📍नई दिल्ली | 4 days ago
72 Infantry Division: भारतीय सेना अपने ऑर्डर ऑफ बैटल (ORBAT) में बड़ा बदलाव कर रही है। इसके लिए भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर लंबे समय तक सैन्य तैनाती के लिए एक नई डिवीजन 72 इन्फैंट्री डिवीजन (72 Infantry Division) बनाने का फैसला किया है। 72 इन्फैंट्री डिवीजन को लेह स्थित 14 फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के तहत रखा जाएगा। इस कॉर्प्स को 1999 के कारगिल युद्ध के बाद बनाया गया था। यह कॉर्प्स सियाचिन से लेकर पूर्वी लद्दाख की सुरक्षा करती है।
भारतीय सेना 1999 के कारगिल युद्ध से पहले से ही पूर्वी लद्दाख के लिए एक अतिरिक्त डिवीजन मांग रही थी, लेकिन किसी भी सरकार (BJP या कांग्रेस) ने इस पर ध्यान नहीं दिया। माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स बनाने को लेकर मंजूरी तो मिली, लेकिन बजट की कमी के कारण यह पूरी नहीं हुई। वहीं, 72 इन्फैंट्री डिवीजन उसी कॉर्प्स का हिस्सा है, जिसे अब नए इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप (IBG) के तहत बदला जा रहा है।
72 इन्फैंट्री डिवीजन को बनाने का फैसला 2017 में लिया गया था। उस समय इसे 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स (MSC) का हिस्सा बनाना था, जिसका मुख्यालय पानागढ़, पश्चिम बंगाल में है। लेकिन 2020 में गलवान घटना के बाद सेना ने अपनी रणनीति बदली। अब इस डिवीजन को 14 कॉर्प्स के तहत लद्दाख में तैनात किया जा रहा है। इसका मुख्यालय लेह में बनाया जा रहा है, जिसमें 25 अफसर, 30 जूनियर कमीशंड अफसर (JCOs) और 112 जवान होंगे।
🚨 Big Move by Indian Army in Eastern Ladakh!
In a strategic shift amid tensions with China, the Indian Army has realigned its forces in Eastern Ladakh along the LAC by finalising the newly raised 72 Infantry Division under 14 Corps (Leh-based).
🛡️ No new troops are being…— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) May 29, 2025
72 Infantry Division में कोई नई भर्ती नहीं
72 इन्फैंट्री डिवीजन (72 Infantry Division) में 10,000 से 15,000 जवान होंगे। इसका नेतृत्व एक मेजर जनरल करेंगे। इस डिवीजन का गठन नए सैनिकों की भर्ती के बिना किया जा रहा है। इसके बजाय, सेना मौजूदा ब्रिगेड्स को फिर से संगठित कर रही है। 2020 के गलवान संघर्ष के बाद, सेना ने बरेली से 6 माउंटेन ब्रिगेड और मथुरा स्थित 1 स्ट्राइक कॉर्प्स के कुछ रिसोर्सेज को लद्दाख में ट्रांसफर किया था। इनमें आर्मर्ड व्हीकल्स, इन्फैंट्री फाइटिंग व्हीकल्स और सैनिक शामिल थे। अब इन यूनिट्स को 72 इन्फैंट्री डिवीजन में शामिल किया जाएगा।
इस डिवीजन में तीन से चार ब्रिगेड्स होंगी, जिनमें से प्रत्येक का नेतृत्व एक ब्रिगेडियर करेगा। इसका मुख्यालय पूर्वी लद्दाख में बनाया जा रहा है। एक ब्रिगेड मुख्यालय पहले ही काम शुरू कर चुका है, जबकि बाकी यूनिट्स पश्चिमी भारत में हाई एल्टीट्यूड वारफेयर की ट्रेनिंग ले रही हैं। यह डिवीजन 14 कॉर्प्स का हिस्सा होगी, जिसके पास 832 किलोमीटर लंबी LAC, द्रास-कारगिल-बटालिक सेक्टर में LoC, और सियाचिन ग्लेशियर की जिम्मेदारी है।
क्यों बनाई 72 Infantry Division?
72 इन्फैंट्री डिवीजन (72 Infantry Division) के गठन का फैसला 2020 के गलवान संघर्ष के बाद शुरू हुए सैन्य तनाव के बाद लिया गया। उस समय, सेना ने तत्कालीन जरूरतों को देखते हुए अस्थायी तौर पर काउंटर इंसर्जेंसी फोर्स (CIF) “यूनिफॉर्म फोर्स” को गलवान घाटी और उसके आसपास के महत्वपूर्ण क्षेत्रों की जिम्मेदारी संभालने के लिए पूर्वी लद्दाख में तैनात किया था। 72 डिवीजन की तैनाती पूरी होने के बाद CIF यूनिफॉर्म 16वीं कोर जम्मू के रियासी में अपनी पुरानी जगह पर वापस लौट जाएगी। यह डिवीजन 14 कॉर्प्स की बाकी दो डिवीजन 8 माउंटेन डिवीजन (LoC के लिए) और 3 इन्फैंट्री डिवीजन (LAC के लिए) के साथ मिलकर काम करेगी।
क्या बदलेगा इस डिवीजन से?
