📍नई दिल्ली | 5 Sep, 2025, 12:53 PM
Military Hardware IGST Cut: भारत सरकार ने डिफेंस सेक्टर के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। अब से मिलिट्री हार्डवेयर यानी सैन्य साजोसामान पर लगने वाला 18 फीसदी इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विस टैक्स (IGST) पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। इसका सीधा असर यह होगा कि जहाज से लॉन्च होने वाली मिसाइलें, डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू वेसल, फ्लाइट मोशन सिम्युलेटर, इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम, मानव रहित जलपोत यानी अनमैन्ड अंडरवॉटर व्हीकल और कई तरह के इक्विपमेंट्स अब पहले से कम कीमत पर मिलेंगे।
यह फैसला वित्त मंत्रालय की ओर से 56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक की सिफारिशों पर लिया गया। रक्षा मंत्रालय और तीनों सेनाओं का कहना है कि यह सुधार न केवल ऑपरेशनल रेडीनेस बढ़ाएगा, बल्कि भविष्य के सैन्य अभियानों के लिए भी तैयारी को मजबूत करेगा।
Military Hardware IGST Cut: इंपोर्ट पर टैक्स का असर खत्म
इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विस टैक्स दरअसल राज्यों के बीच होने वाली सप्लाई और इंपोर्ट पर लगाया जाता है। जब भी विदेश से कोई मिलिट्री इक्पिमेंट खरीदा जाता था तो उस पर कस्टम ड्यूटी के साथ इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विस टैक्स भी देना पड़ता था। अब नए सुधार के बाद यह टैक्स हटा दिया गया है। यानी, जहाज से लॉन्च होने वाली मिसाइल, रॉकेट, ड्रोन, अंडरवॉटर वेसल और आर्टिलरी वेंपस के लिए आने वाले स्पेयर पार्ट्स भारत में सस्ते हो जाएंगे।
Military Hardware IGST Cut: ड्रोन सेक्टर को मिली बड़ी राहत
ड्रोन इंडस्ट्री के लिए यह सुधार किसी वरदान से कम नहीं माना जा रहा। ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष स्मित शाह ने कहा कि पहले कैमरे वाले ड्रोन पर 5 फीसदी, 18 फीसदी और यहां तक कि 28 फीसदी तक जीएसटी लगने को लेकर भ्रम बना रहता था। इसकी वजह से कई बार कंपनियों को विवाद और कंप्लायंस जोखिम झेलने पड़ते थे।
अब सरकार ने नियम साफ कर दिया है। सैन्य ड्रोन पर टैक्स जीरो कर दिया गया है, जबकि कमर्शियल ड्रोन पर केवल 5 फीसदी जीएसटी लगेगा। इससे न केवल लागत कम होगी बल्कि ऑपरेटरों और ग्राहकों को सीधा फायदा मिलेगा।
गरुड़ा एयरोस्पेस के सीईओ अग्निश्वर जयप्रकाश ने कहा कि कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले ड्रोन की सबसे बड़ी लागत उनकी बैटरी होती है। अब बैटरी को जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है। इससे ग्राहकों को लागत में राहत मिलेगी और कंपनियों की मुनाफा भी बढ़ेगा।
भारतीय ड्रोन कंपनी आइडियाफोर्ज के सीईओ अंकित मेहता ने कहा कि इस सुधार से भारतीय UAV यानी मानव रहित हवाई वाहन क्षमता में तेजी आएगी। इसका फायदा न केवल सीमा पर निगरानी में होगा बल्कि मैपिंग, निरीक्षण, आपदा प्रबंधन और कृषि जैसे क्षेत्रों में भी देखने को मिलेगा।
उन्होंने कहा कि 0% टैक्स से भारतीय निर्माता अपने ऑपरेशन्स को और बड़े पैमाने पर चला पाएंगे। साथ ही डिफेंस सेक्टर में ज्यादा कॉन्टैक्ट अधिक अनुबंध हासिल कर पाएंगे और बेहतर क्षमता वाले किफायती ड्रोन बना पाएंगे।
