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दिल्ली आ रहे हैं इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री, BrahMos को लेकर हो सकती है पार्टनरशिप

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Indonesia’s Defense Minister is coming to Delhi- इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री श्याफ्री स्यामसोएद्दीन नवंबर के अंतिम सप्ताह में भारत दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वे नई दिल्ली में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करेंगे। यह बैठक ब्रह्मोस (BrahMos) सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से जुड़े बड़े रक्षा समझौते के महत्वपूर्ण फॉलो-अप के रूप में देखी जा रही है। इससे भारत के बढ़ते रक्षा निर्यात कार्यक्रम को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।

एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने पुष्टि की है कि यह वार्ता बेहद अहम है क्योंकि हाल के महीनों में दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच लगातार उच्च स्तरीय संवाद हुए हैं। इंडोनेशिया ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली खरीदने में गहरी रुचि दिखा चुका है, जिसके चलते कूटनीतिक और रक्षा स्तर पर तेज़ी से बातचीत आगे बढ़ रही है।

राजनाथ सिंह ने क्या कहा

हाल ही में लखनऊ के एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया था कि इंडोनेशिया ने ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए आधिकारिक रूप से अनुरोध भेज दिया है। यह मिसाइलें लखनऊ में बनी नई ब्रह्मोस एयरोस्पेस यूनिट में तैयार की जा रही हैं।

18 अक्टूबर को श्री सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस यूनिट में बनी पहली खेप को रवाना किया। अधिकारियों का कहना है कि इंडोनेशिया के साथ यह संभावित डील भारत के रक्षा निर्यात में एक बड़ी उपलब्धि होगी, जो यह साबित करेगी कि भारत अत्याधुनिक और युद्ध-परीक्षित स्वदेशी हथियार आपूर्ति करने में सक्षम है।

इससे पहले 28 अक्टूबर को भारत के चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने जकार्ता में मंत्री स्यामसोएद्दीन से मुलाकात कर रक्षा सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की थी।

रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस मिसाइलों द्वारा पाकिस्तानी एयरबेस पर सटीक प्रहार ने वैश्विक स्तर पर भारत की रक्षा क्षमताओं पर भरोसा और बढ़ा दिया है।

इंडोनेशिया की यह रुचि उसके राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो की जनवरी में भारत यात्रा के बाद और मजबूत हुई है। वे गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रक्षा उत्पादन व सप्लाई चेन साझेदारी पर महत्वपूर्ण बातचीत कर चुके हैं।

उधर भारत 2022 में किए गए 375 मिलियन डॉलर के समझौते के तहत फिलीपींस को ब्रह्मोस की तीसरी और अंतिम खेप देने की तैयारी कर रहा है। साथ ही वियतनाम, मलेशिया सहित कई अन्य देशों से भी मिसाइल प्रणाली की बिक्री पर वार्ता जारी है।

राजनाथ सिंह ने पहले कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर ने साबित कर दिया है कि ब्रह्मोस केवल परीक्षण तक सीमित नहीं, बल्कि “राष्ट्रीय सुरक्षा का सबसे बड़ा प्रमाण” बन चुका है। उनके अनुसार पाकिस्तान का हर हिस्सा अब ब्रह्मोस की जद में है। बता दें कि ब्रह्मोस मिसाइल 290 किलोमीटर से अधिक की मारक क्षमता और मैक-2.8 की रफ्तार रखती है। इसे भारत की डीआरडीओ और रूस की NPO Mashinostroyenia ने संयुक्त रूप से विकसित किया है।

Defence Self-Reliance: डिफेंस प्रोडक्शन में रिकॉर्ड 174 फीसदी की बढ़ोतरी, 193 डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट्स में से 177 भारतीय कंपनियों को

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Defence Self-Reliance: भारत ने डिफेंस प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट के क्षेत्र में इस साल कई ऐसे नए रिकॉर्ड बनाए हैं, जिन्हें देश की आत्मनिर्भरता की यात्रा में बेहद महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए आत्मनिर्भर भारत अभियान और पिछले एक दशक में किए गए नीतिगत सुधारों के चलते भारत का डिफेंस सेक्टर अब लगातार मजबूत हो रहा है। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत अब न सिर्फ अपने लिए अत्याधुनिक डिफेंस इक्विपमेंट बना रहा है, बल्कि 100 से ज्यादा देशों को इन्हें निर्यात भी कर रहा है।

Defence Self-Reliance: रक्षा उत्पादन में 174 फीसदी की बढ़ोतरी

पीआईबी की तरफ से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष में भारत का कुल रक्षा उत्पादन 1.54 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो भारत के इतिहास में अब तक सर्वाधिक है। इससे पहले वित्त वर्ष 2023-24 में स्वदेशी रक्षा उत्पादन 1,27,434 करोड़ रुपये था। दस साल पहले यानी 2014-15 में यह आंकड़ा सिर्फ 46,429 करोड़ रुपये था। भारत ने पिछले दस साल में रक्षा उत्पादन में 174 फीसदी की बढ़ोतरी हासिल की है। सरकार का कहना है कि इस साल 1.75 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन लक्ष्य लिया गया है और 2029 तक इसे तीन लाख करोड़ रुपये तक ले जाने का इरादा है।

Defence Production: भारत का रक्षा उत्पादन 1.51 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा, रक्षा निर्यात में भी रिकॉर्ड जंप

Defence Self-Reliance: डिफेंस इंड्स्ट्री को सपोर्ट कर रहे 16,000 एमएसएमई

रक्षा उत्पादन में छोटे और मंझोले उद्योगों यानी एमएसएमई की भूमिका भी इस साल काफी बढ़ी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, करीब 16,000 एमएसएमई अब डिफेंस इंड्स्ट्री को सपोर्ट कर रहे हैं। यही नहीं, अब तक 462 कंपनियों को 788 औद्योगिक लाइसेंस मिल चुके हैं। निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी भी लगातार बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2023-24 में यह हिस्सेदारी 21 फीसदी थी, जबकि 2024-25 में यह बढ़कर 23 फीसदी हो गई है। इससे साफ है कि रक्षा उत्पादन में अब निजी उद्योग भी आगे बढ़ रहे हैं।

Defence Self-Reliance: 193 डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट्स में से 177 भारतीय कंपनियों को

इसके अलावा डिफेंस प्रोक्योरमेंट में भी सरकार ने घरेलू कंपनियों को प्राथमिकता दी। इसी वजह से 2024-25 में किए गए कुल 193 डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट्स में से 177 कॉन्ट्रैक्ट्स भारतीय कंपनियों को दिए गए। इनकी कीमत 1,68,922 करोड़ रुपये से ज्यादा है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यह अब तक का सबसे बड़ा घरेलू कॉन्ट्रैक्ट सेटअप है और इससे देश की सैन्य तैयारियों के साथ-साथ देश के उद्योगों को भी मजबूती मिल रही है।

Defence Self-Reliance: निर्यात में 20 गुना से ज्यादा बढ़ोतरी

वहीं, निर्यात के मामले में भी भारत ने नया रिकॉर्ड बनाया है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट 23,622 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। 2014 में यह आंकड़ा 1,000 करोड़ रुपये से भी कम था। भारत ने दस साल में निर्यात में 20 गुना से ज्यादा बढ़ोतरी की। भारत अब दुनिया के 100 से ज्यादा देशों को हथियार, मिसाइल पार्ट्स, बुलेटप्रूफ जैकेट, पेट्रोलिंग बोट्स, रडार, हेलीकॉप्टर और लाइट टॉरपीडो जैसे प्रोडक्ट्स सप्लाई कर रहा है। केवल 2024-25 में ही 1,762 निर्यात मंजूरियां दी गईं, जो पिछले साल से करीब 17 फीसदी ज्यादा हैं।

