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ISI in Bangladesh: बांग्लादेश आर्मी चीफ को हटाकर ULFA के जरिए ‘चिकन नेक’ पर कब्जा करना चाहती है ISI, रंगपुर में रची ये बड़ी साजिश

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📍नई दिल्ली | 27 Jan, 2025, 2:43 PM

ISI in Bangladesh: भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव के बीच ऐसी खबरें आ रही हैं कि हाल ही में पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों ने  बांग्लादेश के सीमावर्ती इलाकों का दौरा किया था। ये अधिकारी भारत के “चिकन नेक” क्षेत्र के पास देखे गए थे, जो पूर्वोत्तर भारत को शेष देश से जोड़ता है। वहीं, इस दौरे के बाद भारत सर्तक हो गया है। खुफिया सूत्रों का कहना है कि खासकर ऐसे समय में जब बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच सैन्य और खुफिया सहयोग की खबरें सामने आ रही हैं, ऐसे में पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों का वहां जाना किसी बड़ी साजिश की तरफ इशारा करता है।

ISI in Bangladesh: Plot to Use ULFA for 'Chicken Neck' Control, Conspires to Remove Bangladesh Army Chief

ISI in Bangladesh: एमिरात की फ्लाइट से ढाका पहुंचे थे आईएसआई चीफ

21 जनवरी 2025 को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल असीम मलिक ने ढाका का दौरा किया था। वे ढाका के रैडिसन ब्लू होटल में रुके थे। जहां उनके साथ पाकिस्तान के दो वरिष्ठ अधिकारी भी थे—इनमें मेजर जनरल शाहिद अमीर अफसर, डीजी ए; और मेजर जनरल आलम अमीर अवान, डीजी एसएंडए। ये अधिकारी एमिरात की फ्लाइट (EK-586) से आए थे और चुपचाप होटल की तीसरी मंजिल पर रुके थे। वहीं, पाकिस्तान के खुफिया अफसरों की अगुवानी बांग्लादेश सेना के क्वार्टर मास्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैज-उर-रहमान ने की थी। पाकिस्तानी ISI के अधिकारियों ने बांग्लादेश की खुफिया एजेंसी DGFI के प्रमुख मेजर जनरल जाहांगीर आलम से भी मुलाकात की थी। रहमान को कट्टरपंथी इस्लामी विचारधारा का समर्थक माना जाता है।

ISI in Bangladesh: बांग्लादेश सेना प्रमुख के खिलाफ विद्रोह की तैयारी

सूत्रों का कहना है कि लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैज-उर-रहमान, वही शख्स हैं, जो मौजूदा बांग्लादेश आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमां को हटाने की योजना बना रहे हैं। और उसमें उन्हें पाकिस्तान की आईएसआई का मजबूत समर्थन मिल रहा है। वकार-उज-जमां को भारत के साथ सहयोगी नीति अपनाने वाला नेता माना जाता है। वहीं, पिछले हफ्ते पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ असीम मलिक के ढाका दौरे ने इस साजिश को और हवा दी। कहा जा रहा है कि इस मुलाकात का उद्देश्य बांग्लादेशी सेना को भारत विरोधी नीतियों की ओर मोड़ना और खुफिया नेटवर्क को मजबूत करना था। सूत्रों ने बताया कि अब वकार-उज-जमां की स्थिति कमजोर होती जा रही है। रहमान ने सेना के भीतर कट्टरपंथी धड़ा मजबूत कर लिया है और डीजीएफआई (बांग्लादेश की खुफिया एजेंसी) का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। भले ही रहमान के पास कोई ट्रूप्स कमांड नहीं है, लेकिन वे डीजीएफआई का समर्थन पाने की पूरी कोशिशों में जुटे हुए हैं।

भारत के “चिकन नेक” इलाके का दौरा किया आईएसआई चीफ ने

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल असीम मलिक और बांग्लादेश सेना के क्वार्टर मास्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैज-उर-रहमान से मुलाकात के दौरान बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच खुफिया नेटवर्क को मजबूत करने और सामरिक सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई। आईएसआई के अधिकारियों ने बांग्लादेश की सीमा से सटे भारत के “चिकन नेक” इलाके का दौरा भी किया। यह इलाका भारत के लिए सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पूर्वोत्तर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है।

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सूत्रों के मुताबिक, आईएसआई के अधिकारियों ने बांग्लादेश के रंगपुर जिले का दौरा किया, जो भारत के चिकन नेक क्षेत्र से महज 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा, पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को चटगांव हिल ट्रैक्ट्स जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भी ले जाया गया। यह इलाका रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है और भारत-बांग्लादेश सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच इस दौरे के बाद भारत पूरी तरह से सचेत हो गया है।ॉ

