📍नई दिल्ली | 21 Oct, 2025, 5:23 PM
Indian Navy Commanders Conference 2025: भारतीय नौसेना की कमांडर्स कॉन्फ्रेंस नौसेना के टॉप अधिकारियों की सबसे बड़ी बैठक होती है। यह साल में दो बार आयोजित की जाती है, जहां रक्षा, सुरक्षा, ऑपरेशंस और भविष्य की योजनाओं पर बात होती है। 2025 में यह कॉन्फ्रेंस दो एडिशन में हो रही है। पहली अप्रैल में हो चुकी है, और दूसरी 22-24 अक्टूबर 2025 को नई दिल्ली में हो रही है। इस बार की यह कॉन्फ्रेंस इसलिए भी खास है, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के बाद इसका आयोजन हो रहा है।
इस सम्मेलन में नौसेना की युद्धक तैयारियों, सैन्य अभियानों और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की मैरिटाइम पावर प्रोजेक्शन पर विशेष चर्चा की जाएगी। नौसेना के टॉप कमांडरों का फोकस इस बात पर है कि कैसे इंडियन नेवी, भारतीय थलसेना, भारतीय वायुसेना और भारतीय तटरक्षक बल के साथ मिलकर इंटरऑपरेबिलिटी और जॉइंट ऑपरेशन क्षमता को और मजबूत किया जा सके।
सम्मेलन के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कैबिनेट सचिव भी नौसेना अधिकारियों को संबोधित करेंगे और राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा नीति और ‘विकसित भारत 2047’ के विजन से जुड़ी सरकार की प्राथमिकताओं अपने विचार रखेंगे। सम्मेलन के एजेंडे में देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक हितों की रक्षा और महासागर विजन (म्यूचुअल एंड होलिस्टिक एडवांसमेंट फॉर सिक्युरिटी अक्रोस ऑल रीजंस) को आगे बढ़ाना शामिल है।
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी अपने कमांडरों के साथ मिलकर हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा हालात, ट्रेनिंग, रिसोर्सेज और ऑपरेशनल आवश्यकताओं की समीक्षा करेंगे। इसमें विशेष रूप से वेस्टर्न और ईस्टर्न सीबोर्ड्स पर नौसेना की तैनाती और ‘मेक इन इंडिया’ के तहत स्वदेशी प्लेटफॉर्मों के डेवलपमेंट पर जोर दिया जाएगा।
सम्मेलन के दौरान सीडीएस, वायुसेना प्रमुख भी नौसेना की टॉप लीडरशिप के साथ चर्चा करेंगे। इन चर्चाओं का उद्देश्य जॉइंट प्लानिंग और संसाधनों के कुशल तरीके से इस्तेमाल को बढ़ावा देना है ताकि भविष्य की जटिल सुरक्षा चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सके।
इस बार के सम्मेलन में आधुनिक तकनीकों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। नौसेना की चर्चा का एक प्रमुख हिस्सा इस पर भी होगा कि कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों को कॉम्बैट ऑपरेशंस और निर्णय लेने प्रक्रिया में शामिल किया जा सकता है। ताकि नौसेना की डिजिटाइज्ड और नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर क्षमता को और मजबूत बनाया जा सके।
इससे पहले इसा पहला एडिशन इस साल अप्रैल मे आयोजित हुआ था, जो 5-11 अप्रैल तक चला था। इसे दो फेज में आयोजित किया गया था। पहला फेज 5 अप्रैल को कर्नाटक के कारवार में हुआ था, जिसका उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया था। पहले फेज में नौसेना की तैयारी, मॉडर्नाइजेशन और प्रोजेक्ट सीबर्ड (नया नौसेना बेस) का रिव्यू हुआ था।
वहीं दूसरा फेज 7-10 अप्रैल तक नई दिल्ली में आयोजित हुआ था। इसका फोकस जियोपॉलिटिकल चैलेंजेस, ऑपरेशन ब्रह्मा (लिटोरल देशों की मदद), और 7 मुख्य क्षेत्र युद्ध लड़ाई, फोर्स बिल्डिंग, लॉजिस्टिक्स, नई टेक, वर्कफोर्स, एजिलिटी और अन्य एजेंसियों से तालमेल रहा था। इसमें नौसेना का स्पेस विजन, ऑपरेशनल डेटा फ्रेमवर्क, नेवल एविएशन सेफ्टी, और ‘नेवी फॉर लाइफ एंड बियॉन्ड’ जैसे विजनरी डॉक्यूमेंट लॉन्च किए गए थे।