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SIG-716 राइफल्स के लिए सेना को मिलेगी नई नाइट साइट, रक्षा मंत्रालय ने साइन की 659 करोड़ रुपये की डील

रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस डील के बाद भारतीय सैनिक अपनी सिग-716 राइफल्स की लंबी रेंज का पूरा इस्तेमाल कर पाएंगे। इन राइफल्स की अधिकतम प्रभावी रेंज लगभग 600 मीटर तक है, और नई नाइट साइट्स इस क्षमता को रात के समय में भी पूरी तरह कैपेबल बनाएंगी...

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📍नई दिल्ली | 15 Oct, 2025, 8:53 PM

SIG-716: भारतीय सेना की नाइट ऑपरेशन क्षमता को मजबूत करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने 659.47 करोड़ रुपये की बड़ी डील पर दस्तखत किए हैं। यह कॉन्ट्रैक्ट 7.62×51 एमएम सिग-716 असॉल्ट राइफल्स के लिए एडवांस्ड नाइट साइट और एक्सेसरीज की खरीद के लिए किया गया है। यह सौदा पूरी तरह से ‘बाय (इंडियन-आईडीडीएम)’ कैटेगरी के तहत किया गया है, जिसमें 51 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री शामिल है।

यह नया नाइट साइट सिस्टम भारतीय सैनिकों को सीमित रोशनी या स्टारलाइट कंडीशंस में भी 500 मीटर तक के टारगेट पर सटीक निशाना लगाने की क्षमता देगा। यह मौजूदा पैसिव नाइट साइट्स से काफी एडवांस है, जिससे कम रोशनी में भी क्लियर इमेज मिलेगी।

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रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस डील के बाद भारतीय सैनिक अपनी सिग-716 राइफल्स की लंबी रेंज का पूरा इस्तेमाल कर पाएंगे। इन राइफल्स की अधिकतम प्रभावी रेंज लगभग 600 मीटर तक है, और नई नाइट साइट्स इस क्षमता को रात के समय में भी पूरी तरह कैपेबल बनाएंगी। यह राइफलें पहले ही इंसास राइफल्स की जगह ले चुकी हैं और अब भारतीय सैनिकों के लिए आधुनिक इन्फैंट्री अपग्रेड का अहम हिस्सा बन चुकी हैं।

डील को भारतीय रक्षा निर्माण क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। इस प्रोजेक्ट से न केवल भारतीय सेना को आधुनिक उपकरण मिलेंगे, बल्कि देश के एमएसएमई सेक्टर को भी बड़ा फायदा होगा। कई छोटे और मझोले उद्योग नाइट साइट्स के कंपोनेंट्स और कच्चे माल के निर्माण में शामिल होंगे, जिससे घरेलू उत्पादन और रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा।

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विशेषज्ञों के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और कई निजी डिफेंस टेक कंपनियां शामिल हो सकती हैं। इन कंपनियों की भूमिका डिजाइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग और असेंबली प्रक्रियाओं में अहम होगी। कई छोटे और मझोले उद्योग नाइट साइट्स के कंपोनेंट्स और कच्चे माल के निर्माण में शामिल होंगे, जिससे घरेलू उत्पादन और रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, कई छोटे और मझोले उद्योग कंपोनेंट्स, लेंस और सर्किट पार्ट्स की सप्लाई करेंगे, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।

जानकारी के अनुसार, ये नाइट साइट्स पूरी तरह से इमेज इंटेंसिफिकेशन तकनीक पर आधारित हैं, जो कम रोशनी में भी विज़ुअल सिग्नल को एम्प्लिफाई कर क्लियर इमेज प्रदान करती है। इन साइट्स में हाई-सेंसिटिविटी सेंसर, शॉक-रेसिस्टेंट हाउसिंग और बैटरी बैकअप जैसे फीचर्स भी शामिल होंगे।

इस सौदे का सबसे बड़ा महत्व यह है कि इससे भारतीय सेना की बॉर्डर पर नाइट सर्विलांस और स्ट्राइक ऑपरेशंस की क्षमता बढ़ेगी। विशेष रूप से लद्दाख, अरुणाचल और जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील इलाकों में तैनात सैनिकों को इन नई साइट्स से काफी सहायता मिलेगी।

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यह खरीद मेक इन इंडिया नीति के तहत की गई है और इसका निर्माण भारतीय कंपनियों द्वारा किया जाएगा। इससे आयात पर निर्भरता कम होगी और भारत की डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग कैपेबिलिटी में बढ़ोतरी होगी।

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