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SPARSH Fake WhatsApp Messages: स्पर्श ने वेटरन पेंशनरों के लिए जारी की चेतावनी, व्हाट्सएप पर फर्जी संदेशों से रहें सतर्क, नहीं तो हो सकता है बड़ा नुकसान

SPARSH Fake WhatsApp Messages: हाल ही में सोशल मीडिया पर एक फर्जी संदेश फैल रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि SPARSH (सशस्त्र बलों के पेंशनर्स के लिए सेवा पोर्टल) से संबंधित समस्याओं का समाधान अब व्हाट्सएप के जरिए किया जा सकता है। यह संदेश पेंशनर्स को गुमराह कर रहा है और उनसे व्यक्तिगत जानकारी जैसे पेंशन, OROP (वन रैंक, वन पेंशन) या अन्य संवेदनशील जानकारी प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है।

SPARSH Issues Important Warning: Beware of Fake WhatsApp Messages, Do Not Share Personal Information

इस संदर्भ में SPARSH ने एक स्पष्ट चेतावनी जारी की है कि व्हाट्सएप पर कोई भी आधिकारिक पेंशन सेवा नहीं दी जाती है और न ही SPARSH के किसी भी मामले को हल करने के लिए कोई व्हाट्सएप नंबर अधिकृत किया गया है। इस फर्जी मैसेज का मुख्य उद्देश्य पेंशनर्स की निजी जानकारी चुराना और उन्हें धोखा देना है।

SPARSH की चेतावनी

SPARSH ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि कुछ अपरिचित और धोखेबाज लोग व्हाट्सएप पर फर्जी संदेश भेजकर पेंशनर्स से उनकी व्यक्तिगत जानकारी मांग रहे हैं। यह जानकारी लेकर वे पेंशनर्स के खातों से पैसे निकाल सकते हैं। SPARSH ने सभी पेंशनर्स से अपील की है कि वे किसी भी अनधिकृत व्हाट्सएप नंबर से संदेशों पर भरोसा न करें और अपनी संवेदनशील जानकारी जैसे बैंक अकाउंट विवरण, पेंशन विवरण या अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज़ न भेजें।

SPARSH Fake WhatsApp Messages

 

फर्जी संदेशों से सतर्क रहें

इस फर्जी संदेश में यह दावा किया जाता है कि SPARSH द्वारा अब व्हाट्सएप के जरिए पेंशनर्स की समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। संदेश में कहा गया है कि पेंशनर्स अपने मुद्दों को जल्द हल करने के लिए व्हाट्सएप पर एक विशेष नंबर पर संपर्क करें। इसके बाद पेंशनर्स से उनकी पेंशन संबंधी जानकारी, बैंक डिटेल्स और अन्य निजी जानकारी मांगी जाती है।

SPARSH ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह व्हाट्सएप या किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए पेंशन से संबंधित कोई सेवा प्रदान नहीं करता। इसके साथ ही, इसने एक बार फिर यह दोहराया कि पेंशनर्स को अपनी व्यक्तिगत जानकारी केवल SPARSH के अधिकृत सेवा केंद्रों और आधिकारिक पोर्टल पर ही साझा करनी चाहिए।

SPARSH Fake WhatsApp Messages

क्यों हो सकती है धोखाधड़ी?

इस तरह की धोखाधड़ी से पेंशनर्स को न सिर्फ आर्थिक नुकसान हो सकता है, बल्कि उनके व्यक्तिगत विवरण भी गलत हाथों में जा सकते हैं। अपराधी इस जानकारी का इस्तेमाल करके पेंशनर्स के खातों से पैसे निकाल सकते हैं या अन्य धोखाधड़ी कर सकते हैं। इसके अलावा, फर्जी संदेशों का मुख्य उद्देश्य पेंशनर्स की जानकारी चुराना और उनकी सुरक्षा को खतरे में डालना है।

SPARSH ने पेंशनर्स से अपील की है कि वे ऐसे फर्जी संदेशों का तुरंत खंडन करें और इनका जवाब न दें। इसके अलावा, यदि कोई पेंशनर इस प्रकार के फर्जी संदेशों का सामना करता है, तो वह तत्काल SPARSH के आधिकारिक संपर्क नंबरों पर सूचना दे सकता है।

सुरक्षा के उपाय

SPARSH ने पेंशनर्स को सलाह दी है कि वे केवल अधिकृत वेबसाइट या अधिकृत सेवा केंद्रों के माध्यम से ही अपनी पेंशन संबंधी जानकारी प्राप्त करें। किसी भी अनजान नंबर से संपर्क करने से बचें और फर्जी संदेशों का तुरंत खंडन करें।

यदि आपको किसी भी संदिग्ध संदेश या कॉल का सामना होता है, तो तुरंत अपने नजदीकी SPARSH सेवा केंद्र से संपर्क करें।

SPARSH का उद्देश्य है कि सभी पेंशनर्स को सुरक्षित और सहज सेवाएं प्रदान की जाएं, और ऐसी किसी भी धोखाधड़ी से बचने के लिए सभी पेंशनर्स को जागरूक किया जाए।

आधिकारिक संपर्क सूत्र

SPARSH ने पेंशनर्स से अपील की है कि वे हमेशा आधिकारिक SPARSH पोर्टल पर जाकर अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त करें। इसके लिए SPARSH के अधिकृत हेल्पलाइन नंबर और वेबसाइट का उपयोग करें। SPARSH का अधिकृत पोर्टल (https://www.sparsh.in) है, जहां पेंशनर्स अपनी समस्याओं को दर्ज कर सकते हैं और सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

