back to top
Home Blog Page 76

Narcotics Seizure By Indian Navy: भारतीय नेवी और श्रीलंकाई नौसेना ने नाकाम की तस्करी, संयुक्त कार्रवाई में 500 किलो मादक पदार्थ जब्त

0

Narcotics Seizure By Indian Navy: भारतीय नौसेना और श्रीलंकाई नौसेना ने संयुक्त अभियान में अरब सागर में मादक पदार्थों की तस्करी को नाकाम कर दिया। इस कार्रवाई में लगभग 500 किलोग्राम क्रिस्टल मेथ जब्त किया गया।

narcotics-seizure-by-indian-navy-indian-and-sri-lankan-navies-intercept-500-kg-of-drugs-in-joint-operation

तस्करी की सूचना और तत्पर कार्रवाई

श्रीलंकाई नौसेना ने जानकारी दी थी कि श्रीलंकाई झंडे वाले मछली पकड़ने वाले जहाजों से मादक पदार्थों की तस्करी की संभावना है। इस सूचना पर भारतीय नौसेना ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एक समन्वित अभियान शुरू किया।

भारतीय नौसेना के लॉन्ग रेंज मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट और रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट के जरिए व्यापक निगरानी की गई। जानकारी का आदान-प्रदान गुरुग्राम स्थित इंफॉर्मेशन फ्यूजन सेंटर (इंडियन ओशन रीजन) से हुआ, जिससे क्षेत्र में गतिविधियों पर नज़र रखी जा सकी।

narcotics-seizure-by-indian-navy-indian-and-sri-lankan-navies-intercept-500-kg-of-drugs-in-joint-operation

लगातार मिल रही खुफिया जानकारी और भारतीय नौसेना के हवाई उपकरणों की मदद से दो संदिग्ध नावों की पहचान की गई। 24 और 25 नवंबर को नौसेना के जहाज और हवाई संपत्तियों की संयुक्त कार्रवाई में इन नावों को रोका गया। नौसेना की बोर्डिंग टीम ने तलाशी ली और 500 किलोग्राम क्रिस्टल मेथ बरामद किया।

इस अभियान को और मजबूत करने के लिए एक अतिरिक्त भारतीय नौसेना जहाज को भी तैनात किया गया।

श्रीलंकाई अधिकारियों को सौंपे गए जहाज और तस्कर

जब्त किए गए मादक पदार्थ और नावों के चालक दल को कानूनी कार्रवाई के लिए श्रीलंकाई अधिकारियों को सौंपा गया है। इस सफलता ने दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग और क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को और मजबूत किया है।

narcotics-seizure-by-indian-navy-indian-and-sri-lankan-navies-intercept-500-kg-of-drugs-in-joint-operation

क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा में भारत-श्रीलंका सहयोग

इस संयुक्त अभियान ने भारतीय और श्रीलंकाई नौसेनाओं के बीच मजबूत साझेदारी को एक बार फिर से उजागर किया है। यह दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग का प्रमाण है।

भारतीय नौसेना के प्रवक्ता ने कहा, “यह ऑपरेशन न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि यह मादक पदार्थों की तस्करी जैसी समस्याओं से निपटने के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।”

श्रीलंकाई नौसेना के अधिकारी ने भी भारतीय नौसेना के त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की सराहना की।

narcotics-seizure-by-indian-navy-indian-and-sri-lankan-navies-intercept-500-kg-of-drugs-in-joint-operation

भारतीय महासागर क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में कदम

मादक पदार्थों की तस्करी जैसे अपराध क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती हैं। इस तरह के संयुक्त अभियानों से न केवल तस्करों पर कड़ी कार्रवाई होती है, बल्कि यह भविष्य में इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश देता है।

भारतीय और श्रीलंकाई नौसेनाओं का यह अभियान दर्शाता है कि दोनों देश समुद्री सुरक्षा को लेकर कितने गंभीर हैं। ऐसे संयुक्त ऑपरेशन न केवल वर्तमान चुनौतियों का समाधान करते हैं, बल्कि भविष्य में सहयोग की संभावनाओं को भी प्रोत्साहन देते हैं।

यह सफलता क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों के दृढ़ निश्चय और आपसी समझ का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

Indian Amry Aviation Wings: कौंन हैं कैप्टन रिया श्रीधरन? पिता के पद्चिन्हों पर चल कर भारतीय सेना की एविएशन विंग्स में बनीं अफसर

0

Indian Amry Aviation Wings: सेना में सेवा करने का सपना और परंपरा, यह शब्द केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि एक शानदार विरासत का हिस्सा बन जाते हैं, जब हम कैप्टन रिया के श्रीधरन (Capt Rheeya K Sreedharan) जैसे लोगों की कहानियां सुर्खियों में आती हैं। रिया के लिए यह सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि उनके परिवार की गौरवमयी सेना के प्रति निष्ठा का प्रतीक है। रिया ने अपने पिता, ब्रिगेडियर कौशल श्रीधरन की परंपरा को अपनाते हुए, भारतीय सेना एविएशन कोर में एविएशन विंग्स प्राप्त किए हैं।

Indian Army Aviation Wings: Who is Captain Riya Sreedharan? Becomes an Officer in Indian Army Aviation Wings, Following in Her Father's Footsteps

नासिक स्थित कंबाइंड आर्म्ड ट्रेनिंग स्कूल (CATS) में आयोजित विदाई समारोह में कैप्टन रिया के श्रीधरन को यह सम्मान प्राप्त हुआ, जिसमें 11 महीने की कठिन ट्रेनिंग के बाद उन्होंने यह सम्मान हासिल किया। इस उपलब्धि के साथ ही वह भारतीय सेना के एविएशन कोर में पहली दूसरी पीढ़ी की महिला अधिकारी बनीं हैं, जो अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए एविएशन विंग्स की हकदार बनीं हैं।

Indian Amry Aviation Wings: कठिन ट्रेनिंग का सफर

कैप्टन रिया ने इस सम्मान को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत और समर्पण से भरपूर प्रशिक्षण लिया। भारतीय सेना की एविएशन कोर में शामिल होने के बाद, उन्हें अत्यधिक शारीरिक और मानसिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 11 महीने की ट्रेनिंग में उन्हें पायलट के तौर पर अपने स्किल्स को निखारने के साथ-साथ एविएशन से जुड़े कई अन्य कठिन चुनौतियों को भी पार किया। इन 11 महीनों के दौरान उन्हें कठिन मौसम की परिस्थितियों, लंबी उड़ान से लेकर शारीरिक फिटनेस की सीमा तक खुद को साबित करना पड़ा।

