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ISI in Bangladesh: आसिम मुनीर की अगुवाई में भारत के दो मोर्चों पर हाइब्रिड वॉरफेयर की तैयारी कर रहा पाकिस्तान! अलर्ट पर एजेंसियां

कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान अब बांग्लादेश को “ईस्टर्न फ्रंट” के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है, ताकि भारत को दो मोर्चों पश्चिम में कश्मीर और पूर्व में पूर्वोत्तर भारत पर उलझाया जा सके...

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📍नई दिल्ली | 1 Nov, 2025, 8:25 PM

ISI in Bangladesh: पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अब बांग्लादेश में अपना नेटवर्क तेजी से फैला रही है। इसका उद्देश्य भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और बंगाल की खाड़ी पर नजर रखना है। हाल ही में जनरल शमशाद मिर्जा के नेतृत्व में पाकिस्तान के कुछ मिलिट्री अफसर ढाका पहुंचे थे, जिसमें आईएसआई के कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे।

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सूत्रों के अनुसार, इस टीम ने बांग्लादेश की नेशनल सिक्योरिटी इंटेलिजेंस और डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फोर्सेज इंटेलिजेंस के टॉप अफसरों के साथ कई दौर की मुलाकातें कीं। इन बैठकों में भारत के पूर्वोत्तर इलाकों और सीमाई इलाकों की गतिविधियों की निगरानी के लिए पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच संयुक्त खुफिया तंत्र बनाने पर चर्चा हुई।

ISI in Bangladesh: इन इलाकों पर पकड़ बढ़ाने की तैयारी

रिपोर्टों के मुताबिक, आईएसआई कॉक्स बाजार, उखिया, टेकनाफ, मौलवीबाजार, हबिगंज और शेरपुर जैसे रणनीतिक इलाकों में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की योजना बना रही है। ये सभी इलाके भारत-बांग्लादेश सीमा और बंगाल की खाड़ी के नजदीक हैं, जो खुफिया गतिविधियों के लिहाज से बेहद संवेदनशील माने जाते हैं।

सूत्रों के अनुसार, शेख हसीना के शासनकाल (2009 से 2024) के दौरान आईएसआई को बांग्लादेश में काम करने में दिक्कत हो रही थी। उस दौरान बांग्लादेश सरकार के साथ भारत के मजबूत संबंध थे, जिसके चलते आईएसआई की गतिविधियों पर अंकुश लगा रहा।

हालांकि, अगस्त 2024 में आईएसआई ने बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी से जुड़े छात्र संगठनों का इस्तेमाल कर शेख हसीना सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की थी। रिपोर्टों में कहा गया है कि आईएसआई अब उन पुराने नेटवर्क को फिर से सक्रिय करना चाहती है, जो पाकिस्तान की आजादी से पहले पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में मौजूद थे।

इस साल जनवरी में आईएसआई के वरिष्ठ अधिकारियों का एक और दल ढाका गया था। उस दौरे के दौरान बांग्लादेश की सेना के कुछ अधिकारियों के साथ भी चर्चा हुई थी, जिसमें आईएसआई नेटवर्क को भारत की पूर्वी और उत्तर-पूर्वी सीमा के नजदीक बढ़ाने की योजना पर बात हुई।

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जानकारों का कहना है कि बांग्लादेश में आईएसआई की बढ़ती सक्रियता भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि इसका सीधा असर पूर्वोत्तर राज्यों की सुरक्षा पर पड़ सकता है। इन क्षेत्रों में पहले से ही उग्रवादी गतिविधियां और सीमा पार तस्करी की समस्या मौजूद है।

ISI in Bangladesh: साजिश का हिस्सा हैं प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस

सूत्रों का कहना है कि बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस भी इस साजिश का हिस्सा हैं। पाकिस्तान के जनरल साहिर शमशाद मिर्जा के दौरे के दौरान यूनुस ने उन्हें एक ऐसी किताब उपहार में दी, जिसके कवर पर बने नक्शे जैसी आकृति में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को बांग्लादेश का हिस्सा दिखाया गया है। बताया गया है कि यह किताब ‘आर्ट ऑफ ट्रायम्फ: बांग्लादेश्स न्यू डॉन 2024 में जुलाई शहीद स्मृति फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित की गई थी। इसमें जुलाई 2024 में हुए उस छात्र आंदोलन की ग्रैफिटी शामिल हैं, जिसके बाद शेख हसीना सरकार को सत्ता से हटना पड़ा था।

यूनुस ने इस किताब को पहले भी सितंबर 2024 में जस्टिन ट्रूडो और जेन गुडॉल को संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान उपहार में दिया था। लेकिन पाकिस्तान के जनरल मिर्जा के साथ मुलाकात की उनकी एक्स (X) पोस्ट ने विवाद को हवा दे दी। इस पोस्ट में यूनुस को किताब देते हुए देखा जा सकता है, जिसके कवर पर यह विवादित नक्शा स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।