SPARSH ने इस बात की पुष्टि की है कि भविष्य में व्हाट्सएप या किसी अन्य अनधिकृत प्लेटफॉर्म पर पेंशन से संबंधित कोई जानकारी साझा नहीं की जाएगी। इसलिए सभी पेंशनर्स को अपनी जानकारी की सुरक्षा के लिए सतर्क रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध गतिविधि से बचना चाहिए।

फर्जी संदेशों से बचने और अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हम हमेशा आधिकारिक चैनल का ही उपयोग करें। किसी भी अनधिकृत और संदिग्ध लिंक या व्हाट्सएप नंबर से दूरी बनाकर रखें। SPARSH और अन्य सरकारी सेवा केंद्रों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के बारे में सही जानकारी के लिए हमेशा आधिकारिक पोर्टल पर ही जाएं।

Shifali Jamwal: सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी की बेटी बनीं ‘Mrs Universe America 2024’, जम्मू से है गहरा नाता

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Shifali Jamwal: शिफाली जमवाल, जो एक सेवानिवृत्त सेना अधिकारी की बेटी हैं, को हाल ही में ‘Mrs Universe America 2024’ का ताज पहनाया गया। यह समारोह अमपावरिंग डॉट ऑर्ग द्वारा रेंटन, अमेरिका में आयोजित किया गया।

Shifali Jamwal: Daughter of Retired Army Officer Crowned 'Mrs Universe America 2024', Deeply Connected to Jammu.

शिफाली का जन्म और पालन-पोषण जम्मू में हुआ। उनके परिवार का सैन्य पृष्ठभूमि होने के कारण, उन्होंने बचपन से ही संघर्ष और दृढ़ संकल्प देखे। शिफाली कहती हैं, “सैन्य परिवेश में बड़े होते हुए मैंने हमेशा अपने माता-पिता को चुनौतियों का डटकर सामना करते देखा।”

वर्तमान में सिएटल में रहने वाली शिफाली, Esper.io में सीनियर प्रोडक्ट मार्केटिंग मैनेजर के रूप में काम कर रही हैं और साथ ही पर्यावरण संरक्षण और समाज सेवा में अपनी रुचि को आगे बढ़ा रही हैं। वह खुद को “पृथ्वी का बच्चा” मानती हैं और हमेशा यह कहती हैं, “हम पृथ्वी को अपने पूर्वजों से नहीं, बल्कि अपने बच्चों से उधार लेते हैं।”

चार साल के बेटे की मां शिफाली का लक्ष्य है कि आने वाली पीढ़ियां एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण में जी सकें। इसी उद्देश्य के साथ उन्होंने ‘Live2Serve’ नामक एक संस्था की शुरुआत की है, जो पर्यावरण संरक्षण और समाज के कमजोर वर्गों, खासकर बच्चों और जानवरों के लिए काम करती है।

पेजेंट में शिफाली ने एक खूबसूरत हरे रंग के लहंगे में हिस्सा लिया, जिस पर तितलियों, फूलों और मोरों के डिज़ाइन थे, जो प्रकृति की सुंदरता का प्रतीक थे। उनके पर्यावरण के प्रति समर्पण ने सभी को प्रभावित किया।

अब जब शिफाली के पास ‘Mrs Universe America 2024’ का खिताब है, वह अगले साल फिलीपींस में होने वाले ‘Mrs Universe’ पेजेंट में अमेरिका का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं। शिफाली का मानना है कि इस मंच के जरिए वह पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और दूसरों को भी इस दिशा में कदम उठाने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।

शिफाली कहती हैं, “इस खिताब से मुझे पर्यावरणीय चेतना बढ़ाने का एक बड़ा मौका मिलेगा। हम सब मिलकर एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर दुनिया छोड़ सकते हैं।”

Airbus C-295: भारतीय नौसेना को मिलेगी नई ताकत, समुद्री निगरानी के लिए जल्द मिलेगा एयरबस C-295 विमान का नेवल वर्जन

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Airbus C-295: समुद्री निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल को जल्द ही एयरबस C-295 विमान का नेवल वर्जन मिल सकता है। रक्षा मंत्रालय जल्द ही 15 मरीन वेरिएंट C-295 विमानों की खरीद के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) जारी कर सकता है। इस योजना को रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने पहले ही मंजूरी दे दी है, जिसके तहत भारतीय नौसेना को नौ और तटरक्षक बल को छह C-295 विमान दिए जाएंगे।

Airbus C-295: Indian Navy to Strengthen Maritime Surveillance with Naval Version of C-295 Aircraft

ये C-295 विमान समुद्री गश्ती और निगरानी के लिए खास तौर पर तैयार किए जा रहे हैं। नौसेना के लिए आने वाले इन विमानों में सोनार ब्वॉय, पनडुब्बी रोधी हथियारों के लिए टॉरपीडो और सतह युद्ध के लिए मिसाइल सिस्टम लगाया जाएगा। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “ये विमान नौसेना की समुद्री निगरानी आवश्यकताओं को पूरा करेंगे और विभिन्न मिशन के अनुरूप इनका उपयोग किया जा सकेगा।”

विमान के निर्माण के लिए फ्रांसीसी कंपनी एयरबस और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड के संयुक्त उद्यम के तहत इन्हें भारत में निर्मित किया जाएगा। भारतीय वायुसेना ने पहले ही 56 C-295 ट्रांसपोर्ट विमान का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है, जिसमें से शुरुआती 16 विमान स्पेन में बन रहे हैं और बाकी विमान वडोदरा, गुजरात में टाटा की फाइनल असेंबली लाइन पर तैयार होंगे।

