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Saturday, August 30, 2025
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Self-Reliance in Defence: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोले- रक्षा में आत्मनिर्भरता अब विकल्प नहीं, बल्कि अस्तित्व की शर्त

रक्षा मंत्री ने साफ किया कि यह आत्मनिर्भरता किसी भी तरह का संरक्षणवाद नहीं है। उन्होंने कहा, “यह सुरक्षा कवच नहीं बल्कि संप्रभुता की पहचान है। जब एक युवा, तकनीक और ऊर्जा से भरा देश आत्मनिर्भरता की राह पर बढ़ता है तो पूरी दुनिया उसे देखकर रुक जाती है। यही भारत की असली ताकत है, जो हमें वैश्विक दबावों से और मजबूत बनाती है।”

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📍नई दिल्ली | 30 Aug, 2025, 3:17 PM

Self-Reliance in Defence: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित एनडीटीवी के ‘वारफेयर इन द ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी’ डिफेंस कॉन्क्लेव में जोर देकर कहा कि आज के समय में आत्मनिर्भरता सिर्फ एक नारा नहीं बल्कि भारत की सुरक्षा और अस्तित्व की शर्त है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद, महामारी और क्षेत्रीय संघर्षों के बीच यदि भारत को अपनी पहचान बनाए रखनी है तो रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना बेहद जरूरी है।

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रक्षा मंत्री ने साफ किया कि यह आत्मनिर्भरता किसी भी तरह का संरक्षणवाद नहीं है। उन्होंने कहा, “यह सुरक्षा कवच नहीं बल्कि संप्रभुता की पहचान है। जब एक युवा, तकनीक और ऊर्जा से भरा देश आत्मनिर्भरता की राह पर बढ़ता है तो पूरी दुनिया उसे देखकर रुक जाती है। यही भारत की असली ताकत है, जो हमें वैश्विक दबावों से और मजबूत बनाती है।”

Self-Reliance in Defence: ऑपरेशन सिंदूर का किया जिक्र

राजनाथ सिंह ने हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर को भारत की बढ़ती स्वदेशी ताकत का सबसे बड़ा उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पर निर्णायक जीत और भारतीय सेना के तेज और सटीक हमलों के पीछे वर्षों की तैयारी और आत्मनिर्भर डिफेंस सिस्टम की भूमिका रही। रक्षा मंत्री ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर कुछ दिनों की लड़ाई की कहानी जरूर लगती है, लेकिन इसके पीछे वर्षों की रणनीतिक तैयारी और आत्मनिर्भर डिफेंस इक्विपमेंट्स पर निर्भरता है।”

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Self-Reliance in Defence: सुदर्शन चक्र मिशन और एयर डिफेंस सिस्टम

रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री द्वारा घोषित सुदर्शन चक्र मिशन को भारत की सुरक्षा का भविष्य बताया। इस मिशन के तहत अगले दस वर्षों में देश के अहम ठिकानों को स्वदेशी तकनीक से बने एयर डिफेंस सिस्टम से सुरक्षित किया जाएगा। राजनाथ सिंह ने जानकारी दी कि 23 अगस्त 2025 को डीआरडीओ ने स्वदेशी एयर डिफेंस वेपन सिस्टम का सफल परीक्षण किया, जिसमें एक साथ तीन लक्ष्यों को भेदा गया। उन्होंने कहा कि यह सफलता प्रधानमंत्री के विजन की दिशा में पहला बड़ा कदम है।

Self-Reliance in Defence: भारत में ही बन रहे हैं वॉरशिप

रक्षा मंत्री ने बताया कि आज सभी युद्धपोत भारत में ही बन रहे हैं। हाल ही में कमीशन किए गए आईएनएस हिमगिरी और आईएनएस उदयगिरि जैसे स्टेल्थ फ्रिगेट्स आधुनिक हथियारों और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम से लैस हैं और यह दिखाते हैं कि अब नौसेना किसी विदेशी युद्धपोत पर निर्भर नहीं है।

Self-Reliance in Defence: स्वदेशी एयरो-इंजन प्रोजेक्ट

रक्षा मंत्री ने ऐलान किया कि भारत अब स्वदेशी एयरो-इंजन प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर चुका है। लंबे समय से यह क्षेत्र भारत की कमजोरी माना जाता रहा है, लेकिन अब सरकार ने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया है। राजनाथ सिंह ने कहा कि पहले सवाल होता था कि क्या भारत इतना जटिल इंजन बना सकता है, लेकिन आज सवाल यह है कि इसे कितनी जल्दी बनाया और तैनात किया जा सकता है।

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Self-Reliance in Defence: डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर

रक्षा मंत्री ने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में बनाए गए डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का जिक्र करते हुए कहा कि इनसे आत्मनिर्भरता और इनोवेशन को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि ये कॉरिडोर अब विकास के नए इंजन बन चुके हैं और भविष्य में इन्हें अन्य राज्यों तक भी विस्तार दिया जाएगा।

रक्षा निर्यात में बड़ी छलांग

राजनाथ सिंह ने गर्व के साथ कहा कि 2014 में जहां रक्षा निर्यात 700 करोड़ रुपये से भी कम था, वहीं 2025 में यह बढ़कर लगभग 24,000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि यह सफलता सिर्फ सरकारी कंपनियों की वजह से नहीं बल्कि निजी उद्योग, स्टार्टअप और उद्यमियों के योगदान से संभव हुई है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार ने रक्षा क्षेत्र में कई बड़े सुधार किए हैं। डिफेंस लाइसेंसिंग प्रक्रिया को आसान बनाया गया है, विदेशी निवेश (FDI) की सीमा 74 प्रतिशत तक बढ़ाई गई है और मेक इन इंडिया की प्रक्रिया को सरल किया गया है ताकि निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ सके।

उन्होंने कहा कि iDEX योजना ने युवाओं और स्टार्टअप्स के लिए डिफेंस इनोवेशन का नया रास्ता खोल दिया है। आज भारतीय युवा ऐसे समाधान पेश कर रहे हैं, जिनके लिए पहले भारत को विदेशी तकनीक पर निर्भर रहना पड़ता था।

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ने महिलाओं को कॉम्बैट रोल में शामिल कर ऐतिहासिक कदम उठाया है। आज महिलाएं लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं, युद्धपोतों को नेविगेट कर रही हैं और कठिन इलाकों में सीमाओं की रक्षा कर रही हैं।

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मीडिया पर कही ये बात

राजनाथ सिंह ने मीडिया की भूमिका पर भी बात की और कहा कि युद्ध के समय एक सही रिपोर्ट करोड़ों लोगों का मनोबल बढ़ा सकती है, जबकि छोटी सी गलती जानलेवा हो सकती है। उन्होंने कहा कि मीडिया स्वतंत्रता के साथ जिम्मेदारी भी निभाए।

रक्षा मंत्री ने कहा कि घरेलू रक्षा उत्पादन 1.5 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच चुका है, जिसमें 25 फीसदी निजी क्षेत्र का योगदान है। उन्होंने बताया कि रक्षा क्षेत्र अब केवल खर्च नहीं बल्कि डिफेंस इकोनॉमिक्स का हिस्सा है, जो नौकरियां, इनोवेशन और औद्योगिक विकास का बड़ा जरिया बन चुका है।

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