📍नई दिल्ली | 6 Oct, 2025, 12:36 PM
India Air Defence Network: भारत अब अपने एयर डिफेंस सिस्टम को चाक-चौबंद करने में जुट गया है। मिशन सुदर्शन चक्र के तहत देश में एक ऐसा मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस नेटवर्क बनाया जा रहा है, जो दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और ड्रोन को बेहद दूर से ही पहचान लेगा और उन्हें वक्त रहते ही तबाह कर देगा। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर मिशन सुदर्शन चक्र का एलान किया था और कहा था कि यह मिशन भारत की डिफेंस स्ट्रक्चर को मजबूती देगा।
मिशन सुदर्शन चक्र में 6 से 7 हजार रडार
मिशन सुदर्शन चक्र के तहत पूरे देश में 6,000 से 7,000 रडार लगाए जाएंगे। इनमें ओवर-द-होराइजन रडार शामिल होंगे, जो दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को उनकी सीमा से सैकड़ों किलोमीटर दूर से ही ट्रैक कर सकते हैं। ये सभी रडार एक साथ जुड़कर इंटिग्रेटेड कमांड नेटवर्क में डेटा भेजेंगे। साथ ही, स्पेस-बेस्ड सैटेलाइट्स के जरिए अंतरिक्ष से निगरानी की जाएगी। ये दोनों मिल कर एक ऐसा एयर डिफेंस इकोसिस्टम करेंगे जो भारत के ऊपर किसी भी दिशा से आने वाले खतरे को तुरंत पहचान सकेगा।
India Air Defence Network – ओवर-द-होराइजन रडार: सीमा पार से निगरानी
ओवर-द-होराइजन रडार ऐसी तकनीक पर आधारित होते हैं जो वायुमंडल की परावर्तित तरंगों का इस्तेमाल करके हजारों किलोमीटर दूर तक निगरानी करने में सक्षम होते हैं। इनका उपयोग दुश्मन की सीमा के भीतर तक हवाई गतिविधियों पर नजर रखने के लिए किया जाएगा। ये रडार पाकिस्तान और चीन की हवाई गतिविधियों को शुरुआत में ही ट्रैक कर भारत को इंटरसेप्शन का पर्याप्त समय देंगे।
डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स और लेजर सिस्टम भी होंगे शामिल
इस मिशन में रडार और सैटेलाइट्स के अलावा डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स को भी जोड़ा जा रहा है। ये हाई-पावर लेजर हथियार होते हैं जो दुश्मन के ड्रोन, मिसाइल या एयरक्राफ्ट को हवा में ही नष्ट कर सकते हैं। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ने हाल ही में इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम का सफल परीक्षण किया है। इसमें क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QRSAM), वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस (VSHORADS) और 5 किलोवॉट लेजर को एक साथ जोड़ा गया। यह सिस्टम सुदर्शन चक्र की ढाल का अहम हिस्सा बनेगा।
स्ट्रैटेजिक और टैक्टिकल स्तर पर कवरेज
सुदर्शन चक्र नेटवर्क को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह रणनीतिक और टैक्टिकल दोनों स्तरों पर हवाई खतरों का सामना कर सके। लंबी दूरी के मिसाइल सिस्टम, मध्यम दूरी की एयर डिफेंस गन, एंटी-ड्रोन टेक्नोलॉजी, सैटेलाइट्स और रडार, सबको एक साथ जोड़कर एक लेयर्ड डिफेंस आर्किटेक्चर तैयार किया जाएगा। यह सिस्टम दुश्मन के किसी भी हवाई खतरे को कई स्तरों पर ट्रैक और इंटरसेप्ट कर सकेगा।
एआई और क्वांटम टेक्नोलॉजी से डेटा एनालिसिस
हाल ही में सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने इस मिशन को भारत का “आयरन डोम” या “गोल्डन डोम” बताया था। उन्होंने कहा था कि इतनी बड़ी संख्या में रडार और सैटेलाइट से आने वाले डेटा को रियल टाइम में एनालाइज करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एडवांस्ड कंप्यूटेशन, बिग डेटा, डेटा एनालिटिक्स, लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स और क्वांटम टेक्नोलॉजी जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जाएगा।
