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BrahMos Aerospace: क्यों विवादों में घिरा देश के लिए अचूक मिसाइल बनाने वाला संस्थान? जानें क्या है पूरा मामला

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BrahMos Aerospace: भारत और रूस के जॉइंट वेंचर BrahMos Aerospace में इन दिनों सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। ताजा विवाद लीडर को लेकर सामने आया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब डॉ. जैतर्थ आर जोशी को कंपनी का नया सीईओ बनाया गया। इस फैसले को लेकर वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शिवसुबरमण्यम नाम्बी नायडू ने आपत्ति जताते हुए 19 नवंबर को हैदराबाद स्थित केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) में याचिका दायर की। उन्होंने आरोप लगाया कि इस नियुक्ति में वरिष्ठता और अनुभव को नजरअंदाज किया गया है।

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BrahMos Aerospace: कैट ने मांगा चार हफ्तों में जवाब

BrahMos Aerospace भारत के डिफेंस सिस्टम का अहम हिस्सा है। यहां चल रहे इस नेतृत्व विवाद ने कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं पर संकट खड़ा कर दिया है। डॉ. नाम्बी नायडू का दावा है कि वह डॉ. जोशी से सात साल वरिष्ठ हैं और उनका अभी तीन साल का सेवा काल अभी बाकी है। उन्होंने मांग की है कि नियुक्ति प्रक्रिया में एक्सपीरियस और सीनियरिटी को महत्व दिया जाए।

वहीं केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) ने इस मामले में DRDO और डॉ. जोशी से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 30 दिसंबर को होगी।

डॉ. नाम्बी की पृथ्वी कार्यक्रम में अहम भूमिका

डॉ. नाम्बी नायडू प्रथ्वी मिसाइल प्रोग्राम में एक अहम भूमिका निभा चुके हैं। वह भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) में मिसाइल प्रोडक्शन मैनेजमेंट का नेतृत्व कर चुके हैं। उनके अनुभव और प्रबंधन कौशल को देखते हुए BrahMos के कई बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए उन्हें जिम्मेदारी दी जाती है।

डॉ. जोशी की LRSAM और MRSAM में अहम भूमिका

डॉ. जोशी ने लॉन्ग रेंज और मीडियम रेंज सर्फेस-टू-एयर मिसाइल (LRSAM और MRSAM) के डेपलपमेंट में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने इन प्रणालियों को भारत के स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर (IAC) में सफलतापूर्वक जोड़ा और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) के साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग को भी मजबूत किया।

सूत्रों के मुताबिक, इस विवाद को जल्द से जल्द सुलझाना बेहद जरूरी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “रक्षा मंत्रालय के लिए इस विवाद को अनदेखा करना मुश्किल होगा। BrahMos भारत की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं के लिए बहुत अहम है। इस तरह के विवादों से संस्थान की विश्नसनियता को नुकसान पहुंच सकता है।”

BrahMos मिसाइल सिस्टम अपनी तेज रफ्तार और अचूक मारक क्षमता के लिए जानी जाती है। यह भारत और रूस के सहयोग से बनी एक मजबूत मिसाइल सिस्टम है।

BrahMos फिलहाल इंडोनेशिया, वियतनाम और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के साथ निर्यात को लेकर बातचीत के अंतिम चरण में है। यह सौदे भारत की रणनीति का हिस्सा हैं, जो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश कर रहे हैं।

फिलीपींस पहले ही BrahMos मिसाइल का ऑर्डर दे चुका है। जनवरी 2022 में हुए $375 मिलियन के इस अनुबंध के तहत अगली सप्लाई का इंतजार कर रहा है। भारत की सेना और वायुसेना भी इस मिसाइल प्रणाली को खरीदने पर विचार कर रही हैं।

BrahMos Aerospace में चल रहा यह विवाद जल्द खत्म होना चाहिए। यह कंपनी भारत की सुरक्षा और वैश्विक रक्षा बाजार में हमारी स्थिति को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाती है। रक्षा मंत्रालय को इस मामले को सुलझाने के लिए तुरंत और निर्णायक कदम उठाने होंगे, ताकि देश की रक्षा क्षमता पर इसका असर न पड़े और BrahMos की प्रतिष्ठा पर कोई आंच न आने पाए।

