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Theatre Commands India: जोर-शोर से चल रही है नए थिएटर कमांड बनाने की तैयारी, सरकार को जल्द सौंपा जाएगा ब्लूप्रिंट

डीएमए और तीनों सेनाओं के बीच होने वाली बैठकों की संख्या बढ़ा दी गई है ताकि हर बिंदु पर विस्तार से चर्चा की जा सके। मंत्रालय की कोशिश है कि कमान स्ट्रक्चर पर तैयार प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट स्तर तक पहुंचे और आगे की स्वीकृति पूरी हो सके...

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📍नई दिल्ली | 21 Nov, 2025, 12:44 PM

Theatre Commands India: रक्षा मंत्रालय ने देश में नये थिएटर कमांड बनाने की प्रक्रिया तेज कर दी है। मंत्रालय का मानना है कि आने वाले समय में युद्ध ऐसे तरीके से लड़े जाएंगे, जिनमें तीनों सेनाओं आर्मी, नेवी और एयरफोर्स का एक साथ और बेहद समन्वित तरीके से काम करना जरूरी होगा। इसी उद्देश्य से थिएटर कमांड का स्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है। यह काम डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स यानी डीएमए की देखरेख में चल रहा है और इसका नेतृत्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान कर रहे हैं।

Theatre Commands India: ऑपरेशन सिंदूर से मिली सीखें भी शामिल

डीएमए ने तीनों सेनाओं के बीच इंटीग्रेशन बढ़ाने की तैयारी पहले ही शुरू कर दी थी। अब ऑपरेशन सिंदूर के बाद इस प्रक्रिया ने और रफ्तार पकड़ ली है। ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेनाओं की संयुक्त कार्रवाई ने यह दिखाया था कि इंटीग्रेटेड कमान स्ट्रक्चर कितना जरूरी है। इसी के चलते कारण इस ऑपरेशन से मिली कई सीखों को सीधे थिएटर कमांड (Theatre Commands India) के स्ट्रक्चर में शामिल किया जा रहा है।

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सूत्रों के अनुसार, डीएमए और तीनों सेनाओं के बीच होने वाली बैठकों की संख्या बढ़ा दी गई है ताकि हर बिंदु पर विस्तार से चर्चा की जा सके। मंत्रालय की कोशिश है कि कमान स्ट्रक्चर पर तैयार प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट स्तर तक पहुंचे और आगे की स्वीकृति पूरी हो सके। इसके लिए काम लगभग 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है। और मॉडल में उन बदलावों को जोड़ा रहा है जो सिंदूर के अनुभवों से सामने आए।

पहले ही इस बात पर सहमति बन चुकी है कि देश में तीन बड़े थिएटर कमांड (Theatre Commands India) बनेंगे। पहली कमांड तिरुवनंतपुरम में होगी, जो समुद्र और महासागरीय इलाकों से आने वाले खतरों से निपटेगी। यह भारत का मैरिटाइम थिएटर कमांड कहलाएगा। दूसरी कमांड जयपुर में बनेगी, जिसे पश्चिमी सीमाओं से जुड़े संभावित खतरों की जिम्मेदारी दी जाएगी। जबकि तीसरी कमांड लखनऊ में बनेगी, जिसका फोकस उत्तरी सीमाओं खासकर चीन के साथ लगती सीमा पर होगा।