रिया के लिए यह यात्रा बेहद प्रेरणादायक रही है। यह सिर्फ एक सामान्य ट्रेनिंग नहीं थी, बल्कि यह उनके जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण और संघर्षपूर्ण समय था। हालांकि, उन्होंने हर मुश्किल को अपने आत्मविश्वास और दृढ़ इच्छाशक्ति से पार किया।

पिता का मार्गदर्शन और प्रेरणा

रिया के पिता, ब्रिगेडियर कौशल श्रीधरन, भारतीय सेना में एक उच्च रैंक वाले अधिकारी हैं और उन्होंने खुद भारतीय सेना के एविएशन कोर में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं। उनके मार्गदर्शन में रिया ने एविएशन कोर में अपनी यात्रा की शुरुआत की और उनके अनुभव और सलाह ने रिया को हमेशा प्रेरित किया। ब्रिगेडियर श्रीधरन का हमेशा मानना ​​रहा है कि महिला अधिकारियों का सेना में योगदान बराबरी का है, और उन्होंने हमेशा रिया को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया।

ब्रिगेडियर श्रीधरन के लिए यह गर्व का क्षण था जब उन्होंने अपनी बेटी को एविएशन विंग्स प्राप्त करते हुए देखा। उनका कहना था, “यह एक पिता के लिए गर्व का क्षण है कि मेरी बेटी ने उस पेशे में कदम रखा, जो मैंने चुना था और उसने इसे अपनी मेहनत और समर्पण से हासिल किया। यह केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारतीय सेना के लिए भी गर्व की बात है।”

महिला सशक्तिकरण का प्रतीक

कैप्टन रिया के श्रीधरन की यह उपलब्धि सिर्फ एक व्यक्तिगत जीत नहीं, बल्कि यह पूरे देश के लिए महिला सशक्तिकरण का प्रतीक भी है। भारतीय सेना में महिलाओं के लिए एक लंबा सफर तय किया गया है, और रिया जैसी अधिकारी इस बदलाव को आगे बढ़ा रही हैं। उनकी सफलता न केवल महिलाओं को प्रेरित करती है, बल्कि यह साबित करती है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों के बराबर काम कर सकती हैं, और किसी भी चुनौती को पार कर सकती हैं।

उनका कहना है, “मैं हमेशा अपने पिता को अपना आदर्श मानती रही हूं, लेकिन मेरे लिए यह सिर्फ उनका मार्गदर्शन नहीं था, बल्कि हर महिला के लिए एक संदेश था कि यदि आप ईमानदारी से मेहनत करते हैं, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।”

भविष्य की ओर कदम

अब जब रिया ने एविएशन विंग्स हासिल कर लिया है, उनका ध्यान भविष्य की ओर है। भारतीय सेना में एविएशन कोर का हिस्सा बनना एक सम्मानजनक कार्य है, और रिया ने इसे साबित भी किया है। उनका सपना अब और ऊंचा है, और वह चाहती हैं कि वह अपनी विशेषज्ञता को और बढ़ाएं और भारतीय सेना के लिए एक सफल एविएशन अधिकारी बनें।

रिया का कहना है, “अब मैं और ऊंचे लक्ष्य के साथ काम करूंगी, और मुझे उम्मीद है कि भविष्य में मैं अपने योगदान से भारतीय सेना को और भी ज्यादा गर्व महसूस कराऊंगी।” उनके लिए अब यह यात्रा नहीं रुकने वाली है, बल्कि और ज्यादा मेहनत और समर्पण के साथ आगे बढ़ने का समय है।

Tejas Mk1A Engine: क्या भारत और रूस मिल कर बनाएंगे तेजस Mk1A के लिए इंजन? HAL चीफ के मास्को दौरे के पीछे यह है वजह

0

Tejas Mk1A Engine: भारत के प्रमुख विमान निर्माता, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. डीके सुनील, पिछले दिनों रूस के दौरे पर थे।रूसी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उनका यह दौरा तेजस Mk1A फाइटर जेट और भविष्य के भारतीय विमानों के लिए इंजन बनाने को लेकर है।

Tejas Mk1A Engine: Is India Collaborating with Russia for Fighter Jet Engines? The Reason Behind HAL Chief's Moscow Visit

F-404 इंजन की आपूर्ति में देरी बनी चिंता

एचएएल चीफ का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब GE एयरोस्पेस की तरफ से तेजस Mk1A में इस्तेमाल किए जाने वाले F-404 इंजन की सप्लाई में देरी हो रही है। जिसके चलके भारतीय वायुसेना और एचएएल भी चिंता जता चुका है। क्योंकि देरी की वजह से भारतीय वायुसेना (IAF) के ऑर्डर किए गए 83 तेजस Mk1A विमानों के निर्माण में देरी हो रही है।

इंजन बदलना फिलहाल संभव नहीं

हालांकि, सूत्रों का मानना है कि तेजस Mk1A के इंजन को पूरी तरह से बदलने की संभावना बेहद कम है। किसी भी नए इंजन को लगाने के लिए बड़े स्तर पर टेस्ट और सर्टिफिकेशन की जरूरत होती है, जिसमें तीन से चार साल का समय लग सकता है। वहीं, अगर भारत यह कदम यह उठाता है, तो इससे तेजन के निर्माण में और देरी होगी और भारतीय वायुसेना को समय पर तेजस एमके-1ए विमानों की डिलीवरी नहीं मिल पाएगी। क्योंकि, HAL को 2025 तक भारतीय वायुसेना को पहला तेजस Mk1A विमान सौंपना है।

रूस के साथ रक्षा साझेदारी की नई संभावनाएं

रूस भारत का पुराना रक्षा साझेदार रहा है। दोनों देशों ने कई सफल परियोजनाओं पर साथ काम किया है, जिनमें Su-30MKI लड़ाकू विमान का डेवलपमेंट भी शामिल है। रूसी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, HAL रूस के AL-31F इंजन और इसके सह-विकास को लेकर नए विकल्पों पर विचार कर रहा है। संभावना है कि HAL इस इंजन के कुछ हिस्सों को भारतीय तकनीक से जोड़ने की योजना बना रहा है, ताकि स्वदेशीकरण को बढ़ावा दिया जा सके।

