📍नई दिल्ली | 15 Oct, 2025, 1:16 PM
Ex-Servicemen Grant: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश के पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने केंद्रीय सैनिक बोर्ड के माध्यम से चलाई जाने वाली कल्याण योजनाओं के तहत मिलने वाली वित्तीय मदद को 100 फीसदी तक बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, तीन प्रमुख योजनाओं में 100 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। इनमें पेनरी ग्रांट, एजुकेशन ग्रांट और विवाह अनुदान शामिल है। यह सुधार 1 नवंबर 2025 से लागू होंगे।
यह फैसला देश के उन लाखों पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जो पेंशन नहीं लेते या सीमित साधनों में जीवनयापन कर रहे हैं। सरकार का यह कदम उनकी सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है।
पेनरी ग्रांट 4,000 से बढ़ाकर 8,000 रुपये प्रति माह
अब तक आर्थिक रूप से कमजोर और गैर-पेंशनधारी पूर्व सैनिकों को प्रति माह 4,000 रुपये की मदद दी जाती थी। नई व्यवस्था के तहत यह राशि अब 8,000 रुपये प्रति माह प्रति व्यक्ति कर दी गई है।
यह अनुदान 65 वर्ष से अधिक आयु के उन पूर्व सैनिकों और विधवाओं को दिया जाएगा, जिनकी कोई नियमित आय नहीं है। यह योजना उनके लिए आजीवन आर्थिक सहारा के रूप में काम करेगी। इस निर्णय से देशभर में हजारों ऐसे पूर्व सैनिक परिवारों को राहत मिलेगी जो अब तक केवल सरकारी अनुदानों पर निर्भर थे।
एजुकेशन ग्रांट अब 2,000 रुपये प्रति छात्र
सरकार ने पूर्व सैनिकों के बच्चों और विधवाओं के लिए शिक्षा सहायता में भी बड़ा बदलाव किया है। पहले यह राशि 1,000 प्रति माह थी, अब इसे बढ़ाकर 2,000 रुपये प्रति माह प्रति बच्चा कर दिया गया है। यह सहायता कक्षा पहली से लेकर स्नातक स्तर तक के अधिकतम दो बच्चों के लिए दी जाएगी। वहीं, अगर कोई विधवा स्वयं दो वर्ष की स्नातकोत्तर पढ़ाई कर रही है, तो उसे भी यह अनुदान मिलेगा।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि “इस सहायता का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी सैनिक परिवार का बच्चा आर्थिक तंगी के कारण अपनी पढ़ाई बीच में न छोड़े।”
विवाह अनुदान अब 50,000 की जगह 1,00,000 रुपये
विवाह अनुदान में भी अब 100 फीसदी की वृद्धि की गई है। अब यह राशि 50,000 से बढ़ा कर 1,00,000 रुपये कर दी गई है। यह सुविधा पूर्व सैनिकों की अधिकतम दो बेटियों के विवाह के लिए लागू होगी। साथ ही, यदि किसी विधवा का पुनर्विवाह होता है, तो उसे भी 1 लाख रुपये का अनुदान मिलेगा। यह नियम उन विवाहों पर लागू होगा जो इस आदेश के जारी होने के बाद सम्पन्न होंगे।
इन योजनाओं के तहत बढ़ाई गई राशि से सरकार पर वार्षिक लगभग 257 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा। यह राशि आर्मड फोर्सेस फ्लैग डे फंड (एएफएफडीएफ) से पूरी की जाएगी, जो रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले रक्षा मंत्री ईएक्स-सर्विसमेन वेलफेयर फंड का हिस्सा है।
एएफएफडीएफ वह फंड है जो हर साल नागरिकों के स्वैच्छिक योगदान से जुटाया जाता है। 7 दिसंबर को मनाए जाने वाले आर्मड फोर्सेस फ्लैग डे के अवसर पर देशभर के लोग शहीदों और सेवानिवृत्त सैनिकों के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए इस फंड में योगदान करते हैं।
यह फंड विशेष रूप से उन पूर्व सैनिकों, विधवाओं और आश्रितों की मदद के लिए उपयोग किया जाता है जिनकी आय सीमित है या जिनके पास पेंशन का कोई स्रोत नहीं है।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस निर्णय का उद्देश्य देश की उन लाखों वर्दीधारी वीरों के परिवारों को सम्मान देना है जिन्होंने अपने जीवन का सबसे बहुमूल्य समय देश की सेवा में समर्पित किया। सरकार का कहना है कि “देश की रक्षा करने वाले हमारे सैनिक केवल वर्दी में ही नहीं, बल्कि उसके बाद भी सम्मान और सहयोग के पात्र हैं।”
