back to top
HomeDRDOPinaka Rocket System: नेवी और एयरफोर्स भी यूज कर सकेंगी पिनाका, DRDO...

Pinaka Rocket System: नेवी और एयरफोर्स भी यूज कर सकेंगी पिनाका, DRDO बना रहा है 300 किमी रेंज वाला वर्जन, अमेरिकी ATACMS को देगा टक्कर

पिनाका का पहला उपयोग 1999 के कारगिल युद्ध में किया गया था। ऊंचाई वाले इलाकों में दुश्मन की चौकियों को ध्वस्त करने में इसकी भूमिका बेहद अहम रही...

रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US
डीआरडीओ अब पिनाका को और लंबी दूरी तक सक्षम बनाने की दिशा में काम कर रहा है। डॉ. राजू ने बताया कि 120 किलोमीटर रेंज वाला वेरिएंट पूरा हो चुका है। इसके अलावा, 300 किलोमीटर तक मारक क्षमता वाला पिनाका भी तैयार किया जा रहा है, जो अमेरिकी आर्मी के टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (ATACMS) के बराबर होगा...
Read Time 0.32 mintue

📍नई दिल्ली | 21 Aug, 2025, 4:39 PM

Pinaka Rocket System: डीआरडीओ पिनाका रॉकेट सिस्टम (Pinaka Rocket System) का लॉन्ग रेंज वेरियंट तैयार कर रहा है। पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (ARDE) के निदेशक डॉ. ए. राजू ने एक विशेष साक्षात्कार में इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि 120 किलोमीटर तक मार करने वाला पिनाका वेरिएंट तैयार हो चुका है, जबकि 300 किलोमीटर तक मारक क्षमता वाले नए वेरियंट पर काम जारी है।

HIMARS vs PINAKA: पाकिस्तान को क्यों चाहिए अमेरिका का यह रॉकेट सिस्टम? क्यों पिनाका ने उड़ा रखी है मुनीर की नींद? समझें पूरा समीकरण

Pinaka Rocket System: भारत का स्वदेशी मल्टी-बैरल रॉकेट सिस्टम

पिनाका रॉकेट सिस्टम को भारतीय सेना में रूसी BM-21 ग्रैड और स्मर्च सिस्टम के विकल्प के रूप में शामिल किया गया। यह 8×8 टाट्रा ट्रक पर लगाया जाता है और महज 44 सेकंड में 12 रॉकेट दाग सकता है। इसकी तेज जवाबी क्षमता और सटीकता की वजह से यह युद्ध के दौरान दुश्मन की महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम है।

प्रत्येक लॉन्चर में दो पॉड होते हैं, और हर पॉड में छह ट्यूब लगी होती हैं। इसे फायर कंट्रोल कंप्यूटर (FCC), लॉन्चर कंप्यूटर (LC) या मैन्युअल रूप से चलाया जा सकता है। निशाना साधने के लिए इसमें ऑटोमैटिक गन एलाइनमेंट एंड प्वाइंटिंग सिस्टम (AGAPS) या डायल साइट का उपयोग होता है।

इस सिस्टम का उत्पादन कई भारतीय कंपनियों के जरिए किया जा रहा है। यंत्र इंडिया लिमिटेड, सोलर इंडस्ट्रीज लिमिटेड, इकनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड और म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड रॉकेट बनाती हैं। वहीं लार्सन एंड टुब्रो और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लॉन्चर का निर्माण करते हैं, जबकि बीईएमएल (BEML) ट्रक उपलब्ध कराती है।

यह भी पढ़ें:  AMCA Mk2 के लिए बड़ी खबर! GE और GTRE मिलकर बनाएंगे भारत का सुपरफाइटर इंजन, चीन-पाकिस्तान के छूटेंगे पसीने

Pinaka Rocket System: कारगिल युद्ध का हीरो

पिनाका का पहला उपयोग 1999 के कारगिल युद्ध में किया गया था। ऊंचाई वाले इलाकों में दुश्मन की चौकियों को ध्वस्त करने में इसकी भूमिका बेहद अहम रही। बोफोर्स तोपों के साथ मिलकर पिनाका ने दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर भारतीय सेना को निर्णायक बढ़त दिलाई।

