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Exercise Poorvi Prahaar: पूर्वी लद्दाख में डिसइंगेजमेंट के बाद पूर्वोत्तर में होने जा रही है बड़ी एक्सरसाइज, तीनों सेनाएं लेंगी हिस्सा

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Exercise Poorvi Prahaar: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ डिसइंगेजमेंट के कुछ ही दिनों बाद, भारत एक बड़ी ट्राई-सर्विस एक्सरसाइज “पूर्वी प्रहार” (Poorvi Prahaar) के लिए पूरी तरह से तैयार है। यह मेगा संयुक्त अभ्यास 8 नवंबर से शुरू होकर अगले 10 दिनों तक चलेगा और इसमें भारतीय थल सेना, नौसेना और वायुसेना अपने प्रमुख रक्षा संसाधनों को पूर्वी सेक्टर में सक्रिय करेंगे।

क्या है ‘पूर्वी प्रहार’ अभ्यास की विशेषता?

यह अभ्यास 8 नवंबर से ईस्टर्न सेक्टर में शुरू होगा। इसमें भारतीय थल सेना, वायुसेना और नौसेना अपने-अपने एसेट्स को एकीकृत युद्ध अभ्यास में शामिल करेंगी, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर में चीन के साथ संभावित किसी भी गतिरोध का मजबूती से सामना करना है। यह अभ्यास विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश के आसपास के क्षेत्र में सेना की क्षमता को मजबूत करने के उद्देश्य से किया जा रहा है, जहां हाल के सालों में भारत-चीन के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है।

थलसेना की भूमिका

इस अभ्यास में भारतीय सेना अपने महत्वपूर्ण एसेट्स को सक्रिय करेगी, जिसमें इन्फैंट्री कॉम्बैट, तोपखाने (आर्टिलरी गंस), LCH (लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर) और UAV (अनमैन्ड एरियल वेहिकल्स) शामिल होंगे। इन संसाधनों के माध्यम से सेना अपनी युद्ध तैयारियों को और मजबूत करेगी और विभिन्न लड़ाई परिस्थितियों में एकीकृत रणनीति का अभ्यास करेगी।

वायुसेना की तैयारी

भारतीय वायुसेना पूर्वी सेक्टर के कई प्रमुख एयरबेस जैसे कोलकाता, हाशिमारा, पानागढ़ और कलाईकुंडा को इस अभ्यास में शामिल करेगी। इसमें वायुसेना के आधुनिक और शक्तिशाली एसयू-30 फाइटर जेट, राफेल फाइटर जेट, सी-130जे ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, हॉक और अन्य हेलीकॉप्टर जैसे युद्ध संसाधन भी हिस्सा लेंगे। इनका उद्देश्य सेना के साथ एकीकृत युद्धाभ्यास को कुशलता से अंजाम देना है।

नौसेना की भूमिका

भारतीय नौसेना भी इस अभ्यास में अपनी मारकोस कमांडो (विशेष बलों) के साथ शामिल होगी। नौसेना का यह योगदान महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पूर्वी क्षेत्र में जलमार्गों की सुरक्षा और संचालन में मजबूती आएगी।

पूर्वी सेक्टर में भारत-चीन वार्ता

सूत्रों के अनुसार, डेमचोक और देपसांग के क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट के बाद, भारत पूर्वी सेक्टर में चीन के साथ तनाव को कम करने के लिए बातचीत में लगा हुआ है। यह समझौता यांगत्से और तवांग क्षेत्र में चीनी सेना (PLA) की पेट्रोलिंग अधिकारों को फिर से बहाल करने पर केंद्रित है। बता दें कि दिसंबर 2022 में हुए एक टकराव के बाद भारतीय सेना ने इस क्षेत्र में PLA की पेट्रोलिंग पर रोक लगा दी थी।

पूर्वी प्रहार का सामरिक महत्व

इस अभ्यास का मकसद केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक मजबूत रक्षा ढांचा तैयार करना भी है। भारत इस अभ्यास के माध्यम से अपनी सैन्य क्षमता को न केवल पूर्वी सेक्टर में बल्कि पूरे हिमालयी क्षेत्र में मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसे में ‘पूर्वी प्रहार’ केवल एक संयुक्त सैन्य अभ्यास नहीं है, बल्कि यह भारत की सुरक्षा रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है।

यह संयुक्त अभ्यास न केवल भारतीय रक्षा बलों को सामरिक मोर्चे पर प्रशिक्षित करेगा बल्कि देश की रक्षा संरचना को और अधिक सुदृढ़ करेगा।

India-China: क्या डेपसांग में पेट्रोलिंग को लेकर अटक गया है चीन? भारत-चीन के बीच तनाव बरकरार!