इस एडवांस C-295 वेरिएंट से भारतीय नौसेना की समुद्री गश्ती और निगरानी क्षमताओं में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी होगी। यह नौसेना के लिए मीडियम रेंज मैरिटाइम रिकोनिसेंस (MRMR) और तटरक्षक बल के लिए मल्टी-मिशन मैरिटाइम एयरक्राफ्ट (MMMA) के रूप में काम करेगा। इस C-295 के नए वर्जन में निगरानी, गश्ती और हमला करने की  क्षमता भी होगी।

भारतीय नौसेना फिलहाल लंबी दूरी की समुद्री निगरानी के लिए बोइंग P-8I विमान और छोटी दूरी के गश्ती के लिए डोर्नियर DO-228 विमान का उपयोग करती है। लेकिन मध्यम दूरी की निगरानी के लिए इस श्रेणी के विमान की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। C-295 विमान इस कमी को पूरा करेगा और इसमें पनडुब्बी रोधी ऑपरेशन के लिए हल्के टॉरपीडो, सोनार और DRDO के NASM-SR और NASM-MR एंटी-शिप मिसाइल जैसे आधुनिक हथियार लगाए जाएंगे।

नौसेना के सूत्रों के मुताबिक भारतीय नौसेना की निगरानी क्षमताओं में सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि मध्यम दूरी के विमान की कमी थी, जो विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और समुद्री व्यापारिक मार्गों (SLOC) पर बेहतर निगरानी कर सके।” उन्होंने कहा कि यह नया विमान न केवल हमारी समुद्री स्थिति जागरूकता को मजबूत करेगा, बल्कि हमारे लंबी दूरी के विमानों के इंजन घंटों को भी बचाएगा।

भारत की समुद्री सीमाओं में तेजी से बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए, यह C-295 विमान का नेवल वर्जन नौसेना और तटरक्षक बल के लिए बेहद कारगर साबित होंगे। ये विमान रीयलटाइम में खुफिया और टारगेटिंग डेटा उपलब्ध कराएंगे, जिससे भारतीय नौसेना की समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

India-China Relations: सीमा विवाद के बाद पहली बार मिलेंगे राजनाथ सिंह और उनके चीनी समकक्ष

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India-China Relations: भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अगले हफ्ते अपने चीनी समकक्ष डोंग जुन से मुलाकात करेंगे, जो पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर हाल ही में हुई सेना की वापसी के बाद दोनों देशों के बीच पहली उच्च-स्तरीय बैठक होगी। यह मुलाकात ASEAN रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन (ADMM-Plus) के दौरान लाओस में होगी।

India-China Relations: Rajnath Singh Set to Meet Chinese Counterpart in First High-Level Dialogue Post LAC Truce

पिछले महीने, भारत और चीन की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग इलाकों में साझा गश्त की थी। यह गश्त उस समय हुई जब दोनों देशों ने इन क्षेत्रों से सेनाओं के हटने के बाद शांति बनाए रखने के लिए साप्ताहिक समन्वित गश्त पर सहमति व्यक्त की। यह कदम 2020 में गलवान घाटी में हुए टकराव के बाद बढ़ते तनाव को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।

21 अक्टूबर को भारत ने चीन के साथ एक समझौता किया, जिसके तहत दोनों देशों की सेनाएं LAC पर सीमित गश्त करेंगी। यह समझौता चार साल से चल रहे सीमा विवाद को समाप्त करने के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, जिसे 2020 के गलवान संघर्ष के बाद शुरू हुए सैन्य गतिरोध के रूप में देखा गया था।

ADMM-Plus एक वार्षिक बैठक है जिसमें ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया, रूस और अमेरिका सहित आठ देशों के रक्षा मंत्री भाग लेते हैं। इस साल की बैठक में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद और क्षेत्रीय स्थिरता पर चर्चा की संभावना है।

अप्रैल 2023 में भारत में हुई शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने चीनी रक्षा मंत्री ली शांगफू से मुलाकात की थी। इस बैठक में भी सीमा मुद्दे पर व्यापक चर्चा हुई थी। इससे पहले 2020 में मास्को में हुई SCO बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने चीनी रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंघे से मुलाकात की थी, जो गलवान संघर्ष के कुछ महीनों बाद हुई थी।

हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस में आयोजित BRICS सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की। यह मुलाकात LAC समझौते पर हस्ताक्षर के बाद हुई, जिससे दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में एक और कदम बढ़ा।

लाओस में होने वाली आगामी बैठक दोनों देशों के बीच जटिल संबंधों में संवाद बनाए रखने और एक-दूसरे के प्रति समझ को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

81MM Mortar Simulator: अब मोर्टार सिम्युलेटर पर ट्रेनिंग कर रही है भारतीय सेना, कम हुआ जान का जोखिम, सटीक निशाना लगाने में हो रही आसानी

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81MM Mortar Simulator: भारतीय सेना को जल्द ही और 81 एमएम मोर्टार सिम्युलेटर मिल सकते हैं, जिसका उद्देश्य सैनिकों की ट्रेनिंग को और अधिक प्रभावी बनाना है। इन सिमुलेटरों का उपयोग सेना के जवानों को वास्तविक युद्ध परिस्थितियों में बिना जोखिम के मोर्टार संचालन की ट्रेनिंग देने के लिए किया जा रहा है। इन कंप्यूटर-सहायता प्राप्त सिमुलेटरों के परिणाम अब तक बहुत ही प्रभावशाली रहे हैं, जिससे जवानों की सटीकता और दक्षता में जबरदस्त सुधार हुआ है।

81mm Mortar Integrated Simulator: Indian Army Enhances Training with Mortar Simulators, Reduces Risk and Improves Accuracy

