📍नई दिल्ली | 22 Oct, 2025, 8:55 PM
Bhairav-Ashni: भारतीय सेना ने अपनी नई दो फॉरमेशंस भैरव बटालियन और अश्नि प्लाटून को ऑपरेशनल कर दिया है। ये दोनों यूनिट्स मॉडर्न बैटलफील्ड की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार की गई हैं। सेना अब तक 5 भैरव बटालियनें खड़ी कर चुकी है, जिन्हें अलग-अलग फॉरवर्ड एरिया में तैनात किया जा चुका है। ये बटालियनें ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना के आधुनिकीकरण और “फ्यूचर रेडी फोर्स” विजन का हिस्सा हैं।
डायरेक्टर जनरल इन्फैंट्री लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने बातचीत में बताया कि “भैरव बटालियन को पारंपरिक इन्फैंट्री और स्पेशल फोर्सेज के बीच की खाई को भरने के लिए तैयार किया गया है। ये बटालियनें छोटे स्तर पर लेकिन अत्यधिक प्रशिक्षित सैनिकों से बनी हैं, जो तेजी से और निर्णायक कार्रवाई करने में सक्षम हैं।”
Bhairav-Ashni: 25 बटालियन तैयार करने की योजना
जनरल कुमार ने बताया कि पहले चरण में पांच भैरव बटालियन तैयार की गई हैं, जिनकी ट्रेनिंग 1 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है और 30 अक्टूबर तक चलेगी। छह महीने के भीतर इनकी संख्या बढ़ाकर 25 बटालियन करने की योजना है। उन्होंने बताया कि इन इकाइयों को पहले ही “इंटेंडेड एरिया ऑफ आपरेशंस” में तैनात कर दिया गया है और “ओन-द-जॉब ट्रेनिंग” के बाद ये यूनिट्स रियल मिशंस के लिए तैयार होंगी।
Bhairav-Ashni: डिस्पोजेबल हथियार सिस्टम से लैस
भैरव बटालियनें लगभग 250 सैनिकों की यूनिट होती हैं, जो पारंपरिक इन्फैंट्री बटालियन (800-900 सैनिकों) की तुलना में छोटी हैं। इनमें आर्टिलरी, सिग्नल और एयर डिफेंस के प्रशिक्षित जवानों को भी शामिल किया गया है। इन इकाइयों को पर्सनल एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल्स, लॉइटरिंग म्यूनिशन्स और विभिन्न प्रकार के ड्रोन से लैस किया गया है। इनके पास डिस्पोजेबल हथियार सिस्टम होंगे जिन्हें फायर करने के बाद तुरंत छोड़ा जा सकता है, जिससे सैनिक तेजी से आगे बढ़ सकें।
ये लाइट कमांडो बटालियनें तुरंत हमले, सीमा सुरक्षा, काउंटर-इंसर्जेंसी और दुश्मन की गतिविधियों में बाधा डालने के लिए डिजाइन की गई हैं। इन्हें “सेव एंड रेज” मॉडल के तहत बिना कोई नई भर्ती किए मौजूदा इन्फैंट्री बटालियनों से सैनिकों को रीलोकेट करके बनाया जा रहा है। यह पहल ऑपरेशन सिंदूर के बाद थलसेना की आधुनिकीकरण योजना का हिस्सा है।
लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने कहा, “भैरव बटालियन दुश्मन की संवेदनशील और हाई-वैल्यू टारगेट्स पर तेज, असरदार कार्रवाई करने के लिए तैयार की गई हैं। यह यूनिट्स लीन एंड मीन होंगी- यानी कम संख्या में अधिक प्रभावशाली मारक क्षमता। ये छोटे आकार की लेकिन अत्यंत प्रभावी यूनिट्स हैं, जो अपने सीमित आकार के बावजूद अनुपात से अधिक परिणाम देने में सक्षम होंगी।”
उन्होंने बताया कि ये बटालियनें सेना के आधुनिकीकरण अभियान के तहत डिकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन का हिस्सा हैं। भैरव यूनिट्स को ऐसे इलाकों में तैनात किया जा रहा है जहां तुरंत जवाबी कार्रवाई, सटीक वार और सीमित समय में निर्णायक कार्रवाई की जरूरत होती है।
