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Tejas MK1A Delivery Delay: बिना तेजस की डिलीवरी के सूनी रही IAF की दीपावली, HAL ने फिर तोड़ा वादा, ये है वजह

एचएएल बार-बार अपने किए वादे पर खरा नहीं उतर रहा है। सितंबर महीने की शुरुआत में एक मुलाकात के दौरान एचएएल के चेयरमैन डीके सुनील ने खुद रक्षा समाचार डॉट कॉम को 'दीपावली' पर खुशखबरी देने की बात कही थी। उन्होंने पूरे भरोसे के साथ कहा था कि अक्टूबर महीने में पहले दो तेजस एमके 1ए भारतीय वायुसेना को डिलीवर कर दिए जाएंगे...

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📍नई दिल्ली | 29 Oct, 2025, 6:38 PM

Tejas MK1A Delivery Delay: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड एक बार फिर अपने वादे से चूक गई है। देश का पहला स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस बना रही हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल को इस अक्टूबर तक वायुसेना को पहले दो तेजस एमके1ए एयरक्राफ्ट की डिलीवरी करनी थी। लेकिन अक्टूबर महीना भी बीतने वाला है और पहले 83 ऑर्डर में से एक भी तेजस एमके 1ए की डिलीवरी सुनिश्चित नहीं हो पाई है। ये हालात तब हैं कि जब एचएएल को जीई से अभी तक चार एफ-404 इंजनों की डिलीवरी हो चुकी है।

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सूत्रों का कहना है कि तेजस एमके1ए की डिलीवरी में अभी और देरी हो सकती है, और भारतीय वायुसेना को अगले साल तक ही यह एयरक्राफ्ट सौंपे जा सकते हैं। उनका कहना है कि यह हाल तब है कि जब वायुसेना अपनी स्क्वाड्रन स्ट्रेंथ को लेकर सबसे न्यूनतम स्तर पर है और पश्चिमी मोर्चे पर तनाव अभी भी जारी है।

Tejas MK1A Delivery Delay: ‘दीपावली’ पर नहीं मिली खुशखबरी

एचएएल बार-बार अपने किए वादे पर खरा नहीं उतर रहा है। सितंबर महीने की शुरुआत में एक मुलाकात के दौरान एचएएल के चेयरमैन डीके सुनील ने खुद रक्षा समाचार डॉट कॉम को ‘दीपावली’ पर खुशखबरी देने की बात कही थी। उन्होंने पूरे भरोसे के साथ कहा था कि अक्टूबर महीने में पहले दो तेजस एमके 1ए भारतीय वायुसेना को डिलीवर कर दिए जाएंगे। उन्होंने बताया था कि सितंबर से तेजस एमके 1ए पर फायरिंग टेस्ट शुरू हो जाएंगे, जो अक्तूबर तक चलेंगे, जिसके बाद अक्टूबर के आखिर तक सौंप दिए जाएंगे। इन फायरिंग टेस्ट में देश में बने बियोन्ड विजुअल रेंज मिसाइल अस्त्र, शॉर्ट रेंज एयर टू एयर मिसाइल, ब्रह्मोस एनजी और लेजर-गाइडेड बम का फायरिंग टेस्ट किया जाना था।

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Tejas MK1A Delivery Delay: आ चुके हैं चार इंजन

हालांकि अमेरिकी कंपनी जीई की तरफ से एफ-404 इंजन की सप्लाई में एक साल से ज्यादा की देरी हुई है। लेकिन अभी तक एचएएल को जीई की तरफ से चार इंजन सौंपे जा चुके हैं। पहला इंजन अप्रैल में, दूसरा इंजन जुलाई में, तीसरा इंजन सितंबर में और चौथा इंजन पहली अक्टूबर को भारत पहुंच गया था। एचएएल का कहना है कि चालू वित्त वर्ष के आखिर तक उसे 12 इंजन मिल जाएंगे। इसके बाद अगले वित्त वर्ष में सप्लाई सुचारू हो जाएगी। 2026–27 तक एचएएल का लक्ष्य हर साल 30 तेजस एमके1ए विमान तैयार करना है। इसमें निजी और सरकारी साझेदार कंपनियों को भी शामिल किया जाएगा।

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एयरक्राफ्ट में इंजन फिटिंग में लगने वाले समय को लेकर एचएएल का कहना था कि इसमें दो दिन से लेकर एक हफ्ते तक का समय लगता है। जब फ्यूजलेज तैयार होते हैं तो इंजन फिटिंग में ज्यादा समय नहीं लगता। लेकिन इसके बावजूद पहले दो इंजन आए हुए 5-6 महीने का वक्त बीत चुका है।