साथ ही, जिस कंपनी का लोगो इस मोर्टार सिमुलेटर पर नजर आ रहा है, वह जेन टेक्नोलॉजी का है, जो इस उपकरण की आपूर्ति कर रही है। Zen 81mm Mortar Integrated Simulator (MIS) को विशेष रूप से सैनिकों को 81 एमएम मोर्टार का संचालन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह सिमुलेटर एक से अधिक मोर्टार पलटूनों के द्वारा लक्ष्यों पर गोलीबारी करने में मदद करता है, जिनमें 4/6 मोर्टार प्रति पलटून होते हैं। इसमें एक इन्स्ट्रक्टर स्टेशन, मोर्टार फायर कंट्रोलर स्टेशन और मोर्टार पोजीशन कंट्रोलर स्टेशन के साथ 4/6 ‘टू-स्केल’ मोर्टार शामिल होते हैं, जो सभी एक साथ एप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर से जुड़े होते हैं।

यह सिमुलेटर अलग-अलग प्रकार की ज़मीन, गतिशील और स्थिर लक्ष्यों, विस्फोट, धुएं, रौशनी, आंधी जैसी पर्यावरणीय प्रभावों को 3D दृश्यों के माध्यम से दिखाता है। इससे सच्ची रेंज परिस्थितियों को वास्तविक रूप से महसूस किया जा सकता है। इसके अलावा, यह सिमुलेटर प्रशिक्षण समय, गोला-बारूद और लॉजिस्टिक्स पर होने वाले खर्च को काफी हद तक कम करता है, जिससे 100% प्रशिक्षण उद्देश्य हासिल किए जा सकते हैं।

Zen 81mm MIS की प्रमुख विशेषताएँ:

  • पूरे वर्ष में, दिन/रात के समय में इनडोर प्रशिक्षण की सुविधा
  • मोर्टार फायर कंट्रोलर, मोर्टार पोजीशन कमांडर और मोर्टार डिटैचमेंट को प्रशिक्षित करता है
  • ‘टू-स्केल’ मोर्टार के साथ विभिन्न प्रकार के स्थिर और गतिशील लक्ष्य प्रदान करता है
  • सटीक गोलीबारी के लिए दृष्टि सुधार के लिए संशोधित बाइनोक्युलर की सुविधा
  • कई इकाइयों द्वारा लक्ष्य पर हमला करने की सुविधा
  • ज़मीन की विभिन्न प्रकार की मैप्स और पर्यावरणीय प्रभावों का चुनाव
  • रिकार्डिंग, पुनरावलोकन और सेशन को स्टोर करने की सुविधा
  • व्यक्तिगत प्रदर्शन का मूल्यांकन और विश्लेषण की क्षमता

81 एमएम मोर्टार सिमुलेटर को सेना द्वारा सैनिकों को बेहतर प्रशिक्षण देने के लिए शामिल किया गया है, जिससे वे युद्ध की स्थितियों का सामना करते हुए अपनी स्किल्स को और भी निखार सकते हैं। यह सिमुलेटर सैनिकों को वास्तविक युद्ध के माहौल में मोर्टार का संचालन करने की कला सिखाता है, बिना किसी जोखिम के। इस सिमुलेटर के परिणामस्वरूप सेना को उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षण के लिए अधिक कुशल सैनिक मिलेंगे, जो युद्ध की वास्तविक परिस्थितियों का बेहतर तरीके से सामना कर सकेंगे।

प्रशिक्षण में इस तकनीक के उपयोग से अब तक बहुत ही अच्छे परिणाम सामने आए हैं। यह सिमुलेटर सेना के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में एक नया आयाम जोड़ते हुए जवानों को युद्ध की जटिल परिस्थितियों में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है। सेना के अधिकारियों का मानना है कि इस तरह की तकनीकी उन्नति से भारतीय सेना की युद्ध क्षमता में और अधिक सुधार होगा, और सैनिकों को उच्चतम स्तर का प्रशिक्षण प्राप्त होगा। इस तकनीकी सुधार से भारतीय सेना की युद्ध क्षमता और भी मजबूत होगी, क्योंकि जवानों को अब अधिक सटीक और प्रभावी तरीके से प्रशिक्षण दिया जा रहा है।वहीं, इस सुधार से न केवल सेना के जवानों का प्रशिक्षण प्रभावी होगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि भारतीय सेना किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

India Strengthens Defence Ties: भारत ऐसे साध रहा है अमेरिका और रूस को, अमेरिकी ‘प्रेडेटर’ ड्रोन के बाद रूस से खरीद रहे पैंट्सिर एयर डिफेंस सिस्टम और स्टेल्थ फ्रिगेट्स

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India Strengthens Defence Ties: भारत ने हाल ही में 34,500 करोड़ रुपये के सौदे के तहत अमेरिका से 31 ‘प्रेडेटर’ ड्रोन खरीदने की घोषणा की थी, अब देश लंबे समय से चले आ रहे रूस के साथ रक्षा संबंधों को फिर से संतुलित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

India Strengthens Defence Ties with US and Russia: After US Predator Drones, India Acquires Pantsir Air Defence System and Stealth Frigates from Russia

इंडिया टुडे के डिफेंस एडिटर प्रदीप सागर इंडिया टुडे मैगजीन में लिखते हैं कि रक्षा क्षेत्र में इस संतुलन की प्रक्रिया को और मजबूत करने के लिए, भारत में रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटूरोव दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे हैं। इस दौरान, दोनों देशों के बीच चल रही रणनीतिक सहयोग की समीक्षा की जाएगी। इसके बाद, भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अगले कुछ दिनों में मास्को का दौरा करेंगे, जहां वह इंडो-रूसी अंतर सरकारी सैन्य तकनीकी सहयोग आयोग (IRIGC-M&MTC) की बैठक में भाग लेंगे। यह आयोग भारत और रूस के बीच सैन्य और तकनीकी सहयोग की निगरानी करता है।