Defence Self-Reliance: डिफेंस कॉरिडोर्स में 9,145 करोड़ रुपये का निवेश

भारत में दो बड़े डिफेंस कॉरिडोर्स उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर और तमिलनाडु डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर ने अब तक 9,145 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश आकर्षित किया है। इन दोनों गलियारों में 289 एमओयू साइन किए गए हैं। इन गलियारों ने स्थानीय उद्योग, नए निवेश, रोजगार और तकनीक को मजबूती देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

डीआरडीओ को 500 करोड़ रुपये का विशेष कोष

रक्षा अनुसंधान में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) की भूमिका भी काफी बढ़ी है। सरकार ने डीआरडीओ को 500 करोड़ रुपये का विशेष कोष दिया है, जिससे वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर तकनीक, क्वांटम, रोबोटिक्स और मिसाइल टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में नई खोज कर सके। डीआरडीओ देशभर में 15 डिफेंस इंडस्ट्री-एकेडेमिया सेंटर भी चला रहा है, जहां छात्र, उद्योग और वैज्ञानिक मिलकर नई तकनीक पर काम कर रहे हैं।

डीएपी-डीपीएम में बदलाव

इसके अलावा सरकार ने डिफेंस प्रोडक्शन को रफ्तार देने के लिए भारत सरकार ने रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डिफेंस एक्विजिशन प्रोसेस 2020) और रक्षा प्रोक्योरमेंट मैनुअल (डीपीएम 2025) में भी बड़े बदलाव किए हैं। डीएपी 2020 में बॉय इंडियन वाली कैटेगरी को सबसे टॉप प्रायोरिटी दी गई है। इसमें साफ कहा गया है कि भारत वही हथियार खरीदेगा जो भारत में डिजाइन और निर्मित हों। यही नहीं, खरीद प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाया गया है ताकि समय पर फैसले लिए जा सकें। इसमें एआई, साइबर, स्पेस, रोबोटिक्स और एडवांस्ड वारफेयर टेक्नोलॉजी जैसी नई जरूरतों को ध्यान में रखा गया है।

नए डीपीएम 2025 खरीद प्रक्रिया को और भी आसान, तेज और पारदर्शी बनाता है। इसमें सभी सेनाओं और मंत्रालय में एक जैसी प्रक्रियाएं लागू की गई हैं ताकि देरी न हो। स्वदेशी कंपनियों को पांच साल तक के लिए गारंटीड ऑर्डर देने का प्रावधान भी शामिल है। पुराने अनापत्ति प्रमाण पत्र जैसे नियमों को हटाया गया है। डिजिटल सिस्टम के साथ खरीद की पूरी प्रक्रिया अब पारदर्शी है।

इन सभी प्रयासों का नतीजा यह है कि भारत ने रक्षा उत्पादन और निर्यात के क्षेत्र में ऐसे परिणाम हासिल किए हैं जो पहले कभी संभव नहीं थे। भारत आज न केवल अपनी जरूरतों को पूरा कर रहा है, बल्कि दुनिया के कई देशों का भरोसेमंद पार्टनर भी बन रहा है

Indian Navy Modernisation: समंदर में ‘गर्दा’ उड़ाने वाली है भारतीय नौसेना, 69 नए जहाज और 6 घातक पनडुब्बियां कतार में, क्या 2026 तोड़ेगा 2025 का रिकॉर्ड?

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Indian Navy Modernisation: भारतीय नौसेना के जहाजों के बेड़े में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। नौसेना के मुताबिक इस समय देश में 52 युद्धपोत बन रहे हैं। वहीं, यह साल खत्म होते-होते नौसेना के बेड़े में चार और जहाज शामिल होने वाले हैं। जबकि अगले साल भी जहाजों का एक पूरा बेड़ा नौसेना में शामिल होने के इंतजार में हैं। नौसेना का कहना है कि आने वाले समय में समुद्री सुरक्षा और समुद्री युद्ध के नए रूप को ध्यान में रखते हुए पूरी तैयारी की जा रही है।

Indian Navy Modernisation: 69 नए जहाजों और 6 पनडुब्बियों को मंजूरी

राजधानी में आयोजित नौसेना के स्वावलंबन 2025 कार्यक्रम के लिए आयोजित प्रेस इवेंट में वाइस एडमिरल संजय वात्सायन ने बताया, इस समय देश में 52 युद्धपोत बन रहे हैं और आने वाले दो से तीन साल में ये सभी नौसेना में शामिल हो जाएंगे। इसके साथ ही 69 नए जहाजों और 6 पनडुब्बियों के लिए एक्सेप्टेंस ऑफ नेसेसिटी (एओएन) यानी मंजूरी मिल चुकी है, जिससे समुद्री सुरक्षा को लेकर भारत की क्षमता और मजबूत होगी। जिसकी लागत लगभग 2.35 लाख करोड़ रुपये है। आने वाले सालों में इन्हें नौसेना में धीरे-धीरे कमीशन किया जाएगा। नौसेना का कहना है कि वह तेजी से बदलते सुरक्षा माहौल को देखते हुए अपनी ताकत बढ़ा रही है और युद्धक तकनीक के हर नए क्षेत्र में तैयारियां की जा रही हैं।

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वाइस एडमिरल वात्सायन के मुताबिक अगले साल 19 और जहाज, और उसके अगले साल करीब 13-14 जहाज नौसेना में कमीशन होंगे। नौसेना के अनुसार, यह इंडक्शन प्लान पहले से तय समय के हिसाब से ही आगे बढ़ रहा है। वाइस एडमिरल वात्सायन ने बताया कि इस साल के आखिर तक लगभग चार और वॉरशिप नौसेना में कमीशन किए जा सकते हैं। यह संख्या बताती है कि भारतीय शिपयार्ड लगातार प्रोडक्शन बढ़ा रहे हैं और यह इंडक्शन प्लान निर्धारित समय के मुताबिक आगे बढ़ रहा है। आने वाले सालों में इन जहाजों और पनडुब्बियों से नौसेना की समुद्री क्षमता और ऑपरेशनल ताकत में बड़ा इजाफा होगा।

Indian Navy Modernisation: 2025 रहा नौसेना के लिए लकी

नौसेना के लिए साल 2025 अब तक का सबसे व्यस्त और सफल वर्षों में से एक है। 1 जनवरी से 20 नवंबर तक भारतीय नौसेना में कुल 11 जहाज कमीशन किए गए हैं। ये सभी ज्यादातर स्वदेश में ही बने हैं, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम है। पिछले 10 सालों का आंकड़ा देखें, तो आधिकारिक तौर पर 33 जहाज और 7 सबमरीन शामिल किए गए। जबकि साल 2025 में ही अकेले 10 जहाज और एक सबमरीन 20 नवंबर तक शामिल हुए हैं। इनमें एक स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन भी शामिल है। वहीं, इस साल के आखिर तक यह संख्या 15 तक पहुंच सकती है। 2025 में भारतीय नौसेना में शामिल होने वाला आखिरी विदेश में बना जहाज आईएनएस तमाल था।