तेजस Mk1A भारत का स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान है, जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है। यह विमान अपनी एडडवांस तकनीक, मल्टी-रोल क्षमताओं और स्वदेशी डिजाइन के कारण भारतीय वायुसेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। IAF ने तेजस Mk1A के 83 विमानों का ऑर्डर दिया है, जिनकी आपूर्ति 2025 से शुरू होनी है। इस विमान का निर्माण भारत की आत्मनिर्भर रक्षा पहल का हिस्सा है।

GE एयरोस्पेस की तरफ से F-404 इंजन की आपूर्ति में देरी ग्लोबल सप्लाई चेन में आ रही दिक्कतों के कारण हो रही है। ऐसे में HAL का रूस की ओर रुख यह संकेत देता है कि भारत अपने रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण बढ़ाने के लिए प्रयासरत है।

तेजस Mk1A कार्यक्रम भारत की रक्षा क्षमता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। F-404 इंजन की आपूर्ति में देरी ने भले ही इस कार्यक्रम को चुनौती दी हो, लेकिन HAL के प्रयास और रूस के साथ संभावित सहयोग भविष्य में इन चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं।

Indian Army: महाराष्ट्र चुनावों के दौरान नक्सल प्रभावित दुर्गम क्षेत्रों में सेना ने की बड़ी मदद, शांतिपूर्ण मतदान करवा कर रचा इतिहास

0

Indian Army: 20 नवंबर 2024 को महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों (Maharashtra Elections) का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस बार का चुनाव खासतौर पर इसलिए चर्चा में रहा, क्योंकि राज्य के नक्सल प्रभावित और दुर्गम इलाकों में भी मतदाताओं ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लिया। इसका श्रेय भारतीय सेना को जाता है, जिसने इस चुनौतीपूर्ण कार्य में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Indian Army Ensures Peaceful Voting in Naxal-Affected Remote Areas During Maharashtra Elections

लोकतंत्र के लिए भारतीय सेना का समर्पण
भारतीय सेना ने चुनाव प्रक्रिया को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए अभूतपूर्व कदम उठाए। नक्सल प्रभावित इलाकों में मतदान करवाना एक बड़ा काम था, जहां न केवल सुरक्षा चुनौती थी, बल्कि बुनियादी ढांचे की कमी भी बड़ी समस्या थी। इन कठिनाइयों के बावजूद, सेना ने यह सुनिश्चित किया कि हर नागरिक अपने मताधिकार का उपयोग कर सके।

17 से 20 नवंबर तक भारतीय सेना ने अन्य सुरक्षा बलों के साथ मिलकर हेलीकॉप्टरों की मदद से चुनावी कर्मियों, ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) और अन्य आवश्यक सामग्रियों को दुर्गम इलाकों तक पहुंचाया। उन्होंने न केवल चुनाव सामग्री को समय पर पहुंचाया, बल्कि मतदान के बाद उन्हें सुरक्षित वापस भी लाया।

Indian Army Ensures Peaceful Voting in Naxal-Affected Remote Areas During Maharashtra Elections

हेलीकॉप्टरों से मदद
भारतीय सेना ने इस अभियान के तहत अपने दो एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) तैनात किए। इन हेलीकॉप्टरों का उपयोग उन इलाकों में किया गया, जहां सड़क मार्ग से पहुंचना संभव नहीं था। सेना के पायलटों और कर्मियों ने दुर्गम क्षेत्रों जैसे सावरगांव, ग्यारापट्टी, मुरमगांव और काटेजरी में मतदान कर्मियों और ईवीएम को सुरक्षित पहुंचाया। ये सभी क्षेत्र नक्सल प्रभाव के कारण संवेदनशील माने जाते हैं।

भरीं 140 उड़ानें
चार दिनों की अवधि में भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा बलों ने कुल 140 उड़ानें भरीं। इनमें से भारतीय सेना ने अकेले 17 उड़ानें पूरी कीं, जिसमें 124 यात्रियों और 8,385 किलोग्राम सामग्रियों को उन स्थानों पर भेजा गया। सेना ने यह सुनिश्चित किया कि मतदान से पहले और बाद में सब कुछ समय पर और सुरक्षित रूप से हो।

20 से 21 नवंबर को, मतदान प्रक्रिया के बाद सेना ने 9 उड़ानों के जरिए चुनाव कर्मियों और सामग्रियों को वापस लाने का काम भी पूरा किया। यह ऑपरेशन न केवल सेना की दक्षता, बल्कि उनके लोकतंत्र के प्रति समर्पण को भी दर्शाता है।

दुर्गम इलाकों में मतदान संभव हुआ
महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित इलाकों में मतदान करवाना आसान काम नहीं था। ये क्षेत्र न केवल भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण हैं, बल्कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी संवेदनशील हैं। इन इलाकों में नक्सल गतिविधियों के कारण अक्सर डर और असुरक्षा का माहौल बना रहता है। ऐसे में भारतीय सेना ने न केवल सुरक्षा बलों के साथ समन्वय किया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि स्थानीय लोग बिना किसी डर के अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।

Indian Army Ensures Peaceful Voting in Naxal-Affected Remote Areas During Maharashtra Elections

मतदाताओं का उत्साह
भारतीय सेना और सुरक्षा बलों की मेहनत से इन दुर्गम इलाकों में जब मतदान हुआ, तो स्थानीय मतदाताओं में काफी उत्साह देखा गया। पहली बार कई ऐसे क्षेत्रों में लोग मतदान केंद्रों तक पहुंचे, जहां पहले लोकतंत्र केवल एक सपना था। नक्सल प्रभावित सावरगांव की रहने वाली 58 वर्षीय गायत्री देवी ने कहा, “मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि हमारे गांव में चुनाव होगा। भारतीय सेना की वजह से हमें यह मौका मिला।”

इसी तरह, 22 वर्षीय रोहित, जो पहली बार वोट डालने के लिए पहुंचे, ने कहा, “यह मेरे लिए गर्व का पल है। सेना ने हमारे लिए जो किया, उसके लिए हम उनके आभारी हैं।”

भारतीय सेना की भूमिका पर गर्व
चुनावों के दौरान भारतीय सेना ने यह साबित किया कि वह केवल देश की सीमाओं की रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने में भी अहम भूमिका निभाती है। इस मिशन में सेना के जवानों ने न केवल दुर्गम इलाकों में पहुंचकर मतदान की व्यवस्था को सुचारू बनाया, बल्कि उन क्षेत्रों में लोगों का भरोसा भी जीता।

