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Rafale 114 Fighter Deal: सरकार बोली- नए राफेल में हो 75 फीसदी तक स्वदेशी कंटेंट! जबकि तेजस में है केवल 65 फीसदी, क्या डील पर लगेगा ब्रेक?

एचएएल और डीआरडीओ की 2023-24 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक तेजस एमके1 में करीब 59.7 फीसदी स्वदेशी सामग्री है। इसमें एयरफ्रेम, एवियोनिक्स, और कुछ सिस्टम्स जैसे उत्तम एईएसए रडार शामिल हैं...

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📍नई दिल्ली | 21 Oct, 2025, 12:54 PM

Rafale 114 Fighter Deal: भारत और फ्रांस के बीच प्रस्तावित 114 राफेल फाइटर जेट खरीदने के प्रस्ताव पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायुसेना के इस प्रस्ताव पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी है। मंत्रालय ने भारतीय वायुसेना के प्रस्ताव को “अधूरा” बताया है। सूत्रों ने बताया कि इस अहम डील को आगे बढ़ाने से पहले और गहन चर्चा की जरूरत है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब वायुसेना अपनी स्क्वाड्रन क्षमता को बनाए रखने के लिए नए फाइटर जेट्स की मांग कर रही है।

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सूत्रों के अनुसार, रक्षा मंत्रालय ने दसा एविएशन के साथ बातचीत बढ़ाने के निर्देश दिए हैं ताकि डील को आत्मनिर्भर भारत की नीति के मुताबिक बनाया जा सके। मंत्रालय का मानना है कि इस सौदे में स्वदेशी उत्पादन का हिस्सा 70 से 75 फीसदी तक होना चाहिए, जबकि वर्तमान प्रस्ताव में यह केवल 10 से 15 फीसदी बताया गया है।

वहीं इस मामले पर विशेषज्ञों का कहना है कि जब भारत में बन रहे स्वदेशी तेजस फाइटर जेट में लगभग 59.7 फीसदी से 65 फीसदी तक ही स्वदेशी कंटेंट है, तो राफेल में इसे 70 से 75 फीसदी तक बढ़ाना समझ से परे है।

Rafale 114 Fighter Deal: तेजस में केवल 65 फीसदी तक ही स्वदेशी कंटेंट

सैन्य मामलों के जानकार और पूर्व सैन्य अधिकारी रोहित वत्स का कहना है कि सरकार को रक्षा सौदों के साथ “म्यूजिकल चेयर” खेलना बंद कर देना चाहिए। अगर उसे लगता है कि राफेल बहुत महंगा सौदा है, तो साफ-साफ कह दे, लेकिन इस मामले पर बेवजह की खींचतान न करे। क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है।

वह आगे कहते हैं कि रक्षा मंत्रालय में कुछ अधिकारी 75 फीसदी स्वदेशी कंटेंट की मांग कर रहे हैं, जबकि हमारे अपने तेजस विमान में भी अब तक हम 75 फीसदी स्वदेशी कंटेंट भी हासिल नहीं कर पाए हैं। न तो हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और न ही डीआरडीओ समय पर कोई डिलीवरी कर पा रहे हैं, और न ही विदेशी आयात समय पर आ रहे हैं।

बता दें कि एचएएल और डीआरडीओ की 2023-24 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक तेजस एमके1 में करीब 59.7 फीसदी स्वदेशी सामग्री है। इसमें एयरफ्रेम, एवियोनिक्स, और कुछ सिस्टम्स जैसे उत्तम एईएसए रडार शामिल हैं। वहीं, इसके एडवांस वर्जन तेजस एमके1ए में स्वदेशी कंटेंट को 65 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य है। इसमें उत्तम एईएसए रडार, स्वदेशी अस्त्र, रुद्रम मिसाइल्स और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम शामिल हैं।

Rafale 114 Fighter Deal: अधूरा है “स्टेटमेंट ऑफ केस”