MQ-9B ड्रोन पर नेवी ने कही ये बात

वहीं, अमेरिका से MQ-9B हाई-एंड ड्रोन को लेकर वाइस एडमिरल वात्सायन ने साफ कहा कि इन ड्रोन का कॉन्ट्रैक्ट पूरा हो चुका है और उनकी डिलीवरी तय समय पर होगी। वहीं, उन्होंने बताया कि एमएच-60आर रोमियो हेलिकॉप्टर का अंतिम बैच मिलने का इंतजार है। जबकि पी-8आई निगरानी विमान को लेकर अमेरिका से बातचीत जारी है। नौसेना के अनुसार प्रक्रिया का हर चरण समय लेता है, लेकिन सभी प्रोजेक्ट आगे बढ़ रहे हैं। साथ ही नौसेना लगातार इस लक्ष्य पर भी काम कर रही है कि जितना संभव हो, उतनी अधिक तकनीकें और प्लेटफॉर्म भारत में ही बनाए जाएं।

Indian Navy Modernisation: उद्योगों और स्टार्टअप्स को दिए 450 करोड़ रुपये

नौसेना 25-26 नवंबर को स्वदेशीकरण कार्यक्रम ‘स्वावलंबन 2025’ का आयोजन कर रही है। इस कार्यक्रम में एमएसएमई, स्टार्टअप्स और उद्योग जगत को वह सभी चुनौतियां बताई जाएंगी जिनका सामना नौसेना ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान किया था। नौसेना के वाइस चीफ ने साफ कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से जो सीख मिली, उन सभी को उद्योग जगत के सामने “चैलेंज” के रूप में रखा जा रहा है ताकि भविष्य के युद्धक माहौल के लिए सॉल्यूशन तैयार किए जा सकें।

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वाइस चीफ एडमिरल वात्सायन के अनुसार अब तक 198 तकनीकी चुनौतियां स्वीकृत की जा चुकी हैं। डिफेंस इनोवेशन ऑर्गनाइजेशन ने 2000 करोड़ रुपये की फाइनेंशियल कमिटमेंट जताई है, जिनमें से 450 करोड़ रुपये पहले ही उद्योगों और स्टार्टअप्स को दे दिए गए हैं। अब तक 1500 करोड़ रुपये के 16 बड़े कॉन्ट्रैक्ट भी किए जा चुके हैं। यह दिखाता है कि नौसेना स्वदेशी प्रणालियों को तेजी से अपना रही है और रक्षा क्षेत्र में घरेलू उद्योग का योगदान बढ़ रहा है।

Indian Navy Modernisation: इन तकनीकों पर काम कर रही है सेना

वहीं, नौसेना ने भविष्य की तकनीकी दिशा भी साफ कर दी है। वाइस चीफ एडमिरल वात्सायन का कहना है कि आने वाला युद्ध मल्टी-डोमेन होगा, जिसमें समुद्र, हवा, पानी के नीचे, अंतरिक्ष, साइबर और डेटा सब एक साथ जुड़ेंगे। उन्होंने कहा कि वह इस दिशा में पहले से काम कर रही है और कई उभरती तकनीकों को एक्चुअल कॉम्बैट कैपेबिलिटी में बदला जा रहा है।

इनमें प्रमुख तकनीकें हैं, इनमें अनमैन्ड सिस्टम, हाई पावर कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और लार्ज लैग्वेज मॉडल (एलएलएम), प्रिसिजन स्ट्राइक वेपंस और उनके बचाव के सिस्टम, अंतरिक्ष आधारित तकनीकें, साइबर वॉरफेयर, कॉग्निटिव वॉरफेयर, नॉन-आरएफ कम्युनिकेशन यानी लेजर और आईआर बेस्ड कॉन्टैक्ट सिस्टम, और नई कैमोफ्लेज टेक्नोलॉजी शामिल है। नौसेना का कहना है कि दुनिया में जो भी आधुनिक तकनीक सामने आएगी, भारतीय नौसेना उसे अपने ऑपरेशनल ढांचे का हिस्सा बनाएगी।

नौसेना ने दो टूक कहा कि “भविष्य का युद्ध उतना ही तकनीकी होगा, जितना सामरिक। इसलिए हर तकनीक को युद्धक क्षमता में बदलना ही हमारी प्राथमिकता है।” नौसेना के अनुसार भारत के शिपयार्ड तेजी से निर्माण कर रहे हैं, उद्योग जगत स्वदेशीकरण को गति दे रहा है और तकनीकी तैयारी युद्ध के हर नए आयाम के लिए आगे बढ़ रही है।

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Indian Navy Swavlamban 2025: भारतीय नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल संजय वात्सायन ने कहा कि नौसेना इस समय चीन और पाकिस्तान की बढ़ती नौसैनिक रक्षा साझेदारी पर लगातार नजर रख रही है। उन्होंने कहा कि चीन-पाकिस्तान को सबमरीन और वॉरशिप दे रहा है और भारतीय नौसेना हर गतिविधि को ध्यान से मॉनिटर कर रही है, ताकि भारत की समुद्री सुरक्षा पूरी तरह मजबूत रहे।

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राजधानी में आयोजित नौसेना के बड़े कार्यक्रम स्वावलंबन 2025 के लिए आयोजित प्रेस इवेंट में वाइस एडमिरल वात्सायन ने कहा कि भारतीय नौसेना को पूरी जानकारी है कि चीन पाकिस्तान को सबमरीन दे रहा है और पाकिस्तान जल्द ही इन्हें अपनी नौसेना में शामिल करना शुरू करेगा। उन्होंने कहा कि भारत भी सभी हालात पर बारीकी से नजर रख रहा है और जरूरत के अनुसार अपनी तैयारी को भी मजबूत कर रहा है। स्वावलंबन 2025 का आयोजन नई दिल्ली में 25–26 नवंबर को होने वाला है।

Indian Navy Swavlamban 2025: पाकिस्तान को मिल रही हैं चीनी हंगोर क्लास सबमरीन

पाकिस्तान ने चीन के साथ 5 बिलियन डॉलर के समझौते के तहत हंगोर क्लास डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन खरीदी हैं। कुल 8 सबमरीन इस समझौते में शामिल हैं। इनमें से चार चीन में और चार कराची में बनाई जा रही हैं। अगले साल से इनकी डिलीवरी शुरू हो जाएगी।

पहली सबमरीन अप्रैल 2024 में लॉन्च हुई, जबकि दो और सबमरीन इसी साल लॉन्च की गईं। सभी 8 सबमरीन 2028 तक डिलीवर हो जाएंगी। पाकिस्तान नौसेना प्रमुख एडमिरल नवीन अशरफ ने हाल ही में कहा कि यह प्रोजेक्ट 2026 तक तय समय पर आगे बढ़ रहा है।

पाकिस्तान इन सबमरीन को अपनी समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए ला रहा है, विशेषकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद, जब उसकी नौसेना की तैयारी पर काफी सवाल उठे थे।

Indian Navy Swavlamban 2025: भारत ने कहा- हर स्थिति पर नजर, तैयारी है पूरी

वाइस एडमिरल वात्सायन ने साफ कहा कि भारत स्थिति को हल्के में नहीं ले रहा। उनका कहना था कि भारतीय नौसेना लगातार हर हरकत को देख रही है और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर के लिए जरूरत के हिसाब से क्षमता बढ़ा रही है।

उन्होंने कहा, “हम हर स्थिति को मॉनिटर कर रहे हैं। हमें पता है पाकिस्तान की सबमरीन इंडक्शन शुरू होने वाली है। हम जानते हैं कि एंटी-सबमरीन वॉरफेयर के लिए हमें क्या क्षमताएं चाहिए। भारतीय नौसेना पूरी तरह तैयार है।”

