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Tejas Mk-2 Rollout: तेजस मार्क-2 का रोलआउट अब 2027 तक टला, HAL ने बताई बार-बार टलने की ये बड़ी वजह?

एचएएल सूत्रों ने बताया कि उनके पास फिलहाल 10 GE-414 इंजन हैं, जो तेजस मार्क-2 में लगाए जाने हैं। ये इंजन एडवांस में मंगवा कर रख लिए गए थे...

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📍नई दिल्ली | 4 Sep, 2025, 2:09 PM

Tejas Mk-2 Rollout: तेजस मार्क-2 (LCA Tejas Mk-2) को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड सूत्रों के मुताबिक यह अब 2027 में रोलआउट होगा। पहले इसकी समयसीमा 2025 के आखिर तक तय की गई थी, जिसे बाद में 2026 की पहली तिमाही तक बढ़ाया गया। लेकिन अब हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने आधिकारिक तौर पर जानकारी दी है कि इस विमान का पहला प्रोटोटाइप 2027 में ही तैयार होगा।

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यह बदलाव भारतीय वायुसेना के लिए अहम है क्योंकि तेजस मार्क-2 को पुराने मिग-21, मिराज-2000, मिग-29 और जगुआर जैसे विमानों को रिप्लेस करने के लिए डिजाइन किया गया है। वायुसेना की स्क्वाड्रन स्ट्रेंथ बनाए रखने और मॉडर्न वॉरफेयर में यह प्रोजेक्ट निर्णायक भूमिका निभाने वाला है।

Tejas Mk-2 Rollout: बार-बार टल रही समयसीमा

तेजस मार्क-2 के शेड्यूल में यह तीसरा बड़ा बदलाव है। 2025 में इसके रोलआउट का दावा किया गया था, फिर इसे 2026 तक बढ़ा दिया गया। लेकिन तकनीकी सुधारों की वजह से अब 2027 तय किया गया है। एचएएल सूत्रों ने बताया कि उनके पास फिलहाल 10 GE-414 इंजन हैं, जो तेजस मार्क-2 में लगाए जाने हैं। ये इंजन एडवांस में मंगवा कर रख लिए गए थे।

यह इंजन तेजस मार्क-1 और मार्क-1ए में इस्तेमाल होने वाले जीई एफ-404 इंजन से कहीं अधिक ताकतवर है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस इस इंजन को भारत में बनाने के लिए साझेदारी कर रहे हैं। इसके साथ ही, इस इंजन और विमान के सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया भी चल रही है। जिसके चलते देरी हो रही है।

Tejas Mk-2 Rollout: भारत में बनाया जाना है GE-414 इंजन

इस इंजन का निर्माण भारत में होगा, जो मेक इन इंडिया पहल का हिस्सा है। जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान एचएएल और जीई एयरोस्पेस के बीच एक समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत जीई एफ-414 इंजन का 80 पीसदी ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी भारत को मिलेगा। पहले यह तकनीकी हस्तांतरण 58 फीसदी तक सीमित था, लेकिन लंबी बातचीत के बाद इसे बढ़ाकर 80 फीसदी किया गया। यह इंजन बेंगलुरु में एचएएल की फैसिलिटी में बनाया जाएगा।

सूत्रों ने बताया कि अमेरिका से सभी जरूरी मंजूरियां मिल चुकी हैं, और जल्द ही भारत में इस इंजन का उत्पादन शुरू होगा। अगले तीन महीने में इस समझौते को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इस प्रक्रिया में जीई एयरोस्पेस और एचएएल मिलकर काम करेंगे, जिसमें स्थानीय इंजीनियरों और तकनीशियनों की भागीदारी होगी।

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Tejas Mk-2 Rollout: AMCA में भी इस्तेमाल होगा ये इंजन

जीई एफ-414 इंजन के निर्माण के लिए एचएएल ने बेंगलुरु में एक नई प्रोडक्शन लाइन तैयार की है। यह सुविधा तेजस मार्क-1ए और मार्क-2 दोनों के लिए इंजनों और विमानों के प्रोडक्शन में मदद करेगी। सूत्रों के अनुसार, अगले तीन महीनों में इस समझौते को अंतिम रूप दिया जाएगा, जिसके बाद 2026 तक पहला प्रोटोटाइप इंजन तैयार हो सकता है। यह इंजन न केवल तेजस मार्क-2 के लिए, बल्कि भविष्य में अन्य स्वदेशी विमानों, जैसे एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA), के लिए भी उपयोगी हो सकता है।

Tejas Mk-2 Rollout: सर्टिफिकेशन है जरूरी

तेजस मार्क-2 और इसके जीई एफ-414 इंजन के सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया भी महत्वपूर्ण है। सर्टिफिकेशन का काम सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्दिनेस एंड सर्टिफिकेशन (सीईएमआईएलएसी) और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) द्वारा किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में इंजन और विमान की सुरक्षा, प्रदर्शन, और युद्धक क्षमताओं का कड़ाई से परीक्षण होता है। तेजस मार्क-2 का पहला प्रोटोटाइप 2027 के मध्य तक रोलआउट होने की उम्मीद है, और इसके बाद इसके टैक्सी ट्रायल होंगे। इस दौरान इंजन के ग्राउंड टेस्ट, फ्लाइट टेस्ट, और सिस्टम इंटीग्रेशन की जांच की जाएगी। सर्टिफिकेशन प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इंजन और विमान भारतीय वायुसेना की जरूरतों, जैसे वेपन इंटीग्रेशन और एडवांस एवियॉनिक्स को पूरा करते हैं।

