LCA Tejas: भारत के स्वदेशी फाइटर जेट तेजस के प्रोडक्शन में तेजी लाने पर जोर, संसदीय समिति ने रक्षा मंत्रालय को दिए निर्देश

LCA Tejas Mk-1A: IAF to Get First Indigenous Fighter Jet by March 31, 2025
File Photo
रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US
Read Time 0.12 mintue

📍नई दिल्ली | 7 months ago

LCA Tejas: भारतीय वायुसेना (IAF) की ताकत बढ़ाने और स्क्वाड्रन की कमी को पूरा करने के लिए, संसद की रक्षा पर स्थायी समिति ने रक्षा मंत्रालय (MoD) को निर्देश दिया है कि वह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को तेजस लड़ाकू विमानों के उत्पादन में तेजी लाने के लिए कहे। यह बात समिति के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद राधा मोहन सिंह की अध्यक्षता में संसद में पेश की गई रिपोर्ट में कही गई।

LCA Tejas: Parliamentary Panel Urges Faster Production to Boost IAF Strength
File Photo

LCA Tejas: वायुसेना की घटती ताकत पर चिंता

रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय वायुसेना को पाकिस्तान और चीन के साथ संभावित दो-फ्रंट युद्ध की तैयारी के लिए 42 फाइटर स्क्वाड्रन की जरूरत है। हालांकि, वर्तमान में वायुसेना के पास केवल 31 सक्रिय स्क्वाड्रन हैं, जिनमें प्रत्येक में 16-18 लड़ाकू विमान होते हैं।

MiG-21: 1971 की जंग में अहम भूमिका निभाने वाले “उड़ते ताबूत” को मिली लाइफलाइन! वायुसेना अब क्यों नहीं करना चाहती रिटायर

समिति ने तेजस विमानों की देरी से डिलीवरी को लेकर भी चिंता जताई। HAL को 83 तेजस मार्क-1ए विमानों का ऑर्डर दिया गया था, जिसकी कुल लागत 48,000 करोड़ रुपये है। मार्च 2024 से इनकी डिलीवरी शुरू होनी थी, लेकिन अभी तक एक भी विमान वायुसेना को नहीं सौंपा गया है।

HAL को LCA Tejas की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के निर्देश

HAL को अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। रक्षा मंत्रालय, जो HAL का प्रमुख हिस्सेदार है, ने समिति को आश्वस्त किया है कि इस मामले में जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।

यह भी पढ़ें:  Autonomous Underwater Vehicles: भारतीय नौसेना के क्यों बेहद खास हैं ये अंडर वाटर व्हीकल्स? बिना किसी ऑपरेटर के सीक्रेट तरीके से समुद्र के अंदर मिशन को देंगे अंजाम

रक्षा मंत्रालय ने यह भी बताया कि वायुसेना ने 97 अतिरिक्त तेजस मार्क-1ए विमानों को खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। रक्षा अधिग्रहण परिषद ने इन विमानों की खरीद को प्रारंभिक मंजूरी दे दी है और इसके लिए औपचारिक प्रस्ताव मांगे गए हैं।

पुराने विमानों के रिटायर होने से बढ़ी चुनौतियां

भारतीय वायुसेना के लिए एक और चुनौती पुराने विमानों का रिटायर होना है। अगले साल तक सोवियत-युग के दो मिग-21 स्क्वाड्रन को चरणबद्ध तरीके से रिटायर कर दिया जाएगा। इसके अलावा, 1980 के दशक में शामिल जगुआर, मिग-29 और मिराज 2000 के लगभग 250 विमानों को 2029-30 के बाद सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा।

इन विमानों की रिटायरमेंट के बाद वायुसेना की ऑपरेशनल क्षमता पर असर पड़ सकता है। इसलिए तेजस जैसे स्वदेशी विमानों की तत्काल डिलीवरी और नए विमानों की खरीद वायुसेना की जरूरत बन गई है।

हवाई अड्डों का आधुनिकीकरण और सुरक्षा उपाय

रक्षा मंत्रालय ने समिति को बताया कि वायुसेना के हवाई ठिकानों के आधुनिकीकरण के लिए “मॉडर्नाइजेशन ऑफ एयरफील्ड्स इंफ्रास्ट्रक्चर” (MAFI) प्रोग्राम के तहत 52 एयरफील्ड्स को अत्याधुनिक तकनीकों से लैस किया गया है।

इसके साथ ही, अग्रिम हवाई अड्डों पर नए और सुरक्षित एयरक्राफ्ट शेल्टर्स (हवाई ठिकानों के लिए मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर) बनाने का काम भी तेजी से चल रहा है, ताकि दुश्मन के हमलों से महत्वपूर्ण परिसंपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

तेजस लड़ाकू विमान भारत के आत्मनिर्भर अभियान का प्रतीक है। यह हल्का, मल्टी-रोल लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ देश की रक्षा उत्पादन क्षमता को भी आगे बढ़ाने में मदद कर रहा है।

यह भी पढ़ें:  Anti-Drone Ammunition: 'ड्रोन वॉरफेयर' से निपटने को तैयार भारतीय सेना, ZU-23 एंटी-एयरक्राफ्ट गन को देश में ही मिलेगा अपडेटेड गोला-बारूद

हालांकि, HAL द्वारा डिलीवरी में हो रही देरी को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की है। विशेषज्ञों का मानना है कि तेजस परियोजना को तेज़ी से लागू करने के लिए न केवल HAL को बल्कि रक्षा मंत्रालय और भारतीय वायुसेना को भी समन्वय के साथ काम करना होगा।

समिति की सिफारिशें

समिति ने कहा कि रक्षा मंत्रालय को HAL के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तेजस विमानों का उत्पादन समयबद्ध तरीके से हो। साथ ही, स्क्वाड्रन की कमी को दूर करने के लिए अन्य वैकल्पिक उपायों पर भी विचार करना चाहिए।

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि तेजस विमानों की त्वरित डिलीवरी और नई तकनीकों का उपयोग भारतीय वायुसेना को न केवल मजबूत बनाएगा, बल्कि चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के साथ बढ़ते तनाव के बीच भारत की रक्षा तैयारियों को भी बेहतर करेगा।

रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US