📍नई दिल्ली | 26 seconds ago
Pakistan Missile exposed: पाकिस्तान ने हाल ही में एक छोटा वीडियो जारी कर दावा किया कि उसने जहाज से दागी जाने वाली एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। वीडियो जारी होते ही पाकिस्तानी सोशल मीडिया नेटवर्क में खुशियों की लहर दौड़ गई। कई ने इसे हाइपरसोनिक, कुछ ने “800 किलोमीटर कैरियर किलर” और कुछ ने “भारत के एयरक्राफ्ट कैरियर को पलक झपकते डुबो देने वाली मिसाइल” तक बता दिया। लेकिन इन दावों के बीच एक बात साफ रही कि पाकिस्तान की तरफ से जारी आधिकारिक जानकारी बेहद सीमित थी।
आईएसपीआर ने अपनी रिलीज में मिसाइल के बारे में कोई ठोस जानकारी ही नहीं दी। न रेंज बताई, न स्पीड का जिक्र किया, न सीकर टेक्नोलॉजी की बात की गई और न ही उस जहाज का नाम बताया गया जिससे परीक्षण किया गया था। वीडियो में भी किसी बड़े डेक या पहचान योग्य प्लेटफॉर्म को दिखाने से भी परहेज किया गया। सिर्फ एक लॉन्च दिखाई दिया और समुद्र में दूर एक स्पलैश। इस टेस्ट का न तो कोई टेलीमेट्री या ट्रैकिंग डेटा था और न ही कोई फोटो कि किसी कैसे मिसाइल ने टारगेट को निशाना बनाया। इस तरह की जानकारी आमतौर पर किसी भी ट्रांसपेरेंट मिसाइल टेस्ट में दी जाती है, लेकिन इस वीडियो में कुछ भी नहीं था।
पाकिस्तान की तरफ से जारी आधिकारिक बयान जितना अस्पष्ट था, उतने ही बढ़ा-चढ़ाकर दावे उसके बाद सोशल मीडिया पर किए गए। जैसे ही आईएसपीआर ने अपना संक्षिप्त बयान जारी किया, उससे जुड़े सोशल अकाउंट्स ने तुरंत मिसाइल के बारे में स्वयं ही नई कहानियां गढ़ना शुरू कर दिया। अचानक दावा किया जाने लगा कि यह मिसाइल मैक-8 की रफ्तार से उड़ती है, यह भारतीय नौसेना के कैरियर को निशाना बना सकती है और यह भारत की किसी भी नौसैनिक क्षमता से आगे है। दिलचस्प यह है कि इनमें से कोई भी जानकारी पाकिस्तान के आधिकारिक चैनलों से नहीं आई थी।
🇵🇰 Pakistan Navy just shook the waters — firing its SMASH supersonic missile, a high-speed strike weapon with an estimated 350–400 km range.
A single hit from this missile can cripple major warships, making it one of the most serious new threats to India’s frontline destroyers. pic.twitter.com/7e4AtW3Krw— Global Insight Journal (@GlobalIJournal) November 26, 2025
लेकिन असलियत इससे बिल्कुल अलग है। ओपन सोर्स से मिली जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान की जिस मिसाइल को पी-282 स्मैश कहा जा रहा है, उसे अब भी एक शॉर्ट-रेंज कोस्टल डिफेंस मिसाइल माना जाता है, जिसकी रेंज 290 से 350 किलोमीटर के बीच मानी जाती है। यह क्षमता लगभग चीन की सीएम-401 मिसाइल के डिजाइन से मेल खाती है, जिसे कोस्टल सिक्योरिटी के लिए उपयोग किया जाता है, न कि गहरे समुद्र में मौजूद कैरियर ग्रुप्स पर हमला करने के लिए। पाकिस्तान के किसी आधिकारिक बयान में इसे “कैरियर-किलर” या “हाइपरसोनिक” नहीं कहा गया है। यह छवि केवल सोशल मीडिया पर गढ़ी गई।
दिलचस्प बात यह रही कि भारत ने इस दावे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। भारतीय नौसेना ने कोई बयान नहीं दिया, न कोई वीडियो जारी किया और न ही कोई पलटवार किया।
इससे पहले भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आईएनएस विक्रांत और उसका एस्कॉर्ट समूह अरब सागर में पूरी आजादी के साथ एक्टिव रहा। तब पाकिस्तान की नौसेना अपने जहाजों को कराची के आसपास तक सीमित रखे हुए थी। खुले समुद्र में मौजूद रहने के बजाय उसने एक के बाद एक कई नेव-एरिया वार्निंग जारी कीं।
वहीं, भारत ने समुद्र में अपनी क्षमता दिखा दी थी, जबकि पाकिस्तान ने स्क्रीन पर अपनी क्षमता दिखाने की कोशिश की। पाकिस्तान के वीडियो में मिसाइल का टारगेट एक स्थिर समुद्री बार्ज था, जिस पर कोई सुरक्षा या इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट मौजूद नहीं था। जबकि भारतीय नौसेना के कैरियर समूह में मल्टी-लेयर सिक्योरिटी होती है, जिसमें बाराक-8 मिसाइलें, एमएफ-स्टार रडार, एडवांस इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, डिकॉय, डेस्ट्रॉयर, फ्रिगेट और पनडुब्बियां शामिल हैं।
पाकिस्तान के दावे और उसके वीडियो में दिखी क्षमता के बीच इतना बड़ा अंतर था कि डिफेंस कम्युनिटी ने इसे गंभीरता से लिया ही नहीं। दरअसल एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है रियल-टाइम में चल रहे कैरियर समूह को ढूंढना और उस पर निशाना साधना। इसके लिए सैटेलाइट नेटवर्क, ओवर-द-होराइजन सेंसर और इंटीग्रेटेड आईएसआर (इंटेलिजेंस-सर्विलांस-रीकॉन) सिस्टम की जरूरत होती है। पाकिस्तान के पास ऐसी क्षमताएं नहीं हैं। बिना रियल टाइम ट्रैकिंग के मिसाइल बेकार है।
आईएसपीआर के अस्पष्ट बयान, सोशल मीडिया द्वारा बढ़ा-चढ़ा कर किए गए दावे और वीडियो में मिसाइल परीक्षण के अहम सबूतों के न होने से पाकिस्तान का दावा पूरी तरह से फेल हो गया है। लेकिन एक बात साफ हो गई है कि दक्षिण एशिया में अब लड़ाई सिर्फ समुद्र में नहीं, बल्कि इंटरनेट पर भी लड़ी जा रही है। जहां क्षमता कम होती है, वहां कुछ देश वीडियो और प्रचार के सहारे अपनी छवि बनाने की कोशिश करते हैं। लेकिन प्रचार की एक सीमा होती है, असलियत सामने आ ही जाती है।