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रक्षा सूत्रों के मुताबिक, तीनों सेनाएं जल्द ही इस विषय पर अपनी अंतिम चर्चा पूरी कर लेंगी। इसके बाद यह प्रस्ताव रक्षा मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के सामने पेश किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है और अब आखिरी स्टेज पर है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी इस साल अक्टूबर में कहा था कि थिएटर कमांड्स (Theatre Commands India) का फॉर्मल प्रपोजल “मैच्योर स्टेज” पर है और सरकार को भेजने को तैयार है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर में कोलकाता 15 सितंबर को हुई कम्बाइंड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में थिएटर कमांड (Theatre Commands India) पर विस्तार से चर्चा की थी। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तीनों सेनाओं के जॉइंट ऑपरेशन की सराहना भी की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सशस्त्र बलों के टॉप कमांडर्स को संबोधित करते हुए अपना मंत्र JAI दिया था। जिसका मतलब जॉइंटनेस, आत्मनिर्भरता और इनोवेशन था। पीएम मोदी ने कहा था कि 2025 को रक्षा सुधारों का वर्ष घोषित किया गया है, और JAI ही भारतीय सशस्त्र बलों की सफलता का मंत्र है। उन्होंने कहा था कि जॉइंटनेस, आत्मनिर्भरता और इनोवेशन से हम हर चुनौती का मुकाबला करेंगे। उन्होंने रक्षा मंत्रालय को निर्देश दिया था कि ग्रेटर जॉइंटनेस, आत्मनिर्भरता और इनोवेशन के लिए ठोस और तेज कदम उठाए जाएं, ताकि बदलते युद्धक्षेत्र में हम हर स्थिति में विजयी रहें।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एयरफोर्स ने पाकिस्तान एयरफोर्स के कई ठिकानों और इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया था, जिससे पाकिस्तान को युद्धविराम के लिए मजबूर होना पड़ा। माना जा रहा है कि इस ऑपरेशन ने ही जॉइंट कमांड की जरूरत को और मजबूत किया।

सूत्रों का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ऑपरेशंस रूम में मौजूद सभी सर्विस चीफ के साथ मिलकर सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कई अहम फैसले लिए। वही मॉडल भविष्य की थिएटर कमांड (Theatre Commands India) स्ट्रक्चर का बेस माना जा रहा है। बता दें कि 2025 की शुरुआत से ही तीनों सर्विस चीफ्स और सीडीएस के बीच थिएटर कमांड को लेकर पूर्ण सहमति बन चुकी है। जनवरी 2025 से चीफ्स ने एक-दूसरे की सर्विस से एडीसी (एड-दे-कैंप) रखना भी शुरू कर दिया था।

डीएमए तीनों सेनाओं के नेटवर्क को जोड़ने का एक और बड़ा प्रोजेक्ट भी चला रहा है। इसका उद्देश्य यह है कि किसी भी ऑपरेशन के दौरान तीनों सेनाएं एक-दूसरे से बिना किसी तकनीकी रुकावट के जुड़ी रहें। यह नेटवर्क युद्ध के समय ही नहीं, बल्कि शांति काल में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे जानकारी का आदान-प्रदान तेज होगा और जॉइंट ऑपरेशन की क्षमता और बढ़ेगी।

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रक्षा मंत्रालय का मानना है कि थिएटर कमांड (Theatre Commands India) देश को भविष्य के युद्धों के लिए तैयार करेंगे। आधुनिक युद्ध कई डोमेन जमीन, समुद्र, हवा, साइबर और स्पेस में फैले होते हैं । ऐसे में अलग-अलग सेनाओं के बीच की दूरी कम करना और इंटीग्रेटेड स्ट्रक्चर बनाना अब एक जरूरत बन चुका है। डीएमए की यही कोशिश है कि इस स्ट्रक्चर में हर सर्विस की ताकत शामिल हो और तीनों सेनाएं एक टीम की तरह काम कर सकें।

तीन नए थिएटर कमांड्स (Theatre Commands India) को लेकर देश में लंबे समय से चर्चा चल रही थी, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने इसे रफ्तार दी है। अब मंत्रालय जल्द से जल्द इन स्ट्रक्चर को अंतिम रूप देने के प्रयास में है। सूत्रों का कहना है कि 2025 आखिर या 2026 की शुरुआत में ब्लूप्रिंट सरकार को सौंप दिया जाएगा। वहीं, कैबिनेट कमेटी ऑव सिक्योरिटी के अप्रूवल के बाद रोलआउट कर दिया जाएगा। वहीं ग्राउंड पर पूरी तरह लागू होने में 12-18 महीने का वक्त लगेगा।

ऑपरेशन सिंदूर से मिले ये सबक 

ऑपरेशन सिंदूर का पहला बड़ा सबक यह था कि सर्विस चीफ्स को सिर्फ ट्रेनिंग और लॉजिस्टिक जिम्मेदारियों तक सीमित रखना काफी नहीं है। सिंदूर के दौरान तीनों सेवाओं के चीफ्स ने सीडीएस के साथ मिलकर वॉर रूम में रियल टाइम ऑपरेशनल फैसले लिए थे। यह बात अब थिएटर कमांड (Theatre Commands India) के डिजाइन में शामिल की जा रही है। नए मॉडल में सर्विस चीफ्स की ऑपरेशनल भूमिका पहले की तुलना में कहीं अधिक होगी और उनकी जिम्मेदारियां थिएटर कमांडर के साथ संतुलित की जाएंगी।