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एचएएल ने बताया था कि पहले दो तेजस एमके1ए विमान भारतीय वायुसेना को सौंपने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा कम से कम 10 अतिरिक्त यूनिट्स भी एचएएल ने असेंबल कर ली हैं और वे सिर्फ इंजनों का इंतजार कर रही हैं।

17 अक्टूबर को पहले एमके1ए प्रोटोटाइप की उड़ान

हालांकि इस महीने 17 अक्टूबर को एचएएल की नासिक फैसिलिटी में पहले तेजस एमके1ए प्रोटोटाइप (LA-5043) ने अपनी पहली सफल उड़ान भरी थी। खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी उस समारोह में मौजूद थे। उन्होंने नासिक में एचएएल की तीसरी उत्पादन लाइन का उद्घाटन भी किया था। जिसके बाद एचएएल का दावा है कि तेजस की कुल उत्पादन क्षमता प्रतिवर्ष अब 24 विमान तक पहुंच गई है।

विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि तेजस एमके 1ए की फाइनल डिलीवरी से पहले अभी बहुत से काम किए जाने बाकी हैं। मूल कॉन्ट्रैक्ट के तहत 83 विमानों की डिलीवरी 2024 से शुरू होनी थी, लेकिन अब लगता है कि अब यह अगले साल तक शिफ्ट हो गई है। इन 83 विमानों का ऑर्डर फरवरी 2021 में जारी किया गया था, जिनमें 73 एमके 1ए सिंगल-सीट फाइटर्स और 10 एमके 1ए ट्रेनर्स जेट शामिल हैं।

Tejas MK1A Delivery Delay: तेजस एमके 1 के ऑर्डर भी पेंडिंग

सूत्रों का कहना है कि तेजस एमके 1ए के अलावा पुराने तेजस एमके 1 का ऑर्डर भी अभी पेंडिंग है। उनका कहना है कि जनवरी 2006 और मार्च 2010 में कुल 40 एमके 1 के ऑर्डर जारी किए थे, जिनमें से केवल 38 ही डिलीवर हुए हैं, बाकी दो डबल सीट ट्रेनर एयरक्राफ्ट की डिलीवरी भी अभी बाकी है।

वहीं, एचएएल डिलीवरी की नई तारीखों को लेकर चुप्पी साधे हुए है और उनकी तरफ से कोई आधिकारी बयान भी जारी नहीं किया गया है।

Tejas MK1A Delivery Delay: उत्तम रडार की जगह इजरायली रडार

सूत्रों का कहना है कि एयर स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट्स (ASQR) में भी बदलाव किए गए हैं। भारतीय वायुसेना द्वारा निर्धारित न्यूनतम प्रदर्शन मानदंड (ASQR) में पहले तेजस एमके1ए में उत्तम एईएसए रडार लगाया जाना था, लेकिन अब उसकी जगह इजरायली ELTA कंपनी का बना EL/M-2052 रडार लगाया जा रहा है।

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सूत्रों का कहना है कि इससे तेजस में इंडिजिनियस कंटेंट कम हुआ है। उत्तम रडार को न लगाने की वजह सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्थिनेस एंड सर्टिफिकेशन (CEMILAC) में देरी है। अप्रैल 2025 में CEMILAC सर्टिफिकेशन के लिए A2A, A2G मोड्स में चार फ्लाइट ट्रायल भी हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद अभी तक सर्टिफिकेशन नहीं मिल पाया है। बता दें कि उत्तम एईएसए रडार को डीआरडीओ और एलआरडीई ने मिल कर बनाया है, जिसकी परफॉरमेंस रेंज और ट्रैकिंग में EL/M-2052 के मुकाबले 25 फीसदी बेहतर है।

वहीं, सर्टिफिकेशन में देरी के चलते एचएएल एमके 1ए के शुरुआती बैच (पहले 73-83 विमान) बिना उत्तम एईएसए रडार के डिलीवर किए जाएंगे। बाद के बैचों (41वें विमान से) या 2028 के बाद अपग्रेड में उत्तम को इंटीग्रेट किया जाएगा। बता दें कि उत्तम ने 250+ घंटे फ्लाइट टेस्टिंग पूरी की है।

Tejas MK1A Delivery Delay: स्वदेशी स्वयं रक्षा कवच का इंटीग्रेशन नहीं

सूत्रों का कहना है कि उत्तम रडार के अलावा इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट स्वयं रक्षा कवच भी देरी की वजह बन रहा है। यह रडार वार्निंग रिसीवर और एडवांस्ड सेल्फ-प्रोटेक्शन जैमर पॉड से बना है। यह 360 डिग्री कवरेज, डिजिटल रेडियो फ्रीक्वेंसी मेमोरी (DRFM) टेक्नोलॉजी और 1 मिलियन पल्स/सेकंड प्रोसेसिंग देता है। डीआरएफएम इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर तकनीक है जो दुश्मन के रडार सिग्नल को कॉपी, मॉडिफाई और दोबारा भेजती है। इससे दुश्मन रडार को फर्जी टारगेट
दिखते हैं और विमान ट्रेक होने से बच जाता है।

