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Baisaran Terror attack: कश्मीर में तरक्की को रोकने की पाकिस्तान की साजिश, लीथियम भंडार मिलने से बढ़ी चीन-पाक की बेचैनी

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📍नई दिल्ली | 1 May, 2025, 9:11 PM

Baisaran Terror attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले को लेकर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। इस आतंकी हमले ने न केवल 26 पर्यटकों की जान ली, बल्कि कश्मीर में शांति और तरक्की की उम्मीदों को भी झटका दिया। भारत का मानना है कि यह हमला पाकिस्तान की उस साजिश का हिस्सा है, जो कश्मीर में अशांति फैलाकर भारत की संप्रभुता को कमजोर करना चाहता है। लेकिन इस हमले के पीछे एक बड़ा एंगल भी सामने आ रहा है। जम्मू में हाल ही में मिला लीथियम भंडार चीन और पाकिस्तान की आंखों को चुभ रहा था। दोनों को लग रहा था कि लीथियम के जरिए भारत दुनिया के बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। वहीं, लीथियम मिलने के बाद कश्मीर की तरक्की को नए पंख मिल जाएंगे, जो पाकिस्तान को नागवार गुजर रहा था।

Baisaran Terror Attack: Pakistan Targets Kashmir's Growth Amid Lithium Discovery

Baisaran Terror attack: पहलगाम हमला: तरक्की पर हमला

पहलगाम हमले (Baisaran Terror attack) में बेकसूर लोग तो मारे ही गए, साथ ही कश्मीर के टूरिस्ट व्यवसाय को भी तगड़ी चोट लगी है। भारत का मानना है कि पाकिस्तान नहीं चाहता कि कश्मीर में शांति और तरक्की हो। अगर कश्मीर में शिक्षा, उद्योग, और रोजगार के मौके बढ़े, तो यह भारत के साथ पूरी तरह जुड़ जाएगा, और पाकिस्तान के दावे बेकार हो जाएंगे। इसलिए पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता है, युवाओं को भड़काता है, और कश्मीर में अशांति फैलाने की कोशिश करता है।

पहलगाम हमले (Baisaran Terror attack) का सबसे बड़ा निशाना कश्मीर की पर्यटन इंडस्ट्री और आर्थिक तरक्की को रोकना था। कश्मीर में पर्यटन यहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और पहलगाम जैसे इलाके पर्यटकों के लिए खास आकर्षण हैं। लेकिन इस हमले ने कश्मीर की प्रगति को बड़ा झटका दिया है।

पर्यटन पर असर: बड़ा आर्थिक घाटा

पहलगाम हमले (Baisaran Terror attack) के बाद कश्मीर में पर्यटन इंडस्ट्री को भारी नुकसान हुआ है। सरकार ने सुरक्षा कारणों से 87 में से 48 सरकारी पर्यटक स्थलों को बंद कर दिया। अप्रैल से जून तक का समय कश्मीर में पर्यटकों का सबसे बड़ा सीजन होता है, लेकिन हमले के बाद 10 लाख से ज्यादा बुकिंग्स रद्द हो गईं। इससे पर्यटन इंडस्ट्री को दो हफ्तों में ही 1000 करोड़ रुपये (लगभग 120 मिलियन डॉलर) का नुकसान हुआ।

इसका सबसे बड़ा असर स्थानीय लोगों की आजीविका पर पड़ा। अनंतनाग और बारामूला जैसे जिलों में 70% से ज्यादा लोग पर्यटन पर निर्भर हैं। होटल स्टाफ, टट्टू मालिक, शिकारा चलाने वाले, और हस्तशिल्प के कारीगरों की कमाई पूरी तरह बंद हो गई। एक टट्टू मालिक अब्दुल वहीद वानी ने बताया, “हमला होने के बाद से एक भी पर्यटक नहीं आया। हमारी रोजी-रोटी छिन गई।”

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निवेश पर संकट: अंतरराष्ट्रीय निवेश पर असर

कश्मीर में पिछले कुछ सालों में निवेश और तरक्की की नई उम्मीदें जगी थीं। जम्मू-कश्मीर सरकार (Baisaran Terror attack) को 8,500 से ज्यादा निवेश प्रस्ताव मिले थे, जिनमें 1.69 लाख करोड़ रुपये का निवेश और 6 लाख लोगों के लिए रोजगार की संभावना थी। इसके अलावा, 25,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं चल रही थीं, जो उद्योग, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे से जुड़ी थीं। लेकिन पहलगाम हमले ने इन सब पर सवाल खड़े कर दिए।

यूएई की कंपनी ईमार ग्रुप ने श्रीनगर में ‘मॉल ऑफ श्रीनगर’ और दूसरी परियोजनाओं के लिए 500 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बनाई थी, जिससे 10,000 नौकरियां मिलने वाली थीं। लेकिन अब यह परियोजना अनिश्चितता में है। नून.कॉम, अल माया ग्रुप, जीएल एम्प्लॉयमेंट, और माटू इनवेस्टमेंट्स जैसी विदेशी कंपनियों ने भी निवेश के प्रस्ताव दिए थे, लेकिन अब वे भी पीछे हट सकते हैं।

