Kargil Vijay Diwas 2025: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना का बड़ा कदम, रूद्र, भैरव और दिव्यास्त्र करेंगे दुश्मनों का सर्वनाश

26th Kargil Vijay Diwas: After Operation Sindoor, Indian Army Launches Rudra Brigades, Bhairav Commandos, and Divyastra Batteries to Crush Future Threats

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सेना प्रमुख ने कहा कि 7 से 9 मई के बीच पाकिस्तान ने जो सैन्य कार्रवाई की, उसका भारतीय सेना ने तुरंत और सटीक जवाब दिया। हमारी आर्मी एयर डिफेंस एक मजबूत दीवार की तरह खड़ी रही, जिसे कोई ड्रोन या मिसाइल भेद नहीं सका। यह पूरा अभियान "राष्ट्रव्यापी समन्वय" का उदाहरण था, जहां सेना, वायुसेना, नौसेना और अन्य सरकारी विभाग एकजुट होकर खड़े हुए। उन्होंने कहा कि जो भी ताकतें भारत की संप्रभुता, एकता या जनता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगी, उन्हें करारा जवाब दिया गया है, और आगे भी दिया जाएगा...
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📍द्रास, कारगिल | 3 days ago

Kargil Vijay Diwas 2025: कारगिल युद्ध की 26वीं वर्षगांठ के अवसर पर सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भारतीय सेना की तीन नई मिलिट्री फॉर्मेशंस बनाने का एलाान किया। ये हैं रुद्र ब्रिगेड, भैरव लाइट कमांडो बटालियन और दिव्यास्त्र बैटरियां। इनका मकसद भारतीय सीमाओं की सुरक्षा को और अधिक सशक्त बनाना है, साथ ही सेना को मॉडर्न वॉरफेयर के लिए तैयार करना है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने यह घोषणा द्रास स्थित कारगिल युद्ध स्मारक पर की, जहां जनरल द्विवेदी ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी और सेना के भविष्य की योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया।। बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना प्रमुख पहली बार सार्वजनिक तौर पर बोले हैं।

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Kargil Vijay Diwas 2025: क्या है भारतीय सेना की नई रूद्र ब्रिगेड?

भारतीय सेना आज केवल वर्तमान खतरों का मुकाबला नहीं कर रही, बल्कि खुद को एक आधुनिक और भविष्य के लिए तैयार सैन्य शक्ति के रूप में भी खुद को तेजी से ढाल रही है। इसी दिशा में सेना ने दो इन्फैंट्री ब्रिगेड को रुद्र ब्रिगेड में बदल दिया है, जिन्हें अब सीमाओं पर तैनात किया गया है। जनरल द्विवेदी ने कहा, “रुद्र ब्रिगेड हमारी सेना का भविष्य है। यह युद्ध के मैदान में हमें रणनीतिक बढ़त देगी, खासकर संवेदनशील इलाकों में।

रुद्र ब्रिगेड भारतीय सेना का नया कॉन्सेप्ट है, जिसे “ऑल आर्म्स ब्रिगेड” भी कहा जाता है। इसका मतलब है कि इसमें हर प्रकार की कॉम्बैट यूनिट्स एक साथ काम करेंगी। जैसे कि पैदल सेना (इन्फैंट्री), बख्तरबंद गाड़ियां (टैंक और आर्मर्ड व्हीकल), मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री, तोपखाना (आर्टिलरी), स्पेशल फोर्स, और अनमैन्ड एरियल सिस्टम्स जिनमें ड्रोन भी शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद इन्हें बनाने की जरूरत समझी गई और प्रयोग के तौर पर दो इन्फैंट्री ब्रिगेड को रुद्र ब्रिगेड मे बदला गया। संतोषजनक परिणाम मिलने के बाद इसे बनाने का आधिकारिक एलान किया गया।

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इन सभी को मिलाकर एक ऐसी ब्रिगेड बनाई गई है, जो किसी भी परिस्थिति में तुरंत कार्रवाई कर सके और सीमाओं पर होने वाले खतरों का जवाब सटीक रूप में दे सके। रुद्र ब्रिगेड को खासतौर पर तैयार किया गया लॉजिस्टिक्स सपोर्ट और बैटल सपोर्ट सिस्टम दिया गया है, जिससे इन्हें बॉर्डर एरिया में तैनात करना आसान हो गया है।