वाइस एडमिरल वात्सायन ने यह भी बताया कि चीन अपनी नौसेना को बहुत तेजी से बढ़ा रहा है। चीन ने हाल ही में अपना तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर फुजियान शामिल किया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत को भी नए जहाज और प्लेटफॉर्म जल्द मिलेंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना के कई जहाज निर्माणाधीन हैं और अगले दो सालों में नौसेना को कई महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म मिल जाएंगे।

वाइस चीफ ने बताया कि भारतीय नौसेना इंडियन ओशन रीजन में हमेशा नजर रखती है और किसी भी समय 40–50 विदेशी जहाज इस क्षेत्र में मौजूद रहते हैं। नौसेना लगातार इनकी गतिविधियों पर निगरानी रखती है। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना किसी भी कंटिंजेंसी से निपटने के लिए तैयार है।

Indian Navy Swavlamban 2025: भारत के पास इतनी हैं सबमरीन

भारत के पास तीन स्वदेशी न्यूक्लियर-पावर्ड सबमरीन और कई डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक सबमरीन हैं, जो फ्रांस, जर्मनी और रूस के साथ साझेदारी में बनाए गए हैं। नौसेना इन क्षमताओं को और बढ़ाने में लगी है। वाइस एडमिरल वात्सायन ने कहा कि भारत आने वाले वर्षों में और एडवांस सिप और सबमरीन शामिल करेगा।

 

“ऑपरेशन सिंदूर की सीखों को हमने चुनौतियों में बदला”

वाइस एडमिरल वात्सायन ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में सामने आए कई महत्वपूर्ण पाठ आज नौसेना की प्राथमिकता हैं। इन्हें अब सीधे एमएसएमई, स्टार्ट-अप्स और इनोवेशन इकोसिस्टम के सामने रखा जा रहा है, ताकि इनके लिए स्वदेशी समाधान तैयार किए जा सकें।

उन्होंने साफ कहा, “जो हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देखा और जो सीख मिलीं, हमने उनमें से कई को चुनौतियों में बदला है। ये सभी चुनौतियां स्वावलंबन में प्रस्तुत की जाएंगी।”

नौसेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जो मई में हुआ था, उसके पहले और बाद की सभी ऑपरेशनल जरूरतों की पहचान की है। अब इन्हें तकनीकी चैलेंज के रूप में इंडस्ट्री से समाधान विकसित करने के लिए कहा जाएगा।

उन्होंने कहा कि कुछ चुनौतियां पहले से पहचानी गई थीं और कुछ ऑपरेशन सिंदूर के बाद सामने आईं। दोनों ही तरह की जरूरतें अब इस इवेंट का हिस्सा होंगी।

Indian Navy Swavlamban 2025: मातंगी बनी नौसेना की बड़ी सफलता

वाइस एडमिरल वात्सायन ने ऑटोनॉमस सरफेस वेसल मातंगी को नौसेना की बड़ी सफलता बताया। उन्होंने कहा कि मातंगी को पिछले स्वावलंबन इवेंट में आजमाया गया था और यह नौसेना की सभी ऑपरेशनल जरूरतों पर खरी उतरी।

उन्होंने बताया, “मातंगी पिछले स्वावलंबन में ट्रायल हुई और यह हमारी सभी आवश्यकताओं पर खरा उतरी। इसी सफलता के आधार पर हमने इसके 10 और बोट्स का ऑर्डर दिया है।”

मातंगी को सागर डिफेंस इंजीनियरिंग ने विकसित किया है, एक फास्ट इंटरसेप्टर बोट है जो बिना ड्राइवर के समुद्री निगरानी, सुरक्षा और तेज जवाबी कार्रवाई के लिए बनाई गई है। इसे स्वावलंबन 2024 दौरान रक्षा मंत्री ने हरी झंडी दिखाई थी।

Indian Navy Swavlamban 2025: स्वदेशी तकनीक और एमएसएमई पर जोर

उन्होंने बताया कि इस साल के स्वावलंबन 2025 कार्यक्रम में नई तकनीकों, स्वदेशी समाधान और आत्मनिर्भर भारत पर खास फोकस रहेगा। नौसेना इस समय स्वदेशी हथियार और तकनीक अपनाने पर जोर दे रही है।

नौसेना ने हाल ही में स्वॉर्मिंग बोट्स के 12 सेट का ऑर्डर दिया है और लगभग 1,400 करोड़ रुपये के अन्य ऑर्डर भी दिए गए हैं। साथ ही, देश में हाई-पावर माइक्रोवेव, डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स, और लेजर वेपंस डेवलप किए जा रहे हैं।

यह कार्यक्रम नौसेना, उद्योग, स्टार्ट-अप और रक्षा क्षेत्र को एक मंच पर लाने का बड़ा अवसर माना जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी कार्यक्रम में शामिल होंगे।

नौसेना ने बताया कि स्वावलंबन 2025 में 80 से अधिक स्टॉल लगेंगे, जिनमें विभिन्न स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई अपनी तकनीक दिखाएंगे। नौसेना ने कई श्रेणियों में चुनौतियां रखी हैं, जिनमें साइबर डोमेन, कॉग्निटिव वॉरफेयर,
इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर, ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम शामिल हैं। हाल ही में हुई ट्राई सर्विस एक्सरसाइज त्रिशूल में भी इन्हें आजमाया गया था।

US Arms Sale to India: अमेरिका ने दी भारत को जैवलिन एंटी-टैंक मिसाइल और एक्सकैलिबर आर्टिलरी सौदे को मंजूरी, 93 मिलियन डॉलर की है डील

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US Arms Sale to India: अमेरिका ने भारत को लगभग 93 मिलियन डॉलर के हथियार सौदे को मंजूरी दी है, इसमें 100 यूनिट एफजीएम-148 जैवेलिन एंटी-टैंक मिसाइलें, 25 लाइटवेट कमांड लॉन्च यूनिट्स और 216 यूनिट एक्सकैलिबर सटीक गाइडेड आर्टिलरी राउंड्स शामिल हैं। रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने अमेरिकी कांग्रेस को औपचारिक रूप से यह जानकारी दी है।

Stryker vs WhAP: क्या अमेरिका के इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल से बेहतर है भारत का स्वदेशी बख्तरबंद वाहन?

रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस हथियार पैकेज में लाइफसाइकल सपोर्ट, सेफ्टी इंस्पेक्शन, ऑपरेटर ट्रेनिंग, लॉन्च यूनिट्स की मरम्मत शामिल हैं। बयान में यह भी कहा गया है कि यह डील भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को और मजबूती देगी। इसके साथ ही यह कहा गया है कि इस सौदे से क्षेत्र में सैन्य संतुलन में कोई बदलाव नहीं होगा।

जैवलिन मिसाइल को आरटीएक्स और लॉकहीड मार्टिन ने डेवलप किया है। जिनका इस्तेमाल लंबी दूरी से सर्विस टैंक और बख्तरबंद वाहनों पर सटीक हमला करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह मिसाइल ऊपर से हमला करती है, जहां टैंक का कवच अपेक्षाकृत कमजोर होता है। इसके साथ ही एक्सकैलिबर आर्टिलरी राउंड जीपीएस गाइडेड हैं, जिनका इस्तेमाल प्रिसीजन हमलों में किया जाता है, जहां कम से कम नुकसान हो। ऑपरेशन सिंदूर में भी पाकिस्तान में कई ठिकानों को तबाह करने के लिए एक्सकैलिबर गोलों का इस्तेमाल किया गया था।

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आधिकारिक जानकारी के अनुसार, अमेरिकी सरकार को इस सौदे के साथ जुड़े किसी भी ऑफसेट समझौते की जानकारी नहीं मिली है, और यदि कोई ऐसा समझौता होगा तो वह भारत व मैन्युफैक्चरर्स के बीच बाद में तय किया जाएगा। अमेरिका ने इस सौदे की जानकारी अमेरिकी संसद को दी है, जहां अब एक समीक्षा अवधि लागू होगी और किसी भी आपत्ति को वहां उठाया जा सकता है।

Indian Navy MDL Projects: मझगांव डॉक को भारतीय नौसेना से मिल सकता है बड़े वॉरशिप का ऑर्डर, जानें क्या है प्रोजेक्ट-15सी?