Military Hardware IGST Cut: किन पर खत्म हुआ टैक्स
सूत्रों के अनुसार, अब जिन वस्तुओं पर IGST नहीं लगेगा, उनमें शामिल हैं जहाज से लॉन्च होने वाली मिसाइलें, जो नौसेना की ताकत बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसके साथ ही, डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू वेसल यानी गहरे समुद्र में बचाव कार्य करने वाले जहाज भी इस दायरे में आएंगे।
फ्लाइट मोशन सिम्युलेटर, जो पायलटों के प्रशिक्षण में अहम होते हैं, उन पर भी अब अतिरिक्त कर का बोझ नहीं रहेगा। इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम, जो देश की हवाई सुरक्षा को मजबूत करने के लिए जरूरी है, वह भी इस सूची में शामिल है।
इसके अलावा, अनमैन्ड अंडरवॉटर वेसल यानी बिना पायलट के पानी के भीतर चलने वाले सिस्टम को भी छूट दी गई है। नौसेना के लिए सोनाबॉय, जिनका इस्तेमाल पनडुब्बियों का पता लगाने और ट्रैकिंग के लिए किया जाता है, अब कम लागत पर उपलब्ध होंगे।
100 मिलीमीटर से बड़े कैलिबर वाले रॉकेट भी इस श्रेणी में आते हैं, जो आर्टिलरी की क्षमता को बढ़ाने में उपयोगी हैं। साथ ही, हाई-परफॉर्मेंस बैटरियां, जो ड्रोन और अन्य आधुनिक रक्षा प्रणालियों के लिए जरूरी हैं, उन्हें भी इस कर छूट का फायदा मिलेगा।
इसके अलावा आर्टिलरी हथियार, राइफल, एयरक्राफ्ट, रॉकेट लॉन्चर, AK-630 नेवल गन और लाइट मशीन गन से जुड़े स्पेयर पार्ट्स, सब-असेंबली, टूल्स और टेस्टिंग इक्विपमेंट को भी IGST से छूट दी गई है।
यह फैसला ऐसे समय आया है जब भारतीय सेना तेज गति से आधुनिकीकरण की ओर बढ़ रही है। 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने आपातकालीन शक्तियों के तहत हथियार और उपकरणों की खरीद को बढ़ावा दिया।
24 जून को रक्षा मंत्रालय ने इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट की पांचवीं किश्त के तहत 1,981.90 करोड़ रुपये के 13 अनुबंध किए थे। इसमें ड्रोन, काउंटर-ड्रोन सिस्टम, लोइटरिंग म्यूनिशन, रडार और शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम शामिल थे।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम न केवल लागत घटाएगा बल्कि भारत के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को भी रफ्तार देगा। जब विदेशी आयात पर टैक्स कम होगा तो भारतीय कंपनियों के लिए अपने प्रोडक्ट्स को डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट में शामिल करना आसान होगा।
डीआरडीओ और एचएएल जैसी सरकारी संस्थाओं के साथ-साथ लार्सन एंड टुब्रो, डायनामेटिक टेक्नोलॉजीज और VEM टेक्नोलॉजीज जैसी निजी कंपनियां पहले से ही इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। अब टैक्स छूट से इनके लिए वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करना आसान होगा।
नए टैक्स स्ट्रक्चर का असर केवल सेना पर ही नहीं बल्कि नागरिक क्षेत्रों में भी दिखाई देगा। कृषि ड्रोन, लॉजिस्टिक ड्रोन और सर्विलांस ड्रोन अब कम लागत पर उपलब्ध होंगे। इससे किसानों को सस्ती सेवाएं मिलेंगी और आपदा प्रबंधन जैसे कामों में भी मदद मिलेगी।