आठ पूर्वोत्तर राज्यों का संपर्क है चिकन नेक से

वहीं, चिकन नेक की बात करें, तो इस क्षेत्र से भारत के आठ पूर्वोत्तर राज्यों का संपर्क शेष देश से जुड़ा हुआ है। पूर्वोत्तर भारत के आठ राज्यों में से चार – असम, त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय – बांग्लादेश के साथ सीमा साझा करते हैं। इन राज्यों के भारत के बाकी हिस्सों से जुड़ने का एकमात्र मार्ग सिलिगुड़ी कॉरिडोर या “चिकन नेक” है, जो महज 22 किलोमीटर चौड़ा है। पाकिस्तानी अधिकारियों का सीमावर्ती इलाकों का दौरा करना, और वह भी ऐसे समय में जब भारत और बांग्लादेश के संबंध तनावपूर्ण हैं, भारत की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की ISI लंबे समय से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में अशांति फैलाने की कोशिश कर रही है। इस क्षेत्र में सक्रिय उग्रवादी संगठनों को पाकिस्तान के समर्थन के सबूत पहले भी मिल चुके हैं। अब, बांग्लादेश के माध्यम से भारत को घेरने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। यह इलाका रणनीतिक दृष्टि से इतना महत्वपूर्ण है कि यहां पर किसी भी प्रकार की अस्थिरता या अवैध गतिविधि भारत के लिए बड़ी समस्या बन सकती है। बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकी के कारण इस क्षेत्र में आतंकवाद और तस्करी जैसी गतिविधियां बढ़ने की आशंका है।

ISI in Bangladesh: Plot to Use ULFA for 'Chicken Neck' Control, Conspires to Remove Bangladesh Army Chief

आईएसआई चीफ के साथ दिखा जसीमुद्दीन रहमानी 

सूत्रों ने बताया कि बांग्लादेश के रंगपुर डिवीजन में स्थानीय निवासियों ने आतंकी संगठन अंसार-उल-बांग्ला टीम (जो अल कायदा से जुड़ा हुआ है) के नेता जसीमुद्दीन रहमानी को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और बांग्लादेशी सेना के अधिकारियों के साथ देखा है। जसीमुद्दीन रहमानी, जो कई आतंकवादी गतिविधियों के लिए कुख्यात है, पहले से ही बांग्लादेशी और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर रहा है। रंगपुर डिवीजन भारत की उत्तर-पूर्व सीमा के करीब है।

पाकिस्तान के साथ गलबहियां कर रहा है बांग्लादेश

बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच हाल के वर्षों में रिश्तों में नया मोड़ आया है। 2024 में शेख हसीना सरकार के हटने के बाद से, बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतों का प्रभाव बढ़ा है। वर्तमान अंतरिम सरकार, जिसमें मोहम्मद यूनुस प्रमुख भूमिका में हैं, भारत के प्रति सख्त और पाकिस्तान के प्रति नरम रुख अपना रही है। हाल ही में, बांग्लादेश ने पाकिस्तान के साथ वीजा नियमों में ढील दी थी और दोनों देशों के बीच पहली बार कार्गो शिप का संचालन शुरू हुआ। इसके अलावा, बांग्लादेशी सेना के जवान अब पाकिस्तानी सेना से ट्रेनिग लेंगे, और बांग्लादेश “अमन 2025” नौसैनिक अभ्यास में भी भाग लेगा। यह एक्सरसाइज कराची में आयोजित किया जाएगा। इसके अलावा बांग्लादेश के वायुसेना पायलट अब चीन और पाकिस्तान द्वारा विकसित लड़ाकू विमान JF-17 की ट्रेनिंग ले रहे हैं।

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उल्फा चीफ परेश बुरुआ से मिले आईएसआई अफसर

सूत्रों ने बताया कि आईएसआई चीफ ने उल्फा चीफ परेश बुरुआ से भी मुलाकात की थी। शेख हसीना ने भारत और बांग्लादेश के बीच सुरक्षा और व्यापार के क्षेत्र में अहम समझौते किए थे। उनके कार्यकाल में बांग्लादेश ने भारत विरोधी गतिविधियों पर लगाम लगाई थी। 2009 से 2015 के बीच बांग्लादेश ने भारत के पूर्वोत्तर में सक्रिय आतंकवादी संगठनों जैसे उल्फा (ULFA) के कई नेताओं को भारत के सुपुर्द किया था। उल्फा को भारत के खिलाफ साजिश रचने के लिए पाकिस्तान और बांग्लादेश दोनों का समर्थन मिलता रहा है। उल्फा  नेता परेश बरुआ ने कई बार पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों में हिस्सा लिया है।

एक रिटायर्ड बांग्लादेशी जनरल ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “बांग्लादेशी और पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों की यात्राएं वाकई चौंकाने वाली हैं। यह संकेत देती हैं कि किसी सैन्य-सुरक्षा उद्देश्य को बहुत कम समय में पूरा करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि इन लगातार बैठकों और बांग्लादेश में इनके संभावित उद्देश्यों पर भारत की प्रतिक्रिया आने वाले हफ्तों और महीनों में क्या होगी।”