यह घटनाक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अक्टूबर में कज़ान में आयोजित BRICS शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद सामने आया है, जब रूस ने इस सम्मेलन की अध्यक्षता की थी। इसके अलावा, 8 नवंबर को भारतीय राज्य-निर्मित रक्षा कंपनी भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) और रूस की प्रमुख हथियार निर्यातक संस्था रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के बीच पैंटसिर एयर डिफेंस सिस्टम के विभिन्न संस्करणों के संयुक्त विकास के लिए एक समझौता हुआ।

इस बीच, मंटूरोव की भारत यात्रा के दौरान, उन्होंने 12 नवंबर को विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ मिलकर रूस-भारत व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर 25वीं द्विपक्षीय बैठक की सहअध्यक्षता की।

वैश्विक गठबंधनों में बदलाव और पश्चिमी प्रभाव के बावजूद, रूस से रक्षा खरीदारी भारत की सैन्य आधुनिकीकरण योजना का अहम हिस्सा बनी हुई है। रूस के साथ भारत का सामरिक संबंध दशकों पुराना है, और इन खरीदारी से भारत को अपनी रक्षा क्षमता को बढ़ाने और क्षेत्रीय खतरों से निपटने में मदद मिलती है।

रूस ने पिछले दो दशकों में भारत को 60 बिलियन डॉलर (करीब 5.06 लाख करोड़ रुपये) से ज्यादा की रक्षा आपूर्ति की है, जिसमें लगभग 65 प्रतिशत भारतीय रक्षा खरीदारी शामिल है। हालांकि, यूक्रेन युद्ध और रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों के खतरे को देखते हुए, भारत अब अपनी रक्षा आपूर्तिकर्ताओं की विविधता पर भी जोर दे रहा है।

अब, अमेरिका से ड्रोन सौदे के बाद, भारत रूस से दो स्टेल्थ फ्रिगेट्स प्राप्त करने के लिए तैयार है। ये फ्रिगेट्स 2018 में 2.5 बिलियन डॉलर (21,100 करोड़ रुपये) के सौदे के तहत रूस के यंतर शिपयार्ड में बनाए गए हैं। पहले फ्रिगेट को INS तुषिल के रूप में भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपने रूस दौरे के दौरान केवल अपने समकक्ष के साथ बातचीत नहीं करेंगे, बल्कि INS तुषिल का कमीशन भी करेंगे। दूसरा फ्रिगेट, INS तमल, अगले साल की शुरुआत में भारत को सौंपे जाने की उम्मीद है।

नौसैनिक सूत्रों के अनुसार, ये फ्रिगेट्स ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल और उन्नत रडार प्रणालियों से लैस होंगे, जो भारतीय नौसेना की सतही मुकाबला क्षमताओं को मजबूती देंगे। यह अधिग्रहण 2016 में भारत और रूस के बीच चार अतिरिक्त स्टेल्थ फ्रिगेट्स के लिए किए गए इंटर-गवर्नमेंटल समझौते का हिस्सा है।

इन फ्रिगेट्स के अलावा, भारत 2025 तक रूस से एक और परमाणु पनडुब्बी लीज पर लेने की योजना बना रहा है, हालांकि इसकी डिलीवरी 2028 तक हो सकती है। रूस एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की बाकी दो स्क्वाड्रन भी तेजी से भारत को सौंपने की तैयारी कर रहा है।

सर्द युद्ध युग से ही भारत ने रूस (पूर्व सोवियत संघ) को अपनी प्रमुख रक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनाया है। रूस के लड़ाकू विमानों, टैंक और पनडुब्बियों से लेकर भारत की सैन्य क्षमता का आधार बन चुके हैं। इन उपकरणों की लागत-कुशलता, परिचितता और विश्वसनीयता के कारण भारत का रक्षा संबंध रूस से काफी मजबूत रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का अमेरिका और रूस दोनों के साथ संतुलित संबंध बनाना, उसे जरूरी सैन्य क्षमताओं को सुरक्षित रखते हुए वैश्विक राजनीति में अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने में मदद करेगा।

EXERCISE VINBAX-24: भारत-वियतनाम के रक्षा संबंधों में मजबूती, संयुक्त सैन्य अभ्यास से बढ़ेगा आपसी सहयोग

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EXERCISE VINBAX-24: भारत और वियतनाम के बीच सैन्य सहयोग को नई मजबूती देने के उद्देश्य से आयोजित “विनबेक्स-24” का पांचवा संस्करण अंबाला में जारी है। इस संयुक्त अभ्यास में भारतीय सेना और वियतनाम पीपल्स आर्मी (VPA) के जवान संयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत इंजीनियरिंग कंपनी और एक मेडिकल टीम की तैनाती के लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इस अभ्यास के तहत सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इंजीनियर टास्क फोर्स द्वारा एक रोड ओपनिंग ड्रिल और आपदा प्रबंधन में मेडिकल टीम की दक्षता बढ़ाने के लिए विशेष अभ्यास का आयोजन किया गया।

EXERCISE VINBAX-24: Strengthening India-Vietnam Defense Ties, Joint Military Drill Enhances Mutual Cooperation