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Indian Navy MDL Projects: भारतीय नौसेना आने वाले वर्षों में अपनी समुद्री क्षमता को तेजी से बढ़ाने की तैयारी में है। देश की सरकारी शिपबिल्डिंग कंपनी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने संकेत दिए हैं कि भारतीय नौसेना के साथ कई बड़े नए प्रोजेक्ट्स पर बातचीत चल रही हैं। ये प्रोजेक्ट्स नौसेना के लिए अगले दशक के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री प्लेटफॉर्म तैयार कर सकते हैं, जिनमें नए डेस्ट्रॉयर, सबमरीन, फ्रिगेट और लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक शामिल हैं।

Indian Navy MDL Projects: नए डेस्ट्रॉयर प्रोजेक्ट की तैयारी

अपने तिमाही रिजल्ट्स की घोषणा करते हुए एमडीएल के अधिकारियों ने बताया कि भारतीय नौसेना आने वाले समय में कम से कम एक नए डेस्ट्रॉयर क्लास प्रोजेक्ट को मंजूरी दे सकती है। यह प्रोजेक्ट भारतीय नौसेना की युद्धक क्षमता को और मजबूत करेगा और समुद्री सुरक्षा के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है। एमडीएल ने इस दौरान कहा कि या तो प्रोजेक्ट-15सी हो सकता है या अगली पीढ़ी का डेस्ट्रॉयर होगा, जिसकी कीमत लगभग 70,000-80,000 करोड़ रुपये आंकी गई है।

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एमडीएल ने कहा है कि डेस्ट्रॉयर प्रोजेक्ट के साथ-साथ जापान के साझेदारी में एक साझा डिजाइन पर विचार चल रहा है। नौसेना एक तरह से जापान की शिपयार्ड के साथ मिलकर एक सामान्य डेस्ट्रॉयर बनाने पर शुरुआती चर्चा कर रही है, पर अभी कोई एमओयू साइन नहीं हुआ है।

Indian Navy MDL Projects: प्रोजेक्ट-15सी क्या है?

पहली बार MDL ने सार्वजनिक रूप से बताया कि नौसेना P-15C नाम से एक नया प्रोजेक्ट विचार कर रही है। इससे पहले भारत ने तीन डेस्ट्रॉयर प्रोजेक्ट बनाए थे, जिनमें प्रोजेक्ट 15– दिल्ली क्लास, प्रोजेक्ट 15ए – कोलकाता क्लास औऱ प्रोजेक्ट 15बी – विशाखापत्तनम क्लास है। वहीं, पी-15सी, प्रोजेक्ट-15बी का एक अपग्रेडेड क्लास हो सकता है। अधिकारियों के अनुसार यह प्रोजेक्ट, नेक्स्ट जनरेशन डेस्ट्रॉयर जैसे बड़े प्रोजेक्ट को पूरा करने में समय बचा सकता है और नौसेना को एक एडवांस डेस्ट्रॉयर तेजी से मिल सकेगा। नेक्स्ट जनरेशन डेस्ट्रॉयर को वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो तैयार कर रहा है। इसमें एडवांस स्टेल्थ डिजाइन, बेहतर एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम, हाई-एनर्जी वेपन सिस्टम और अत्याधुनिक सेंसर शामिल हो सकते हैं।

Indian Navy MDL Projects: तीन नई पी-75 सबमरीन

एमडीएल ने बताया कि तीन नई सबमरीन जोड़ने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय के पास लगभग तैयार है। कमर्शियल बातचीत पूरी हो चुकी है और अब सिर्फ औपचारिक मंजूरी बाकी है। ये सबमरीन मौजूदा स्कॉर्पीन क्लास पर आधारित होंगी। इन सबमरीन के आने से नौसेना की समंदर पानी के भीतर लड़ाई की क्षमता और बढ़ेगी। अधिकारियों का कहना है कि यह कॉन्ट्रैक्ट अगले साल मार्च तक साइन हो सकता है।

वहीं, पी-75आई में 60% से अधिक इंडिजेनस कंटेंट होगा, जो स्कॉर्पीन प्रोजेक्ट से काफी अधिक है। साथ ही, भविष्य में एमडीएल इनकी मेंटेनेंस और एशिया–साउथ अमेरिका में एक्सपोर्ट से भी फायदा देख रही है।

इसके अतिरिक्त एमडीएल ने कहा है कि एक बड़े लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक (एलपीडी) प्रोजेक्ट के लिए उन्होंने गुजरात की स्वॉन शिपयार्ड (SDHI) के साथ एक्सक्लूसिव समझौता किया है। इस समझौते के तहत चार जहाजों के निर्माण की संभावना है, जिनकी अनुमानित कीमत लगभग 40,000 करोड़ रुपये है। स्वॉन शिपयार्ड के पास पिपावाव में देश का सबसे बड़ा ड्राईडॉक है, जरूरत पड़ने पर आगे टीमिंग एग्रीमेंट भी साइन किया जा सकता है। एलपीडी पर बड़े हेलीकॉप्टर, सैनिकों और भारी हथियारों को समुद्र में तैनात किया जा सकता है। साथ ही, ये भारत को मानवीय सहायता, आपदा राहत और सैन्य ऑपरेशन में महत्वपूर्ण बढ़त देंगे।

मौजूदा स्थिति पर एमडीएल का कहना है कि डेस्ट्रॉयर व सबमरीन प्रोजेक्ट अभी प्रारंभिक चरण में हैं, लेकिन वह अपनी क्षमताओं व संसाधनों को इन बड़े प्रोजेक्ट के मुताबिक तैयार कर रही है। उन्होंने एक शिपयार्ड क्षमता विस्तार का भी जिक्र किया है जिसमें बड़े जहाज व सबमरीन एक साथ तैयार की जा सकें।

Indian Army New Combat Coat: भारतीय सेना को जल्द मिलेंगे नए डिजिटल प्रिंट कॉम्बैट कोट, आर्मी को मिला डिजाइन अधिकार

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Indian Army New Combat Coat: भारतीय सेना को जल्द ही नए कॉम्बैट कोट मिलेंगे। इनका डिजाइन अब आधिकारिक तौर पर भारतीय सेना के पास सुरक्षित हो गया है। रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी जानकारी के अनुसार, सेना ने नए डिजिटल प्रिंट कॉम्बैट कोट के डिजाइन को बौद्धिक संपदा अधिकार (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स) के तहत रजिस्टर करा लिया है। यह अधिकार कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट्स, डिजाइंस एंड ट्रेडमार्क्स, कोलकाता में इस साल 27 फरवरी को दाखिल हुआ और 7 अक्टूबर को आधिकारिक जर्नल में प्रकाशित किया गया।