सैनिकों का यह प्रयास दिखाता है कि लोकतंत्र केवल एक शब्द नहीं है, बल्कि इसे जीवित रखने के लिए हर स्तर पर कोशिश करनी होती है। भारतीय सेना के इस कदम ने यह सुनिश्चित किया कि न केवल शहरी इलाकों, बल्कि दूर-दराज के ग्रामीण और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोग भी लोकतंत्र का हिस्सा बनें।

एकता और भरोसे की जीत
इस चुनाव ने यह भी दिखाया कि जब सरकार, सुरक्षा बल और आम लोग मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। सेना और सुरक्षा बलों ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया कि हर एक नागरिक को अपने मत का अधिकार मिले।

यह अभियान केवल चुनावी प्रक्रिया को पूरा करने तक सीमित नहीं था, बल्कि यह लोगों के दिलों में लोकतंत्र के प्रति विश्वास को और मजबूत करने का प्रयास भी था। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के लिए यह एक संदेश था कि सरकार और सेना उनके साथ खड़ी है।

लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 भारतीय लोकतंत्र की ताकत का एक और उदाहरण है। भारतीय सेना ने यह साबित कर दिया कि वह सिर्फ देश की सीमाओं पर नहीं, बल्कि देश के हर कोने में लोकतंत्र को मजबूत करने में भी पूरी तरह सक्षम है।

Honorary Ranks in Indian Army: सेना में ऑनरी रैंक लेकर क्यों खड़े होते हैं विवाद? आइए जानते हैं इस सम्मान का क्या है महत्व और क्या है सेना की गाइडलाइंस

0

Honorary Ranks in the Indian Army: सेना में अनुशासन, सीनियरिटी और सम्मान का महत्व सर्वोपरि है। लेकिन जब किसी जूनियर कमीशंड अधिकारी (JCO) को ऑनरी रैंक (जैसे ऑनरी लेफ्टिनेंट या कैप्टन) से सम्मानित किया जाता है, तो सीनियरिटी और हालात को लेकर अक्सर भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। अक्सर देखा जाता है कि परेड या अन्य औपचारिक आयोजनों में उनकी भूमिका क्या होगी? क्या उन्हें अन्य अधिकारियों के समान अतिरिक्त अधिकार मिलेंगे? इन सवालों को लेकर सेना में अक्सर भ्रम और असमंजस की स्थिति बनी रहती है। जानिए ऐसे मामलों में सेना का क्या रुख रहता है। आइए जानने की कोशिश करते हैं…

Honorary Ranks in the Indian Army: Why Do Controversies Arise? Understanding Their Significance and Official Guidelines

ऑनरी रैंक का महत्व और विवाद

सेना में ऑनरी रैंक का उद्देश्य किसी अधिकारी की लंबी सेवा और विशिष्ट योगदान को सम्मानित करना है। यह रैंक आमतौर पर 26 जनवरी या 15 अगस्त जैसे राष्ट्रीय उत्सवों पर प्रदान की जाती है। हालांकि, यह रैंक सीनियरिटी में बदलाव नहीं करती और न ही इसे किसी विशेष कमांड अथवा अधिकारों का प्रतीक माना जाता है।

उदाहरण के तौर पर, यदि किसी सूबेदार को ऑनरी कैप्टन की रैंक प्रदान की गई है, तो उसकी मूल सीनियरिटी वही रहेगी, जो उसकी जेसीओ रैंक में थी। भले ही उनके कंधे पर कैप्टन के बैज लगे हों, लेकिन वह अपने से सीनियर सूबेदार मेजर या अन्य अधिकारियों को सम्मानपूर्वक सलामी देंगे।

अक्सर पूछे जाते हैं ये सवाल?

ऑनरी रैंक प्राप्त करने वाले अधिकारियों को कई बार ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जहां उनके कंधे पर लगे रैंक और उनके मौजूदा पद के बीच विरोधाभास उत्पन्न हो जाता है। उदाहरण के लिए:

  • क्या ऑनरी कैप्टन बने अधिकारी को सूबेदार मेजर को सलूट करना होगा या सूबेदार मेजर उन्हें?
  • परेड या अन्य औपचारिक आयोजनों में उनकी भूमिका क्या होगी?
  • क्या उन्हें अन्य अधिकारियों के समान अतिरिक्त अधिकार मिलेंगे?

इन सवालों को लेकर सेना में अक्सर भ्रम और असमंजस की स्थिति बनी रहती है।

Honorary Ranks in the Indian Army: Why Do Controversies Arise? Understanding Their Significance and Official Guidelines

रक्षा मंत्रालय की स्पष्टीकरण

इस भ्रम को दूर करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने 3 अगस्त 2023 को एक स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किया। इस पत्र के मुताबिक जो दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, वह इस प्रकार हैं:

  1. सीनियरिटी में कोई बदलाव नहीं होगा:
    ऑनरी रैंक से संबंधित अधिकारी की वास्तविक सीनियरिटी वही रहेगी, जो उनकी मूल जेसीओ रैंक में थी। उदाहरणस्वरूप, यदि किसी सूबेदार को ऑनरी कैप्टन बनाया गया है, तो वह अपने सीनियर सूबेदार मेजर को ही रिपोर्ट करेंगे।
  2. अतिरिक्त अधिकार नहीं दिए जाएंगे:
    ऑनरी रैंक केवल एक प्रतीकात्मक सम्मान है और इसे किसी अतिरिक्त अधिकार या कमांड का प्रतिनिधित्व नहीं माना जाएगा।
  3. पेंशन और वित्तीय लाभ:
    ऑनरी रैंक से अधिकारी को पेंशन और वेतनमान में बढ़ोतरी का फायदा मिलता है। यह रैंक उनके वित्तीय हितों को मजबूत करने के लिए प्रदान की जाती है।

परेड और औपचारिक आयोजनों में भूमिका

परेड जैसे आयोजनों में कई बार भ्रम की स्थिति पैदा होती है, जब एक ऑनरी कैप्टन को सूबेदार मेजर के समक्ष रिपोर्ट करनी होती है। ऐसे में दिशानिर्देश साफ करते हैं कि रैंक के बैज के बावजूद, परेड में उनकी स्थिति उनकी मूल रैंक के अनुसार ही होगी।

रक्षा मंत्रालय ने सेना के सभी यूनिट्स को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि इस विषय पर सभी अधिकारियों और जवानों को स्पष्ट जानकारी दी जाए। ऐसा करने से अनावश्यक विवाद और शिकायतों को रोका जा सकेगा।

सम्मान और सादगी का प्रतीक

ऑनरी रैंक सेना की परंपरा और अनुशासन का हिस्सा है। यह न केवल सम्मान का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाता है कि सेना हर अधिकारी और जवान की सेना में योगदान की कद्र करती है। हालांकि, इस रैंक से जुड़े भ्रम और सवालों को रक्षा मंत्रालय ने अपने स्पष्ट दिशानिर्देशों से सुलझा दिया है। सेना के लिए यह आवश्यक है कि सम्मान और सीनियरिटी के इस संतुलन को बनाए रखा जाए। ऑनरी रैंक प्राप्त करना न केवल एक अधिकारी के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह उनकी वर्षों की सेवा और समर्पण का सम्मान भी है।

INS Arihant K-4 SLBM: क्या भारत ने गुपचुप किया है INS अरिहंत से K-4 मिसाइल का टेस्ट? DRDO और रक्षा मंत्रालय ने क्यों नहीं किया सार्वजनिक एलान?