उन्होंने कहा था कि यह सिस्टम “ढाल और तलवार” दोनों की तरह काम करेगा। यानी यह न सिर्फ रक्षा करेगा बल्कि दुश्मन के हवाई खतरों को पहले ही नष्ट करने में सक्षम होगा।
फिलहाल भारत का India Air Defence Network मुख्य रूप से रणनीतिक सैन्य ठिकानों की सुरक्षा पर केंद्रित है। लेकिन सुदर्शन चक्रमिशन इस कवरेज को बढ़ाकर देश के मुख्य शहरों, औद्योगिक केंद्रों और संवेदनशील इलाकों तक ले जाएगा। यानी न सिर्फ सीमाओं पर, बल्कि यह देश के हर कोने में हवाई खतरों से सुरक्षा करेगा।
2030 तक 52 नए सैटेलाइट होंगे लॉन्च
भारत ने अपनी स्पेस सर्विलांस क्षमता को बढ़ाने के लिए स्पेस-बेस्ड सर्विलांस प्रोग्राम के तीसरे चरण में 2030 तक 52 नए सर्विलांस सैटेलाइट्स लॉन्च करने की योजना बनाई है। ये सैटेलाइट्स सुदर्शन चक्र नेटवर्क से जुड़ेंगे और हवा, अंतरिक्ष और जमीन के बीच डेटा का एक सुरक्षित चैनल बनाएंगे और हवा, अंतरिक्ष और जमीन के बीच एक हाई-स्पीड डेटा चेन बनाएंगे।
AK-630 मोबाइल एयर डिफेंस गन सिस्टम की खरीद
ऑपरेशन सुदर्शन के तहत भारतीय सेना ने सीमावर्ती इलाकों और आबादी वाले केंद्रों को दुश्मन के ड्रोन, रॉकेट और लाइटर म्युनिशन जैसे खतरों से बचाने के लिए छह AK-630 मोबाइल एयर डिफेंस गन सिस्टम की आपातकालीन खरीद शुरू की है। 30 मिमी गन सिस्टम की रेंज 4 से 6 किलोमीटर है और यह प्रति मिनट 3000 राउंड फायर करने में सक्षम है, जिससे नजदीकी दूरी पर हवाई खतरों को प्रभावी ढंग से नष्ट किया जा सकेगा। यह सभी मौसम में काम करने वाले सिस्टम सेना के आकाशतीर कमांड-एंड-कंट्रोल नेटवर्क से जुड़ा होगा। ऑपरेशन सिंदूर के बाद इस कदम को तेजी से लागू किया जा रहा है।
India Air Defence Network – स्वदेशी निर्माण पर जोर
इस मिशन में अधिकांश प्लेटफॉर्म्स भारत में ही विकसित और निर्मित किए जाएंगे। डीआरडीओ, सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा कंपनियां, निजी रक्षा उद्योग और कई अनुसंधान संस्थान इसमें शामिल होंगे। वहीं, कुछ विशेष टेक्नोलॉजी विदेशों से भी खरीदी जा सकती है, लेकिन India Air Defence Network की रीढ़ स्वदेशी तकनीक होगी। वहीं, इस मिशन में सशस्त्र बलों के साथ-साथ पैरामिलिट्री फोर्सेज, रक्षा सार्वजनिक उपक्रम, निजी क्षेत्र और अनुसंधान संस्थान शामिल होंगे। सभी को एक साझा नेटवर्क में जोड़कर एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया जाएगा जो किसी भी हवाई खतरे पर तुरंत प्रतिक्रिया दे सके।
India Air Defence Network is being rapidly modernised to counter evolving aerial threats through an integrated, multi-layered shield. Under Mission Sudarshan Chakra, India is linking over-the-horizon radars, satellites, missile systems like S-400, and directed energy weapons into a single nationwide air defence network. This advanced system will monitor, detect, identify, and neutralise hostile aircraft, drones, and missiles across the country. With over 6,000 radars and 52 surveillance satellites planned, India aims to build a robust, real-time air defence grid to safeguard its skies and strategic assets. This network reflects India’s growing defence capabilities and technological self-reliance.