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Commanders Conference 2025: रक्षा मंत्री बोले- हिंद महासागर बना विश्व राजनीति का नया केंद्र, नौसेना की ताकत से दुनिया ने देखा भारत का दम

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय नौसेना ने इस ऑपरेशन के दौरान ऐसा खौफ का माहौल बनाया कि पाकिस्तान की नौसेना को अपने तट के पास ही रहना पड़ा। उन्होंने कहा कि दुनिया ने भारतीय नौसेना की ऑपरेशनल रेडीनेस, प्रोफेशनल कैपेबिलिटी और स्ट्रेंथ को प्रत्यक्ष रूप से देखा...

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📍नई दिल्ली | 23 Oct, 2025, 8:14 PM

Indian Navy Commanders Conference 2025: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की इच्छाशक्ति, क्षमता और सामरिक तैयारी का प्रतीक था। उन्होंने कहा कि यह अभियान पूरी दुनिया के लिए यह संदेश था कि भारत किसी भी चुनौती का जवाब देने के लिए हमेशा तैयार है। रक्षा मंत्री ने यह बात नई दिल्ली में आयोजित नौसेना कमांडर्स सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना ने इस ऑपरेशन के दौरान ऐसा खौफ का माहौल बनाया कि पाकिस्तान की नौसेना को अपने तट के पास ही रहना पड़ा। उन्होंने कहा कि दुनिया ने भारतीय नौसेना की ऑपरेशनल रेडीनेस, प्रोफेशनल कैपेबिलिटी और स्ट्रेंथ को प्रत्यक्ष रूप से देखा।

Indian Navy Commanders Conference 2025: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद नौसेना की पहली बड़ी कॉन्फ्रेंस, रणनीतिक तैयारियों पर रहेगा फोकस

राजनाथ सिंह ने कहा, “भारतीय नौसेना की मौजूदगी हिंद महासागर क्षेत्र में हमारे मित्र देशों के लिए भरोसे का प्रतीक है, जबकि जो देश इस क्षेत्र को अस्थिर करना चाहते हैं, उनके लिए यह असुविधा का कारण है।”

Indian Navy Commanders Conference 2025: हिंद महासागर बना नई भू-राजनीति का केंद्र

रक्षा मंत्री ने कहा कि आज हिंद महासागर विश्व राजनीति का नया केंद्र बन गया है। यह अब केवल व्यापार का क्षेत्र नहीं रहा, बल्कि यह प्रतिस्पर्धा और सहयोग दोनों का मंच बन गया है। उन्होंने कहा कि पिछले छह महीनों में भारतीय नौसेना ने अभूतपूर्व स्तर पर तैनाती की है, हमारे युद्धपोत, पनडुब्बियां और नौसैनिक विमान हर तरफ एक्टिव हैं।

उन्होंने बताया कि भारतीय नौसेना ने हाल के महीनों में लगभग 335 कमर्शियल वेसेल्स को सुरक्षित मार्ग दिया है, जिनमें करीब 1.2 मिलियन मीट्रिक टन कार्गो और 5.6 बिलियन डॉलर का सामान शामिल था। यह इस बात का प्रमाण है कि भारत अब वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था में एक भरोसेमंद और सक्षम साझेदार बन चुका है।

आयात पर निर्भर नहीं नौसेना

राजनाथ सिंह ने कहा कि एक आत्मनिर्भर नौसेना किसी भी आत्मविश्वासी राष्ट्र की रीढ़ होती है। उन्होंने बताया कि पिछले दस वर्षों में नौसेना के लगभग 67 फीसदी पूंजीगत अनुबंध (कैपिटल एक्विजिशन कॉन्ट्रैक्ट्स) भारतीय कंपनियों के साथ किए गए हैं।

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उन्होंने कहा कि “आज हमारी नौसेना अपने उपकरण खुद बना रही है। हम अब केवल आयात पर निर्भर नहीं हैं। हम अपने देश के इंजीनियरों, छोटे-मझौले उद्योगों और स्टार्ट-अप्स की क्षमता पर भरोसा करते हैं।”

Indian Navy Commanders Conference 2025
Indian Navy Commanders Conference 2025

रक्षा मंत्री ने बताया कि नौसेना वर्तमान में आईडेक्स, टीडीएफ, सिप्रिंट और मेक-इन-इंडिया जैसी योजनाओं के तहत 194 स्वदेशी प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है। इन परियोजनाओं ने न केवल नौसेना को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि देश के निजी उद्योगों और युवाओं को भी इनोवेशन से जोड़ा है।

तकनीक और इंटेलिजेंस पर आधारित हैं युद्ध

रक्षा मंत्री ने कहा कि आज के युद्ध पूरी तरह तकनीक और इंटेलिजेंस पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार आत्मनिर्भरता, इंडीजीनस इनोवेशन और आधुनिक तकनीकों पर विशेष ध्यान दे रही है।

उन्होंने कहा, “समुद्री तैयारी अब केवल जहाजों या पनडुब्बियों तक सीमित नहीं है। यह अब नेटवर्क-सेंट्रिक और ऑटोनोमस सिस्टम्स पर आधारित है। हमें दुश्मन की आधुनिक तकनीकों से खुद को सुरक्षित रखना है और अपनी तकनीकी क्षमताओं को लगातार बढ़ाना है।”

1.27 लाख रोजगार पैदा हुए

राजनाथ सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के तहत नौसेना न केवल रक्षा उत्पादन कर रही है बल्कि यह राष्ट्र निर्माण में भी योगदान दे रही है। उन्होंने कहा, “हर जहाज और पनडुब्बी के निर्माण से एक नई नौकरी बनती है। हर इंजन के साथ एक नई कौशल क्षमता जुड़ती है और हर स्वदेशी सिस्टम से भारत की निर्भरता कम होती है।”

उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट 17ए के जहाजों में 75 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री शामिल है, जिससे मझगांव डॉक और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स में लगभग 1.27 लाख रोजगार पैदा हुए हैं।

रक्षा मंत्री ने बताया कि नौसेना ने हाल ही में छोटे शिपयार्ड्स और एमएसएमई के साथ सहयोग बढ़ाया है। हाल के महीनों में लगभग 315 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट छोटे जहाज बनाने के लिए दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि नौसेना ने अपने एविएशन सेक्टर में कई इनोवेशन किए हैं। मल्टी-रोल मैरीटाइम रिकॉनिसेंस एयरक्राफ्ट, यूटिलिटी हेलीकॉप्टर्स, ट्विन इंजन डेक फाइटर्स और नेवल शिपबोर्न ड्रोन सिस्टम्स जैसे प्रोजेक्ट्स घरेलू उद्योग को नई दिशा दे रहे हैं।

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बुद्धिमानी से इस्तेमाल भी जरूरी

राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी भी देश की जीत केवल हथियारों या जहाजों से नहीं होती। रणनीति, निर्णय-क्षमता, समय और भौगोलिक समझ भी उतनी ही अहम होती है। उन्होंने कहा, “हमें आधुनिक उपकरणों के साथ-साथ सही रणनीति बनानी होगी। फ्लीट का आकार और आधुनिकीकरण जरूरी है, लेकिन प्लेटफॉर्म्स का बुद्धिमानी से इस्तेमाल भी उतना ही महत्वपूर्ण है।”

नौसेना की तीन ताकतें

रक्षा मंत्री ने कहा कि भविष्य की नौसेना तीन स्तंभों पर खड़ी होगी- जिनमें क्षमता, लोग और साझेदारी अहम होगी। उन्होंने बताया कि क्षमता का मतलब तकनीक और ताकत से है, लोग यानी हमारे नाविक और उनके परिवार, और साझेदारी का मतलब उद्योग, शिक्षण संस्थान और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से है। उन्होंने कहा कि जब ये तीनों साथ आएंगे, तो भारतीय नौसेना एक और मजबूत और भरोसेमंद ताकत बनकर उभरेगी।

Indian Navy Commanders Conference 2025
Indian Navy Commanders Conference 2025

नौसेना प्रमुख ने जताया गर्व

सम्मेलन की शुरुआत 22 अक्टूबर को नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी के उद्घाटन संबोधन से हुई। उन्होंने टीम नेवी की सामूहिक मेहनत, पेशेवर क्षमता और लगातार ऑपरेशनल तैयारी की सराहना की। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारतीय नौसेना के साहस, समर्पण और दक्षता का प्रतीक रहा है और इस पर पूरे देश को गर्व है।

एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि मौजूदा भू-रणनीतिक माहौल में भारतीय नौसेना राष्ट्रीय समुद्री हितों की रक्षा के लिए हमेशा तैयार है। उन्होंने कहा कि नौसेना ने पिछले एक वर्ष में कई सफल अभियानों को अंजाम दिया है और अपनी युद्धक तैयारियों को उच्चतम स्तर पर बनाए रखा है।

नौसेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय नौसेना अब हिंद महासागर क्षेत्र में पसंदीदा सिक्योरिटी पार्टनर के रूप में उभर रही है। उन्होंने बताया कि आईओएस सागर जैसी तैनातियां और आइकेमे जैसे अभियानों ने नौसेना को क्षेत्रीय स्थिरता में अग्रणी भूमिका दी है। ये सभी कदम महासागर यानी (म्यूचुअल एंड होलिस्टिक एडवांसमेंट फॉर सिक्युरिटी अक्रोस ऑल रीजन्स) के विजन के तहत लिए जा रहे हैं।

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फ्यूचर रेडी फोर्स बनने की तैयारी

एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि नौसेना एक “कोहेसिव फोर्स” बन चुकी है, जो अपने जवानों के कल्याण, फिटनेस और प्रशिक्षण पर ध्यान दे रही है। उन्होंने बताया कि नौसेना में नई तकनीकों का तेजी से जोड़ा जा रहा है और आईडेक्स जैसे कार्यक्रमों के जरिए से कई भारतीय कंपनियां इस मिशन का हिस्सा बन रही हैं। उन्होंने कहा कि नौसेना का लक्ष्य है कि वर्ष 2047 तक पूरी तरह आत्मनिर्भर नेवी बनकर “फ्यूचर रेडी फोर्स” के तौर पर खड़ी हो।

एडमिरल त्रिपाठी ने नौसेना के सात मुख्य प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही। उन्होंने युद्ध क्षमता, फोर्स लेवल, फ्लीट मेंटेनेंस, नई तकनीक, कर्मियों का विकास, आर्गेनाइजेशनल फ्लेक्सिबिलिटी और राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ तालमेल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में निरंतर प्रगति से भारतीय नौसेना हर समय, हर जगह और हर परिस्थिति में भारत के समुद्री हितों की रक्षा करने के लिए तैयार रहेगी।

वायुसेना प्रमुख ने दिया जॉइंटनेस पर जोर

सम्मेलन के पहले दिन वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने भी नौसेना कमांडर्स को संबोधित किया। उन्होंने भारतीय नौसेना की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय वायुसेना और नौसेना को जॉइंट प्लानिंग और ऑपरेशन के जरिए अपनी क्षमताओं को और मजबूत करना चाहिए। उन्होंने भारतीय नौसेना की सराहना करते हुए कहा कि नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में चुनौतियों का सामना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि जॉइंट ऑपरेशंस, इंटरऑपरेबिलिटी और इंटीग्रेटेड मिशन प्लानिंग से राष्ट्रीय सुरक्षा और अधिक मजबूत होगी।

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