back to top
HomeLegal Policy NewsPermanent Commission: ऑपरेशन सिंदूर में अहम भूमिका निभाने वाली महिला विंग कमांडर...

Permanent Commission: ऑपरेशन सिंदूर में अहम भूमिका निभाने वाली महिला विंग कमांडर को मिलेगा परमानेंट कमीशन, सुप्रीम कोर्ट ने खोला रास्ता

रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US
एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि विंग कमांडर पांडे ने स्थायी कमीशन के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करने से पहले संबंधित प्राधिकरणों या ट्रिब्यूनल में कोई आवेदन नहीं दिया। उन्होंने यह भी बताया कि वायुसेना के बोर्ड ने पांडे को स्थायी कमीशन के लिए अनफिट माना था। भाटी ने यह दावा भी किया कि हाल के सालों में काफी महिलाओं को स्थायी कमीशन दिया गया है...
Read Time 0.18 mintue

📍नई दिल्ली | 22 May, 2025, 7:47 PM

Permanent Commission: ऑपरेशन सिंदूर में अहम भूमिका निभाने वाली एक महिला विंग कमांडर के परमानेंट कमीशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट एक ऐतिहासिक फैसले में भारतीय वायुसेना की एक महिला विंग कमांडर को अगस्त 2025 में होने वाले रिटायरमेंट की बजाय अपनी सेवा जारी रखने की अनुमति दी है। विंग कमांडर पांडे ने ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन बालाकोट जैसे महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों में हिस्सा लिया था। उन्होंने स्थायी कमीशन (परमानेंट कमीशन) की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

Permanent Commission: भारतीय वायुसेना में 13 साल तक दी सेवाएं

विंग कमांडर पांडे ने भारतीय वायुसेना में 13 साल तक अपनी सेवाएं दीं। इस दौरान उन्होंने कई चुनौतीपूर्ण हालात में अपनी ड्यूटी को पूरी जिम्मेदारी के सााथ पूरा किया। ऑपरेशन बालाकोट 2019 में हुआ था, भारत की आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक कार्रवाई थी। जबकि ऑपरेशन सिंदूर हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ शुरू किया गया था, जो अभी भी जारी है।

इसके बावजूद, विंग कमांडर पांडे को अगस्त 2025 में रिटायर होने का आदेश मिला। भारतीय वायुसेना में परमानेंट कमीशन मिलने के बाद उनकी सेवा अवधि बढ़ जाती है और उच्च पदों तक पहुंचने का रास्ता खुल जाता है। लेकिन महिलाओं के लिए यह अवसर अभी भी सीमित हैं। इस आदेश के खिलाफ, पांडे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और परमानेंट कमीशन देने की मांग की।

यह भी पढ़ें:  Tejas Mk1 Fighters: IAF ने पाकिस्तान से सटी पश्चिमी सीमा पर तैनात किए तेजस लड़ाकू विमान, MiG-21 को अब नहीं मिलेगी लाइफलाइन!

भविष्य में स्थायी कमीशन के लिए बनाए नीति

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सूर्या कांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह की बेंच ने की। सुनवाई के दौरान, विंग कमांडर पांडे की ओर से सीनियर वकील मनेका गुरुस्वामी ने उनका पक्ष रखा। उन्होंने कोर्ट से कहा, “विंग कमांडर पांडे ने 13 साल तक भारतीय वायुसेना में अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन बालाकोट जैसे महत्वपूर्ण अभियानों में हिस्सा लिया। इतने अनुभव और योगदान के बावजूद, उन्हें अगले महीने रिटायर होने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह उनके साथ अन्याय है और देश की डिफेंस कैपेबिलिटी के लिए भी नुकसानदायक है।”

न्यायमूर्ति सूर्या कांत ने इस मामले में गहरी संवेदनशीलता दिखाते हुए उन्होंने सरकार की ओर से मौजूद अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी से कहा, “उन्हें सेवा में बने रहने दें। हमें ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।” उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सरकार को भविष्य में ऐसी नीतियां बनानी चाहिए, ताकि अधिक से अधिक महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन का रास्ता खुले।

सरकार ने कही ये बात

एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि विंग कमांडर पांडे ने स्थायी कमीशन के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करने से पहले संबंधित प्राधिकरणों या ट्रिब्यूनल में कोई आवेदन नहीं दिया। उन्होंने यह भी बताया कि वायुसेना के बोर्ड ने पांडे को स्थायी कमीशन के लिए अनफिट माना था। भाटी ने यह दावा भी किया कि हाल के सालों में काफी महिलाओं को स्थायी कमीशन दिया गया है। उन्होंने कहा, “अगर आप आंकड़े देखें, तो महिलाओं को पहले की तुलना में कहीं अधिक स्थायी कमीशन मिल रहा है।”