Navy Day 2024: नौसेना प्रमुख बोले- 2025 में हर महीने एक नया जहाज नौसेना में होगा शामिल, 2036-37 तक मिलेगी देश को पहली परमाणु हमलावर पनडुब्बी (SSN)

Navy Day 2024: भारतीय नौसेना अगले कुछ महीनों में बड़े रणनीतिक कदम उठा सकती है। नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके त्रिपाठी ने सोमवार को संकेत दिए कि जल्द ही तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों और 26 नए लड़ाकू विमानों के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर दस्तखत किए जा सकते हैं। बता दें कि नौसेना प्रमुख ने ये एलान नौसेना दिवस से ठीक पहले किया है। नौसेना दिवस हर साल 4 दिसंबर को 1971 के युद्ध में कराची पर नौसेना के हमले की याद में मनाया जाता है।

Navy Day 2024: Navy Chief Announces Contracts for Three Scorpene Submarines Next Month, Sets Goal to Build Six SSNs

Navy Day 2024: तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का ऑर्डर अंतिम चरण में

एडमिरल त्रिपाठी ने बताया कि तीन स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के लिए “रिपीट ऑर्डर” की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा, “यह केवल औपचारिकताओं को पूरा करने की बात है।” ये पनडुब्बियां मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड और फ्रांस की नेवल ग्रुप के सहयोग से बनाई जाएंगी।

पहले से ही छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियां बनाई जा चुकी हैं, जिनमें से पांच को नौसेना में शामिल किया जा चुका है। यह नई पनडुब्बियां आने से भारत की समुद्री सुरक्षा प्रणाली को और मजबूती मिलेगी।

एडमिरल डीके त्रिपाठी ने यब भी बताया कि देश को पहली परमाणु हमलावर पनडुब्बी (SSN) 2036-37 तक मिल सकती है। इसके बाद, दूसरी पनडुब्बी अगले कुछ वर्षों में तैयार हो जाएंगी।

नई परियोजनाएं और योजनाएं

नौसेना प्रमुख ने बताया कि 32 नए जहाजों के लिए आवश्यकता स्वीकृति (Acceptance of Necessity) दी गई है, जिनमें सात स्टील्थ जहाज (P-17B) और छह पनडुब्बियां (P-75I) शामिल हैं। इसके अलावा, पुराने चेतक हेलीकॉप्टरों को बदलने के लिए 60 नए UH-मेरिटाइम हेलीकॉप्टर खरीदने की भी योजना है।

एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, “अगले साल औसतन हर महीने एक नया जहाज नौसेना में शामिल किया जाएगा। यह भारत की समुद्री ताकत को और मजबूत करेगा।”

परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां

नौसेना प्रमुख ने बताया कि INS अरिहंत, जो पहली परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) है, ने कई डिटरेंस पेट्रोल पूरे कर लिए हैं। दूसरी SSBN, INS अरिघात, हाल ही में कमीशन हुई है और फिलहाल परीक्षण के दौर से गुजर रही है, जिसमें मिसाइल परीक्षण भी शामिल है।

भारत की ताकत बढ़ाने की तैयारी

2036 तक परमाणु हमलावर पनडुब्बी और अन्य जहाजों के आने से भारतीय नौसेना की ताकत में बड़ी बढ़ोतरी होगी। एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, “ये योजनाएं हमारे सुरक्षा और रणनीतिक लक्ष्यों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।”

भारत अपनी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और वैश्विक कूटनीति में एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तेजी से कदम उठा रहा है।

राफेल-एम लड़ाकू विमानों को लेकर कॉन्ट्रैक्ट

फ्रांसीसी मूल के राफेल-एम लड़ाकू विमानों को नौसेना में शामिल करने की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है। एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, “कैबिनेट सुरक्षा समिति से मंजूरी के लिए मामला जल्द ही जाएगा और अनुबंध अगले महीने तक हस्ताक्षरित होने की संभावना है।” ये लड़ाकू विमान भारतीय नौसेना के समुद्री एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात किए जाएंगे। वर्तमान में नौसेना रूसी मूल के मिग-29के लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल करती है।

