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S-400 Air Defence System: भारत खरीद सकता है पांच और एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम, चीनी पीएल-15 मिसाइलों का भी तोड़ निकालने की तैयारी

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने चीन से खरीदे लंबी दूरी के हथियारों से भारतीय एयरबेस आदमपुर और भुज को निशाना बनाया। शुरुआती हमलों के बाद जब भारत ने अपना एस-400 एक्टिव किया तो पाकिस्तान इतना घबरा गया कि उसने अपने सभी एयर एसेट्स को 300 किलोमीटर पीछे खींच लिया...

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📍नई दिल्ली | 6 Oct, 2025, 10:47 AM

S-400 Air Defence System: भारत और रूस के बीच एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की पांच और यूनिट्स खरीदने को लेकर बातचीत चल रही है। रक्षा मंत्रालय के टॉप अफसर इस हफ्ते मॉस्को में रूसी अधिकारियों के साथ मुलाकात करेंगे। इस बैठक में तय किया जाएगा कि ये सिस्टम भारत सीधे खरीदेगा या कुछ यूनिट्स का निर्माण देश में ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत किया जाएगा।

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यह फैसला ऐसे समय में लिया जा रहा है जब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एस-400 ने पाकिस्तान के जबरदस्त नुकसान पहुंचाया था। आलम ये था कि 10 मई को सीजफायर के एलान से पहले तक पाकिस्तान वायुसेना अपने फाइटर जेट्स को सिंधु नदी के पूर्वी इलाके में उड़ान भरने तक की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी।

300 किमी पीछे चले गए थे पाक के जेट्स

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने चीन से खरीदे लंबी दूरी के हथियारों से भारतीय एयरबेस आदमपुर और भुज को निशाना बनाया। शुरुआती हमलों के बाद जब भारत ने अपना एस-400 एक्टिव किया तो पाकिस्तान इतना घबरा गया कि उसने अपने सभी एयर एसेट्स को 300 किलोमीटर पीछे खींच लिया। 10 मई को पाकिस्तान का कोई भी फाइटर जेट भारतीय सीमा के पास उड़ान नहीं भर सका।

इसी दौरान भारतीय एस-400 ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 314 किलोमीटर दूर एक पाकिस्तानी अवॉक्स विमान को मार गिराया था। इसके अलावा एस-400 ने उत्तर में पाकिस्तान के एप-16 और जेएफ-17 विमानों को भी निशाना बनाया। इन हमलों ने एस-400 को केवल एक “स्टैंड-ऑफ वेपन” नहीं, बल्कि एक प्रभावी डिटरेंस हथियार बना दिया।

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बाकी दो 2026 के आखिर तक डिलीवरी

अक्टूबर 2018 में भारत ने रूस के साथ 5.43 बिलियन डॉलर (लगभग 40,000 करोड़ रुपये) की डील पर दस्तखत किए थे, जिसके तहत पांच एस-400 सिस्टम खरीदे जाने थे। इन पांच में से तीन स्क्वाड्रन भारत को पहले ही मिल चुके हैं और बाकी दो 2026 के आखिर तक मिल जाएंगे।

अब दोनों देशों के बीच अलग से पांच सिस्टम की खरीदने को लेकर सहमति बन चुकी है। कीमत 2018 की दर से सालाना बढ़ोतरी के साथ तय की गई है। योजना के अनुसार तीन सिस्टम भारत सीधे खरीदेगा और बाकी दो का निर्माण भारतीय प्राइवेट सेक्टर कंपनियों के सहयोग से किया जाएगा।

S-400 Air Defence System – नई डील गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट

एस-400 खरीद की नई डील गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट होगी। इसके तहत भारत में मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल की सुविधा भी बनाई जाएगी। इसके लिए प्राइवेट सेक्टर को भी शामिल किया जाएगा, ताकि सिस्टम की सर्विसिंग भारत में ही हो सके। सूत्रों के अनुसार एस-500 सिस्टम की खरीद की खबरें गलत हैं। रूस का एस-500 फिलहाल डिजाइन के स्तर पर है और उसका निर्यात शुरू नहीं हुआ है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 5 दिसंबर को भारत की यात्रा पर आने वाले हैं। माना जा रहा है कि इससे पहले इस नई डील को हरी झंडी दी जा सकती है।