बांग्लादेश ने 2009 से 2015 के बीच भारत को ULFA नेताओं को सौंपा

सूत्रों ने बताया कि 2009 से 2015 के बीच, बांग्लादेश ने यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) के आधा दर्जन से अधिक वरिष्ठ नेताओं को भारत को सौंपा। इन नेताओं में संगठन के महासचिव अनूप चेतिया, अध्यक्ष अरबिंद राजखोवा, विदेश सचिव सशधर चौधरी, वित्त सचिव चित्रबान हजारिका और सैन्य अभियानों के उप प्रमुख राजू बरुआ शामिल थे।
2023 में जब ULFA और भारत सरकार के बीच शांति समझौता हुआ, तो विद्रोही नेताओं ने स्वीकार किया कि बांग्लादेश की ‘प्रो-इंडिया’ अवामी लीग सरकार द्वारा भारतीय उग्रवादी समूहों पर कड़ी कार्रवाई ने उन्हें 2011 में सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल होने के लिए मजबूर किया।

ISI और अफगान मुजाहिदीन के साथ ULFA के संबंध

साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल (SATP) के अनुसार, ULFA के विद्रोहियों ने पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) और अफगान मुजाहिदीन के साथ संबंध बनाए थे। अनुमान है कि लगभग 200 ULFA कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रशिक्षण लिया था। गिरफ्तार कार्यकर्ताओं से पूछताछ और जब्त दस्तावेजों से यह खुलासा हुआ कि बांग्लादेश की डिफेंस फोर्सेस इंटेलिजेंस (DFI) ने सिलहट जिले में ULFA कैडरों को प्रशिक्षण दिया था।

करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान का समर्थन भी किया था ULFA ने

ISI ने ULFA नेताओं, विशेष रूप से परेश बरुआ, को कई पासपोर्ट प्राप्त करने में मदद की। इसके अलावा, कई ULFA कैडरों को पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा के पास विभिन्न प्रशिक्षण केंद्रों में हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई। इसमें रॉकेट लॉन्चर्स, विस्फोटक और असॉल्ट हथियारों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण शामिल था। यहां तक कि ULFA के शीर्ष नेतृत्व ने पाकिस्तान के उच्चायोग की मदद से कराची की यात्रा की, जहां उन्हें ISI संचालित आतंकवादी प्रशिक्षण केंद्रों में ले जाया गया। बता दें कि ULFA ने 1999 के करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान का समर्थन भी किया था।

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बांग्लादेश द्वारा ULFA के खिलाफ उठाए गए कदमों ने पूर्वोत्तर भारत में सुरक्षा को मजबूत किया और विद्रोही नेताओं को शांति वार्ता के लिए मजबूर किया। बांग्लादेश की अवामी लीग सरकार की यह नीति भारत-बांग्लादेश संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई थी।

चीन से गतिविधियां चला सकता है परेश बरुआ

वहीं, बांग्लादेश में मौजूदा राजनीतिक हालात परेश बरुआ के नेतृत्व वाले ULFA (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम) गुट के लिए एक नया सहारा बन सकते हैं। यह गुट शांति वार्ता का विरोध करता रहा है और भारत-म्यांमार सीमा के जंगलों में सक्रिय है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार, परेश बरुआ अब चीन में रहकर अपनी गतिविधियां चला सकता है। 2004 के चटगांव हथियार बरामदगी मामले में बांग्लादेश की एक हाईकोर्ट बेंच ने परेश बरुआ की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है। यह घटना भारत के पड़ोस में सबसे बड़ी अवैध हथियारों की जब्ती में से एक थी। चटगांव बंदरगाह पर पकड़े गए 10 ट्रक अवैध हथियारों और गोला-बारूद में शामिल थे: इनमें 4,930 फायर आर्म्स, 27,020 ग्रेनेड, 840 रॉकेट लॉन्चर, 300 रॉकेट, 2,000 ग्रेनेड लॉन्चिंग ट्यूब, 6,392 मैगजीन और 11 लाख से ज्यादा गोलियां शामिल थीं। इन हथियारों को चीन से तस्करी कर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय उग्रवादी समूहों को पहुंचाने की योजना थी।

मणिपुर में हिंसा बढ़ने की आशंका

सूत्रों का कहना है कि उल्फा का आईएसआई से मिलना बड़ी कहानी बयां कर रहा है। आशंका जताई जा रही है कि मणिपुर में विद्रोही गतिविधियों में फिर से तेजी आ सकती है। म्यांमार के गृहयुद्ध प्रभावित इलाकों में सुरक्षित ठिकानों के खत्म होने के चलते 2023 में मणिपुर के मैतेई-प्रभुत्व वाले यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) ने सरकार के साथ संघर्ष विराम समझौता किया था। सैकड़ों विद्रोही आत्मसमर्पण कर चुके थे। वहीं, UNLF के वार्ता-विरोधी गुट और असंतुष्ट सदस्य अब बांग्लादेश में नया ठिकाना तलाश सकते हैं। यह स्थिति भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय बन सकती हैं।

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  • ISI in Bangladesh: बांग्लादेश आर्मी चीफ को हटाकर ULFA के जरिए 'चिकन नेक' पर कब्जा करना चाहती है ISI, रंगपुर में रची ये बड़ी साजिश

    हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवाद, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

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