📍नई दिल्ली | 15 Oct, 2025, 3:15 PM
Astra Mark 2: भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। संगठन अब अपनी स्वदेशी अस्त्र मार्क-2 (एस्ट्रा मार्क 2) एयर-टू-एयर मिसाइल की रेंज को बढ़ाकर 200 किलोमीटर से अधिक करने की योजना पर काम कर रहा है। यह मिसाइल बियॉन्ड विजुअल रेंज कैटेगरी की है, यानी इसे दुश्मन को देखे बिना दूर से ही निशाना बनाने के लिए डिजाइन किया गया है।
रक्षा मंत्रालय को भेजे गए एक प्रपोजल के अनुसार, भारतीय वायुसेना इस मिसाइल की करीब 700 यूनिट्स खरीदने की तैयारी में है। इन मिसाइलों को वायुसेना के प्रमुख लड़ाकू विमानों सुखोई-30 और लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस पर लगाया जाएगा।
Astra Mark 2: 200 किलोमीटर से ज्यादा की रेंज
रक्षा सूत्रों के मुताबिक, अस्त्र मार्क-2 मिसाइल को पहले लगभग 160 किलोमीटर रेंज के लिए डेवलप किया जा रहा था, लेकिन अब डीआरडीओ ने इसकी क्षमता को और बढ़ाने का निर्णय लिया है। इस नए संस्करण की रेंज 200 किलोमीटर से अधिक होगी, जिससे यह दुश्मन के विमानों को और ज्यादा दूरी से निशाना बना सकेगी।
यह मिसाइल हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की उस श्रेणी में शामिल होगी जो अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के पास हैं। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, भारत इस कदम से दक्षिण एशिया में अपनी एरियल सुपीरियरिटी को बनाए रखने में सक्षम रहेगा।
Astra Mark 2: बनेगी वायुसेना की रीढ़
भारतीय वायुसेना लंबे समय से ऐसी मिसाइलों की तलाश में थी जो लॉन्ग रेंज एयर कॉम्बैट में भारत को बढ़त दिला सके। अस्त्र मार्क-2 के आने से सुखोई और तेजस विमानों की मारक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
इन मिसाइलों की तैनाती से भारतीय वायुसेना को “बियॉन्ड विजुअल रेंज कॉम्बैट” में निर्णायक बढ़त मिलेगी। यानी भारतीय पायलट बिना दुश्मन के विमान को देखे, सिर्फ रडार संकेतों के आधार पर 200 किलोमीटर से ज्यादा दूरी से उसे गिरा सकेंगे।
वर्तमान में भारत के पास अस्त्र मार्क-1 मिसाइल है, जिसकी रेंज 100 किलोमीटर से ज्यादा है। नया मार्क-2 संस्करण उससे दोगुनी क्षमता वाला होगा।
कैसे काम करता है अस्त्र मार्क-2 मिसाइल सिस्टम
अस्त्र मिसाइल सिस्टम एक बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल है जिसे मिड-कोर्स इनर्शियल गाइडेंस और टर्मिनल एक्टिव रडार सीकर सिस्टम से लैस किया गया है। इसका मतलब है कि यह अपने टारगेट को पहले रडार डेटा के जरिए ट्रैक करता है और अंतिम चरण में रडार सीकर की मदद से सटीक निशाना लगाता है।
अस्त्र मार्क-2 में नए ड्यूल पल्स रॉकेट मोटर लगाए जाएंगे जो इसे लंबी दूरी पर भी स्थिर रफ्तार बनाए रखने में मदद करेंगे। इस मिसाइल में हाई ऑफ-बोरसाइट एंगल अटैक क्षमता भी होगी, जिससे यह तेजी से दिशा बदलने वाले दुश्मन विमानों को भी ट्रैक कर सकेगी।
इसमें डुअल-पल्स रॉकेट मोटर, AESA रडार सीकर, लेजर प्रॉक्सिमिटी फ्यूज, और इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटरमेजर्स फीचर्स होंगे। यह मल्टी-टारगेट ट्रैकिंग और जैमिंग रेसिस्टेंस में बेहतर है। इसकी स्पीड मैक 4+ है, और यह 20 किमी ऊंचाई तक काम करती है।
डीआरडीओ की इस परियोजना में देश के 50 से अधिक सार्वजनिक और निजी उद्योगों ने सहयोग दिया है। इनमें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, भारत डायनेमिक्स लिमिटेड, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड जैसे प्रमुख रक्षा उद्योग शामिल हैं।
अस्त्र मार्क-2 की डिजाइन और परीक्षण डीआरडीओ की कई प्रयोगशालाओं जैसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेटरी और रिसर्च सेंटर इमारत में किया जा रहा है। यह पूरी तरह स्वदेशी मिसाइल सिस्टम है और इसे “मेक इन इंडिया” रक्षा कार्यक्रम के तहत डेवलप किया जा रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ी लंबी दूरी की मिसाइलों की जरूरत
