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Eagle in the Arm: अब सेना में हर जवान के पास हथियार के साथ ‘हाथ में होगा ईगल’, इंडियन आर्मी ने शुरू की बड़ी तैयारी

सेना के अधिकारियों का कहना है कि इस पहल को “ईगल इन द आर्म” (Eagle in the Arm) कॉन्सेप्ट नाम दिया गया है। इसका मतलब है कि जैसे हर सैनिक अपने हथियार को साथ रखता है, वैसे ही उसे ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी...

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📍नई दिल्ली | 18 Sep, 2025, 8:04 PM


Eagle in the Arm: भारतीय सेना तेजी से ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम को अपनी यूनिट्स में शामिल कर रही है। कई यूनिट पहले ही ड्रोन आधारित ऑपरेशन्स को अपना चुकी हैं और देश की प्रमुख सैन्य अकादमियों में विशेष ड्रोन सेंटर्स स्थापित किए गए हैं। इनमें देहरादून की इंडियन मिलिट्री अकादमी, मऊ का इन्फैंट्री स्कूल और चेन्नई की ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी शामिल हैं। इन सेंटर्स का मकसद है कि सेना के हर जवान को ड्रोन ऑपरेशन की ट्रेनिंग दी जाए।

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हाल ही में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अरुणाचल प्रदेश के लिकाबाली स्थित एक ऐसी ही ड्रोन फैसिलिटी सेंटर का दौरा किया। सेना अब ड्रोन ऑपरेशंस को सिर्फ एक्सपेरिमेंटल लेवल तक सीमित नहीं रख रही है, बल्कि इसे अपने मेन मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर का हिस्सा बना रही है।

सेना के अधिकारियों का कहना है कि इस पहल को “ईगल इन द आर्म” (Eagle in the Arm) कॉन्सेप्ट नाम दिया गया है। इसका मतलब है कि जैसे हर सैनिक अपने हथियार को साथ रखता है, वैसे ही उसे ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। यूनिट और सैनिक की जिम्मेदारी के आधार पर ड्रोन का इस्तेमाल अलग-अलग कामों में होगा। इनमें कॉम्बैट मिशन, निगरानी, लॉजिस्टिक्स और यहां तक कि मेडिकल इवैक्यूएशन भी शामिल है। साथ ही, सेना काउंटर-ड्रोन तकनीक भी अपना रही है ताकि दुश्मन के मानवरहित विमानों को मार गिराया जा सके।

बता दें कि इस साल 26 जुलाई को 26वें कारगिल विजय दिवस पर सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने द्रास में अपने भाषण में स्पष्ट किया था कि हर इन्फैंट्री बटालियन में एक विशेष ड्रोन प्लाटून होगी। उन्होंने कहा था कि आर्टिलरी रेजीमेंट को काउंटर-ड्रोन सिस्टम और लोइटर म्यूनिशन से लैस किया जाएगा। इसके अलावा, “दिव्यास्त्र बैटरियां” बनाई जाएंगी, जिनसे सेना की मारक क्षमता में जबरदस्त इजाफा होगा। उस समय सेना प्रमुख ने कहा था – “हमारी मारक क्षमता अब आने वाले दिनों में कई गुना बढ़ जाएगी।”

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वहीं, हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 26-27 अगस्त 2025 को मध्य प्रदेश के मऊ स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित दो दिवसीय ट्राई सर्विसेज सेमिनार ‘रण संवाद 2025’ में अपने संबोधन के दौरान भारतीय सेना में ड्रोन तकनीक के महत्व और इसकी ट्रेनिंग पर जोर देते हुए कहा था, “साल 2027 से भारतीय सेना के प्रत्येक सैनिक को आर्मी ट्रेनिंग कमांड द्वारा ड्रोन टेक्नोलॉजी की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके साथ ही, भारतीय सेना ड्रोन वॉरफेयर को देखते हुए खास यूनिट्स बना रही है, जिनमें रुद्र ब्रिगेड, शक्तिमान रेजीमेंट, दिव्यास्त्र बैटरी, ड्रोन प्लाटून और भैरव बटालियन शामिल हैं। यह कदम आधुनिक युद्ध की जरूरतों को पूरा करने और तकनीकी रूप से सक्षम सेना तैयार करने के लिए उठाया जा रहा है।”

हाल ही में दुनियाभर में हुए वैश्विक संघर्षों में इस बात का पता चला है कि अब ड्रोन युद्ध में केवल एसेसरीज मात्र नहीं रह गए हैं, बल्कि बैटल फील्ड का अहम हिस्सा बन चुके हैं। ड्रोन से सैनिकों को न केवल रीयल टाइम जानकारी मिलेगी बल्कि उन्हें दुश्मन पर तेज और सटीक वार करने की क्षमता भी मिलेगी। अब आने वाले समय में सैनिक के पास सिर्फ हथियार ही नहीं बल्कि एक “ईगल”, यानी ड्रोन भी होगा, जो उसकी आंखों, उसकी पहुंच और उसकी ताकत को बैटलफील्ड में कई गुना बढ़ा देगा।

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