चीन और पाकिस्तान पर नजर

एडमिरल त्रिपाठी ने बताया कि भारतीय नौसेना भारतीय महासागर क्षेत्र में चीन के जहाजों और पनडुब्बियों की गतिविधियों पर लगातार नजर रख रही है। उन्होंने कहा, “पिछले एक साल में हमने चीनी नौसेना पर करीब से नजर रखी। और हमें पता है कि कौन कहां है और क्या कर रहा है।”

पाकिस्तानी नौसेना की बढ़ती ताकत पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि चीन इसमें मदद कर रहा है। “पाकिस्तान की खस्ता आर्थिक स्थिति के बावजूद, उन्होंने हथियारों को प्राथमिकता दी है। वे 50 जहाजों के बेड़े तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमें उनके इस कदम से कोई खतरा नहीं है। हम अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।”

INS अरिघात और परमाणु शक्ति का विस्तार

भारत की सुरक्षा रणनीति को और मजबूती देते हुए हाल ही में परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम पनडुब्बी आईएनएस अरिघात को शामिल किया गया। इसे नौसेना के ट्रायड सुरक्षा ढांचे का हिस्सा बताया गया। यह पनडुब्बी समुद्र से परमाणु हमला करने की क्षमता देती है।

इसके अलावा, दो नई परमाणु क्षमता से चलने वाली पनडुब्बियों (एसएसएन) को बनाने की योजना को भी सरकारी मंजूरी मिल चुकी है। एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, “हमारा लक्ष्य छह एसएसएन बनाने का है, जो हमारी रक्षा रणनीति को और सुदृढ़ करेगा।”

Navy Day 2024: नौसेना प्रमुख बोले, फ्रांस से 26 राफेल मरीन विमान खरीदने का समझौता अगले महीने तक, चीन-पाकिस्तान पर कही ये बड़ी बात

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Navy Day 2024: 4 दिसंबर को मनाए जाने वाले नौसेना दिवस की पूर्व संध्या पर भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए नौसेना की उपलब्धियों, चुनौतियों और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान ऑपरेशन ट्राइडेंट में नौसेना के साहसिक प्रदर्शन को याद करते हुए हमारे वीर जवानों की वीरता को नमन किया।

Navy Day 2024: Navy Chief Admiral Dinesh K Tripathi Says Deal for 26 Rafale Marine Aircraft with France Likely Next Month, Makes Key Statements on China and Pakistan

कराची पर किया गया ऐतिहासिक हमला

नौसेना प्रमुख ने ऑपरेशन ट्राइडेंट की बात करते हुए कहा, “जब हमारे मिसाइल बोट से दागे गए मिसाइलों ने कराची बंदरगाह को आग के हवाले कर दिया, वह हमारे सैनिकों की अदम्य वीरता और साहस का प्रतीक है। यह समय है कि हम उन सभी वीर सैनिकों को याद करें जिन्होंने उस युद्ध में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।”

पिछले साल सिंधुदुर्ग में आयोजित हुए नौसेना दिवस के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मुख्य अतिथि थे। इस बार का आयोजन पुरी में किया गया है, जो एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध स्थान है।

पुरी में होगा समारोह

उन्होंने बताया कि इस वर्ष नौसेना दिवस का मुख्य कार्यक्रम ओडिशा के पुरी में आयोजित किया जाएगा, जहां राष्ट्रपति और सशस्त्र बलों के सुप्रीम कमांडर मुख्य अतिथि होंगे। यह आयोजन भारतीय नौसेना के सामरिक महत्व और उसके राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान को उजागर करेगा।

नौसेना के सफल ऑपरेशन्स

नौसेना प्रमुख ने बताया कि भारतीय नौसेना की ताकत केवल युद्ध क्षेत्र तक सीमित नहीं है। उन्होंने ऑपरेशन के कई उदाहरण दिए, जैसे कि अदन की खाड़ी और उत्तरी अरब सागर में की गई एंटी-पायरेसी ऑपरेशन्स। नौसेना ने 2000 किलोमीटर दूर समुद्र में मार्कोस कमांडो को पैराड्रॉपिंग कर एक असाधारण अभियान को अंजाम दिया।