घरेलू निवेश पर पड़ सकता है असर

जम्मू-कश्मीर में इस समय 25,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। लेकिन हमले (Baisaran Terror attack) के बाद निवेशकों का भरोसा डगमगा गया है। ये प्रोजेक्ट्स कई अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े हैं, जैसे: यहां नई फैक्ट्रियां और कारोबार स्थापित करने की योजनाएं हैं, ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार मिले। अस्पताल, क्लीनिक, और मेडिकल सुविधाओं को बेहतर करने पर काम हो रहा था। इसके अलावा सड़कें, बिजली, पानी, और दूसरी जरूरी सुविधाओं को बढ़ाने के लिए प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं।

इन प्रोजेक्ट्स के लिए सरकार ने 1,767 प्रस्तावों को मंजूरी दी है, जिनमें 24,729 करोड़ रुपये का निवेश शामिल है। ये प्रोजेक्ट्स न केवल आर्थिक तरक्की लाते, बल्कि यहां के लोगों की जिंदगी को भी आसान बनाते।

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वहीं, जम्मू-कश्मीर में अगर ये प्रोजेक्ट्स अगर पूरे हो गए, तो यहां की अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आ सकता है। इसके अलावा, 50,000 करोड़ रुपये के और प्रस्ताव मंजूरी की प्रक्रिया में हैं। लेकिन हाल ही में पहलगाम (Baisaran Terror attack) में हुए आतंकी हमले ने इन योजनाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जो प्रोजेक्ट्स पहले से चल रहे हैं या जिन्हें मंजूरी मिलने वाली है, उनके लिए अब नए जोखिम पैदा हो गए हैं। निवेशक अब सोच रहे हैं कि क्या यहां पैसा लगाना सुरक्षित है। कई घरेलू निवेशक अपनी योजनाओं को टाल सकते हैं या फिर से विचार कर सकते हैं। उन्हें डर है कि यहां अशांति बढ़ सकती है।

लीथियम भंडार मिलने से चीन और पाकिस्तान बेचैन

इस हमले (Baisaran Terror attack) के पीछे एक बड़ा एंगल जम्मू के में हाल ही में मिले लीथियम भंडार का भी है। 2023 में जम्मू के रियासी जिले के सलाल-हैमाना इलाके में 5.9 मिलियन टन लीथियम भंडार की खोज हुई थी। यह दुनिया का सातवां सबसे बड़ा लीथियम भंडार है, जिसकी कीमत करीब 500 बिलियन डॉलर (लगभग 41 लाख करोड़ रुपये) है। लीथियम इलेक्ट्रिक बैटरी बनाने में काम आता है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों और रिन्यूएबल एनर्जी के लिए जरूरी है।

सूत्रों का कहना है कि वहां लीथियम के भंडार मिलने के बाद आतंकवाद (Baisaran Terror attack) में भी बढ़ोतरी हुई। क्योंकि इस खोज ने जम्मू-कश्मीर में आर्थिक तरक्की की नई उम्मीद जगाई। भारत सरकार ने इस लीथियम भंडार को जल्द से जल्द इस्तेमाल करने की योजना बनाई। लेकिन यह खोज चीन और पाकिस्तान को रास नहीं आई। चीन लीथियम के वैश्विक बाजार पर अपनी पकड़ बनाए रखना चाहता है, क्योंकि वह इसकी सबसे बड़ी आपूर्ति करता है। जम्मू में लीथियम मिलने से भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सकता है, जो चीन के लिए बड़ा झटका है।

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सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान भी नहीं चाहता कि कश्मीर (Baisaran Terror attack) में आर्थिक तरक्की हो, क्योंकि इससे उसका कश्मीर पर दावा और कमजोर होगा। पहलगाम हमला कश्मीर में निवेश और तरक्की को रोकने की साजिश का हिस्सा है। लीथियम भंडार ने कश्मीर को वैश्विक आर्थिक नक्शे पर ला दिया है, और यह हमला इस प्रगति को पटरी से उतारने की कोशिश है।

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पाकिस्तान को डर है कि अगर कश्मीर आर्थिक रूप से मजबूत हुआ, तो उसका कश्मीर पर दावा खत्म हो जाएगा।
पहलगाम हमले (Baisaran Terror attack) को इस नजरिए से देखें, तो यह साफ हो जाता है कि यह सिर्फ आतंकवाद का मामला नहीं है। यह कश्मीर की आर्थिक तरक्की को रोकने की साजिश है, जिसमें लीथियम भंडार एक बड़ा कारण है। हमले के बाद निवेशकों का भरोसा डगमगा गया है, और यही वह मकसद था, जिसे पाकिस्तान हासिल करना चाहता था।

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