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नए डिजिटल प्रिंट वाले कॉम्बैट कोट को जनवरी 2025 में पेश किया गया था। इसे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट), नई दिल्ली ने आर्मी डिजाइन ब्यूरो के साथ मिल कर तैयार किया है।

नए कॉम्बैट कोट को तीन लेयर में बनाया गया है। इसमें एडवांस्ड टेक्निकल टेक्सटाइल का इस्तेमाल किया गया है ताकि सैनिकों को अलग-अलग मौसम, ऊंचाई और कठिन इलाकों में आराम, गर्माहट, सुरक्षा और बेहतर मूवमेंट मिल सके। पहला लेयर बाहरी हिस्सा है, जिस पर डिजिटल प्रिंट कैमोफ्लाज है। यह कोट सैनिकों को दुश्मन की नजरों से बचाने और कठिन हालात में टिकाऊ बनने के लिए बनाया गया है। इसके अंदर दूसरा लेयर एक हल्का, सांस लेने वाला इंसुलेटेड जैकेट है, जो बिना भार बढ़ाए गर्मी बनाए रखता है। तीसरा लेयर थर्मल बेस लेयर है, जो ठंडे मौसम में शरीर का तापमान नियंत्रित रखने में मदद करता है।

डिजाइन रजिस्ट्रेशन के बाद यह पूरा अधिकार भारतीय सेना के पास है। इसका मतलब है कि कोई भी निजी कंपनी या अन्य संस्था सेना की अनुमति के बिना इस डिजाइन या कैमोफ्लाज पैटर्न का निर्माण, कॉपी या व्यापार नहीं कर सकती। ऐसा करने पर डिजाइंस एक्ट 2000, डिजाइन रूल्स 2001 और पेटेंट एक्ट 1970 के तहत कानूनी कार्रवाई होगी। यह सेना के यूनिफॉर्म सिस्टम को सुरक्षित रखने और उसकी मौलिकता की सुरक्षा के लिए है।

यह सेना के उस बड़े बदलाव का हिस्सा है जिसे डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन (2023–2032) और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के तहत आगे बढ़ाया जा रहा है। भारतीय सेना लगातार अपने उपकरण, कपड़े और तकनीक को स्वदेशी बनाने और स्वदेश में बने सिस्टम पर निर्भर रहने की दिशा में काम कर रही है।

सेना का कहना है कि यह नया कॉम्बैट कोट सैनिकों की सुविधा, सुरक्षा और कार्यक्षमता को पहले से बेहतर बनाएगा। यह आधुनिक तकनीक, नए डिजाइन और भारतीय मौसम व भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इस रजिस्ट्रेशन से यह भी स्पष्ट हो गया है कि अब सेना के इस डिजाइन का गलत इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा और इसका पूरा नियंत्रण भारतीय सेना के पास ही रहेगा।

Dubai Airshow 2025: रेगिस्तान के आसमान में गरजे फाइटर जेट्स, पहली इलेक्ट्रिक एयर टैक्सी ने भरी उड़ान, एमिरेट्स ने दिया विमानों का बड़ा ऑर्डर

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Dubai Airshow 2025: दुनिया के सबसे बड़े और चर्चित एयर शो में से एक दुबई एयरशो 2025 की शुरुआत दुबई वर्ल्ड सेंट्रल के स्काईलाइन के नीचे भव्य अंदाज में हुई। सुबह होते ही रेगिस्तान के आसमान में लड़ाकू विमानों, इलेक्ट्रिक एयर टैक्सियों और दुनिया की सबसे नई एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी की गूंज सुनाई दी। इस एयर शो का पहला दिन ही बताता है कि यह कार्यक्रम आने वाले समय में ग्लोबल एविएशन इंडस्ट्री की दिशा बदलने वाला है।

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शो की शुरुआत यूएई एयरफोर्स के दमदार फ्लाईपास्ट से हुई, जिसने माहौल को शानदार बना दिया। आसमान में इलेक्ट्रिक प्रोपेलर्स का तेज म्यूजिक और पंखों से उठ रही गड़गड़ाहट से यह आभास हुआ कि अब एविएशन सिर्फ सवारी का माध्यम नहीं बल्कि एक नया युग है।

Dubai Airshow 2025: एमिरेट्स का 52 अरब डॉलर का बोइंग ऑर्डर

पहले ही दिन सबसे बड़ी खबर एमिरेट्स एयरलाइंस की तरफ से आई। एयरलाइन ने 52 बिलियन डॉलर (52 अरब डॉलर) का बोइंग विमानों का बड़ा ऑर्डर दिया है। यह सौदा न केवल एयर शो की हेडलाइन है, बल्कि आने वाले सालों में ग्लोबल एविएशन इंडस्ट्री पर बड़ा असर डालने वाला कदम माना जा रहा है।

यह ऑर्डर बताता है कि दुबई अपनी एयरलाइन इंडस्ट्री में कितना बड़ा निवेश कर रहा है और आने वाले सालों में यात्रियों की संख्या बढ़ने की कितनी उम्मीद है। एमिरेट्स इस नए ऑर्डर के जरिए अपने बेड़े को और आधुनिक, सुरक्षित और एनर्जी एफिशिएंट बनाने में जुटी है। इस सौदे ने विमानन उद्योग में हलचल ला दी और यह स्पष्ट कर दिया कि दुबई तेजी से ग्लोबल एविएशन इंडस्ट्री बनने जा रहा है।

Dubai Airshow 2025
Pic Courtesy: Romiya Das

पहली बार किसी ग्लोबल एयरशो में eVTOL की लाइव उड़ान

दुबई एयरशो 2025 में आज वह दृश्य भी देखने को मिला, जिसे कई विशेषज्ञ भविष्य की शुरुआत मान रहे हैं। वहीं स्टार्ट-अप और इनोवेशन सेक्टर ने भी अपनी अलग चमक बिखेरी। जहां जॉबी एविएशन की इलेक्ट्रिक एयर टैक्सी eVTOL (इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक-ऑफ एंड लैंडिंग विमान) ने पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय एयर शो में लाइव उड़ान भरी। बैटरी से चलने वाला यह एयर क्राफ्ट बिना आवाज किए बेहद स्मूथ तरीके से हवा में उठा और आसानी से लैंड भी हुआ। यह उड़ान शहरों में भविष्य के ट्रैवल का संकेत मानी जा रही है।

लोगों ने जोरदार तालियों के साथ इस ऐतिहासिक उड़ान का स्वागत किया। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह टेक्नोलाजी भविष्य में एयर टैक्सी सर्विस का आधार बनने वाली है।

Dubai Airshow 2025
Pic Courtesy: Romiya Das

यूएई ने उड़ाए चीनी होंगडू एल-15 ट्रेनर जेट

एरियल डिस्प्ले की शुरुआत यूएई वायुसेना के शानदार फ्लाईपास्ट से हुई। इसके तुरंत बाद मैदान में उतरी यूएई की मशहूर एरोबैटिक टीम फुरसान अल इमारात। ये पायलट चीन के नए होंगडू एल-15 ट्रेनर जेट उड़ा रहे थे। उनका प्रदर्शन देखकर हर कोई दंग रह गया। पूरी दोपहर दर्शक पुराने और नए दिग्गज विमानों का लुत्फ उठाते रहे।

