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SAMBHAV Phone Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने WhatsApp नहीं किया था इस्तेमाल, अपनाया था ये खास स्वदेशी फोन

संभव को जनवरी 2024 में औपचारिक रूप से लॉन्च किया गया था। इसे आत्मनिर्भर भारत के तहत डेवलप किया गया था। इसका मकसद था सेना के लिए एक ऐसा मोबाइल सिस्टम देना, जो पूरी तरह से सुरक्षित, एन्क्रिप्टेड और नेटवर्क एग्नोस्टिक हो...

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📍नई दिल्ली | 10 Sep, 2025, 1:40 PM

SAMBHAV Phone Operation Sindoor: भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ किए गए ऑपरेशन सिंदूर में पहली बार पूरी तरह से अपनी स्वदेशी मोबाइल तकनीक SAMBHAV (Secure Army Mobile Bharat Version) का इस्तेमाल किया। यह खुलासा खुद सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने किया। उन्होंने कहा कि अब सेना इस सिस्टम को और अपग्रेड करने की तैयारी कर रही है।

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SAMBHAV Phone Operation Sindoor: WhatsApp और विदेशी ऐप्स पर लगी रोक

जनरल द्विवेदी ने ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन के 52वें नेशनल मैनेजमेंट कन्वेंशन में बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने व्हाट्सएप या अन्य विदेशी कम्युनिकेशन ऐप्स का इस्तेमाल नहीं किया। इसके बजाय पूरी तरह से SAMBHAV फोन पर भरोसा किया गया, जो सेना के लिए सुरक्षित कमांड और कम्युनिकेशन चैनल साबित हुआ।

उन्होंने कहा, “हम स्पाइरल डेवलपमेंट ऑफ इक्विपमेंट के लिए तैयार हैं। संभव फोन ऑपरेशन सिंदूर में इस्तेमाल हुआ। हम व्हाट्सएप और दूसरे ऐप्स पर निर्भर नहीं थे। अब इसे और अपग्रेड किया जा रहा है।”

SAMBHAV Phone Operation Sindoor: व्होल-ऑफ-नेशन अप्रोच

जनरल द्विवेदी ने ऑपरेशन सिंदूर को केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि राष्ट्रव्यापी समन्वय का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, “इस ऑपरेशन में सैनिकों से लेकर वैज्ञानिकों, कमांडरों से लेकर नीति निर्माताओं तक सभी का योगदान था। जरूरी कदम पहले से उठाए गए। इसे ‘व्होल-ऑफ-नेशन अप्रोच’ कहा जा सकता है।”

ऑपरेशन सिंदूर 6-7 मई की रात को तब शुरू हुआ जब 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी। भारतीय सेना ने 7 से 10 मई तक पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी कैंपों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इस दौरान 9 आतंकी कैंप ध्वस्त किए गए और 13 से अधिक पाकिस्तानी एयरबेस व मिलिट्री इंस्टॉलेशन पर हमले किए गए।

SAMBHAV Phone Operation Sindoor: क्या है संभव फोन

संभव को जनवरी 2024 में औपचारिक रूप से लॉन्च किया गया था। इसे आत्मनिर्भर भारत के तहत डेवलप किया गया था। इसका मकसद था सेना के लिए एक ऐसा मोबाइल सिस्टम देना, जो पूरी तरह से सुरक्षित, एन्क्रिप्टेड और नेटवर्क एग्नोस्टिक हो।

यह 5G तकनीक पर आधारित है और इसमें मल्टी-लेयर्ड एन्क्रिप्शन है। इससे अधिकारी चलते-फिरते भी सुरक्षित रूप से बातचीत कर सकते हैं और जरूरी दस्तावेज, फोटो व वीडियो साझा कर सकते हैं।

SAMBHAV Phone Operation Sindoor: व्हाट्सएप का भारतीय विकल्प: M-Sigma

संभव फोन में एक खास एप्लिकेशन है M-Sigma, जिसे व्हाट्सएप का भारतीय विकल्प कहा जा सकता है। यह सुरक्षित मैसेजिंग और डाक्यूमेंट शेयरिंग के लिए बनाया गया है। M-Sigma के जरिए अधिकारी फोटो, वीडियो, और संवेदनशील दस्तावेज बिना किसी लीक के साझा कर सकते हैं।

एक रक्षा अधिकारी ने बताया, “मोबाइल नेटवर्क अक्सर ईव्सड्रॉपिंग (जासूसी) के खतरे में रहते हैं। ऐसे में सेना को संभव जैसे सुरक्षित मोबाइल इकोसिस्टम की जरूरत थी, ताकि सैनिक और अधिकारी किसी भी स्थिति में बिना रिस्क के बातचीत कर सकें।”

SAMBHAV Phone Operation Sindoor: 30,000 से ज्यादा डिवाइस सेना को मिले

संभव परियोजना की शुरुआत पिछले साल हुई थी। अब तक लगभग 30,000 डिवाइस सेना के अधिकारियों को दिए जा चुके हैं। इन्हें खासतौर पर युद्ध क्षेत्र और सीक्रेट बातचीत के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस सिस्टम को भारतीय उद्योग और शिक्षण संस्थानों की मदद से डेवलप किया गया है। इसमें इंडिजिनस पब्लिक सेल्युलर नेटवर्क का इस्तेमाल होता है।

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चीन से बातचीत में भी इस्तेमाल

रक्षा सूत्रों के मुताबिक, संभव फोन का इस्तेमाल सिर्फ ऑपरेशन सिंदूर में ही नहीं, बल्कि चीन के साथ सैन्य वार्ता में भी किया गया। अक्टूबर 2024 की आखिरी राउंड की मीटिंग में भारतीय अधिकारियों ने इसी सुरक्षित हैंडसेट से संवाद किया।

इससे यह साफ है कि संभव अब केवल सैन्य अभियानों तक सीमित नहीं, बल्कि कूटनीतिक और रणनीतिक बातचीत में भी अहम भूमिका निभा रहा है।

जनरल द्विवेदी ने कहा कि भारतीय सेना अब तकनीक को लगातार अपग्रेड करने पर जोर दे रही है। उनका कहना था –
“आज अगर हमें 100 किलोमीटर तक मार करने वाला हथियार चाहिए, तो कल हमें 300 किलोमीटर तक का हथियार चाहिए। इसी तरह कम्युनिकेशन भी है, जैसे-जैसे दुश्मन तकनीक बढ़ाएगा, हमें भी उससे एक कदम आगे रहना होगा।”

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