सर्टिफिकेशन प्रक्रिया में कई चरण शामिल हैं। पहले चरण में इंजन का ग्राउंड टेस्ट होगा, जिसमें इसकी थ्रस्ट, फ्यूल एफिशिएंसी की जांच होगी। इसके बाद, विमान के साथ इंजन का इंटीग्रेशन और फ्लाइट टेस्ट होंगे। इन टेस्टों में विमान की रफ्तार, मैन्यूवरेबिलिटी, और हथियार प्रणालियों की सटीकता की जांच होगी। सीईएमआईएलएसी यह सुनिश्चित करेगा कि इंजन और विमान अंतरराष्ट्रीय मानकों, जैसे मिलिट्री स्टैंडर्ड (MIL-STD), को पूरा करते हैं। इस प्रक्रिया में एक-दो साल का समय लग सकता है, जिसके बाद तेजस मार्क-2 का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू होगा।

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Tejas Mk-2 Rollout: जानें कितना ताकतवर है जीई एफ-414 इंजन

तेजस मार्क-2 में लगने वाला जीई एफ-414 इंजन एक ट्विन-स्पूल, लो-बायपास टर्बोफैन इंजन है। यह इंजन 98 किलोन्यूटन का थ्रस्ट पैदा करता है, जो तेजस मार्क-1 के जीई एफ-404 इंजन (84 किलोन्यूटन) की तुलना में अधिक शक्तिशाली है। यह इंजन विमान को 2,385 किलोमीटर प्रति घंटा (मैक 1.8) की अधिकतम रफ्तार देता है। इसकी मदद से तेजस मार्क-2 2,500 किलोमीटर की रेंज और 1,500 किलोमीटर की कॉम्बैट रेंज हासिल कर सकता है। यह इंजन विमान को 56,758 फीट की ऊंचाई तक ले जाने में सक्षम है। जीई एफ-414 को कम रखरखाव लागत, और आधुनिक युद्ध की जरूरतों के लिए डिजाइन किया गया है। यह इंजन पहले से ही अमेरिकी नौसेना के एफ/ए-18ई/एफ सुपर हॉर्नेट और स्वीडन के साब जेएएस 39 ग्रिपेन जैसे विमानों में इस्तेमाल हो रहा है।

Tejas Mk-2 Rollout: तेजस मार्क-2 की खूबियां

तेजस मार्क-2, तेजस मार्क-1 और मार्क-1ए का एडवांस और ज्यादा ताकतवर वर्जन है। इसे 4.5 पीढ़ी का मल्टी-रोल सुपरसोनिक लड़ाकू विमान कहा जा रहा है। यह हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों तरह के मिशन अंजाम देने में सक्षम होगा। इस विमान का आकार मार्क-1ए से बड़ा है। इसकी लंबाई करीब 47 फीट, विंगस्पैन 27 फीट और ऊंचाई 15 फीट रखी गई है। इसका अधिकतम टेकऑफ वजन 17,500 किलोग्राम तक होगा। तेजस मार्क-2 लगभग 6,500 किलोग्राम का पेलोड लेकर उड़ान भर सकेगा। इसमें 13 हार्ड पॉइंट होंगे जिन पर मिसाइल, बम और ईंधन टैंक लगाए जा सकते हैं।

Tejas Mk-2 Rollout: एडवांस रडार और एवियोनिक्स

तेजस मार्क-2 में स्वदेश में बना उत्तम AESA रडार लगाया जाएगा। यह रडार 150-160 किलोमीटर की दूरी से दुश्मन के विमानों और जमीनी लक्ष्यों का पता लगाने में सक्षम होगा। इसके साथ ही, इसमें आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, डिजिटल फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम और ग्लास कॉकपिट दिया जाएगा। कॉकपिट नाइट विजन गॉगल्स के अनुरूप होगा, जिससे पायलट रात में भी ऑपरेशन को अंजाम दे सकेगा। एवियोनिक्स पैकेज को इस तरह तैयार किया जा रहा है कि विमान किसी भी इलेक्ट्रॉनिक जामिंग या साइबर हमले के दौरान भी सुरक्षित तरीके से काम कर सके।

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लगा सकेंगे ये हथियार

तेजस मार्क-2 की हथियार क्षमता इसे और भी घातक बनाती है। इसमें हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें जैसे मेटियोर, असराम, मिका और स्वदेशी एस्ट्रा मिसाइल लगाई जा सकेंगी। इसके अलावा, हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों में ब्रह्मोस-एनजी, स्टॉर्म शैडो और DRDO की लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल शामिल होगी।

इसमें एंटी-रेडिएशन मिसाइल रुद्रम 1, 2 और 3 भी इंटीग्रेट की जाएंगी, जो दुश्मन के राडार और एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट करने में सक्षम होंगी। इसके अलावा, विमान स्मार्ट प्रिसिजन गाइडेड बम जैसे स्पाइस और डीआरडीओ के ग्लाइड बम भी ले जा सकेगा।

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हरेंद्र चौधरी
हरेंद्र चौधरीhttp://harendra@rakshasamachar.com
हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवादों, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।📍 Location: New Delhi, in 🎯 Area of Expertise: Defence, Diplomacy, National Security

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