‘घातक’ भैरव लाइट कमांडो बटालियन

सेना प्रमुख ने बताया कि इसके साथ ही, भैरव लाइट कमांडो बटालियन का भी गठन किया गया है, जो दुश्मन को चौंकाने और सीमाओं पर तेजी से कार्रवाई के लिए पूरी तरह तैयार है। भैरव बटालियन एक तेज, फुर्तीली और खतरनाक स्पेशल फोर्स यूनिट है। इसका नाम भगवान शिव के उग्र रूप ‘भैरव’ पर रखा गया है। इसका मकसद सीमाओं पर चुपके से दुश्मन के इलाकों में घुसकर टारगेट को नष्ट करना है।

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यह बटालियन आधुनिक नाईट विजन डिवाइस, MP5 सबमशीन गन और स्वदेशी ड्रोन बम से लैस किया गया है। ये सैनिक रात के अंधेरे या कोहरे में भी दुश्मन को हैरान कर सकते हैं। इन्हें पहाड़ों, बर्फीले क्षेत्रों और दुर्गम जंगलों में काम करने के लिए ट्रेन किया गया है। भैरव कमांडो दुश्मन की सप्लाई लाइन को काट सकते हैं, उनके बंकरों पर अचानक हमला कर सकते हैं और जरूरी जानकारियां जुटा सकते हैं। ये स्पेशल फोर्सेस यूनिट्स रात के अंधेरे में मिशन पूरा करने के लिए बनाई गई हैं। मिसाल के तौर पर, अगर एलएसी या एलओसी पर तनाव बढ़ता है, तो भैरव कमांडो दुश्मन की सप्लाई लाइन काट सकते हैं, उनके ठिकानों को नष्ट कर सकते हैं, और तोपखाने के लिए सटीक कोर्डिनेट्स दे सकते हैं।

जनरल द्विवेदी ने कहा कि भैरव यूनिट्स दुश्मन को चौंकाने और उनके मनोबल को तोड़ने का काम करेंगी। ये भारतीय सेना की विशेष क्षमताओं को नई ऊंचाई तक ले जाएंगी।

दिव्यास्त्र बैटरियां: भारतीय सेना की आर्टिलरी की नई ताकत

जनरल द्विवेदी ने कहा, “दिव्यास्त्र हमारी तोपखाने की ताकत को कई गुना बढ़ाएगा। उन्होंने बताया कि आर्टिलरी में ‘दिव्यास्त्र बैटरियों’ और लॉयटर म्युनिशन बैटरियों के जरिए भारतीय सेना की मारक क्षमता को कई गुना बढ़ा दिया गया है। सेना की एयर डिफेंस को भी अब स्वदेशी मिसाइल प्रणालियों से लैस किया जा रहा है।

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दिव्यास्त्र भारतीय सेना के आर्टिलरी सिस्टम का नया नाम है। इसमें कई अत्याधुनिक हथियार प्रणाली शामिल हैं। इसमें लॉयटर मुनिशन बैटरीज और स्वदेशी मिसाइल सिस्टम शामिल हैं। लॉयटर मुनिशन, जिन्हें ‘कामिकाजे ड्रोन’ भी कहा जाता है, हवा में लंबे समय तक मंडराकर दुश्मन पर सटीक हमला कर सकते हैं। ये हथियार दुश्मन की हरकतों पर नजर रखते हैं और सही समय पर हमला करते हैं, जिससे सेना को युद्ध में बड़ी बढ़त मिलती है।

दिव्यास्त्र में आकाश और QRSAM जैसी स्वदेशी मिसाइलें भी शामिल हैं, जो एरियल अटैक का मुकाबला करती हैं। ये मिसाइलें न केवल सटीक हैं, बल्कि सस्ती भी हैं। यह भविष्य के युद्धों में गेम-चेंजर होगा।” हर पैदल सेना बटालियन में अब ड्रोन प्लाटून भी शामिल किए गए हैं, जो रियल-टाइम जासूसी और हमले में मदद करेंगे।

हर इन्फैंट्री बटालियन में ड्रोन प्लाटून

सेना प्रमुख ने यह भी बताया कि अब हर इन्फैंट्री बटालियन में अलग से एक ड्रोन प्लाटून होगी। इसका मकसद यह है कि किसी भी इलाके में दुश्मन की हलचल की तुरंत जानकारी मिल सके। ड्रोन प्लाटून के जरिए सैनिक बिना खतरे में पड़े दुश्मन की पोजिशन, मूवमेंट और हथियारों की स्थिति जान सकते हैं। यह तकनीक युद्ध के मैदान में भारतीय सेना को बड़ी बढ़त देती है।