क्या कहा था वायुसेना प्रमुख ने

हाल ही में भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह से जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूछा गया था कि क्या भारत अतिरिक्त S-400 Air Defence System देगा, तो उनका कहना था, “यह तो साफ है कि इस सिस्टम ने अच्छा प्रदर्शन किया है। ऐसे और सिस्टम की जरूरत है, और इसकी संख्या पर कोई सीमा नहीं है कि कितने खरीदे जा सकते हैं। अभी मैं इस पर ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा कि हमारी योजना क्या है, हम और खरीदेंगे या कितनी संख्या में खरीदेंगे उन्होंने कहा कि यह एक प्रभावी हथियार प्रणाली साबित हुई है। हमारे अपने सिस्टम भी डेवलप हो रहे हैं, इसलिए इस पर फैसला लिया जाएगा।”

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उनका इस बयान से संकेत मिलते हैं कि वायुसेना एस-400 से संतुष्ट है और भविष्य में अधिक यूनिट्स की खरीद पर विचार किया जा सकता है।

भारत का 7,000 किलोमीटर से अधिक लंबा तटीय क्षेत्र और उत्तरी सीमाएं रणनीतिक रूप से अत्यंत संवेदनशील हैं। मौजूदा एस-400 स्क्वाड्रन इनका एक बड़ा हिस्सा कवर करते हैं, लेकिन पूरे देश में 360° कवरेज के लिए और यूनिट्स की जरूरत है।

नए सिस्टम भारतीय तटवर्ती इलाकों, उत्तरी कमान क्षेत्र और समुद्री इलाकों की सुरक्षा के लिए तैनात किए जा सकते हैं। इससे किसी भी संभावित हमले की स्थिति में भारत की रेस्पॉन्स क्षमता और बढ़ जाएगी।

पीएल-15 मिसाइलों का तोड़

इसके अलावा भारत, रूस से आरवीवी-बीडी एयर-टू-एयर मिसाइल की भी मांग कर रहा है जिसकी रेंज 200 किलोमीटर से अधिक है। इसे सुखोई-30 एमकेआई फ्लीट में लगाया जाएगा। पाकिस्तान पहले से चीनी पीएल-15 मिसाइलों का इस्तेमाल कर रहा है। आरवीवी-बीडी को सुखोई-30 एमकेआई में इंटीग्रेट करने के लिए ऑन-बोर्ड रडार अपग्रेड की जरूरत होगी।

भारत के स्वदेशी सिस्टम भी तैयार

S-400 Air Defence System के साथ-साथ भारत अपने स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम्स पर भी काम कर रहा है। डीआरडीओ के बनाए आकाश, मीडियम रेंज सरफेस टू एय़र मिसाइल और अन्य लंबी दूरी के मिसाइल सिस्टम भी भारतीय नेटवर्क का हिस्सा बन रहे हैं। एस-400 ने इस नेटवर्क में लंबी दूरी के टारगेट इंटरसेप्शन में एक “गेम चेंजर” की भूमिका निभाई है। इसकी मारक क्षमता 300 किसी से ज्यादा है और यह पाकिस्तान में अंदर तक घुस कर मार कर सकता है।

India is in advanced talks with Russia to acquire five additional S-400 air defence systems, boosting its long-range defensive capabilities. The S-400 played a decisive role during Operation Sindoor, deterring Pakistan’s air operations and neutralising key targets. The deal, expected before President Putin’s visit to India, includes both direct purchases and joint production with Indian firms. This move aims to strengthen India’s air defence along its vast borders and coastline while enhancing indigenous capabilities. The S-400’s proven effectiveness positions it as a critical asset in India’s evolving defence strategy and security architecture.

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