फिलहाल पिनाका के तीन वेरिएंट भारतीय सेना में मौजूद हैं। पिनाका Mk-I जिसकी मारक क्षमता 37.5 किलोमीटर है। इसके बाद एन्हांस्ड पिनाका जो 50 किलोमीटर तक मार कर सकता है। तीसरा वेरिएंट है गाइडेड पिनाका जिसकी मारक क्षमता 75 किलोमीटर है।

गाइडेड पिनाका को 2024 में भारतीय सेना में शामिल किया गया। परीक्षण के दौरान इसकी सटीकता (Circular Error Probable) केवल 2 से 3 मीटर रही, जबकि सेना की जरूरत 40 मीटर तक थी। डॉ. राजू के अनुसार, “यह लगभग एक क्रूज मिसाइल की तरह काम करता है।”

Pinaka Rocket System: नए वेरिएंट्स की तैयारी

वहीं, डीआरडीओ अब पिनाका को और लंबी दूरी तक सक्षम बनाने की दिशा में काम कर रहा है। डॉ. राजू ने बताया कि 120 किलोमीटर रेंज वाला वेरिएंट पूरा हो चुका है। इसके अलावा, 300 किलोमीटर तक मारक क्षमता वाला पिनाका भी तैयार किया जा रहा है, जो अमेरिकी आर्मी के टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (ATACMS) के बराबर होगा।

यह भी पढ़ें:  Bangladesh Terrorism: बांग्लादेश के बंदरगाह से 70 प्रशिक्षित पाकिस्तानी आतंकवादी हुए लापता! 'हिट एंड रन' हमलों की साजिश का हुआ खुलासा

थलसेना, नौसेना और वायुसेना के लिए अलग संस्करण

डीआरडीओ पिनाका के ऐसे वेरिएंट भी तैयार कर रहा है, जिन्हें भारतीय नौसेना और वायुसेना के लिए इस्तेमाल किया जा सके। नौसेना के लिए विशेष संस्करण पर काम चल रहा है, वहीं वायुसेना के लिए एयर-लॉन्च्ड वेरिएंट पर विचार किया जा रहा है। इन नए संस्करणों को पिनाका Mk-3 और Mk-4 के नाम से जाना जाएगा।

Pinaka Rocket System: डिजाइन में बदलाव

ARDE के अनुसार, पिनाका के लॉन्चर प्लेटफॉर्म में बदलाव नहीं किया जाएगा। नया बदलाव केवल रॉकेट्स के डिजाइन में होगा ताकि उन्हें लंबी दूरी तक मारक क्षमता दी जा सके और अलग-अलग सेनाओं की जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल किया जा सके।

पिनाका का विकास 1980 के दशक में शुरू हुआ और 1999 के कारगिल युद्ध में इसके प्रदर्शन ने इसे भारतीय सेना का भरोसेमंद हथियार बना दिया। पिछले दो दशकों में डीआरडीओ ने लगातार इसकी रेंज और सटीकता को बढ़ाने पर काम किया है। गाइडेड वेरिएंट के बाद अब इसकी क्षमता बैलिस्टिक मिसाइल और क्रूज मिसाइल जैसी कैटेगरी तक पहुंच रही है।

Author

  • News Desk

    रक्षा समाचार न्यूज डेस्क भारत की अग्रणी हिंदी रक्षा समाचार टीम है, जो Indian Army, Navy, Air Force, DRDO, रक्षा उपकरण, युद्ध रणनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी विश्वसनीय और विश्लेषणात्मक खबरें प्रस्तुत करती है। हम लाते हैं सटीक, सरल और अपडेटेड Defence News in Hindi। हमारा उद्देश्य है – "हर खबर, देश की रक्षा के लिए।"

रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US
News Desk
News Desk
रक्षा समाचार न्यूज डेस्क भारत की अग्रणी हिंदी रक्षा समाचार टीम है, जो Indian Army, Navy, Air Force, DRDO, रक्षा उपकरण, युद्ध रणनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी विश्वसनीय और विश्लेषणात्मक खबरें प्रस्तुत करती है। हम लाते हैं सटीक, सरल और अपडेटेड Defence News in Hindi। हमारा उद्देश्य है – "हर खबर, देश की रक्षा के लिए।"

Most Popular

Share on WhatsApp