इस ऑपरेशन ने यह भी साफ किया कि एयर पावर ही निर्णायक भूमिका निभाती है। वायुसेना की प्रिसिजन-स्ट्राइक क्षमता और ड्रोन-मिसाइल कॉम्बिनेशन ने पाकिस्तान के कई महत्वपूर्ण एयरबेस और सैन्य पोस्ट एक ही रात में नष्ट कर दिए। इसलिए थिएटर कमांड्स में एयर एसेट्स को अलग-अलग कमांड्स (Theatre Commands India) में बांटने के बजाय उन्हें सेंट्रलाइज्ड कंट्रोल में रखा जाएगा, ताकि महत्वपूर्ण एयर ऑपरेशनों में तेजी बनी रहे।

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सिंदूर के समय तीनों सेवाओं के डिजिटल नेटवर्क को जोड़कर एक संयुक्त तस्वीर बनाई गई थी, जिसने ऑपरेशन को सफल बनाया, लेकिन इस दौरान यह भी महसूस हुआ कि इस नेटवर्क को और मजबूत करना जरूरी है। इसी वजह से डीएमए अब तीनों सेवाओं के कम्युनिकेशन सिस्टम को पूरी तरह जोड़ने वाले प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, ताकि युद्ध के दौरान ही नहीं, बल्कि पीस टाइम में भी सेनाओं के बीच रियल-टाइम सूचनाओं का आदान-प्रदान हो।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एक और अहम जरूरत दिखी, वह थी दुश्मन के अंदर तक जाकर इंटेलिजेंस, सर्विलांस, रेकॉन्सांस और स्ट्राइक क्षमता का पता लगाना। पाकिस्तान की सीमा के पीछे मौजूद मोबाइल टारगेट्स, ईंधन डिपो, कमांड-सेंटर (Theatre Commands India) और एयरबेस पर सटीक हमलों ने दिखाया कि भविष्य के थिएटर कमांड्स को सिर्फ सीमा सुरक्षा नहीं, बल्कि दुश्मन की पूरी डेप्थ में एक्शन के लिए तैयार रहना होगा।

इस ऑपरेशन का एक और बड़ा सबक था 24×7 ऑपरेशनल रेडीनेस। पूरे ऑपरेशन के दौरान तेजी से लिए गए फैसले, लगातार निगरानी, और सेना-नौसेना-वायुसेना के बीच बिना रुके कॉर्डिनेशन ने दिखाया कि थिएटर कमांड्स (Theatre Commands India) में निरंतर रेडीनेस और तुरंत प्रतिक्रिया क्षमता सबसे जरूरी है। इसी कारण नए स्ट्रक्चर में एयर-डिफेंस, काउंटर-ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक-वारफेयर और साइबर डोमेन पर अधिक फोकस रखा जा रहा है।

सबसे अहम भूमिका जॉइंट डिसीजन-मेकिंग की रही। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीडीएस और तीनों सेवाओं के चीफ्स एक ही ऑपरेशंस रूम में बैठकर मिनट-दर-मिनट रणनीति बना रहे थे। इससे जो तालमेल बना, वह पहले कभी नहीं देखा गया था। इसलिए थिएटर कमांड (Theatre Commands India) मॉडल में भी यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि तीनों सर्विसेज इंटीग्रेटेड तरीके से ही फैसले लें और कमान-कंट्रोल की प्रक्रिया तेज और स्पष्ट हो।

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    हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवाद, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

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हरेंद्र चौधरी रक्षा पत्रकारिता (Defence Journalism) में सक्रिय हैं और RakshaSamachar.com से जुड़े हैं। वे लंबे समय से भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना से जुड़ी रणनीतिक खबरों, रक्षा नीतियों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को कवर कर रहे हैं। पत्रकारिता के अपने करियर में हरेंद्र ने संसद की गतिविधियों, सैन्य अभियानों, भारत-पाक और भारत-चीन सीमा विवाद, रक्षा खरीद और ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा परियोजनाओं पर विस्तृत लेख लिखे हैं। वे रक्षा मामलों की गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं।

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