नौसेना प्रमुख ने हाल ही में हुए एमवी रुएन मामले का जिक्र किया और बताया कि हमारी नौसेना ने ड्रग्स की तस्करी रोकने के लिए कई सफल अभियानों को अंजाम दिया है। साथ ही, रक्षा मंत्री ने हाल ही में एसएसबीएन आईएनएस अरिघाट को कमीशन किया, जो देश की सामरिक ताकत को और बढ़ाता है।

  • गुल्फ ऑफ एडन और उत्तरी अरब सागर में तैनात नौसेना इकाइयों ने समुद्री डकैती के खिलाफ सफल ऑपरेशन किए।
  • एडमिरल ने बताया कि भारतीय नौसेना ने 2000 किलोमीटर दूर अरब सागर में मार्कोस कमांडो को पैराड्रॉप कर एक असाधारण मिशन पूरा किया।
  • नौसेना ने एमवी रुएन जैसे ड्रग्स तस्करी मामलों में भी उल्लेखनीय सफलता हासिल की है।

उन्होंने रक्षा मंत्री द्वारा हाल ही में आईएनएस अरिघाट के कमीशन को नौसेना की सामरिक क्षमता में एक मील का पत्थर बताया।

आत्मनिर्भर भारत में नौसेना की भूमिका

नौसेना प्रमुख ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत नौसेना की उपलब्धियों पर चर्चा की। आत्मनिर्भर भारत अभियान में नौसेना की भूमिका पर चर्चा करते हुए, एडमिरल त्रिपाठी ने बताया कि आज 62 जहाज और एक पनडुब्बी देश में ही निर्माणाधीन हैं। उन्होंने कहा, “भारतीय नौसेना आत्मनिर्भरता के मोर्चे पर हमेशा अग्रणी रही है।” वहीं, परीक्षण में सफल होने के बाद के-4 मिसाइल को जल्द ही नौसेना में शामिल करने की योजना है।

उन्होंने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और मिनिकॉय द्वीपों के विकास कार्यों पर भी प्रकाश डाला। जब उनसे अमेरिका के साथ सहयोग पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय नौसेना को किसी और की सहायता की आवश्यकता नहीं है।

पाकिस्तान और चीन पर नजर

भारतीय महासागरों में अन्य देशों की मौजूदगी पर नौसेना प्रमुख ने कहा, “महासागर सभी के लिए खुले हैं। कोई भी देश यहां संचालन कर सकता है, बशर्ते वह हमारी सुरक्षा को प्रभावित न करे।”

एडमिरल त्रिपाठी ने पाकिस्तान नौसेना की अप्रत्याशित वृद्धि पर टिप्पणी करते हुए कहा, “वे 50 जहाजों की नौसेना बनने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए यह आश्चर्यजनक है कि वे इतने जहाज कैसे प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने अपने लोगों के कल्याण के बजाय हथियारों को प्राथमिकता दी है।”

चीन के साथ बांग्लादेश के सहयोग पर उन्होंने कहा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन भारतीय नौसेना हर गतिविधि पर पैनी नजर रख रही है। उन्होंने कहा, “हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे राष्ट्रीय हितों पर कोई प्रभाव न पड़े।”

Navy Day 2024: Navy Chief Admiral Dinesh K Tripathi Says Deal for 26 Rafale Marine Aircraft with France Likely Next Month, Makes Key Statements on China and Pakistan

भविष्य की योजनाएं और नई परियोजनाएं

नौसेना प्रमुख ने बताया कि अगले वर्ष से हर महीने औसतन एक नया जहाज नौसेना में शामिल होगा।

  • आईएनएस विक्रमादित्य का मरम्मत कार्य चार महीने में पूरा होगा।
  • दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने पर बातचीत चल रही है।
  • रफाल एम और तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की डील अगले महीने तक साइन होने की संभावना है।
  • परमाणु हमला पनडुब्बी (SSN) के लिए 2036-37 की समयसीमा तय की गई है।