ऑपरेशन सिंदूर पर बोले सेना प्रमुख

जनरल द्विवेदी ने हाल ही में संपन्न ऑपरेशन सिंदूर का भी उल्लेख किया। यह ऑपरेशन उस समय चलाया गया जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को एक बड़ा आतंकवादी हमला हुआ था, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे। जिसके जवाब में भारतीय सेना ने 6 और 7 मई की रात को पाकिस्तान और पीओजेके में 9 बड़े आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया। यह हमला इस तरह से किया गया कि किसी भी निर्दोष नागरिक की जान नहीं गई। उन्होंने कहा, यह सिर्फ जवाब नहीं था, बल्कि एक साफ संदेश था “अब जो आतंकवाद को पनाह देंगे, वे बच नहीं पाएंगे।”

उन्होंने कहा कि 7 से 9 मई के बीच पाकिस्तान ने जो सैन्य कार्रवाई की, उसका भारतीय सेना ने तुरंत और सटीक जवाब दिया। हमारी आर्मी एयर डिफेंस एक मजबूत दीवार की तरह खड़ी रही, जिसे कोई ड्रोन या मिसाइल भेद नहीं सका। यह पूरा अभियान “राष्ट्रव्यापी समन्वय” का उदाहरण था, जहां सेना, वायुसेना, नौसेना और अन्य सरकारी विभाग एकजुट होकर खड़े हुए। उन्होंने कहा कि जो भी ताकतें भारत की संप्रभुता, एकता या जनता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगी, उन्हें करारा जवाब दिया गया है, और आगे भी दिया जाएगा।

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सेना प्रमुख ने शुरू की तीन नई पहल

कारगिल विजय की 26वीं वर्षगांठ के अवसर पर सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कारगिल युद्ध स्मारक पर तीन नई पहलों का उद्घाटन किया, जिन्हें ‘लेगेसी प्रोजेक्ट्स’ नाम दिया गया है। इन पहलों का उद्देश्य कारगिल युद्ध के नायकों की स्मृति को सहेजना और युवाओं को सैन्य इतिहास से जोड़ना है।

इंडस व्यू पॉइंट: युद्ध पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

इन परियोजनाओं में पहला है इंडस व्यू पॉइंट, जिसे बटालिक सेक्टर में स्थापित किया गया है। यहां से पर्यटक उस स्थान को देख सकते हैं जहां सिंधु नदी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में प्रवेश करती है। सेना ने इसे बैटल एरिया टूरिज्म यानी युद्ध क्षेत्र पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विकसित किया है। यह स्थान न सिर्फ रणनीतिक रूप से अहम है, बल्कि कारगिल युद्ध के दौरान कई घटनाओं का साक्षी भी रहा है।

ई-श्रद्धांजलि पोर्टल: अब शहीदों को ऑनलाइन दी जा सकेगी श्रद्धांजलि

दूसरी पहल के रूप में सेना ने ई-श्रद्धांजलि पोर्टल की शुरुआत की है। यह एक डिजिटल मंच है, जहां देश के नागरिक अब किसी भी स्थान से कारगिल युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं। यह पोर्टल न केवल भावनात्मक जुड़ाव का माध्यम है, बल्कि नई पीढ़ी को शहीदों की गाथा से जोड़ने का एक प्रयास भी है।

सेना के अनुसार, यह पोर्टल देशभर के युवाओं, स्कूली छात्रों, एनसीसी कैडेट्स और आम नागरिकों को वीरगति को प्राप्त सैनिकों के प्रति सम्मान प्रकट करने का एक आधुनिक माध्यम प्रदान करेगा।

QR-आधारित ऑडियो गेटवे: युद्ध स्मारक पर इतिहास अब डिजिटल रूप में

तीसरी पहल के तहत कारगिल युद्ध स्मारक पर QR-आधारित ऑडियो गेटवे लगाया गया है। इस तकनीक के जरिए स्मारक पर आने वाले लोग क्यूआर कोड स्कैन करके अपने मोबाइल फोन पर युद्ध से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां, वीर गाथाएं और ऐतिहासिक प्रसंग सुन सकते हैं। यह एक तरह का इंटरएक्टिव डिजिटल अनुभव है, जिससे युद्ध स्मारक की जानकारी और भावनात्मक असर और गहरा होगा।

युवाओं, वेटरन्स और सीमांत गांवों को जोड़ने की पहल

सेना प्रमुख ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि लद्दाख जैसे सीमांत इलाकों में सेना अब केवल सुरक्षा का काम नहीं कर रही, बल्कि विकास में भी भागीदार बन रही है। सेना की संचार प्रणाली का उपयोग अब दूरदराज के गांवों में मोबाइल नेटवर्क देने के लिए किया जा रहा है। इसके साथ ही, सीमांत गांवों में टूरिज्म को बढ़ावा देने, वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को आगे ले जाने, और स्थानीय युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सेना लगातार काम कर रही है।

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