आपसी सहयोग में वायुसेना का योगदान

इस बार के अभ्यास में वायुसेना का भी योगदान शामिल किया गया है, जिसमें भारत और वियतनाम की वायुसेनाओं ने संयुक्त राष्ट्र मिशन में पुनर्वास प्रयासों में एयर एसेट्स के इस्तेमाल के सर्वोत्तम तरीकों को साझा किया। इसमें उन्नत लाइट हेलिकॉप्टर (ALH) और चिनूक हेलिकॉप्टर का इंजीनियरिंग कार्यों में विभिन्न उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल भी देखा गया, जिसने इस अभ्यास को और भी समृद्ध बना दिया। दोनों देशों के जवानों ने अभ्यास के बाद खेल गतिविधियों और शारीरिक प्रशिक्षण में भी हिस्सा लिया, जिससे आपसी तालमेल को और मजबूती मिली।

EXERCISE VINBAX-24: Strengthening India-Vietnam Defense Ties, Joint Military Drill Enhances Mutual Cooperation

अब तक की मुख्य गतिविधियाँ

विनबेक्स-24 में अब तक कई महत्वपूर्ण गतिविधियाँ आयोजित की जा चुकी हैं:

  1. CUNPK Phase: संयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत ऑपरेशंस में तैनाती के लिए तैयारी।
  2. इंजीनियरिंग ट्रेनिंग: संयुक्त राष्ट्र के मापदंडों के अनुसार निर्माण कार्य, जिसमें ASA, प्रीफैब शेल्टर, हेस्को बैग्स, और कंटेनर-आधारित दीवारों का निर्माण शामिल है।
  3. मेडिकल ट्रेनिंग: आपदा प्रबंधन और आपात स्थिति में घायलों की देखभाल के लिए विशेष मेडिकल ट्रेनिंग।
  4. आपदा राहत एवं पुनर्वास प्रशिक्षण: राज्य प्रशासन की सहायता से आपदा प्रबंधन में सुधार हेतु प्रशिक्षण।
  5. एयर एसेट्स इंटीग्रेशन: चिनूक और MI-17 हेलिकॉप्टर द्वारा इंजीनियरिंग उपकरणों की ढुलाई और ALH के माध्यम से सैनिकों एवं सामग्री का स्थानांतरण।
  6. EXERCISE VINBAX-24: Strengthening India-Vietnam Defense Ties, Joint Military Drill Enhances Mutual Cooperation

भारत और वियतनाम के बीच बढ़ते हुए रक्षा संबंधों का यह अभ्यास एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अभ्यास दोनों देशों के सैन्य दलों को न केवल आधुनिक तकनीकी ज्ञान बल्कि आपसी समझ और विश्वास को भी बढ़ाने में मदद कर रहा है, जो आगे चलकर आपदा प्रबंधन, शांति स्थापना, और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग का मार्ग प्रशस्त करेगा

SPARSH PENSIONERS: वेटरन और फैमिली पेंशनरों के लिए सरकार की सीधी सेवा, केंद्र चलाएगा डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट 3.0 कैम्पेन

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SPARSH PENSIONERS: भारत सरकार के पेंशन एवं पेंशनर्स कल्याण विभाग ने पूरे देश में पेंशनर्स और फैमिली पेंशनर्स के लिए एक विशेष पहल शुरू की है। 1 नवंबर से 30 नवंबर 2024 तक आयोजित हो रहे इस “डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट 3.0” कैम्पेन के माध्यम से पेंशनर्स को उनके डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट (DLC) जमा करने, अपनी पहचान अपडेट करने और अपनी शिकायतों के समाधान का मौका मिलेगा। यह कार्यक्रम देशभर के विभिन्न स्थानों पर हो रहा है, और इसमें लाखों पेंशनर्स के भाग लेने की उम्मीद है।

SPARSH Pensioners: Government Launches Direct Service Campaign for Veterans and Family Pensioners with Digital Life Certificate 3.0

स्पर्श (SPARSH) पेंशनर्स में जागरूकता

इस कैम्पेन का प्रमुख उद्देश्य स्पर्श (SPARSH) पेंशनर्स को उन सुविधाओं के बारे में जागरूक करना है जो उनके लिए उपलब्ध हैं। साथ ही, स्पर्श के पोर्टल और इसके फीचर्स की जानकारी देना, ऑन-द-स्पॉट डिजिटल सर्टिफिकेट प्रक्रिया पूरी करना, और पेंशनर्स की शिकायतों का तुरंत निवारण करना इस कार्यक्रम के मुख्य पहलू हैं। इसके तहत देश के हर हिस्से में जिला सैनिक कल्याण बोर्ड या वेटरन सेल कार्यालय में जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराया जा रहा है, जिसमें कंप्यूटर, प्रोजेक्टर और पेंशनर्स के लिए सभी बुनियादी सुविधाएं शामिल हैं।

पेंशनर्स को क्या लाभ होगा?

इस आयोजन के दौरान, पेंशनर्स को निम्नलिखित सेवाओं का लाभ मिलेगा:

  • स्पर्श की जानकारी: पेंशनर्स को स्पर्श पोर्टल के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी और उनके सवालों का समाधान किया जाएगा।
  • डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट: पेंशनर्स अपना DLC फौरन बनवा सकेंगे, जिससे उनकी पेंशन प्रक्रिया में सुगमता होगी।
  • शिकायतों का निवारण: कैम्प में पेंशनर्स की समस्याओं का ऑन-द-स्पॉट समाधान किया जाएगा।

कार्यक्रम की स्थान एवं तारीखें

इस आउटरीच कार्यक्रम का आयोजन देशभर में अलग-अलग स्थानों पर किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में इसकी तारीखें इस प्रकार हैं:

  • नोएडा: 13 नवंबर
  • मुजफ्फरनगर: 19 नवंबर
  • बागपत: 20 नवंबर
  • मेरठ: 24 नवंबर

इन तारीखों पर संबंधित जिलों के पेंशनर्स अपने जिले के आयोजन स्थल पर जाकर अपनी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं और कार्यक्रम में लाभ ले सकते हैं।

क्या है डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट (DLC)?

डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट एक ऑनलाइन प्रक्रिया है जिसके माध्यम से पेंशनर्स अपनी पहचान की पुष्टि कर सकते हैं। इस सर्टिफिकेट को प्राप्त करने से पेंशनरों को पेंशन जारी रखने में कोई समस्या नहीं होती और इसके लिए उन्हें किसी भी प्रकार के शारीरिक प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती।

कार्यक्रम का उद्देश्य:

इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य पेंशनर्स को ‘स्पर्श’ प्रोग्राम के बारे में जागरूक करना और उनकी शिकायतों का समाधान करना है। इस दौरान पेंशनर्स को डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन दिया जाएगा, साथ ही उनकी शिकायतों का तुरंत निवारण भी किया जाएगा।

कैसे होगा आयोजन?

यह कार्यक्रम देशभर के विभिन्न स्थानों पर आयोजित किया जाएगा। जहां पेंशनर्स को ‘स्पर्श’ पोर्टल पर पंजीकरण की प्रक्रिया, उपलब्ध सेवाओं और शिकायतों के समाधान के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा, पेंशनर्स को डीएलसी प्राप्त करने के लिए तकनीकी सहायता भी दी जाएगी।

प्रचार-प्रसार और सहयोग

इस कैम्पेन को सफल बनाने के लिए सरकार स्थानीय समाचार पत्रों, मीडिया चैनलों, पेंशनर्स एसोसिएशन और पूर्व सैनिक संगठनों के सहयोग से इसे अधिक से अधिक पेंशनर्स तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है। जिला सैनिक बोर्ड, वेटरन सेल और अन्य संगठनों को यह निर्देश दिए गए हैं कि वे हर संभव संसाधन और सुविधा पेंशनर्स के लिए उपलब्ध कराएं।

समन्वय और संपर्क

यह एक शानदार अवसर है पेंशनर्स के लिए, जो अपनी समस्याओं का समाधान करने के लिए अधिकारियों से सीधा संपर्क कर सकते हैं। इस अभियान के माध्यम से पेंशनर्स को उनका हक मिल सकेगा और उन्हें अपनी शिकायतों के समाधान का पूरा अधिकार मिलेगा।

सभी पेंशनर्स और उनके परिवारों से अनुरोध है कि वे इस अभियान के बारे में जानकारी प्राप्त करें और निर्धारित तिथियों पर आयोजनों में भाग लें। इस जानकारी को अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें ताकि कोई भी पेंशनर इससे वंचित न रहे।

Akash Air Defence Missile: भारत ने अर्मेनिया को भेजी पहली ‘आकाश’ एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम बैटरी, 15 सिस्टम की सप्लाई का हुआ था समझौता

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Akash Air Defence Missile: भारत ने अपने रक्षा निर्यात में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार करते हुए, अर्मेनिया को पहली ‘आकाश’ मिसाइल सिस्टम बैटरी भेजी है। यह मिसाइल सिस्टम का दूसरा निर्यात है, जो भारत के रक्षा क्षेत्र की बढ़ती ताकत को दर्शाता है।

Akash Air Defence Missile- India Ships First 'Akash' Missile System Battery to Armenia as Part of 15-System Supply Deal

आकाश सिस्टम की विशेषताएँ और कार्यक्षमता

आकाश प्रणाली, जो रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की गई है, एक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM) है, जो 25 किलोमीटर तक के दायरे में विमान, मिसाइलें (क्रूज, एयर-टू-सतह), ड्रोन और अन्य वायवीय लक्ष्यों को निशाना बना सकती है। यह मिसाइल सिस्टम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा निर्मित है।

प्रत्येक आकाश बैटरी सिस्टम में एक राजेंद्र 3D पैसिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन की गई राडार और चार लॉन्चर होते हैं, जिनमें प्रत्येक में तीन मिसाइलें होती हैं। ये सभी सिस्टम आपस में जुड़े होते हैं और एक दूसरे के साथ समन्वय करते हैं।

भारत की रक्षा प्रौद्योगिकी में वृद्धि

रक्षा उत्पादन मंत्रालय के सचिव संजीव कुमार ने पहले ‘आकाश’ बैटरी को एक मित्र राष्ट्र के लिए रवाना किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “यह घटना भारत की रक्षा प्रौद्योगिकी और निर्माण क्षमताओं में बढ़ोतरी को दर्शाती है।”

Akash Air Defence Missile- India Ships First 'Akash' Missile System Battery to Armenia as Part of 15-System Supply Deal

2020 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आकाश मिसाइल सिस्टम के निर्यात को मंजूरी दी थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि निर्यात किए जाने वाले आकाश मिसाइल का संस्करण भारतीय सशस्त्र बलों में उपयोग में लाए गए संस्करण से भिन्न होगा। उन्होंने यह भी बताया कि इस मिसाइल सिस्टम में 96 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी घटक हैं।

आकाश मिसाइल का परिचय और अर्मेनिया के साथ समझौता

भारत की वायु सेना ने 2014 में आकाश मिसाइल प्रणाली को अपनाया था, जबकि भारतीय सेना ने इसे 2015 में अपनी ताकत में शामिल किया। 2022 में, अर्मेनिया ने भारत से 15 आकाश मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसकी कीमत लगभग 6,000 करोड़ रुपये थी।