0

INS Arihant K-4 SLBM: भारत ने 27 नवंबर से 30 नवंबर के बीच जारी किया गया “नोटिस टू एयरमेन” (NOTAM) अचानक वापस ले लिया है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब अटकलें लगाई जा रही हैं कि 27 नवंबर, 2024 को INS अरिहंत से K-4 सबमरीन-लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) का परीक्षण किया गया। हालांकि, भारतीय सरकार या रक्षा अधिकारियों की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

INS Arihant K-4 SLBM: Has India Secretly Tested K-4 Missile from INS Arihant? No Official Confirmation Yet from DRDO or Defence Ministry

INS Arihant K-4 SLBM

K-4 मिसाइल को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने डेवलप किया है, जो भारत की समुद्र-आधारित परमाणु प्रतिरोध रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मिसाइल लगभग 3,500 किलोमीटर की मारक क्षमता रखती है, जो इसे दुश्मन के सामरिक ठिकानों तक पहुंचने में सक्षम बनाती है। K-4 की खासियत यह है कि इसे पानी के भीतर से लॉन्च किया जा सकता है, जिससे इसे ढूंढ पाना बेहद मुश्किल हो जाता है।

6000 हजार टन वजनी INS अरिहंत सबमरीन, भारत की स्वदेशी रूप से विकसित परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी, K-4 मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है। यह पनडुब्बी एक बार में चार K-4 मिसाइलें ले जा सकती है। वहीं अगर इस मिसाइल का परीक्षण सफल रहा है, तो यह भारत की “न्यूक्लियर ट्रायड” (थल, जल और वायु आधारित परमाणु हथियारों की प्रणाली) को मजबूती प्रदान करेगा और यह संकेत देगा कि भारत समुद्र-आधारित प्रतिरोध क्षमताओं को पूरी तरह से ऑपरेशनल करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने के लिए बिल्कुल तैयार है।

NOTAM की वापसी: अटकलों का दौर

आमतैर पर जब भी K-4 जैसे रणनीतिक महत्व के हथियारों से जुड़े परीक्षण होते हैं, तो डीआरडीओ और सरकार की तरफ से मिसाइल परीक्षण के सफल होने का एलान किया जाता है। लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ है। लेकिन इस बार NOTAM को अचानक वापस लेना और कोई आधिकारिक बयान जारी न करना, इससे चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम “निचले प्रोफाइल” में टेस्ट करने की रणनीति हो सकती है ताकि क्षेत्रीय या वैश्विक स्तर पर बेवजह के ज्योपॉलिटिकल तनाव से बचा जा सके। INS अरिहंत जैसे प्लेटफॉर्म से इस तरह का परीक्षण समुद्र-आधारित परमाणु हमले की क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।

INS Arihant K-4 SLBM: Has India Secretly Tested K-4 Missile from INS Arihant? No Official Confirmation Yet from DRDO or Defence Ministry

INS अरिहंत और K-4 का महत्व

INS अरिहंत, भारत की पहली स्वदेशी परमाणु-संचालित पनडुब्बी है, जो देश के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। यह पनडुब्बी परमाणु हथियारों से लैस होकर पानी के अंदर रहकर दुश्मन पर हमला करने की क्षमता रखती है।

K-4 जैसे मिसाइल भारत की दूसरी स्ट्राइक क्षमता को मजबूत करते हैं। इसका मतलब यह है कि अगर भारत पर कोई परमाणु हमला होता है, तो भी वह इस तरह के हथियारों की मदद से जवाबी हमला करने में सक्षम होगा। यह क्षमता “विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध” (Credible Minimum Deterrence) की भारत की परमाणु नीति का अभिन्न हिस्सा है।

भविष्य की रणनीति पर नजर

यदि यह परीक्षण सफल रहा है, तो यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। समुद्र-आधारित मिसाइल प्रणाली का ऑपरेशनल होना भारत के लिए रणनीतिक स्थिरता बनाए रखने में सहायक होगा, खासकर ऐसे समय में जब क्षेत्रीय तनाव और भूराजनीतिक चुनौतियां बढ़ रही हैं।

इसके अलावा, K-4 मिसाइल के परीक्षण से यह स्पष्ट होता है कि भारत अपने परमाणु हथियारों की तैनाती को और अधिक सुरक्षित और प्रभावी बना रहा है। यह कदम चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की चुनौतियों का सामना करने में भी मदद करेगा।

सरकार की चुप्पी और चर्चाओं का दौर

हालांकि, इस पूरे मामले में सरकार की चुप्पी ने चर्चाओं को और तेज कर दिया है। रक्षा मंत्रालय और DRDO जैसे संस्थान आमतौर पर इस तरह के परीक्षणों की जानकारी साझा करते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ।

यह संभव है कि सरकार और सेना इसे रणनीतिक गोपनीयता के तहत रखना चाहती हो। परीक्षण की पुष्टि न करना और NOTAM को वापस लेना, दोनों कदम यह संकेत देते हैं कि भारत इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार की ज्योपॉलिटिकल  प्रतिक्रिया से बचना चाहता है।

वहीं अगर INS अरिहंत से K-4 मिसाइल का परीक्षण यदि सफल हुआ है, तो यह भारत की परमाणु रणनीति में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी। यह कदम भारत को समुद्र-आधारित परमाणु शक्ति के क्षेत्र में एक मजबूत खिलाड़ी बना देगा।

भले ही सरकार ने इस पर कोई बयान नहीं दिया हो, लेकिन यह तय है कि ऐसे परीक्षण भारत की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। इसके साथ ही यह देश की आत्मनिर्भरता और DRDO जैसे संस्थानों की सफलता का प्रमाण भी है।