कूटनीतिक हलकों में यह घटना इसलिए भी संवेदनशील मानी जा रही है क्योंकि यूनुस ने पिछले कुछ महीनों में भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को लेकर कई बार विवादास्पद बयान दिए हैं। अप्रैल में चीन दौरे के दौरान यूनुस ने कहा था कि बांग्लादेश “महासागर का एकमात्र संरक्षक” है और भारत का पूर्वोत्तर “लैंडलॉक्ड” इलाका है, जो समुद्री पहुंच के लिए ढाका पर निर्भर है। उन्होंने नेपाल, भूटान और भारत के सात उत्तरपूर्वी राज्यों को जोड़ने की बात कही थी।

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बता दें कि इंटरिम गवर्नमेंट के चीफ एडवाइजर मुहम्मद यूनुस ने 16 अक्टूबर को घोषणा की कि चुनाव 2026 के अप्रैल के पहले हाफ (1 अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच) किसी भी दिन होंगे।

ISI in Bangladesh: लगातार भारत के खिलाफ बोल रहे हैं जनरल मिर्जा

इसी महीने की शुरुआत में इस्लामाबाद में हुए सिंपोजियम 2025 में जनरल मिर्जा ने भारत पर निशाना साधते हुए कहा था कि “भारत की सेना राजनीति में शामिल है और भारत की राजनीति सैन्यीकरण की ओर बढ़ रही है।” उन्होंने यह भी कहा था कि इससे दक्षिण एशिया में परमाणु जोखिम बढ़ गया है।

मिर्जा ने इससे पहले शांगरी-ला डायलॉग में भी भारत के खिलाफ बयान दिया था और कश्मीर मुद्दे पर “तीसरे पक्ष की मध्यस्थता” की मांग की थी, जो भारत की लंबे समय से चली आ रही नीति के खिलाफ है।

पिछले साल दिसंबर में यूनुस के सलाहकार महफूज आलम ने फेसबुक पर लिखा था कि “हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी तक का इलाका सांस्कृतिक रूप से एक है और एक ‘कटे-फटे बंगाल’ से असली आजादी अधूरी है।” इस बयान पर भारत के विदेश मंत्रालय ने कड़ा विरोध दर्ज कराया था, जिसके बाद पोस्ट हटा दिया गया।

ISI in Bangladesh: भारत के पूर्वी मोर्चे पर नया खतरा

पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर का फोकस इस बार कश्मीर नहीं, बल्कि भारत का पूर्वी इलाका और बांग्लादेश के जरिए नया मोर्चा खोलने पर है। कुछ समय पहले ब्रिटिश मैगजीन द इकॉनॉमिस्ट को दिए एक इंटरव्यू में पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने कहा था, “अगर भविष्य में संघर्ष हुआ तो हम पूर्व से शुरू करेंगे।” यह बयान साफ संकेत देता है कि पाकिस्तान भारत के पूर्वोत्तर को लेकर नई रणनीति बना रहा है।

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कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान अब बांग्लादेश को “ईस्टर्न फ्रंट” के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है, ताकि भारत को दो मोर्चों पश्चिम में कश्मीर और पूर्व में पूर्वोत्तर भारत पर उलझाया जा सके। रिपोर्टों के अनुसार, चिटगांव हिल ट्रैक्ट्स और भारत की सीमा से सटे इलाकों में हथियार तस्करी, कट्टरपंथी संगठनों की गतिविधियां और ऑपरेटिव्स की आवाजाही बढ़ी है।

सूत्रों का कहना है कि मुनीर का प्लान यह है कि बांग्लादेश या उसकी सीमा का इस्तेमाल कर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों असम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में अस्थिरता पैदा की जाए। इन इलाकों की भौगोलिक और सांस्कृतिक समानताएं, सीमित सुरक्षा तंत्र और खुले बॉर्डर पाकिस्तान को फायदा पहुंचा सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि यह सिर्फ एक सैन्य योजना नहीं, बल्कि एक हाइब्रिड वॉरफेयर रणनीति है, जिसमें साइबर ऑपरेशन्स, दुष्प्रचार, और स्थानीय असंतोष को भड़काने जैसे तरीके शामिल हैं।

वहीं, भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इस संभावित पूर्वी खतरे को गंभीरता से लिया है। असम, मेघालय और त्रिपुरा में निगरानी बढ़ा दी गई है। सैन्य खुफिया और सीमा सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। साथ ही भारत ने आसियान और खाड़ी देशों के साथ राजनयिक बातचीत तेज कर दी है ताकि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समर्थन न मिल सके।

विशेषज्ञों के मुताबिक, मुनीर की यह नीति पाकिस्तान के लिए जोखिम भरी हो सकती है, लेकिन यह संकेत भी देती है कि दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन एक नए मोड़ पर पहुंच चुका है।

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    हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवाद, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

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