एयर शो में अमेरिकी वायुसेना के बॉम्बर बी-52 स्ट्रैटोफोर्ट्रेस, एफ-35 लाइटनिंग II और एफ-16 फाइटिंग फाल्कन ने भी अपनी ताकत दिखायी। साथ ही, आने वाले समय का बड़ा यात्री जहाज बोइंग 777X ने भी एयरशो में उड़ान भरी।
यह भविष्य का सुपर-लॉन्ग रेंज पैसेंजर विमान है।

अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है यूएई

यूएई के उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री, हिज हाइनेस शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने कहा कि दुबई एयरशो सिर्फ आयोजन नहीं, बल्कि देश की आगे बढ़ने की सोच और तकनीक में सस्टेनेबल इन्वेस्टमेंट का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यूएई विज्ञान, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन में निवेश करके न केवल अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है बल्कि दुनिया को नई राह भी दिखा रहा है।

1500 से अधिक एग्जिबिटर्स, 115 देशों से प्रतिनिधिमंडल

इस साल दुबई एयर शो बड़े पैमाने पर आयोजित किया गया है। इस साल के आयोजन में दुनिया भर से 1,500 से ज़्यादा एग्जिबिटर्स शामिल हुए हैं, जिनमें 440 पहली बार हिस्सा ले रहे हैं। आयोजकों के मुताबिक, इस शो में कुल 1.48 लाख से अधिक लोगों के पहुंचने की उम्मीद है। यह एयर शो एविएशन और डिफेंस सेक्टर का सबसे प्रभावशाली ग्लोबल प्लेटफॉर्म माना जाता है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 115 देशों से 490 मिलिटरी एंड सिविलियन डेलीगेशंस इसमें हिस्सा ले रहे हैं।

एग्जिबिशन कॉम्प्लैक्स में 21 देशों के नेशनल पवेलियन बने हैं, जहां नई टेक्नॉलजी का प्रदर्शन किया जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां सिर्फ तकनीक ही नहीं, बल्कि सहयोग की भावना भी दिखाई देती है। दुनिया के बड़े एक्सपर्ट्स, इंडस्ट्री लीडर्स और एविएशन से जुड़े वैज्ञानिक एक ही स्थान पर मिलकर विचार साझा कर रहे हैं, पार्टनरशिप बना रहे हैं और भविष्य की उड़ान तकनीक की दिशा तय कर रहे हैं।

इन पवेलियनों के अलावा, एयर शो में प्राइवेट मीटिंग्स के लिए 98 खास जगह भी बनाई गई हैं। यहीं पर कई बड़ी कंपनियां गुपचुप बातचीत करती हैं और सौदे भी तय होते हैं। इस बार मांग इतनी बढ़ गई कि आयोजकों को पूरे आयोजन स्थल में 8,000 वर्गमीटर अतिरिक्त जगह जोड़नी पड़ी। यह दिखाता है कि दुनिया के सबसे बड़े एयर शो में जगह पाना अब भी कितनी बड़ी बात है।

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Pic Courtesy: Romiya Das

यूएई की कंपनी ने एक ही दिन में लॉन्च किए 42 नए प्रोडक्ट

दुबई एयर शो में इस बार यूएई की डिफेंस कंपनी एज ग्रुप ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया। कंपनी ने हवाई और अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में एक ही बार में 42 नए प्रोडक्ट लॉन्च करके बड़ा कदम उठाया है। इतने बड़े पैमाने पर लॉन्च यह दिखाता है कि यूएई डिफेंस और एयरोस्पेस टेक्नॉलजी में कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है।

इन नए उत्पादों में क्रूज़ मिसाइल इंजन, आधुनिक MALE ड्रोन (मीडियम अल्टीट्यूड, लॉन्ग एंड्योरेंस), और नई क्रूज मिसाइल शामिल है, जिनमें एडवांस तकनीक लगी है। एज के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ हमद अल मरार ने बताया कि कंपनी की तेज बढ़त इस उपलब्धि से साफ नजर आती है। सिर्फ एक दिन में 42 प्रोडक्ट लॉन्च करना और कुल मिलाकर 250 से ज़्यादा प्रोडक्ट रखना यह दिखाता है कि एज अब दुनिया की बड़ी कंपनियों की बराबरी में खड़ी है। उन्होंने यह भी बताया कि कंपनी की 53 फीसदी कमाई अब एक्सपोर्ट से आती है।

120 नए स्टार्टअप्स

दुबई एयर शो में बड़े एयरक्राफ्ट और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के बीच इस बार रिकॉर्ड 120 नए स्टार्टअप्स अपने आइडिया और तकनीक दिखा रहे हैं। इनमें से कई स्टार्टअप्स सस्टेनेबिलिटी, ऑटोमेशन, और नेक्स्ट जनरेशन प्रोपल्शन टेक्नोलॉजी पर भी काम कर रहे हैं।

इनके साथ 50 निवेशक भी मौजूद हैं, जो नई तकनीक और नए आइडिया में निवेश करने का मौकार तलाश रहे हैं। यह पूरा इकोसिस्टम दुबई की उस आर्थिक सोच को दर्शाता है जिसमें सिर्फ बड़े प्रोजेक्ट ही नहीं, बल्कि छोटी-छोटी इनोवेशन करने वाली कंपनियों को भी आगे बढ़ने का रास्ता दिया जाता है।

दुबई एयर शो 2025 के पहले दिन जब शाम हुई, तो माहौल साफ बता रहा था कि यह शो सिर्फ एयरक्राफ्ट देखने का मौका नहीं है। यह वास्तव में भविष्य की उड़ान की पूरी पिक्चर है। यहां परंपरा और नई तकनीक, बड़े व्यापार और नई सोच सब एक साथ दिखते हैं। यही यूएई की खासियत है, जो न सिर्फ मेजबान है, बल्कि बदलाव का एक मजबूत जरिया भी है।

Army Chief Sikkim Visit: दो दिन के दौरे पर सिक्किम पहुंचे सेना प्रमुख, एक दिन पहले ही चीन पर कही थी ये बात

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Army Chief Sikkim Visit: भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी दो दिवसीय सिक्किम के दौरे पर हैं। सेना प्रमुख ने दौरान सेना की ऑपरेशन तैयारियों का जायजा लिया। अपने इस दौरे में वे एलएसी के संवेदनशील इलाकों में तैनात सैनिकों से भी मिलेंगे और हालात की जमीनी समीक्षा भी करेंगे। यह इलाका चीन सीमा के बेहद करीब है और रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।

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सेना प्रमुख यह दौरा इसलिए भी अहम है क्योंकि 17 नवंबर को ही उन्होंने कहा था कि पिछले साल अक्टूबर से भारत-चीन संबंधों में सुधार आया है, और दोनों देशों के बीच चल रही बातचीत का उद्देश्य हालात को सामान्य बनाना है।

Army Chief Sikkim Visit: फॉरवर्ड पोस्टों की समीक्षा

18-19 नवंबर दो दिन के सिक्किम दौरे पर पहुंचे सेना प्रमुख सकलिंग, नाथू ला और उत्तरी सिक्किम के कई ऊंचाई वाली पोस्टों पर जाकर सैनिकों से मुलाकात करेंगे। साथ ही, तैनाती, रसद, मौसम संबंधी चुनौतियों और तकनीकी उपकरणों की उपलब्धता की जानकारी भी लेंगे। यह इलाका समुद्र तल से 15,000 से 17,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जहां सैनिक अत्यंत कठिन परिस्थितियों में सीमा की सुरक्षा करते हैं।