सूत्रों का कहना है कि ईडब्ल्यू सूट के सर्टिफिकेशन और इंटीग्रेशन में देरी के चलते पहले 83 एमके 1ए विमानों में इजरायली स्कॉर्पियस-एसपीजे (ईएल/एल-8222एसबी) लगाया जा रहा है। वहीं दूसरे बैच में (97 विमान) में 2028 से स्वयं रक्षा कवच का इंटीग्रेशन किया जाएगा।

सूत्रों ने बताया कि तेजस एमके 1ए के रडार-इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट इंटरफेस और अस्त्र एमके 1 मिसाइल इंटीग्रेशन में सॉफ्टवेयर ग्लिच है, जिसके चलते सर्टिफिकेशन में देरी हो रही है। अस्त्र मिसाइल, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट और मिसाइल गाइडेंस का सॉफ्टवेयर इंटरफेस टेस्टिंग अभी भी पेंडिंग है। हालांकि रडार 100 टारगेट ट्रैक कर सकता है, लेकिन रीयल-टाइम इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर अटैक में वैलिडेशन अभी भी बाकी है।

मार्च 2026 तक ही डिलीवरी

उनका कहना है कि अगर एयरक्राप्ट पूरी तरह से तैयार भी हो जाए तो भी इंटीग्रेशन की चुनौतियां काफी ज्यादा है। अकेले सर्टिफिकेशन में ही 3 से 6 महीने का लग सकता है। उनका कहना है कि अगर सब कुछ ठीकठाक रहा तो भारतीय वायुसेना को तेजस की डिलीवरी अगले साल मार्च 2026 तक ही संभव हो सकती है।

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हर साल 30 से 40 विमान चाहिए

वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह कई बार सार्वजनिक तौर पर तेजस की डिलीवरी को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने कहा था, “भूखे मुंह तैयार हैं, हम सिर्फ भोजन का इंतजार कर रहे हैं।” उनका इशारा तेजस विमानों के जल्दी प्रोडक्शन और डिलीवरी की तरफ था। उन्होंने कहा था कि वायुसेना की क्षमता बनाए रखने के लिए हर साल 30 से 40 विमान तैयार होने चाहिए, यानी दो स्क्वाड्रन हर साल तैयार होनी चाहिए।

भारतीय वायुसेना प्रमुख ने 3 अक्टूबर को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी कहा था कि तेजस एमके-1ए के मामले में वायुसेना की उम्मीदें वही हैं जो पहले दी गई क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट्स में तय की गई थीं। उन्होंने कहा कि ये जरूरतें कुछ साल पहले तय हुई थीं और आज भी वही बनी हुई हैं।

वायुसेना प्रमुख ने कहा, “हमें जानकारी मिली है कि इंजन डिलीवरी शुरू हो चुकी है और कुछ प्रगति भी हो रही है। लेकिन अभी कुछ रिसर्च एंड डेवलपमेंट से जुड़ा काम बाकी है, जिस पर काम जारी है। जैसे ही यह विमान तय मानकों के अनुसार सर्टिफाई हो जाएगा, वायुसेना उसे शामिल करने के लिए तैयार है।”

“आधा-अधूरा, दिखावे का विमान मत दो”

इस साल फरवरी 2025 में एरो इंडिया और मई 2025 में सीआईआई समिट में उन्होंने एचएएल को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था, “टाइमलाइन बड़ा मुद्दा है”। उन्होंने कहा था, विमान सिर्फ़ उड़ने लायक नहीं, लड़ने लायक होना चाहिए।” हमें “आधा-अधूरा, दिखावे का विमान मत दो। पूरा, युद्ध के लिए तैयार विमान दो, जिसे हम तुरंत बॉर्डर पर तैनात कर सकें।”

एरो इंडिया में उनकी एचएएल सीएमडी के साथ एक बातचीत बड़ी वायरल हुई थी, जिसमें वे कहते सुने गए थे कि जिस विमान को आप एमके1ए कहकर उड़ा रहे हैं, वो एमके1ए नहीं है। सिर्फ सॉफ्टवेयर बदलने या दिखावे से एमके1ए नहीं बन जाता। जब हथियार और क्षमताएं आएंगी, तभी ये एमके1ए होगा।”

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    हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवाद, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

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हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवाद, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

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