📍पुणे | 16 Oct, 2025, 6:39 PM
DRDO ARDE Lab: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता केवल एक नीति नहीं है, बल्कि यह देश की सबसे मजबूत सुरक्षा ढाल है। पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (एआरडीई) के दौरे के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का लक्ष्य अब केवल रक्षा उपकरणों का उपयोगकर्ता बनना नहीं है, बल्कि उनका निर्माता बनना है। एआरडीई प्रयोगशाला डीआरडीओ के तहत आर्मामेंट एंड कॉम्बैट इंजीनियरिंग सिस्टम्स (एसीई) क्लस्टर का हिस्सा है।
रक्षा मंत्रालय की संसदीय परामर्श समिति की इस बैठक की अध्यक्षता करते हुए राजनाथ सिंह ने अत्याधुनिक वेपन सिस्टम और उभरती तकनीकों के प्रदर्शन का निरीक्षण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हम केवल तकनीक के उपयोगकर्ता नहीं, बल्कि उसके निर्माता बनना चाहते हैं। आत्मनिर्भरता सिर्फ एक लक्ष्य नहीं, बल्कि यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा की ढाल है।”
उन्होंने बताया कि भारत में अब रक्षा अनुसंधान को सिर्फ सरकारी प्रयास नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय मिशन के रूप में देखा जा रहा है। इस दिशा में डीआरडीओ, उद्योग, स्टार्टअप्स और शिक्षण संस्थान मिलकर नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं।
बैठक के दौरान समिति के सदस्यों ने पुणे स्थित एआरडीई (DRDO ARDE Lab) में डेवलप हुए कई वेपन सिस्टम्स का प्रदर्शन भी देखा, जिनमें एडवांस टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS), पिनाका रॉकेट सिस्टम, लाइट टैंक जोरावर, व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म और आकाश-नेक्स्ट जनरेशन मिसाइल शामिल थे।
राजनाथ सिंह ने इन वेपन सिस्टम्स (DRDO ARDE Lab) को देखकर कहा कि ये सभी सिस्टम भारत की तकनीकी प्रगति और स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का उदाहरण हैं। उन्होंने बताया कि अब भारत ने उन तकनीकों में भी सफलता हासिल की है जिन्हें पहले आयात किया जाता था।
उन्होंने यह भी बताया कि डीआरडीओ (DRDO ARDE Lab) के वैज्ञानिक अब रोबोटिक्स, रेल गन, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम (EMALS) और हाई एनर्जी प्रोपल्शन मटेरियल्स जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में भी रिसर्च कर रहे हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज का युग टेक्नोलॉजिकल डोंमिनेंस का है। जो देश विज्ञान और इनोवेशन को प्राथमिकता देता है, वही भविष्य का नेतृत्व करेगा। उन्होंने कहा कि तकनीक अब केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी रणनीतिक नीतियों और रक्षा निर्णयों का आधार बन चुकी है।
राजनाथ सिंह ने कहा, “अक्सर कुछ देश अपनी एडवांस टेक्नोलॉजी साझा नहीं करते। लेकिन भारत ने इन सीमाओं को चुनौती दी है। आज हम न केवल अपनी जरूरतें पूरी कर रहे हैं बल्कि दुनिया के लिए विश्वसनीय रक्षा साझेदार बन चुके हैं।”
उन्होंने कहा कि डीआरडीओ (DRDO ARDE Lab) और निजी क्षेत्र की साझेदारी से भारत में रक्षा अनुसंधान का नया इकोसिस्टम बन रहा है। अब रक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक उपक्रम, निजी उद्योग, स्टार्टअप्स और शिक्षण संस्थान मिलकर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “भारत अब सिर्फ आत्मनिर्भर नहीं, बल्कि ग्लोबल डिफेंस इनोवेशन हब बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने यह साबित किया है कि अगर इरादा साफ हो और नीति स्पष्ट हो, तो कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं जिसमें हम आत्मनिर्भर न बन सकें।” उन्होंने कहा कि डीआरडीओ के वैज्ञानिक ऐसे उत्पाद बना रहे हैं जो पहले केवल विदेशों से खरीदे जाते थे। उन्होंने कहा कि अब भारत फ्यूचरिस्टिक प्रोडक्ट्स के निर्माण में भी अग्रणी बन रहा है, जिन पर अभी दुनिया के कई देश काम शुरू ही कर रहे हैं।
राजनाथ सिंह (DRDO ARDE Lab) ने यह भी बताया कि भारत के युवा अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, क्वांटम कम्युनिकेशन, रोबोटिक्स और स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन नई तकनीकों ने न केवल भारतीय सेनाओं को आधुनिक बनाया है बल्कि युवाओं के लिए नए अवसर भी खोले हैं।