यह फैसला विशेष रूप से नॉन-पेंशनर और लो-इनकम ग्रुप के पूर्व सैनिकों को ध्यान में रखकर लिया गया है, ताकि उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
पूर्व सैनिक की पात्रता- कौन हैं लाभार्थी
रक्षा मंत्रालय के अधीन आने वाले भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग (डीईएसडब्ल्यू) के अनुसार, भूतपूर्व सैनिक यानी एक्स-सर्विसमैन (ईएसएम) की पात्रता निम्नलिखित मानदंडों पर आधारित होती है।
जो अधिकारी या सैनिक 20 वर्ष या उससे अधिक की सेवा पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त होते हैं, उन्हें स्वचालित रूप से एक्स-सर्विसमैन का दर्जा मिलता है। यदि कोई अधिकारी प्रीमेचर रिटायरमेंट (पीएमआर) लेकर 20 साल से पहले रिटायर होता है, तो उसे एक्स-सर्विसमैन का दर्जा तभी मिलता है, जब वह पेंशन या डिसेबिलिटी पेंशन प्राप्त कर रहा हो।
नई भर्ती योजना अग्निपथ योजना के तहत चार वर्ष की सेवा देने वाले अग्निवीर सामान्य रूप से एक्स-सर्विसमैन नहीं माने जाते। हालांकि, यदि कोई अग्निवीर सेवा के दौरान घायल होता है या विकलांगता के कारण सेवानिवृत्त किया जाता है, तो उसे एक्स-सर्विसमैन का दर्जा और पेंशन सुविधाएं मिल सकती हैं।
देश में कितने हैं पूर्व सैनिक
भारत में वर्तमान में लगभग 35 लाख से अधिक एक्स-सर्विसमैन और उनके परिवार रजिस्टर्ड हैं। इनमें से बड़ी संख्या ग्रामीण इलाकों से है, जहां रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी अधिक है। पूर्व सैनिकों को न केवल सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलता है, बल्कि उन्हें शिक्षा, चिकित्सा और पुनर्वास योजनाओं के तहत भी सहायता प्रदान की जाती है।
केंद्रीय सैनिक बोर्ड, राज्य सैनिक बोर्ड और जिला सैनिक बोर्ड, इन योजनाओं के क्रियान्वयन में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
यही संस्थाएं पात्र व्यक्तियों को पहचान कर लाभ पहुंचाने का कार्य करती हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कही ये बात
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि “भारत सरकार अपने सैनिकों और उनके परिवारों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है। जो लोग सीमाओं पर देश की रक्षा करते हैं, उनके लिए यह सरकार हमेशा खड़ी है। यह निर्णय हमारे पूर्व सैनिकों के प्रति सम्मान, कृतज्ञता और राष्ट्रीय कर्तव्य का प्रतीक है।”
उन्होंने कहा कि “हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी सैनिक या उसकी विधवा को उम्र के इस दौर में आर्थिक असुरक्षा का सामना न करना पड़े।”
वर्तमान में देशभर में लगभग 25 लाख नॉन-पेंशनर पूर्व सैनिक परिवार हैं जो इन सहायता योजनाओं पर निर्भर हैं।
इन योजनाओं का वित्तीय प्रबंधन रक्षा मंत्री पूर्व सैनिक कल्याण कोष के माध्यम से किया जाता है, जो आर्मड फोर्सेस फ्लैग डे फंड (एएफएफडीएफ) की एक उप-श्रेणी है।
यह फंड मुख्य रूप से कॉरपोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी योगदान, सार्वजनिक दान और रक्षा मंत्रालय के आवंटन से चलता है। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि आने वाले वर्षों में डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए इन योजनाओं को और पारदर्शी बनाया जाएगा ताकि आवेदन और भुगतान प्रक्रिया में तेजी आए।
सरकार का यह निर्णय उस व्यापक नीति का हिस्सा है जिसके तहत सरकार सैन्य कर्मियों के सेवा-पश्चात जीवन की गुणवत्ता सुधारना चाहती है। वर्ष 2024 में भी सरकार ने आर्मड फोर्सेस फ्लैग डे फंड के पुनर्गठन, ईसीएचएस कार्ड वितरण में सुधार और पुनर्वास केंद्रों के विस्तार जैसे कदम उठाए थे।
अब इस नई घोषणा से सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह देश की सशस्त्र सेनाओं के योगदान को सिर्फ युद्ध के मैदान में ही नहीं, बल्कि समाज के हर स्तर पर सम्मान देना चाहती है।