यहां हुईं तैनात
सूत्रों के अनुसार सेना की पांच भैरव बटालियनों को में से पहली बटालियन लद्दाख में नॉर्दर्न कमांड के तहत रेकॉनिसेंस और क्रॉस-बॉर्डर ऑपरेशंस के लिए तैनात है। दूसरी और तीसरी बटालियनें श्रीनगर और नगरोटा 15वीं 16वीं कोर के तहत एलओसी पर काउंटर-टेरर मिशनों के लिए तैयार हैं। चौथी बटालियन पश्चिमी कमांड के तहत राजस्थान/पंजाब के रेगिस्तानी इलाके में और पांचवीं बटालियन पूर्वी कमांड के तहत अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा पर तैनात है।
Bhairav-Ashni: अश्नि प्लाटून: बैटलफील्ड में ड्रोन की ताकत
इन्फैंट्री के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार के मुताबिक भैरव बटालियन के समानांतर, भारतीय सेना ने प्रत्येक इन्फैंट्री बटालियन में एक ‘अश्नि प्लाटून’ बनाई है। अश्नि” का अर्थ है ‘अग्नि’ या ‘ऊर्जा’, जिसके तहत बैटलफील्ड में ड्रोन आधारित युद्धक क्षमता को इन्फैंट्री की ताकत में शामिल करना है।
डीजी इन्फैंट्री ने बताया कि “380 से अधिक इन्फैंट्री बटालियनों में अश्नि प्लाटून तैयार की गई हैं। ये प्लाटून दो कैटेगरी में काम करती हैं, पहली सर्विलांस और दूसरी लॉइटर म्युनिशन।” अश्नि प्लाटून को “ईगल ऑन आर्म्स” कॉन्सेप्ट के तहत बनाया गया है, जिसमें हर सैनिक अपने प्लेटफॉर्म के साथ ड्रोन ऑपरेट करने में कैपेबल होगा। पहले प्रकार की प्लाटून ड्रोन दुश्मन की गतिविधियों की निगरानी करते हैं, जबकि दूसरे प्रकार की प्लाटून ड्रोन से सटीक हमले करेगी।
Bhairav-Ashni: एफपीवी ड्रोन की ट्रेनिंग
लेफ्टिनेंट जनरल कुमार के मुताबिक अश्नि यूनिट्स को भारतीय उद्योगों द्वारा निर्मित उपकरणों से लैस करने के लिए 9 कैटेगरी के ड्रोन का ट्रायल चल रहा है। इनमें इन्फॉर्मेशन, सर्वेलेंस, रिकॉनिसेंस (आईएसआर) और कामीकाजी ड्रोन शामिल हैं। उन्होंने बताया कि अश्नि प्लाटून के सैनिकों को फर्स्ट पर्सन व्यू (एफपीवी) ड्रोन ऑपरेशन की विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है, जिससे वे रियल टाइम इमेजरी, लक्ष्य निर्धारण और सटीक हमला करने में सक्षम बन सकें।
काउंटर-यूएएस सिस्टम तैनात
प्रत्येक इन्फैंट्री बटालियन में 16 ड्रोन प्लाटून होंगी, जिनमें से कुछ लंबी दूरी की और कुछ नजदीकी मिशनों के लिए सक्षम होंगी। सेना के अनुसार, ये यूनिट्स दुश्मन के इलाके में अंदर तक जाकर सटीक प्रहार करने की क्षमता रखती हैं।
उन्होंने बताया कि ड्रोन के साथ-साथ, सेना ने काउंटर-यूएएस सिस्टम (काउंटर-अनमैनड एरियल सिस्टम्स) भी तैनात किए हैं ताकि दुश्मन के ड्रोन हमलों से सैनिकों की रक्षा की जा सके।
आत्मनिर्भर भारत पहल का हिस्सा
सेना की ये दोनों नई इकाइयां भैरव और अश्नि ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का हिस्सा हैं। इनके लिए जरूरी हथियार और उपकरण घरेलू रक्षा उद्योग और डीपीएसयू (डिफेंस पब्लिक सेक्टर यूनिट्स) के सहयोग से तैयार किए जा रहे हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने कहा, “भारतीय इन्फैंट्री अब भविष्य के युद्धक्षेत्र के लिए तैयार है। ड्रोन, स्मार्ट हथियार और विशेष रूप से प्रशिक्षित सैनिक हमारी रणनीतिक क्षमताओं को नए स्तर पर ले जा रहे हैं।”