आने वाले दिनों में अगर इस परीक्षण की पुष्टि होती है, तो यह भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी ताकत दिखाने का एक और अवसर होगा। अब, पूरे देश की नजरें इस बात पर हैं कि सरकार कब और कैसे इस पर अपनी प्रतिक्रिया देती है।

President Colours: आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने चार मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री बटालियनों को ‘प्रेजिडेंट्स कलर्स’ से किया सम्मानित

0

President Colours: भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने 27 नवंबर को आहिल्यनगर स्थित मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री सेंटर और स्कूल (MIC&S) में आयोजित एक समारोह में चार मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री बटालियनों को ‘प्रेजिडेंट्स कलर्स’ प्रदान किए। यह सम्मान बटालियनों की उत्कृष्ट और अनुकरणीय सेवा के लिए दिया गया। सम्मानित बटालियनें थीं – 26वीं और 27वीं मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री रेजीमेंट, और 20वीं व 22वीं ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स। इस विशेष अवसर पर सेना के वेटरन, सैन्य कर्मी और नागरिक गणमान्य व्यक्तियों ने समारोह में भाग लिया।

Army Chief General Upendra Dwivedi Honours Four Mechanised Infantry Battalions with President Colours

President Colours: परेड और सम्मान का प्रदर्शन

जनरल द्विवेदी ने परेड का निरीक्षण करते हुए चारों बटालियनों की उत्कृष्ट प्रस्तुति की सराहना की। उन्होंने भारत के राष्ट्रपति की ओर से प्रेजिडेंट्स कलर्स प्रदान किए और इन बटालियनों की सेवाओं को राष्ट्र के प्रति समर्पण और अनुकरणीय प्रदर्शन के रूप में मान्यता दी। उन्होंने सभी सैनिकों को बधाई दी और मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री की युद्ध और शांति दोनों में निभाई गई भूमिका की प्रशंसा की।

मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री, जो 1979 में स्थापित हुई, भारतीय सेना के सबसे युवा और कुशल हथियारों में से एक है। यह बल इन्फैंट्री और मैकेनाइज्ड फोर्सेज का मिश्रण है और इसे अपनी बहुमुखी प्रतिभा और शौर्य के लिए जाना जाता है।

Army Chief General Upendra Dwivedi Honours Four Mechanised Infantry Battalions with President Colours

इतिहास और योगदान की झलक

अपने संबोधन में सेना प्रमुख ने कहा कि मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री ने ऑपरेशन पवन, ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन रक्षा और ऑपरेशन स्नो लेपर्ड जैसी महत्वपूर्ण सैन्य गतिविधियों में अपनी दक्षता साबित की है। इसके अलावा, इन बटालियनों ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। उन्होंने उल्लेख किया कि चार बटालियनों को उनके अनुकरणीय सेवा और उपलब्धियों के लिए यह सम्मान प्रदान किया जा रहा है।

आधुनिक युद्ध के लिए तत्परता और आत्मनिर्भरता

सेना प्रमुख ने कहा कि बदलते युद्ध परिदृश्य में मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री आधुनिक उपकरणों जैसे फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स, नाग मिसाइल सिस्टम, मिनी ड्रोन और एकीकृत निगरानी प्रणालियों के साथ खुद को एडवांस बना रही है। यह सभी प्रयास आत्मनिर्भरता के आधार पर किए जा रहे हैं, जिससे सेना भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार हो रही है।

Army Chief General Upendra Dwivedi Honours Four Mechanised Infantry Battalions with President Colours

प्रेजिडेंट्स कलर्स का ऐतिहासिक महत्व

प्रेजिडेंट्स कलर्स सेना की किसी इकाई को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। यह सम्मान किसी भी बटालियन की असाधारण सेवा और समर्पण का प्रतीक है। ऐतिहासिक रूप से, इसे युद्ध के दौरान सैनिकों को प्रेरित करने और उनकी एकजुटता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। वर्तमान समय में, यह एक सांकेतिक पहचान के रूप में मनोबल बढ़ाने का कार्य करता है।

Army Chief General Upendra Dwivedi Honours Four Mechanised Infantry Battalions with President Colours

वयोवृद्धों का सम्मान और भविष्य की प्रेरणा

समारोह के दौरान, सेना प्रमुख ने चार पूर्व सैनिकों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया और उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने सभी सैनिकों और उनके परिवारों को शुभकामनाएं दीं और उनसे राष्ट्र की सेवा में उत्कृष्टता के लिए प्रयासरत रहने की अपील की।

इस समारोह ने भारतीय सेना की समर्पण भावना और अनुशासन को और अधिक प्रोत्साहित किया। यह सम्मान बटालियनों की अदम्य सेवा का प्रतीक है और आने वाले समय में उनके लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

India-China Disengagement: देपसांग बल्ज से चीनी सेना की हुई वापसी! लेकिन “नो-डिप्लॉयमेंट जोन” में बनाईं दो पोस्ट, भारतीय सेना के लिए चुनौतियां बरकरार

1

India-China Disengagement: पूर्वी लद्दाख के देपसांग प्लेंस से चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की वापसी भारतीय सेना और देश के लिए एक राहत की खबर है। राकी नाला से PLA की वापसी 21 अक्टूबर, 2024 को हुए भारत-चीन पेट्रोलिंग समझौते का हिस्सा है। इस समझौते के तहत दोनों देशों ने तनावग्रस्त इलाकों से अपने-अपने सैनिकों को वापस बुलाने की बात कही थी। वहीं, अब राकी नाला और बुर्त्सा नाला जैसे विवादित इलाकों में गश्त फिर से शुरू हो गई है।

India-China Disengagement: PLA Withdraws from Depsang Bulge, But New Posts in "No-Deployment Zone" Pose Challenges for Indian Army
File Photo

PLA ने बनाईं दो अस्थायी पोस्ट

वहीं, रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन की पीएलए सेना ने उन क्षेत्रों से अपनी अस्थायी पोस्ट और ऑपरेशनल ट्रैक्स को हटा लिया है, जो पहले भारतीय पेट्रोलिंग रूट्स का हिस्सा थे। इस समझौते के तहत चीनी सेना ने सब सेक्टर नॉर्थ में श्योक नदी के पास स्थित राकी नाला घाटी और बॉटलनेक, वाई-जंक्शन 1 और वाई-जंक्शन 2 के पास से अपनी अस्थायी चौकियां और इंफ्रास्ट्रक्चर को हटा लिया है। वहीं, PLA ने दो अस्थायी पोस्ट को नई जगहों पर स्थानांतरित किया है, एक पोस्ट राकी नाला के स्रोत के पास वाई-जंक्शन से लगभग 7 मील उत्तर-उत्तर-पूर्व में और दूसरी पूर्व दिशा में ऊपरी बुर्त्सा नाला घाटी में बनाई है। इन नई चौकियों को ऑपरेशनल ट्रैक्स से जोड़ा गया है। हालांकि यह कदम सकारात्मक माना जा रहा है, लेकिन इससे कुछ सवाल भी खड़े हो रहे हैं।

क्या PLA ने LAC पार की?