आर्मेनिया, जो पहले रूस पर निर्भर था, अब भारत से यह मिसाइल प्रणाली खरीदने वाला पहला विदेशी देश बन गया है। उल्लेखनीय है कि रूस ने 2011 से 2020 के बीच आर्मेनिया के 94 प्रतिशत हथियार आयात की आपूर्ति की थी।

आगे का रास्ता और अन्य देशों की रुचि

भारत ने पहले ही फिलीपींस के साथ ब्राह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के लिए एक बड़ा रक्षा निर्यात समझौता किया था, जिसका पहला बैच फिलीपींस को अप्रैल में भेजा गया। अब, आर्मेनिया के साथ आकाश मिसाइल की पहली शिपमेंट के साथ, भारत ने अपनी रक्षा निर्यात क्षमता को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है।

इसके अलावा, वियतनाम, मिस्र और फिलीपींस जैसे देशों ने भी आकाश मिसाइल प्रणाली में रुचि दिखाई है। भारत की बढ़ती रक्षा प्रौद्योगिकी और निर्यात क्षमताओं के साथ, आकाश प्रणाली भविष्य में कई अन्य देशों की सैन्य जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होगी।

आधुनिक और अत्याधुनिक मिसाइल तकनीक के साथ, आकाश प्रणाली ने भारत को विश्वस्तरीय रक्षा निर्यातक बनने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाया है। यह कदम न केवल भारतीय रक्षा उद्योग की ताकत को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि भारत के सैन्य सहयोगियों को भी अपनी रक्षा क्षमता को मजबूत करने में मदद कर रहा है।

Antariksha Abhyas 2024: Defence Space Agency ने दिल्ली में आयोजित किया पहला अंतरिक्ष अभ्यास, सेना के तीनों अंग ले रहे हिस्सा

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Antariksha Abhyas 2024: भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमता को और मजबूत करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, भारतीय रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी (Defence Space Agency) ने 11 नवम्बर 2024 को दिल्ली में पहली ट्राई सर्विस डिफेंस स्पेस एक्सरसाइज ‘अंतरिक्ष अभ्यास-2024’ का आयोजन किया। इस अभ्यास का उद्घाटन भारतीय रक्षा प्रमुख, जनरल अनिल चौहान (CDS) ने किया।

Antariksha Abhyas 2024: Defence Space Agency Hosts First-Ever Space Exercise in Delhi with Participation from All Three Armed Forces

इस अभ्यास के दौरान, भारतीय सशस्त्र बलों को अंतरिक्ष संसाधनों की सुरक्षा के लिए तैयार किया जा रहा है, ताकि वे भविष्य में आने वाली चुनौतियों से निपट सकें। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि इस अभ्यास में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने और अंतरिक्ष सुरक्षा के लिए नई रणनीतियों पर विचार किया जा रहा है।

उद्घाटन सत्र में बोलते हुए, CDS जनरल अनिल चौहान ने कहा, “अंतरिक्ष, जो कभी अंतिम सीमा मानी जाती थी, अब भारत की रक्षा और सुरक्षा ढांचे का अहम हिस्सा बन चुका है। हमारे पास अंतरिक्ष अन्वेषण की समृद्ध विरासत और बढ़ती हुई सैन्य क्षमताएं हैं, जिससे हम अंतरिक्ष आधारित क्षमताओं को चुनौती देने वाली समस्याओं का समाधान करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।”

जनरल चौहान ने यह भी बताया कि अंतरिक्ष अब अत्यधिक भीड़-भाड़ वाला, प्रतिस्पर्धात्मक और व्यावसायिक बन चुका है, और इसके मद्देनजर सेना को नवीनता, अत्याधुनिक तकनीकों और प्रणालियों को विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस प्रयास में DRDO, ISRO और अकादमिक संस्थाओं के सहयोग की बात की।

जनरल चौहान ने आगे कहा, “अंतरिक्ष संसाधनों पर नियंत्रण सीधे तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देता है। हमें अंतरिक्ष युद्ध के लिए अपने विचार और प्रक्रियाओं को विकसित करने की आवश्यकता है, ताकि हम अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा कर सकें।”

इस अभ्यास के दौरान, ‘अंतरिक्ष अभ्यास 2024’ के माध्यम से भारत के अंतरिक्ष आधारित संसाधनों और सेवाओं के खतरों को समझने और उनका संचालन करने के तरीके पर गहन मंथन किया जा रहा है। यह तीन दिवसीय अभ्यास 11 से 13 नवम्बर तक आयोजित किया जा रहा है और इसमें भारतीय सशस्त्र बलों के सभी तीन अंगों – सेना, नौसेना और वायुसेना के साथ-साथ रक्षा साइबर एजेंसी, रक्षा खुफिया एजेंसी और रणनीतिक बल कमान के विशेषज्ञ भी हिस्सा ले रहे हैं।

इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य यह है कि अंतरिक्ष आधारित सेवाओं और संसाधनों पर निर्भरता को समझा जा सके और यह पहचाना जा सके कि अंतरिक्ष सेवाओं में किसी भी प्रकार की विघ्नता या रुकावट होने पर संचालन में कौन सी कमजोरियां सामने आ सकती हैं। इसके अलावा, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के प्रतिनिधि भी इस अभ्यास में शामिल हैं।

‘अंतरिक्ष अभ्यास 2024’ भारतीय रक्षा एजेंसियों और अंतरिक्ष संसाधनों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है, जो भारत की सैन्य संचालन में अंतरिक्ष क्षमताओं को एकीकृत करने में मदद करेगा। इस अभ्यास के माध्यम से, भारतीय सशस्त्र बलों को भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार किया जा रहा है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि हमारे देश का आकाश पूरी तरह से सुरक्षित रहे।

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