72 इन्फैंट्री डिवीजन (72 Infantry Division) के आने से लद्दाख में सेना की तैनाती में बड़ा बदलाव आएगा। सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि सेना LAC पर ज्यादा तेजी से जवाब दे सकेगी। पहले से मौजूद ब्रिगेड्स को इस डिवीजन के तहत नए सिरे से सिस्टेमैटिक किया जाएगा, जिससे कमांड सिस्टम बेहतर होगा। यह डिवीजन ऊंचाई वाले इलाकों में काम करने के लिए तैयार की जा रही है। लद्दाख में मौसम बहुत ठंडा रहता है और ऑक्सीजन की कमी होती है। इसके लिए सैनिकों को खास ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि वे इन हालातों में काम कर सकें। इस डिवीजन में टैंक और बख्तरबंद गाड़ियां भी होंगी, जो जरूरत पड़ने पर दुश्मन पर हमला करने में मदद करेंगी।
सेना की दूसरी सबसे बड़ी रिस्ट्रक्चरिंग
यह 2020 में चीन के साथ तनाव शुरू होने के बाद सेना की दूसरी सबसे बड़ी रिस्ट्रक्चरिंग है। अक्टूबर 2021 में, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में 545 किमी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लखनऊ स्थित सेंट्रल कमांड के कंट्रोल में लाया गया था। बरेली में स्थित ‘उत्तर-भारत’ क्षेत्र को इन दो पहाड़ी राज्यों में LAC की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई, और वेस्टर्न कमांड की एक महत्वपूर्ण स्ट्राइक डिवीजन को सेंट्रल कमांड को सौंपा गया। पहले, हिमाचल में LAC की सुरक्षा का जिम्मा चंडीमंदिर स्थित वेस्टर्न कमांड के पास था।
वहीं, वेस्टर्न कमांड के तीन मुख्य कॉर्प्स 2 स्ट्राइक कॉर्प्स (अंबाला), 11 कॉर्प्स (जालंधर), और 9 कॉर्प्स (योल, हिमाचल) का अब केवल फोकस “पश्चिम की ओर” रहेगा। इसका मतलब है कि इन तीनों कॉर्प्स का पूरा फोकस अब पाकिस्तान की ओर होगा।
2 स्ट्राइक कॉर्प्स (अंबाला, हरियाणा) में तैनात है, जिसका मुख्य काम हमला करना है। यह कॉर्प्स जरूरत पड़ने पर दुश्मन के इलाके में जाकर हमला करने के लिए तैयार रहती है। इसका मुख्यालय अंबाला में है और यह हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के कुछ हिस्सों में सक्रिय है। इस कॉर्प्स में टैंक, बख्तरबंद गाड़ियां और हमलावर सैनिक होते हैं, जो तेजी से हमला कर सकते हैं।
11 कॉर्प्स का मुख्यालय जालंधर में है। यह कॉर्प्स पंजाब के इलाके में पाकिस्तान से लगने वाली सीमा की सुरक्षा करती है। इसका काम रक्षा करना और दुश्मन को रोकना है। यह कॉर्प्स जालंधर, अमृतसर, गुरदासपुर जैसे इलाकों में तैनात है।
9 कॉर्प्स का मुख्यालय योल (हिमाचल प्रदेश) में है। यह कॉर्प्स हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों में सक्रिय है। इसका काम रक्षा करना और पहाड़ी इलाकों में सीमा की सुरक्षा करना है। यह कॉर्प्स खास तौर पर ऊंचाई वाले इलाकों में काम करने के लिए तैयार की गई है।
LAC पर चीन बना रहा इंफ्रास्ट्रक्चर
चीन ने LAC पर अपनी सैन्य मौजूदगी को लगातार मजबूत किया है। उसने लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश, खासकर तवांग, में सड़कें, शिविर, और दोहरे उपयोग (सैन्य और नागरिक) वाले गांव बनाए हैं। हाल ही में, पांगोंग त्सो झील के पास 400 मीटर लंबा एक पुल बनाया गया, जो खासतौर पर चीनी सेना की मोबिलिटी देने के लिए बनाया गया है। इसके अलावा, चीन ने कच्ची सड़कों को पक्का करने के अलावा और सर्विलांस सिस्टम को बढ़ाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया है।
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अक्टूबर 2024 से शुरू हुआ बातचीत का दौर
गलवान संघर्ष के बाद, भारत और चीन ने कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक बातचीत की। 2021 में पांगोंग त्सो, गोगरा, और हॉट स्प्रिंग्स जैसे क्षेत्रों में डिसएंगेजमेंट पर सहमति बनी, लेकिन डेपसांग और डेमचोक जैसे क्षेत्रों में समस्याएं बनी रहीं। वहीं, 2024 के अंत में, भारत और चीन ने डेपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी पर सहमति जताई। अक्टूबर 2024 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की और बातचीत को फिर से शुरू करने को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल और विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी चीनी अधिकारियों के साथ चर्चा की। भारत का रुख स्पष्ट है: सीमा पर शांति स्थापित किए बिना संबंध सामान्य नहीं हो सकते।