📍लखनऊ | 29 Sep, 2025, 11:21 PM
Future Wars: लखनऊ में आयोजित एक सेमिनार में डायरेक्टर जनरल ऑफ इन्फैंट्री लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने कहा कि इन्फैंट्री को आधुनिक बनाने की दिशा में केवल हथियारों का अपग्रेडेशन काफी नहीं है। इसके लिए नई तकनीकों का समावेश, थ्योरीज का रिफाइनमेंट और हर स्तर पर ऑपरेशनल रेडीनेस को बढ़ाना जरूरी है। सेमिनार में इस पर भी जोर दिया गया आधुनिक युद्ध केवल बंदूक और टैंक तक सीमित नहीं रह गए हैं। बल्कि आज हाइब्रिड थ्रेट्स, ड्रोन वारफेयर, साइबर कॉन्फ्लिक्ट और मल्टी-डोमेन ऑपरेशन्स युद्ध की नई हकीकत हैं।
29 सितंबर 2025 को लखनऊ स्थित मुख्यालय सेंट्रल कमांड में फील्ड मार्शल केएम करियप्पा मेमोरियल सेमिनार का आयोजन किया गया। यह आयोजन डायरेक्टरेट जनरल ऑफ इन्फैंट्री और सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज (CLAWS) के सहयोग से हुआ। कार्यक्रम का मुख्य विषय था – “मॉडर्नाइजेशन ऑफ इन्फैंट्री सोल्जर टू फाइट कंटपरेरी एंड फ्यूचर वॉर्स”। इसमें स्वतंत्र भारत के पहले कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा की स्मृति को नमन करते हुए भारतीय इन्फैंट्री को भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप तैयार करने की रणनीति पर मंथन किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन डायरेक्टर जनरल ऑफ इन्फैंट्री लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने किया। उन्होंने कहा कि इन्फैंट्री को आधुनिक बनाने की दिशा में केवल हथियारों का अपग्रेडेशन काफी नहीं है। उनका जोर इस बात पर था कि नई तकनीकों को अपनाने, सिद्धांतों में बदलाव लाने और हर स्तर पर कॉम्बैट रेडीनेस को बेहतर करने की आवश्यकता है।
सेंट्रल कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने कहा कि इन्फैंट्री का आधुनिकीकरण कोई विकल्प नहीं बल्कि आवश्यकता है। सेनगुप्ता ने सैनिकों की फुर्ती, अनुकूलन क्षमता और तकनीक-आधारित ट्रेनिंग को भविष्य के जटिल युद्धों में जीत का आधार बताया। उन्होंने कहा कि सेना, शिक्षा जगत और उद्योग को मिलकर काम करना होगा ताकि इन्फैंट्री को हाइब्रिड थ्रेट्स, ड्रोन वारफेयर, साइबर कॉन्फ्लिक्ट और मल्टी-डोमेन ऑपरेशन्स जैसी चुनौतियों के लिए तैयार किया जा सके। सेनगुप्ता ने सैनिकों में फुर्ती, अनुकूलन क्षमता और टेक्नोलॉजी-आधारित ट्रेनिंग को आवश्यक बताया। उनका कहना था कि बदलते युद्धक्षेत्र में केवल हथियार नहीं, बल्कि सैनिकों का माइंडसेट भी आधुनिक होना चाहिए।
सेमिनार में विशेषज्ञों ने आधुनिक युद्ध की बदलती तस्वीर पर जोर दिया। मेजर जनरल विवेक सेहगल (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर ने पारंपरिक रणनीतियों को अप्रासंगिक बना दिया है। मेजर जनरल पंकज सक्सेना (सेवानिवृत्त) ने बताया कि यूएएस और काउंटर-ड्रोन तकनीक युद्ध की दिशा तय कर रही हैं। वहीं, सेमिनार में लेफ्टिनेंट जनरल डी.पी. पांडे (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारतीय इन्फैंट्री को केवल पैदल सैनिक के तौर पर नहीं देखा जा सकता। अब उसे तकनीकी रूप से प्रशिक्षित, अनुकूलनशील और बहु-क्षेत्रीय ऑपरेशन्स में सक्षम बनाना होगा।
मेजर जनरल विवेक सेहगल (सेवानिवृत्त) ने कहा कि युद्धक्षेत्र लगातार बदल रहा है। ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर जैसे नए खतरों ने पारंपरिक रणनीतियों को अप्रासंगिक बना दिया है। उन्होंने कहा कि भारत को आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ते हुए स्वदेशी तकनीकों का इस्तेमाल करना होगा। इससे न केवल भारतीय सेना की क्षमताएँ बढ़ेंगी बल्कि विदेशी सप्लाई चेन पर निर्भरता भी कम होगी।
सेमिनार के समापन पर सेंट्रल कमांड के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल नवीन सचदेवा ने कहा कि इन्फैंट्री का आधुनिकीकरण केवल हथियारों तक सीमित नहीं होना चाहिए। इसके लिए डेटा-आधारित फैसले, रियलिस्टिक ट्रेनिंग और उद्योग-शैक्षणिक संस्थानों के साथ साझेदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सेना को ऐसी यूनिट्स तैयार करनी होंगी जो हर क्षेत्र में बिना रुकावट और तेजी से काम कर सकें।
सेमिनार में लगातार इस बात पर जोर दिया गया कि आधुनिक युद्ध केवल बंदूक और टैंक तक सीमित नहीं रह गए हैं। आज हाइब्रिड थ्रेट्स, ड्रोन वारफेयर, साइबर कॉन्फ्लिक्ट और मल्टी-डोमेन ऑपरेशन्स युद्ध की नई हकीकत हैं। इन हालात में भारतीय इन्फैंट्री को केवल उपकरणों से ही नहीं बल्कि मानसिकता और प्रशिक्षण के स्तर पर भी आधुनिक बनाना होगा।