सूत्रों का कहना है कि भारतीय वायुसेना का 114 राफेल की खरीद को लेकर “स्टेटमेंट ऑफ केस” प्रस्ताव मंत्रालय को अधूरा लगा है। इसमें उत्पादन जिम्मेदारी, लागत मूल्य और लोकल कंटेंट की स्पष्ट रूपरेखा नहीं दी गई थी। सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय की प्राथमिकता अब केवल विमान खरीदने की नहीं, बल्कि भारत में रक्षा उद्योग की आत्मनिर्भरता बढ़ाने की है।

सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि 114 विमानों में से अधिकतर का निर्माण भारत में होना चाहिए। कुछ विमान फ्रांस से फ्लाई-अवे कंडीशन में आएंगे, लेकिन बाकी का निर्माण भारत में एक साझेदारी मॉडल के तहत किया जाएगा। इस मॉडल के लिए दसा को किसी भारतीय डिफेंस कंपनी के साथ संयुक्त रूप से मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करनी होगी।

Rafale 114 Fighter Deal: एमआरओ फैसिलिटी लगाना चाहती है दसा

अधिकारियों के मुताबिक, यह सौदा लगभग 2 लाख करोड़ रुपये (करीब 25 अरब डॉलर) का हो सकता है। सरकार चाहती है कि इसका अधिकांश भाग भारत में तैयार हो, जिससे देश के रक्षा उत्पादन को बढ़ावा मिले। इससे सरकारी और निजी दोनों रक्षा कंपनियों को काम मिलेगा।

वहीं, दसा एविएशन भी भारत में बड़े निवेश के लिए तैयार है और उसने संकेत दिए हैं कि वह हैदराबाद में राफेल कंपोनेंट्स के प्रोडक्शन के लिए साझेदारी करने की इच्छुक है। इस सौदे के तहत दसा एविएशन ने हैदराबाद में एक मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल सेंटर स्थापित करने की भी पेशकश की है। इस सेंटर न केवल राफेल के रखरखाव में मदद मिलेगा बल्कि आने वाले समय में अन्य फाइटर प्लेटफॉर्म्स की सर्विसिंग भी कर सकेगा।

डिफेंस प्रोक्योरमेंट बोर्ड में भेजा जाएगा प्रस्ताव

वहीं, रक्षा मंत्रालय की आपत्तियों के बाद यह प्रस्ताव अब डिफेंस प्रोक्योरमेंट बोर्ड को भेजा जाएगा। वहां दसा और भारतीय वायुसेना के प्रतिनिधि विस्तृत रिपोर्ट पेश करेंगे। यह बोर्ड डिफेंस सेक्रेटरी की अध्यक्षता में काम करता है और उसकी सिफारिशें आगे डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (डीएसी) को भेजी जाएंगी।

माना जा रहा है कि चर्चाओं के बाद डील को फिर से संशोधित प्रारूप में मंजूरी मिल सकती है। शुरुआती अनुमान है कि 2026 तक इस डील को अंतिम रूप दिया जा सकता है, और पहले 18 विमान उसी साल भारत को मिल सकते हैं।

Rafale 114 Fighter Deal: 28-29 एक्टिव फाइटर स्क्वाड्रन

बता दें कि वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास लगभग 28-29 एक्टिव फाइटर स्क्वाड्रन हैं, जो 1965 से भी कम है। जबकि जरूरत लगभग 42 स्क्वाड्रन की है। हाल ही में 26 सितंबर को मिग-21 बाइसन के दो स्क्वाड्रन भी रिटायर हुए हैं। पुराने जैगुआर, मिराज-2000 और मिग-29 फाइटर जेट्स भी अपनी उम्र की समाप्ति तक पहुंच चुके हैं और ये विमान धीरे-धीरे सेवा से बाहर हो रहे हैं। इसी कमी को पूरा करने के लिए मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट यानी एमआरएफए प्रोग्राम शुरू किया गया था।