नौसेना का बढ़ता वैश्विक प्रभाव

एडमिरल ने बताया कि इस साल भारतीय नौसेना ने रिमपैक और रूस में एक साथ जहाज तैनात कर अपनी वैश्विक क्षमताओं का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा, “यह भारतीय नौसेना की पहुंच, स्थायित्व और परिचालन क्षमता को दर्शाता है।”

नौसेना का संदेश

एडमिरल त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री के एक उद्धरण का जिक्र करते हुए कहा, “युद्ध के रूप, संसाधन और तकनीक बदल रही है। भारतीय नौसेना इन बदलावों के साथ खुद को ढालते हुए हमेशा देश की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।”

उन्होंने अंत में कहा कि नौसेना देश की संप्रभुता, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के प्रति हमेशा समर्पित है। इस नौसेना दिवस पर हमें हमारे वीर सैनिकों के साहस और बलिदान को याद करते हुए उनके प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए।

AGNI WARRIOR-2024: सिंगापुर और भारतीय सेना के बीच समाप्त हुआ संयुक्त सैन्य अभ्यास, देवलाली फील्ड फायरिंग रेंज में भारतीय सेना ने दिखाई अपनी फायर पावर

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AGNI WARRIOR-2024: महाराष्ट्र के देवलाली स्थित फील्ड फायरिंग रेंज में 30 नवंबर 2024 को भारतीय सेना और सिंगापुर सशस्त्र बलों के बीच 13वां संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘अग्नि वॉरियर-2024’ (XAW-2024) का समापन हुआ। यह तीन दिवसीय अभ्यास 28 से 30 नवंबर 2024 तक आयोजित किया गया, जिसमें सिंगापुर आर्टिलरी के 182 और भारतीय सेना के रेजिमेंट ऑफ आर्टिलरी के 114 सैनिकों ने भाग लिया।

AGNI WARRIOR-2024: Joint Military Exercise Between Singapore and Indian Army Concludes, Indian Army Demonstrates Firepower at Devlali Field Firing Ranges

AGNI WARRIOR-2024: अभ्यास का उद्देश्य और महत्व

इस अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत एक बहुराष्ट्रीय बल के रूप में संयुक्त संचालन के लिए आपसी समझ, तालमेल और प्रक्रियाओं को अधिकतम करना था। इसमें दोनों सेनाओं की तोपखाना इकाइयों द्वारा नई पीढ़ी के उपकरणों का उपयोग, संयुक्त फायर पावर की योजना और निष्पादन का प्रदर्शन किया गया।

इस अवसर पर आर्टिलरी के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल आदोश कुमार, आर्टिलरी स्कूल के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल एनएस सरना, और सिंगापुर सशस्त्र बलों के चीफ आर्टिलरी ऑफिसर कर्नल ओंग चियू पर्न मौजूद थे। उन्होंने दोनों सेनाओं के जवानों की पेशेवर दक्षता और उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना की।

AGNI WARRIOR-2024: Joint Military Exercise Between Singapore and Indian Army Concludes, Indian Army Demonstrates Firepower at Devlali Field Firing Ranges

संयुक्त अभ्यास की विशेषताएं

‘अग्नि वॉरियर-2024’ में दोनों सेनाओं ने अपने अनुभव, कौशल और तकनीकी क्षमताओं का आदान-प्रदान किया। इस दौरान:

  1. संयुक्त योजना और समन्वय: दोनों सेनाओं ने एक-दूसरे की प्रक्रियाओं को समझने और सामंजस्य स्थापित करने पर काम किया।
  2. आधुनिक तकनीकों का उपयोग: तोपखाना इकाइयों ने उन्नत उपकरणों और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए रणनीतियों को साझा किया।
  3. बेहतरीन संचालन: फायर पावर प्लानिंग के जटिल पहलुओं को प्रदर्शित करते हुए, दोनों सेनाओं ने एकीकृत संचालन के लिए अपने दृष्टिकोण का विकास किया।
  4. बेहतर तैयारी: सिंगापुर सशस्त्र बलों के जवानों को भारतीय सेना के साथ मिलकर फायर पावर प्लानिंग और निष्पादन की बारीकियों को समझने का मौका मिला।