भारत ने पिछले वर्ष हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ लंबी दूरी से एयर स्ट्राइक की थी। उस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के भीतर आतंकवादी ठिकानों और एयरबेस को स्टैंड-ऑफ रेंज से निशाना बनाया था।
उस समय पाकिस्तान ने चीन से मिली पीएल-15 एयर-टू-एयर मिसाइलों से जवाबी कार्रवाई की कोशिश की, लेकिन भारतीय फाइटर जेट्स ने उसके हमलों को विफल कर दिया। इसके बाद भारत ने यह महसूस किया कि उसे अपनी मिसाइल रेंज और टारगेटिंग क्षमता को और बढ़ाने की जरूरत है। रक्षा सूत्रों का कहना है कि अस्त्र मार्क-2 मिसाइल इसी के चलते डेवलप किया जा रहा है।
Astra Mark 2: चीन और पाकिस्तान के मुकाबले भारत की तैयारी
दक्षिण एशिया में चीन के पास जे-20 फिफ्थ जनरेशन फाइटर जेट्स हैं जो पीएल-15 मिसाइलें ले जाते हैं, जिनकी रेंज 200 किलोमीटर से अधिक है। पाकिस्तान को भी चीन ने अपने जेएफ-17 विमानों के लिए पीएल-15ई मिसाइलें दी हैं। रक्षा अधिकारियों के मुताबिक, अस्त्र मार्क-2 आने के बाद भारत को वियोंड विजुअल रेंज एयर कॉम्बैट में किसी विदेशी मिसाइल पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
बता दें कि अस्त्र मिसाइल का पहला संस्करण यानी अस्त्र मार्क-1 पहले ही भारतीय वायुसेना में है। इस मिसाइल को सुखोई-30 पर इंटीग्रेट किया गया है और इसके कई सफल परीक्षण हो चुके हैं। जुलाई 2025 में, ओडिशा तट से सुखोई से स्वदेशी सीकर के साथ सफल ट्रायल किए। दोनों लॉन्च हाई-स्पीड यूएवी टारगेट्स को विभिन्न रेंज पर नष्ट करने में सफल रहे। वहीं, तेजस एमके-1ए पर इंटीग्रेशन शुरू हो चुका है, जिसमें स्ट्रक्चरल फिटमेंट और लाइव-फायर ट्रायल शामिल हैं।
अस्त्र मार्क-1 की सफलता के बाद भारतीय नौसेना ने भी इसे अपने मिग-29के लड़ाकू विमानों पर लगाने की मंजूरी दी है। अब मार्क-2 के आने से भारत के तीनों सेनाओं के पास एक ही मिसाइल प्लेटफॉर्म पर आधारित एयर-टू-एयर विपन सिस्टम होगा।
700 मिसाइलों की खरीद
रक्षा मंत्रालय को भेजे गए प्रस्ताव में वायुसेना ने अस्त्र मार्क-2 की 700 यूनिट्स की खरीद की मांग की है। सूत्रों के अनुसार, इस खरीद की स्वीकृति जल्द मिलने की उम्मीद है। इसकी प्रति यूनिट लागत 7-8 करोड़ रुपये होगी, जो एमबीडीए मीटियोर 25 करोड़ रुपये से काफी कम है। इन मिसाइलों को चरणबद्ध तरीके से सुखोई और तेजस विमानों पर फिट किया जाएगा। इस परियोजना की अनुमानित लागत कई हजार करोड़ रुपये बताई जा रही है, जिसे डिफेंस कैपिटल बजट से स्वीकृत किया जाएगा।
वहीं, अस्त्र मार्क-2 मिसाइल का सीरियल उत्पादन भारत डायनेमिक्स लिमिटेड करेगा। जबकि डीआरडीओ इसके परीक्षण और गुणवत्ता जांच की निगरानी करेगा। मिसाइल का परीक्षण चरण पहले ही काफी आगे बढ़ चुका है और इसकी उड़ान परीक्षण जल्द पूरे किए जाएंगे।
Astra Mark 2 vs PL-15E
डीआरडीओ द्वारा हाल ही में रिकवर की गई पीएल-15ई (एक्सपोर्ट वर्जन) में पाया कि चीन की यह मिसाइल अपनी प्रसिद्धि के मुकाबले उतनी एडवांस नहीं है जितना दावा किया गया था। वहीं, अस्त्र मार्क-2 रेंज और सटीकता दोनों में पीएल-15ई से बेहतर है। जहां अस्त्र की रेंज 160 से 200 किलोमीटर तक है, वहीं एक्सपोर्ट पीएल-15ई की रेंज 145 किलोमीटर तक है।
अस्त्र मार्क-2 में डुअल-पल्स सॉलिड रॉकेट मोटर, AESA रडार सीकर, और एडवांस जैमिंग रोधी सिस्टम लगे हैं। वहीं पीएल-15ई में एक्टिव रडार होमिंग सिस्टम और मिड-कोर्स अपडेट फीचर हैं, लेकिन डीआरडीओ के मुताबिक इसकी टारगेट लॉकिंग सटीकता और जैमिंग रेजिस्टेंस अपेक्षाकृत कमजोर है।
भारतीय मिसाइल का वजन लगभग 154 किलोग्राम और लंबाई 3.8 मीटर है, जबकि पीएल-15ई का वजन 200 किलोग्राम तक है। अस्त्र को सुखोई, तेजस, राफेल और मिग-29 जैसे विमानों पर लगाया जा सकता है, जबकि पीएल-15ई चीन के जे-20, जे-10सी और पाकिस्तान के जेएफ-17 में लगाई जा सकती है।