विशेषज्ञों के मुताबिक, यह स्पष्ट नहीं है कि PLA ने पूरी तरह से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के बाहर के इलाकों से अपनी मौजूदगी हटा ली है। इसके अलावा, “नो-डिप्लॉयमेंट ज़ोन” के भीतर उनके तंबुओं और पोस्ट की मौजूदगी पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। हालांकि सैटेलाइट इमेजरी में इन पोस्ट्स की स्थिति स्पष्ट रूप से नहीं दिखाई दे रही है।

गश्त तो बहाल हुई, लेकिन सीमित

हालांकि भारतीय सेना ने देपसांग क्षेत्र में पेट्रोलिंग को तो फिर से शुरू कर दिया है, लेकिन यह केवल कुछ निश्चित क्षेत्रों तक ही सीमित है। पेट्रोलिंग पॉइंट्स (PP) 10-13 जैसी जगहों पर भारतीय सैनिक 2020 के पहले रेगुलर पेट्रोलिंग पर जाते थे, वे अब चीनी सड़कों और पोस्ट्स के करीब हैं। इससे भारतीय सेना की पेट्रोलिंग को लेकर चुनौतियां बढ़ गई हैं। सैन्य सूत्रों का मानना है कि चीनी सेना ने इन रूट्स पर भारतीय पेट्रोलिंग की पहुंच को सीमित करने के लिए रणनीतिक रूप से अपनी तैनाती को पुनर्गठित किया है। उनका कहना है कि कई पुराने पेट्रोलिंग पॉइंट्स अब चीनी सड़कों और पोस्ट्स के करीब हैं, जो 2010-2013 के बीच बनाए गए थे।

India-China Disengagement: PLA Withdraws from Depsang Bulge, But New Posts in "No-Deployment Zone" Pose Challenges for Indian Army
image by @NatureDesai

राकी नाला और वाई-जंक्शन की स्थिति

राकी नाला घाटी में गश्त शुरू हो गई है, लेकिन बॉटलनेक और वाई-जंक्शन क्षेत्रों में स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि PLA ने इन स्थानों पर अपनी मौजूदगी को “नो डिप्लॉयमेंट ज़ोन” के भीतर स्थानांतरित कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक बुर्त्सा नाला और राकी नाला के बीच चीनी सेना के नए ट्रैक्स और अस्थायी चौकियों ने भारतीय सेना के लिए चुनौती बढ़ा दी हैं। उनका कहना है कि यह चीन की रणनीति हो सकती है, ताकि इन इलाकों में उसकी मौजूदगी बरकरार रहे।

डी-एस्केलेशन और डी-इंडक्शन की प्रक्रिया

डिसइंगेजमेंट के बाद, डी-एस्केलेशन और डी-इंडक्शन को लेकर बातचीत जारी है। ये कदम सीमा पर तनाव कम करने के लिए आवश्यक हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह तभी संभव है जब दोनों पक्ष पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ समझौते का पालन करें। उनका कहना है कि चीनी सेना की नई चौकियां और ट्रैक्स भारतीय सेना के पेट्रोलिंग रूट्स में बाधा पैदा कर सकते हैं। आने वाले महीनों में यह देखना होगा कि यहां स्थिति कैसी रहती है।

हालांकि देपसांग प्लेंस से PLA की वापसी एक सकारात्मक पहल है, लेकिन भारतीय सेना और सरकार के सामने अभी भी कई चुनौतियां बरकरार हैं। पेट्रोलिंग रूट्स की बहाली, पारदर्शिता और स्थिरता सुनिश्चित करना न केवल सीमा विवाद के समाधान के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए भी जरूरी है। सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए दोनों देशों को ठोस और पारदर्शी प्रयास करने होंगे। व्यापार और आपसी सहयोग के लिए यह जरूरी है कि दोनों देश संघर्ष के हालात से दूर रहें और शांतिपूर्वक समझौते का पालन करें।

New ECHS Advisory: अगर डिस्पेंसरी में नहीं है दवा तो क्या करें? रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी हुए नए दिशा-निर्देश

New ECHS Advisory: रक्षा मंत्रालय के इंटीग्रेटेड हेडक्वॉर्टर (सेना) की तरफ से 12 नवंबर 2024 को जारी किए गए पत्र में, ईसीएचएस (एक्स-सर्विसमैन कंज्यूमर हेल्थकेयर स्कीम) से जुड़े सभी क्षेत्रीय केंद्रों को निर्देश दिए गए हैं कि वे नॉन-सीडीएल यानी NonCommon Drug List दवाओं के लिए एनए (नॉट अवेलेबल) पॉलिसी का सख्ती से पालन करें।

New ECHS Advisory: What to Do If Medicines Are Not Available at Dispensaries? New Guidelines Issued by the Army
File Photo

क्या है नई नीति?

