

हालांकि, अब भारत मेक इन इंडिया के तहत अपनी डिफेंस प्रोडक्शन को घरेलू स्तर पर बढ़ा रहा है। रूस के इस सहयोग से भारत को न केवल तकनीकी रूप से मजबूती मिलेगी, बल्कि घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को भी बड़ा फायदा मिलेगा।

वर्तमान में भारतीय वायुसेना को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय वायुसेना के फाइटर स्क्वाड्रन की संख्या 42 से घटकर 31 रह गई है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी कई बार LCA Mk1 फाइटर जेट्स की डिलीवरी में देरी को लेकर चिंता जता चुके हैं। वहीं, रूस के इस प्रस्ताव से भारतीय वायुसेना को अपने मौजूदा बेड़े को अपग्रेड करने का बड़ा मौका मिल सकता है।

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    हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवाद, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

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