📍कोलकाता/नई दिल्ली | 31 Jul, 2025, 7:41 PM
Himgiri Project 17A: भारतीय नौसेना के लिए गुरुवार का दिन बेहद खास रहा है। कोलकाता में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने प्रोजेक्ट 17A के तहत अत्याधुनिक स्टेल्थ फ्रिगेट हिमगिरी को 31 जुलाई 2025 को भारतीय नौसेना को सौंप दिया। यह युद्धपोत ‘प्रोजेक्ट 17ए’ के तहत बनने वाले नीलगिरि क्लास फ्रिगेट्स में से तीसरा है और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) द्वारा बनाया गया पहला फ्रिगेट है। हिमगिरी को 14 दिसंबर 2020 को कोलकाता की हुगली नदी में लॉन्च किया गया था।
Himgiri Project 17A: हिमगिरी है नया अवतार
हिमगिरी का नाम भारतीय नौसेना के एक पुराने लैंडर-क्लास फ्रिगेट, INS हिमगिरी, से लिया गया है, जिसने 1974 से 2005 तक 30 साल तक देश की सेवा की। पुराना हिमगिरी एक भाप से चलने वाला वॉरशिप था, जिसे 6 मई 2005 को सेवा से हटा लिया गया। नया हिमगिरी आधुनिक तकनीक, स्टील्थ (रडार से बचने की क्षमता), और शक्तिशाली हथियारों से लैस है। खास बात यह है कि नए हिमगिरी को स्वदेश में ही डिजाइन और निर्मित किया गया है।
🚢 DELIVERED! HIMGIRI Joins Indian Navy 🇮🇳
🔹 Project 17A Milestone: Advanced stealth frigate HIMGIRI (Yard 3022) delivered by GRSE Kolkata
🔹 First P17A ship built by GRSE
🔹 Indigenous content: 75%
🔹 Over 200 MSMEs involved
🔹 14,000+ jobs supported (direct + indirect)
🛡️… pic.twitter.com/cjhJWuN3zL— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) July 31, 2025
क्या है प्रोजेक्ट 17A
प्रोजेक्ट 17A को नीलगिरी क्लास के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रोजेक्ट के तहत भारतीय नौसेना के लिए सात अत्याधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट बनाने जाने हैं। ये फ्रिगेट शिवालिक-क्लास (प्रोजेक्ट 17) का अपग्रेड वर्जन हैं, जो पहले से ही नौसेना में एक्टिव है। प्रोजेक्ट 17A को 2015 में भारत सरकार ने मंजूरी दी थी, और इसका कुल खर्च लगभग 45,381 करोड़ रुपये (2023 में $8.1 बिलियन के बराबर) है। इन सात फ्रिगेट में से चार का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL), मुंबई में हो रहा है, जबकि तीन का निर्माण GRSE, कोलकाता में हो रहा है। हिमगिरी GRSE का बनाया पहला फ्रिगेट है, जिसे 31 जुलाई 2025 को नौसेना को सौंपा गया। बाकी पांच फ्रिगेट 2026 के अंत तक चरणबद्ध तरीके से सौंपे जाएंगे।
इन फ्रिगेट की लंबाई 149 मीटर, वजन 6,670 टन, और गति 28 नॉट है। ये जहाज न केवल ताकतवर हैं, बल्कि एर्गोनॉमिक डिजाइन के साथ बनाए गए हैं, ताकि नाविकों को ऑपरेट करने में आसानी हो।
प्रोजेक्ट 17A के तहत बनाए जा रहे सात फ्रिगेट नीलगिरी, उदयगिरी, हिमगिरी, तारागिरी, दूनागिरी, विंध्यगिरी, और महेंद्रगिरी शामिल हैं। ये वॉरशिप ब्लू वॉटर में ऑपरेट करने के लिए बनाए गए हैं, जो पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों, जैसे पनडुब्बी हमले, हवाई हमलों, और सरफेस अटैक से निपट सकते हैं।
ब्रह्मोस से लैस है हिमगिरी
हिमगिरी और प्रोजेक्ट 17A के बाकी फ्रिगेट भी कई मायनों में खास हैं। ये युद्धपोत समुद्र में सभी तरह की चुनौतियों हवा, सतह, और पानी के नीचे होने वाले खतरों से से निपटने के लिए डिजाइन किए गए हैं। हिमगिरी में स्टील्थ तकनीक का प्रयोग किया गया है। हिमगिरी का डिजाइन रडार सिग्नल को कम करने के लिए बनाया गया है, जिससे इसे दुश्मन के रडार पर पकड़ना मुश्किल हो। इसका स्ट्रक्चर और साइज रडार तरंगों को अवशोषित और विक्षेपित करता है, जिससे यह “अदृश्य” जैसा बन जाता है। इसके इंफ्रारेड सिग्नेचर को इस तरह से तैयार किया गया है कि यह आधुनिक रडार और निगरानी सिस्टम से खुद को छुपा सके।
हिमगिरी में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (मैक 3 की गति), मध्यम दूरी की सतह-से-हवा मिसाइल (सर्फेस-टू-एयर मिसाइल), भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) की बनाई 76 मिमी की ओटो मेलारा नौसैनिक कैनन, और 30 मिमी व 12.7 मिमी की तेजी से फायर करने वाली क्लोज-इन वेपन सिस्टम्स शामिल हैं। यह सभी हथियार और सेंसर इसे एक मल्टी-मिशन युद्धपोत बनाते हैं, जो समुद्री युद्ध, निगरानी, बचाव और सुरक्षा अभियानों को एकसाथ अंजाम दे सकता है।
तय समयसीमा में बना है हिमगिरी
हिमगिरी को भारतीय नौसेना के वारशिप डिजाइन ब्यूरो (WDB) ने डिजाइन किया है। इसकी देखरेख कोलकाता की वारशिप ओवरसीइंग टीम ने की है। प्रोजेक्ट 17A में इंटीग्रेटेड कंस्ट्रक्शन की कॉन्सेप्ट का इस्तेमाल किया गया हैं, जिसमें 300 टन के बड़े ब्लॉक पहले से तैयार किए जाते हैं और फिर जोड़े जाते हैं। इससे निर्माण समय कम होता है और क्वॉलिटी बेहतर रहती है। हिमगिरी तय समयसीमा यानी 37 महीनों में बनकर तैयार हुआ है।

GRSE ने अपने बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाते हुए इसमें “गोलियथ” गैन्ट्री क्रेन, मॉड्यूलर वर्कशॉप, और गीला बेसिन शामिल की हैं। जिससे बड़े वॉरशिप बनााने में मदद मिलती है। यह युद्धपोत 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री से निर्मित है और इसके निर्माण में 200 से अधिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) की भागीदारी रही है। इससे 4,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और 10,000 से ज्यादा को परोक्ष रोजगार मिला है।
हिमगिरी में CODOG (कम्बाइंड डीजल ऑर गैस) प्रोपल्शन सिस्टम लगाया गया है, जिसमें एक डीजल इंजन और एक गैस टरबाइन शामिल होते हैं। यह सिस्टम कंट्रोल करने योग्य पिच प्रोपेलर (CPP) के जरिए दोनों शाफ्ट्स को ऑपरेट करता है, जो इसे 28 नॉट (लगभग 52 किमी/घंटा) की स्पीड देता है। इसके साथ ही इसमें इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम (IPMS) जहाज के सभी सिस्टम को एक साथ जोड़ता है, जिससे ऑपरेट करना आसान होता है।