ईसीएचएस से जुड़े सभी पीसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) और उनकी डिस्पेंसरी में यदि किसी दवा की उपलब्धता नहीं है, तो संबंधित अधिकारी (ओआईसी) को एक नई गाइडलाइन जारी की गई है। अगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दवा उपलब्ध नहीं है, तो वे या तो अधिकृत स्थानीय केमिस्ट (Authorized Local Chemist) से दवाइयाँ खरीद सकते हैं, बशर्ते वह नगरपालिका की सीमा के भीतर स्थित हो। यदि केमिस्ट बाहर स्थित है, तो यह प्रक्रिया 72 घंटे के भीतर पूरी करनी होगी। यदि निर्धारित दवा फिर भी उपलब्ध नहीं हो पाती है, तो ईसीएचएस लाभार्थी को पर्चे पर नॉट अवेलेबल जारी किया जाएगा। इसके बाद, लाभार्थी स्थानीय मेडिकल स्टोर से दवाइयां खरीद सकते हैं और बाद में सीओ ईसीएचएस के दिशा-निर्देशों के अनुसार दवा की खरीद के बिल का दावा कर सकते हैं।

CE-ECHS ने क्यों लिखा पत्र

ईसीएचएस के प्रमुख ने इस पत्र में स्पष्ट किया कि केवल वही दवाइयां, जो ईसीडीएल-2024 (ईसीएचएस ड्रग लिस्ट) के अंतर्गत आती हैं, उनके लिए नॉट अवेलेबल जारी किया जा सकता है। यदि किसी दवा की डिमांड ईसीडीएल-2024 के बाहर से की जाती है, तो उसका एनए पास नहीं किया जाएगा, सिवाय इसके कि वह दवा अत्यंत आवश्यक और महत्वपूर्ण हो। ऐसी स्थिति में SEMO (सैन्य चिकित्सा अधिकारी) की मंजूरी के बाद ही दवा को खरीदने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है, और बाद में उस दवा को ईसीएचएस ड्रग लिस्ट में शामिल करने के लिए CO ECHS के पास भेजा जा सकता है।

 नॉट अवेलेबल (एनए) और इसके महत्व पर जोर

इस नई नीति के तहत, केवल सिस्टम द्वारा जनरेटेड एनए को ही मान्यता दी जाएगी। इसका मतलब यह है कि रीजनल सेंटर्स को किसी भी तरह से अन्यथा एनए पास करने की अनुमति नहीं होगी। यदि किसी दवा की मांग लगातार बढ़ रही है, तो इसे प्राथमिकता देते हुए आवश्यक मंजूरी के बाद ईसीएचएस सूची में शामिल किया जा सकता है।

New ECHS Advisory: What to Do If Medicines Are Not Available at Dispensaries? New Guidelines Issued by the Army

क्या है इसका उद्देश्य?

इस नीति का मुख्य उद्देश्य ईसीएचएस प्रणाली को और अधिक सशक्त और प्रभावी बनाना है, ताकि लाभार्थियों को तुरंत और बिना किसी रुकावट के उनकी चिकित्सा आवश्यकताओं के अनुसार दवाइयां मिल सकें। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि केवल वही दवाइयां दी जाएं, जो सही दिशा-निर्देशों और अप्रूवल के तहत हों, जिससे सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी बनी रहे और समयबद्ध तरीके से सेवा प्रदान की जा सके।

वहीं, इस नए निर्देश से ईसीएचएस लाभार्थियों के लिए दवाइयों की उपलब्धता को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश तय किए गए हैं। इसके साथ ही, सिस्टम जनरेटेड एनए की प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि सभी लाभार्थियों को उनकी जरूरत की दवाइयां समय पर मिल सकें। यह नीति ईसीएचएस के तहत सेवा देने वाले सभी संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण है और इस पर सख्त पालन किया जाएगा।

One Month of India-China Disengagement: क्या चीन LAC पर रहा है पेट्रोलिंग समझौते का पालन? नियमित गश्त को लेकर यह बात आई सामने

0

One Month of India-China Disengagement: भारत और चीन के बीच डिसएंगेजमेंट के एक महीने बाद, दोनों देशों ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर स्थित डेपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में नियमित पेट्रोलिंग शुरू कर दी है। यह पेट्रोलिंग निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार हो रही है, जो 21 अक्टूबर को समझौते के बाद फिर से शुरू हुई है।

One Month of India-China Disengagement: Has China Adhered to Patrolling Agreement on LAC? Regular Patrols Proceeding Smoothly
File Photo

सूत्रों के अनुसार, डिसएंगेजमेंट समझौता होने के बाद, दोनों देशों ने डेपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में साप्ताहिक पेट्रोलिंग की योजना बनाई थी। इस प्रोटोकॉल के तहत, दोनों देश हर सप्ताह एक-एक पेट्रोलिंग करेंगे, जिसके चलते दोनों देशों की तरफ से सप्ताह में दो पेट्रोलिंग की जा रही है।

पिछले महीने में भारतीय सैनिकों ने अब तक आठ पेट्रोलिंग पूरी की हैं, और यह सभी पेट्रोलिंग डिसएंगेजमेंट योजना के अनुसार सही तरीके से की गई हैं। भारतीय सैनिक उन सभी स्थानों पर पेट्रोलिंग कर रहे हैं, जहां वे अप्रैल 2020 से पहले नियमित रूप से गश्त करते थे। डेपसांग में पांच पेट्रोलिंग पॉइंट्स (PPs) निर्धारित हैं, जबकि डेमचोक में दो पॉइंट्स पर पेट्रोलिंग की योजना बनाई गई है।

सूत्रों ने बताया, “प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं आई है। पेट्रोलिंग की प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है और यह निर्धारित योजना के अनुसार की जा रही है।”

इस बीच, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद के मौजूदा सत्र में LAC की स्थिति पर एक बयान देने की योजना बनाई है। इसमें डिसएंगेजमेंट और पेट्रोलिंग के बारे में जानकारी दी जाएगी। उनके बयान से क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में और भी जानकारी मिलने की संभावना है।

डेपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में डिसएंगेजमेंट और पेट्रोलिंग की नियमित प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण कदम है, जो LAC पर सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में अहम है। यह LAC पर 2020 में गालवान घाटी की झड़प के बाद से चल रही तनावपूर्ण स्थिति को शांत करने की ओर बढ़ाया गया कदम है।

हालांकि, वर्तमान समझौता सीमा विवाद को सुलझाने में एक अहम पड़ाव साबित हुआ है, लेकिन अभी भी सभी तनावपूर्ण बिंदुओं पर पूरी तरह से डि-एस्केलेशन नहीं हुआ है। आगामी महीनों में दोनों देशों के बीच इस प्रोटोकॉल का पालन जारी रहने की उम्मीद है, जो LAC पर हालात को स्थिर रखने के लिए विश्वास बहाली के कदम के तौर पर कार्य करेगा।

LAC पर चल रहे पेट्रोलिंग समझौते के बावजूद, भारतीय सेना क्षेत्र में अपनी तैनाती बनाए रखे हुए है। यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए भारतीय सैनिक पूरी तरह से तैयार रहें।

भारत और चीन के बीच LAC पर शांति बनाए रखने की प्रक्रिया जारी है और यह दोनों देशों के रिश्तों में स्थिरता लाने के लिए एक अहम कदम साबित हो सकता है।

Share on WhatsApp