यह भी पढ़ें:  LCA Mk-1A: ‘तू-तू, मैं-मैं' के बीच HAL का दावा- अप्रैल में मिलेगी गुड न्यूज! तेजस Mk1A का पहला इंजन डिलीवरी के लिए तैयार

हालांकि, न्यायमूर्ति सूर्या कांत ने इस दलील पर जोर दिया कि केवल आंकड़ों की बात करना काफी नहीं है। उन्होंने कहा, “हमें समानता और योग्यता के आधार पर नीतियां बनानी चाहिए। अगर एक सक्षम अधिकारी, जिसने महत्वपूर्ण अभियानों में हिस्सा लिया है, उसे रिटायर होने के लिए मजबूर किया जा रहा है, तो यह नीतिगत कमी को दर्शाता है।”

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी किया और निर्देश दिया कि इस फैसले से कोई विशेष अधिकार (इक्विटी) नहीं बनाया जाएगा। इसका मतलब है कि विंग कमांडर पांडे को फिलहाल अपनी सेवा जारी रखने की अनुमति दी गई है, लेकिन इस मामले का अंतिम फैसला पूरी सुनवाई के बाद होगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार और भारतीय वायुसेना को इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश काफी अहम माना जा रहा है। इससे अन्य महिला अधिकारियों को भी फायदा होगा, जो स्थायी कमीशन की मांग कर रही हैं।

2020 में खुला था स्थायी कमीशन का रास्ता

भारतीय सशस्त्र बलों में स्थायी कमीशन का मुद्दा लंबे समय से चर्चा में रहा है। पहले, महिलाओं को केवल शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) के तहत भर्ती किया जाता था, जिसकी अवधि सीमित होती थी। हाल के वर्षों में, सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों ने महिलाओं को स्थायी कमीशन देने का रास्ता साफ किया है। 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन और कमांड पोस्ट देने से इनकार करना लैंगिक भेदभाव है। इस फैसले के बाद, कई महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन मिला।

न्यायमूर्ति सूर्या कांत ने सुनवाई के दौरान यह सुझाव दिया कि सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए, जो अधिक महिलाओं को स्थायी कमीशन प्रदान करने की प्रक्रिया को आसान बनाएं। यह सुझाव भारतीय सशस्त्र बलों में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वर्तमान में, भारतीय वायुसेना में महिलाएं पायलट, नेविगेटर और अन्य तकनीकी भूमिकाओं में अपनी सेवाएं दे रही हैं। लेकिन स्थायी कमीशन की प्रक्रिया में अभी भी कई बाधाएं हैं, जैसे चयन बोर्ड की सख्त मापदंड और सीमित कोटा।

यह भी पढ़ें:  LCA Tejas Delay: क्या भारत में अब निजी कंपनियां बनाएंगी फाइटर जेट? राजनाथ सिंह को सौंपी रिपोर्ट, क्या होगा HAL का रोल?
OROP Supreme Court: सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- इन रिटायर्ड कर्मियों को OROP के तहत नहीं मिलेगी बढ़ी हुई पेंशन!

कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर कोर्ट ने कही थी ये बात

इससे पहले ऑपरेशन सिंदूर का चेहरा बनीं कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया थाा। 17 फरवरी 2020 को, सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन (परमानेंट कमीशन) देने के अपने ऐतिहासिक फैसले में कर्नल सोफिया कुरैशी की उपलब्धियों की विशेष रूप से जिक्र किया था। कोर्ट ने कहा था कि कर्नल सोफिया, जो आर्मी सिग्नल कोर में लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में कार्यरत थीं, पहली महिला अधिकारी थीं, जिन्होंने 2016 में ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ नामक मल्टीनेशनल मिलिट्री एक्सरसाइज में भारतीय सेना के दस्ते का नेतृत्व किया था। यह भारतीय सेना द्वारा आयोजित सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास था।

कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि उन्होंने 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में हिस्सा लिया था, जहां उन्होंने युद्धविराम की निगरानी और मानवीय सहायता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नल सोफिया के उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि महिला अधिकारी पुरुष सहकर्मियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की सेवा कर रही हैं और उनकी क्षमताओं पर लिंग के आधार पर सवाल उठाना संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन है। कोर्ट ने जोर दिया कि महिलाओं को कमांड भूमिकाओं से वंचित करना अनुचित है और उनकी योग्यता को सम्मान देना चाहिए।

रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US
News Desk
News Desk
रक्षा समाचार न्यूज डेस्क भारत की अग्रणी हिंदी रक्षा समाचार टीम है, जो Indian Army, Navy, Air Force, DRDO, रक्षा उपकरण, युद्ध रणनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी विश्वसनीय और विश्लेषणात्मक खबरें प्रस्तुत करती है। हम लाते हैं सटीक, सरल और अपडेटेड Defence News in Hindi। हमारा उद्देश्य है – "हर खबर, देश की रक्षा के लिए।"

Most Popular

Share on WhatsApp