36 राफेल अंबाला और हाशीमारा में तैनात

हालांकि भारतीय वायुसेना के पास पहले से ही 36 राफेल फाइटर जेट्स हैं, जो अंबाला और हाशीमारा में तैनात हैं। अंबाला पश्चिमी मोर्चे (पाकिस्तान सीमा) और हाशीमारा पूर्वी मोर्चे (चीन सीमा) के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। हरियाणा स्थित अंबाला में 17वीं स्क्वाड्रन है, जिसे “गोल्डन एरो” के नाम से जाना जाता है, यह स्क्वाड्रन 1 सितंबर 2020 को शुरू हुई थी। वहीं, पश्चिमी बंगाल के हाशीमारा में 101वीं स्क्वाड्रन है, जिसे “फाल्कन्स ऑफ चंब एंड अखनूर” कहा जाता है। यह स्क्वाड्रन 29 जुलाई 2021 को शुरू की गई थी।

भारत को मिलेंगे एफ4.1-एफ5 स्टैंडर्ड वैरिएंट

ये 36 राफेल जेट 2016 में हुई गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट डील का हिस्सा थे। अब जो 114 राफेल की खरीद होनी है है, वह एक अलग कॉन्ट्रैक्ट होगा। इसमें सभी विमानों को एफ4.1 स्टैंडर्ड में अपग्रेडेड एवियोनिक्स और इंडिया स्पेसिफिक एनहेंसमेंट यानी आईएसई फीचर्स के साथ लाया जाएगा। 2016 में हुई गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट डील में एफ3-आर वैरिएंट खरीदे गए थे। वहीं, एफ4.1 स्टैंडर्ड में नेट-सेंट्रिक वारफेयर, एआई-सपोर्टेड डिसीजन मेकिंग और हाई-एल्टीट्यूड ऑपरेशंस के लिए ऑप्टिमाइज्ड किया जाएगा।

एफ4.1 के तहत शुरुआती 18 विमान फ्लाई-अवे कंडीशन में 2026 से मिल सकते हैं, जबकि बाकी भारत में बनेंगे। वहीं, कहा जा रहा है कि आईएसई इंटीग्रेशन में अभी देरी हो सकती है, उसके भी 2026 तक फाइनल होने की उम्मीद जताई रही है। सूत्रों ने बताया कि एफ4.1 में कई फीचर एफ5 वर्जन वाले होंगे। इसमें छठी पीढ़ी के लेजर वेपंस भी होंगे। जिनमें से कुल 114 में 70 से ज्यादा फाइटर जेट एफ5 वर्जन हो सकते हैं।

एफ4.1 वैरिएंट में क्या होगा खास

राफेल एफ4.1 स्टैंडर्ड के तहत राफेल को आरबीई2 एईएसए रडार से लैस किया जाएगा, जिससे लंबी रेंज पर टार्गेट डिटेक्शन, बेहतर जैम-रेजिलिएंस और माइका एनजी जैसी नई मिसाइलों को लगाया जाएगा। साथ ही इसमें इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सुइट स्पेक्ट्रा को और अधिक एआई-ड्रिवन सेंसर और काउंटरमेजर्स मिलेंगे ताकि स्टेल्थ-लाइक सुरक्षा और इमर्जिंग थ्रेट्स से सुरक्षा बेहतर हो। कॉकपिट और कम्युनिकेशन सिस्टम में एआई एल्गोरिद्म, सैटेलाइट लिंक और सॉफ्टवेयर-डिफाइन्ड रेडियो शामिल होंगे, जिससे रीयल-टाइम डेटा शेयरिंग और फ्लाइट-टू-फ्लाइट कनेक्टिविटी मजबूत होगी।

वहीं, इंडिया स्पेसिफिक एनहेंसमेंट्स में राफेल को अस्त्र एमके1 और एमके2 से लैस किया जाना है। साथ ही स्वदेशी वियोंड विजुअल रेंज वाली मिसाइलों, ब्रह्मोस एनजी और रूद्रम जैसी एंटी-रेडिएशन मिसाइलों को भी लगाया जा सकेगा। इसके अलावा थैलेस स्कॉर्पियन स्टाइल हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले का भारतीय वेरिएंट, और जीसैट-7ए सैटेलाइट को भी जोड़ा जाएगा।

Author

  • Harendra Chaudhary

    हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवादों, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

    📍 Location: New Delhi, in
    🎯 Area of Expertise: Defence, Diplomacy, National Security

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हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवादों, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।📍 Location: New Delhi, in 🎯 Area of Expertise: Defence, Diplomacy, National Security

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