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India-China: पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और डेपसांग में भारत और चीन के बीच पेट्रोलिंग को लेकर चल रही बातचीत एक बार फिर से अटक गई है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच पेट्रोलिंग के तरीके और रूट्स पर सहमति बनाने को लेकर अभी तक कोई ठोस हल नहीं निकला है। वहीं, सेना का कहना है कि 21 अक्टूबर 2024 को दोनों देशों के बीच बनी सहमति के आधार पर दोनों पक्षों ने प्रभावी रूप से डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी कर ली है। वहीं भारतीय सेना ने अपने इलाकों में पेट्रोलिंग भी फिर से शुरू कर दी है। दोनों ही पक्ष आपसी सहमति का पालन कर रहे हैं, और किसी भी तरह की कोई रुकावट नहीं है।

क्या हैं चीन की आपत्तियां?

सूत्रों के अनुसार, चीन ने पेट्रोलिंग पॉइंट्स (PP) 10 और 11 पर भारतीय सेना के पेट्रोलिंग करने पर आपत्ति जताई है। इसके अलावा, PPs 11A, 12, और 13 पर भी पेट्रोलिंग की दूरी को लेकर चीन ने आपत्ति दर्ज की है।

भारत और चीन के बीच यह समझौता एक महीने पहले अक्टूबर में विदेश सचिव विक्रम मिस्री की तरफ से डेमचोक और डेपसांग में पेट्रोलिंग रूट्स को फिर से शुरू करने के एलान के बाद हुआ था। समझौते के बाद से दोनों सेनाओं के बीच पेट्रोलिंग के तरीके और दूरी को लेकर बातचीत चल रही है, लेकिन अभी ततक सहमति नहीं बन पाई है।

भारतीय सेना का पक्ष

भारतीय सेना के मुताबिक, 21 अक्टूबर 2024 को दोनों पक्षों के बीच सहमति बन चुकी है और भारत ने अपने पारंपरिक पेट्रोलिंग क्षेत्रों में पेट्रोलिंग फिर से शुरू कर दी है। सेना ने स्पष्ट किया है कि दोनों पक्ष सहमति का पालन कर रहे हैं और कहीं कोई रुकावट नहीं है। उन्होंने पेट्रोलिंग में किसी भी प्रकार की रुकावट को गलत बताया है।

India-China: क्या डेपसांग में पेट्रोलिंग को लेकर अटक गया है चीन? भारत-चीन के बीच तनाव बरकरार!

डेपसांग का सामरिक महत्व

डेपसांग का क्षेत्र सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके पूर्व में अक्साई चिन क्षेत्र है, जिस पर चीन ने 1950 के दशक से कब्जा कर रखा है। यहां स्थित पेट्रोलिंग पॉइंट्स चीन द्वारा बनाए गए नए हाईवे G695 के समीप हैं, जो इस इलाके में चीन की बढ़ती गतिविधियों का संकेत देता है।

पेट्रोलिंग का तरीका

पेट्रोलिंग के दौरान दोनों पक्ष एक-दूसरे को सूचित करते हैं ताकि सीधे टकराव की स्थिति से बचा जा सके। हालांकि, भारतीय सेना की पेट्रोलिंग को लेकर चीन की बार-बार की आपत्तियां और असहमति इस प्रक्रिया को कठिन बना रही हैं। पेट्रोलिंग की सीमा और दूरी को लेकर चीनी पक्ष अपने रुख पर अड़ा हुआ है, जो भारतीय सेना के लिए चुनौती बनता जा रहा है।

CSG का रोल और सलाह

पेट्रोलिंग रूट्स और सीमाओं पर फैसला चीन स्टडी ग्रुप (CSG) के बाद तय किया गया है, जो 1975 में गठित हुआ था और वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इसकी अध्यक्षता कर रहे हैं। यह समूह सरकार को चीन से जुड़े नीतिगत मामलों में सलाह देता है।

हालांकि भारतीय सेना ने स्पष्ट किया है कि पेट्रोलिंग में किसी प्रकार की कोई बाधा नहीं है और दोनों पक्षों में सहमति का पालन हो रहा है। सेना का कहना है कि 21 अक्टूबर 2024 को दोनों देशों के बीच बनी सहमति के आधार पर दोनों पक्षों ने प्रभावी रूप से डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी कर ली है। वहीं भारतीय सेना ने अपने इलाकों में पेट्रोलिंग भी फिर से शुरू कर दी है। दोनों ही पक्ष आपसी सहमति का पालन कर रहे हैं, और किसी भी तरह की कोई रुकावट नहीं है।

लेकिन जिस तरह से चीन की आपत्तियां और बातचीत में रुकावट सामने आई है, उससे लगता है कि क्षेत्र परी तरह से तनाव खत्म करने में लंबा वक्त लग सकता है। डेपसांग जैसे सामरिक महत्व वाले इलाके में पेट्रोलिंग की फिर से शुरुआत और सीमाओं पर दोनों देशों का भरोसा बहाल करना दोनों के लिए महत्वपूर्ण चुनौती बना हुआ है।

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