क्यों अहम है सिक्किम

भारत और चीन के बीच सीमा पर बेहतर संवाद के लिए कई व्यवस्थाएं पहले से मौजूद हैं। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में तनाव के लगभग एक साल बाद दोनों देशों के बीच एक नई हॉटलाइन भी शुरू की गई थी। यह हॉटलाइन भारतीय सेना की कांग्रेस ला (उत्तर सिक्किम) पोस्ट और चीन की पीएलए की खाम्बा जोंग पोस्ट (तिब्बत) के बीच स्थापित की गई थी। इसका उद्देश्य सीमा पर भरोसा और समन्वय बढ़ाना है।

फिलहाल दोनों देशों की सेनाओं के बीच छह हॉटलाइन चल रही हैं, जिनमें दो पूर्वी लद्दाख में, दो सिक्किम में और दो अरुणाचल प्रदेश में हैं। इनमें दौलत बेग ओल्डी, चुशुल, नाथू ला, बुम ला और किबिथू जैसे महत्वपूर्ण पॉइंट शामिल हैं।

भारत और चीन के बीच लगभग 3,488 किमी लंबी सीमा है, जो जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश तक फैली हुई है। सिर्फ सिक्किम की सीमा लगभग 220 किमी लंबी है। सिक्किम की सीमाएं नेपाल और भूटान से भी मिलती हैं।

सिक्किम के दक्षिण में सिलीगुड़ी कॉरिडोर है, जिसे चिकन नेक कहा जाता है। यह इलाका सिर्फ 20-22 किमी तक संकरा हो जाता है और बेहद रणनीतिक महत्व रखता है। यही रास्ता उत्तर-पूर्व भारत को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। इसी इलाके से राष्ट्रीय राजमार्ग, रेलवे लाइनें, पाइपलाइन और ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी गुजरती है। 2023 में केंद्र ने घोषणा की थी कि सीमा सुरक्षा से जुड़ी एजेंसियां शांति के समय भी सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएंगी।

गंगटोक में मुख्यमंत्री से मुलाकात

अपनी यात्रा के दौरान जनरल द्विवेदी गंगटोक पहुंचे और सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोलय) से उनके आधिकारिक निवास, सम्मान भवन, पर मुलाकात की। उनके साथ पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल विजय भूषण कुमार, त्रिशक्ति कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता और ब्लैक कैट डिविजन के जीओसी मेजर जनरल राजेश सेठी भी मौजूद थे।

सीएम तमांग ने कहा कि यह मुलाकात बेहद सकारात्मक रही और कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से बात हुई। दोनों पक्षों ने राष्ट्रीय सुरक्षा, मिलिट्री-सिविल सहयोग, रणभूमि दर्शन प्रोग्राम और सिक्किम के पूर्व सैनिकों तथा वीर नारियों के कल्याण से जुड़े विषयों पर चर्चा की।

सिक्किम सरकार का रणभूमि दर्शन प्रोग्राम राज्य के लोगों को ऐतिहासिक युद्ध स्थलों और सीमावर्ती इलाकों का दौरा कराने की एक योजना है। इसका उद्देश्य युवाओं में राष्ट्रभक्ति की भावना बढ़ाना है। सेना और सरकार ने इस कार्यक्रम पर संयुक्त काम को आगे बढ़ाने पर बात की।

सिक्किम भूकंप और भूस्खलन के लिए संवेदनशील राज्य है। इस कारण सेना और राज्य सरकार आपदा प्रबंधन में मिलकर काम करती हैं। बैठक में मिलिट्री-सिविल फ्यूजन प्रोजेक्ट्स पर भी चर्चा हुई, जिनमें सड़कें, हेलीपैड, संचार और राहत कार्यों में सहयोग शामिल है।

सिक्किम के सैकड़ों जवान भारतीय सेना में सेवा दे चुके हैं। मुख्यमंत्री ने सेना प्रमुख को बताया कि राज्य सरकार वेटरन्स और वीर नारियों के लिए कल्याण योजनाओं को मजबूत कर रही है। सेना प्रमुख ने इन प्रयासों की सराहना की।

Army Chief Sikkim Visit – एक दिन पहले ही भारत-चीन संबंधों पर बोले थे सेना प्रमुख

अपने सिक्किम दौरे से एक दिन पहले 17 नवंबर को नई दिल्ली में आयोजित ‘चाणक्य डिफेंस डायलॉग’ के कार्यक्रम में जनरल द्विवेदी ने भारत-चीन संबंधों पर बोलते हुए कहा था कि अक्टूबर 2024 के बाद दोनों देशों के रिश्तों में धीरे-धीरे सुधार दिख रहा है। उन्होंने बताया कि 21 अक्टूबर को पूर्वी लद्दाख में हुए समझौते और 24 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक ने हालात को सामान्य करने में बड़ी भूमिका निभाई है।

Army Chief Sikkim Visit जनरल द्विवेदी के मुतबिक, पिछले एक साल में दोनों देशों में सैन्य स्तर पर लगभग 1,100 बार बातचीत हुई है, यानी औसतन हर दिन तीन इंटरैक्शन। उन्होंने कहा कि अब बातचीत का स्तर कोर कमांडरों से नीचे उतरकर बटालियन और कंपनी कमांडर स्तर तक आ गया है। इससे छोटे-मोटे विवाद वहीं पर तुरंत सुलझ जाते हैं और फाइलों में अटककर देरी नहीं होती।

63rd Rezang La Day: रेजांग ला डे पर 13 कुमाऊं रेजिमेंट के बहादुर वीरों को याद कर सेना ने दी श्रद्धांजलि

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63rd Rezang La Day: लद्दाख में 63वां रेजांग ला डे श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया गया। फायर एंड फ्यूरी कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला और सभी रैंक्स ने 13 कुमाऊं रेजिमेंट के बहादुर वीरों को नमन किया। भारतीय सेना ने उन सैनिकों को याद किया, जिन्होंने बेहद कठिन परिस्थितियों और संख्या में अधिक दुश्मन के सामने देश की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया था।

Battle of Rezang La: आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी को भेंट की मेजर शैतान सिंह, PVC : द मैन इन हाफ लाइट पुस्तक

63rd Rezang La Day- Indian Army pays tribute to Rezang La Heroes in Ladakh

रेजांग ला की यह लड़ाई भारतीय सैन्य इतिहास का एक ऐसा अध्याय है, जो आज भी साहस और कर्तव्य के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है। शहीदों की याद में 14 से 18 नवंबर 2025 तक कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों में खेल प्रतियोगिताएं, देशभक्ति संगीत कार्यक्रम, और उन शहीदों की याद में दौड़ का आयोजन किया गया। समारोह में उन शहीद परिवारों और लद्दाखी समुदाय के बुजुर्ग सदस्यों को सम्मानित किया गया जिन्होंने युद्ध के दौरान सैनिकों का साथ निभाया था।

कार्यक्रम के दौरान त्रिशूल डिविजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल अरिंदम साहा ने रेजांग ला वॉर मेमोरियल पर जाकर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने 13 कुमाऊं रेजिमेंट के उन वीर जवानों को याद किया जिन्होंने रेजांग ला की लड़ाई में अद्भुत वीरता का परिचय दिया था। उनके साहस, देशभक्ति और कर्तव्य-निष्ठा की गाथा आज भी नई पीढ़ियों को प्रेरित करती है।

63rd Rezang La Day सेना ने कहा कि रेजांग ला के योद्धाओं का बलिदान हमेशा राष्ट्र की स्मृति में अमर रहेगा। लद्दाख के स्थानीय लोग और सेना के जवान मिलकर हर साल इस ऐतिहासिक दिन को गर्व और सम्मान के साथ मनाते हैं।