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Zorawar Light Tank में लगेगा स्वदेशी ‘दिल’, अमेरिकी कमिंस इंजन की होगी विदाई, भारतीय सेना को सर्दियों में डिलीवर होंगे दो टैंक

इस सर्दियों में भारतीय सेना को मिलने जा रहा है। 25 टन वजनी यह स्वदेशी लाइट टैंक हाई एल्टीट्यूड इलाकों के लिए खास डिजाइन किया गया है और इसमें 800HP का नया इंजन व नाग-2 मिसाइल सिस्टम होगा...

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📍नई दिल्ली | 28 Sep, 2025, 8:55 PM

Zorawar Light Tank: भारतीय सेना को जल्द ही अपना पहला स्वदेशी जोरावर टैंक मिलने जा रहा है। यह लाइट टैंक सर्दियों तक सेना को सौंप दिया जाएगा। योजना के मुताबिक इसे साल की शुरुआत में ही सौंपा जाना था, लेकिन शुरुआती ट्रायल्स के बाद इसमें कुछ तकनीकी सुधार की जरूरत बताई गई। अब सुधारों के बाद यह पूरी तरह से तैयार है। सूत्रों का कहना है कि एक टैंक तैयार हो चुका है और दूसरा निर्माणाधीन है। सेना को सर्दियों में दो यूनिट दी जाएंगी, जिन्हें फिर मुश्किल हालात में यूजर ट्रायल के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

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लगाई जाएगी नाग मिसाइल

जोरावर में केवल गन ही नहीं बल्कि मिसाइल सिस्टम भी लगाया जाएगा। इसमें नाग मार्क-2 मिसाइल फिट होगी, जिसे भी डीआरडीओ ने ही डेवलप किया है। नाग मिसाइल का फील्ड ट्रायल पहले ही सफल रहा है और यह “फायर एंड फॉरगेट” एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है। इससे टैंक की मारक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।

25 टन वजन वाले जोरावर में मेन गन, मिसाइल और ड्रोन इंटीग्रेशन की सुविधा होगी। ड्रोन का लाइव फीड सीधे टैंक कमांडर को मिलेगा, जिससे दुश्मन पर रियल-टाइम निगरानी रखी जा सकेगी। सेना भविष्य में लगभग 350 लाइट टैंकों की खरीदारी की योजना बना रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि Zorawar Light Tank की सबसे बड़ी जरूरत चीन बॉर्डर पर है। चीन के पास पहले भी से ही लाइट और मीडियम टैंक हैं। 2020 में गलवान और पैंगोंग झील क्षेत्र में हुए गतिरोध के बाद भारत ने यह महसूस किया कि ऊंचाई वाले इलाकों में भारी टैंक उतारना चुनौतीपूर्ण है।

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उस दौरान भारतीय सेना ने टी-72 और टी-90 टैंक ऊंचाई पर तैनात कर चीन को चौंकाया जरूर, लेकिन इन टैंकों की सीमाएं भी सामने आईं। यही अनुभव दिखाता है कि भारतीय सेना को विशेष रूप से ऊंचाई और द्वीपीय क्षेत्रों के लिए हल्के लेकिन घातक टैंक की जरूरत है।

जोरावर का नाम डोगरा जनरल जोरावर सिंह के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने हिमालयी इलाकों में अपनी वीरता का परचम लहराया था।

Zorawar Light Tank के निर्माण को “मेक इन इंडिया” पहल के तहत मंजूरी अप्रैल 2023 में दी गई थी। इसका निर्माण डीआरडीओ की कॉम्बैट व्हीकल्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट और लार्सन एंड टुब्रो ने मिलकर किया है।

शुरुआती प्रोटोटाइप अमेरिकी इंजन कमिन्स वीटीए903ई-टी760 से चल रहे हैं, यह 760 हॉर्सपावर (570 किलोवाट) का वी8 डीजल इंजन है। लेकिन भविष्य में इन्हें पूरी तरह स्वदेशी 800एचपी इंजन से लैस किया जाएगा। यह नया इंजन अशोक लेलेंड के सहयोग से विकसित 600एपी इंजन का अपग्रेडेड वर्जन होगा। 600 हॉर्सपावर वाला इंजन पहले से ही व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म (व्हैप) 8×8 जैसे वाहनों पर टेस्टिंग के लिए तैयार किया जा चुका है। इसे एक बेसिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर माना जा रहा है।

अब इसका एडवांस 800 हॉर्सपावर वाला वेरिएंट खास तौर पर 25 से 30 टन वजन वाले ट्रैक्ड कॉम्बैट व्हीकल्स (जैसे आने वाले जोरावर टैंक) के लिए डिजाइन किया गया है। यह हाई-एल्टीट्यूड (ऊँचाई वाले इलाकों) में बेहतर परफॉर्मेंस देगा। नया पावरपैक न केवल ज्यादा ताकतवर होगा बल्कि इसमें “कोल्ड स्टार्ट” जैसी सुविधाएं होंगी, जिससे माइनस तापमान में भी टैंक बिना दिक्कत के चल सकेगा।

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अभी तक के प्रोटोटाइप अमेरिकी रेनक अमेरिका एचएमपीटी-800 हाइड्रोस्टैटिक/मैकेनिकल कंटीन्यूअसली ट्रांसमिशन पर आधारित हैं। यह अमेरिकी पावरपैक अमेरिकी आर्मर्ड मल्टी-पर्पस व्हीकल और ब्रैडली ए4 जैसे हथियारबंद वाहनों में इस्तेमाल होते हैं। इसे इसलिए अपनाया गया क्योंकि जर्मनी की कंपनी एमटीयू (जो रोल्स-रॉयस की सब्सिडियरी है) से 800 हॉर्सपावर का इंजन कड़े एक्सपोर्ट कंट्रोल के चलते समय पर नहीं मिल पाया। हालांकि कमिंस इंजन भरोसेमंद है, लेकिन भविष्य में इसकी सप्लाई चेन की दिक्कत आ सकती है और भारत के टैंक पूरी तरह से स्वदेशी नहीं रह पाते। यही वजह है कि डीआरडीओ ने अब पूरी तरह भारतीय इंजन और ट्रांसमिशन विकसित करने पर जोर देना शुरू किया है।

वहीं, Zorawar Light Tank के आने वाले बैच पूरी तरह स्वदेशी ट्रांसमिशन से लैस होंगे। इसका मतलब है कि भविष्य में भारत को न तो स्पेयर पार्ट्स के लिए विदेश पर निर्भर रहना पड़ेगा और न ही सप्लाई चेन में बाधा आएगी।

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