📍नई दिल्ली | 9 Oct, 2025, 7:33 PM
SAKSHAM CUAS System: देश की हवाई सुरक्षा क्षमता को और मजबूत करने की दिशा में भारतीय सेना ने एक बड़ा कदम उठाया है। सेना ने स्वदेशी रूप से विकसित सक्षम काउंटर यूएएस सिस्टम (SAKSHAM Counter UAS System) के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल यानी आरएफपी जारी किया है।
यह अत्याधुनिक सिस्टम दुश्मन के ड्रोन और अनमैन्ड एरियल सिस्टम न केवल रियल टाइम में ड्रोन की पहचान कर उन्हें ट्रैक करेगा, साथ ही उन्हें मार भी गिराएगा। यह सिस्टम जमीनी युद्धक्षेत्र के ऊपर 3,000 मीटर यानी 10,000 फीट तक के हवाई क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए तैयार किया गया है, जिसे अब टैक्टिकल बैटलफील्ड स्पेस (टीबीएस) कहा जाता है।
SAKSHAM CUAS System: ऑपरेशन सिंदूर से मिली सीख
इस सिस्टम की जरूरत ऑपरेशन सिंदूर के दौरान महसूस हुई, जब पाकिस्तान के ड्रोन और अनमैन्ड एरियल सिस्टम भारतीय सीमा में निगरानी और हमले के लिए पहुंचे। इस ऑपरेशन में यह सामने आया कि आधुनिक युद्ध केवल जमीन पर नहीं, बल्कि उससे ऊपर के हवाई क्षेत्र में भी लड़ा जा रहा है। जिसके बाद भारतीय सेना ने पारंपरिक टैक्टिकल बैटल फील्ड (टीबीए) की बजाए टैक्टिकल बैटलफील्ड स्पेस पर फोकस किया।
टैक्टिकल बैटलफील्ड स्पेस में जमीन के ऊपर 3,000 मीटर की ऊंचाई तक का हवाई क्षेत्र शामिल है, जिसे एयर लिट्टोरल कहा जाता है। इस इलाके पर कंट्रोल बनाए रखना भविष्य के युद्धों के लिए जरूरी माना जा रहा है। इससे मित्र देशों और अपने एय़र एसेट्स को सुरक्षित उड़ान भरने की सुविधा मिलती है, साथ ही दुश्मन के ड्रोन या विमान को ट्रैक करने के साथ और मार गिराया भी जा सकता है।
SAKSHAM CUAS System: कैसे काम करेगा ‘सक्षम’?
सक्षम (SAKSHAM CUAS System) का पूरा नाम सिचुएशनल अवेयरनेस फोर काइनेटिक सॉफ्ट एंड हार्ड किल असेट्स मैनेजमेंट है। यह एक सॉफ्टवेयर है जिसे हाई लेवल मॉड्यूलर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम के तौर पर डेवलप किया गया है। इसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, गाजियाबाद के सहयोग से डिजाइन और तैयार किया गया है।
यह सिस्टम सुरक्षित आर्मी डेटा नेटवर्क (एडीएन) पर काम करती है और रियल टाइम में पूरी टैक्टिकल बैटलफील्ड स्पेस में जमीन और हवाई क्षेत्र की सटीक जानकारी सभी मिलिट्री यूनिट्स को उपलब्ध कराती है। सक्षम सिस्टम का उद्देश्य दुश्मन और अपने सभी अनमैन्ड एरियल सिस्टम डेटा को एक जीआईएस आधारित कॉमन प्लेटफॉर्म पर इंटीग्रेट करना, सॉफ्ट और हार्ड किल सिस्टम्स को जोड़ना, और फील्ड कमांडरों को ऑटोमेटेड डिसीजन सपोर्ट और विजुअलाइजेशन की सुविधा देना है।
सैन्य सूत्रों ने बताया कि यह सिस्टम (SAKSHAM CUAS System) भारतीय सेना के आकाशतीर सिस्टम से भी इनपुट लेगा, जिससे हवाई क्षेत्र में मौजूद सभी ऑब्जेक्ट्स चाहे वे फ्रैंडली हों, न्यूट्रल हों या दुश्मन के हों, उनकी एक स्पष्ट तस्वीर तैयार की जा सकेगी। जो बड़े से मॉनिटर पर दिखेगी।
सूत्रों ने बताया कि यह सिस्टम वायुसेना के इंटीग्रेटिड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) और आकाशतीर जैसा ही होगा, लेकिन ये केवल ड्रोन के लिए ही काम करेगा। इसमें मॉनिटर पर फ्रैंडली, न्यूट्रल और दुश्मन के ड्रोन अलग-अलग रंग के दिखाई देंगे। जिससे उन्हें पहचनना आसान होगा।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड थ्रेट एनालिसिस – SAKSHAM CUAS System
‘सक्षम’ सिस्टम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड थ्रेट एनालिसिस का इस्तेमाल करता है, जिससे संभावित हवाई खतरों की पहचान पहले से हो जाती है और तेजी से फैसले लेने में आसानी होती है। सक्षम सिस्टम रियल टाइम में रिकॉग्नाइज्ड यूएऍस पिक्चर (RUASP) तैयार कर सकता है। यह कई (काउंटर अनमैन्ड एरियल सिस्टम्स) हथियारों और सेंसरों को एक साथ जोड़कर कॉर्डिनेट रेस्पॉन्स देता है।
बॉर्डर Let’s में सभी यूनिट्स में होगा तैनात
सक्षम सिस्टम (SAKSHAM CUAS System) पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। बीईएल के बनाए इस सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित फ्यूजन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे भविष्य के युद्धक्षेत्रों के लिए इसे आसानी से अपग्रेड किया जा सकेगा।
SAKSHAM CUAS System प्रोजेक्ट को फास्ट ट्रैक प्रोक्योरमेंट के तहत मंजूरी दी गई है ताकि इसे तेजी से सेना की सभी फील्ड फॉर्मेशंस में शामिल किया जा सके। अगले एक साल के भीतर सक्षम सिस्टम को फील्ड में उतारने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सूत्रों ने बताया कि बॉर्डर इलाके में तैनात सभी यूनिट्स को इस सिस्टम से लैस किया जाएगा।
वहीं, सक्षम सिस्टम (SAKSHAM CUAS System) के लागू होने के बाद यह भारतीय सेना के काउंटर काउंटर अनमैन्ड एरियल सिस्टम्स ग्रिड की रीढ़ साबित होगी। यह जमीनी और हवाई दोनों तरह के खतरों की इंटीग्रेटेड तस्वीर कमांडरों को देगा। इस सिस्टम की मदद से भारतीय सेना भविष्य के बैटलफील्ड में एक डिजिटल और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन कंट्रोल सिस्टम डेवलप करेगी, जो भारतीय सेना के डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन (2023–2032) कार्यक्रम के मुताबिक है, जिसमें युद्ध के सभी डाइमेंशंस में टेक्निकल सुपीरियोरिटी और इंडीजीनस इनोवेशन पर जोर दिया गया है।