अभ्यास के समापन समारोह में मौजूद अधिकारियों ने जवानों का उत्साहवर्धन किया। लेफ्टिनेंट जनरल आदोश कुमार ने कहा कि इस तरह के अभ्यास दोनों देशों के सैन्य सहयोग को मजबूत करते हैं और आपसी विश्वास बढ़ाते हैं। कर्नल ओंग चियू पर्न ने कहा कि सिंगापुर और भारत के बीच रक्षा साझेदारी समय के साथ और मजबूत हो रही है।

AGNI WARRIOR-2024: Joint Military Exercise Between Singapore and Indian Army Concludes, Indian Army Demonstrates Firepower at Devlali Field Firing Ranges

दोनों सेनाओं की साझेदारी का महत्व

सिंगापुर और भारतीय सेनाओं के बीच यह संयुक्त सैन्य अभ्यास दर्शाता है कि कैसे दो अलग-अलग देशों की सेनाएं साझा उद्देश्यों और मूल्यों के लिए एक मंच पर आ सकती हैं। यह अभ्यास न केवल सैन्य कौशल को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि दोनों देशों के बीच मित्रता और सहयोग को भी बढ़ावा देता है।

संयुक्त अभ्यास का भविष्य

‘अग्नि वॉरियर-2024’ इस बात का प्रमाण है कि भारतीय सेना और सिंगापुर सशस्त्र बल उन्नत तकनीक, पेशेवर प्रशिक्षण और सामरिक सहयोग में नए आयाम स्थापित कर रहे हैं। इस अभ्यास ने दोनों देशों को अपनी सैन्य प्रक्रियाओं को साझा करने और वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार होने का मौका दिया।

AGNI WARRIOR-2024: Joint Military Exercise Between Singapore and Indian Army Concludes, Indian Army Demonstrates Firepower at Devlali Field Firing Ranges

ऊंचा हुआ सैनिकों का मनोबल

अभ्यास के दौरान जवानों ने कठिन परिस्थितियों में भी बेहतरीन प्रदर्शन किया। भारतीय और सिंगापुर के सैनिकों ने अपनी उत्कृष्ट क्षमता और सामरिक कौशल का परिचय देते हुए दिखाया कि वे किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

अंतरराष्ट्रीय रक्षा सहयोग का प्रतीक

‘अग्नि वॉरियर’ जैसा अभ्यास यह दर्शाता है कि भारत वैश्विक स्तर पर अपने रक्षा साझेदारों के साथ सहयोग को प्राथमिकता देता है। यह अभ्यास न केवल भारत और सिंगापुर के बीच सैन्य सहयोग को मजबूत करता है, बल्कि वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए भी एक संदेश है।

‘अग्नि वॉरियर-2024’ भारतीय सेना और सिंगापुर सशस्त्र बलों के बीच गहरे सैन्य संबंधों का प्रतीक है। यह दोनों देशों के जवानों को नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करने के साथ-साथ एक मजबूत साझेदारी का निर्माण भी करता है। इस तरह के अभ्यास भविष्य में और भी व्यापक और प्रभावी होंगे, जो दोनों देशों की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।

Siachen Glacier: लद्दाख में कड़कड़ाते जाड़े के बीच दुनिया के सबसे ऊंचे और ठंडे युद्धक्षेत्र सियाचिन पहुंचे फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला

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Siachen Glacier: सियाचिन ग्लेशियर, जो कि दुनिया का सबसे ऊंचा और ठंडा युद्धक्षेत्र है, एक बार फिर चर्चा में है। 29 नवंबर 2024 को फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी), लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला, एससी**, एसएम, वीएसएम, ने इस क्षेत्र का दौरा किया। इस दौरे का मकसद सियाचिन की दुर्गम परिस्थितियों में तैनात जवानों से बातचीत करना, उनका हौसला बढ़ाना और उनकी तैयारियों का जायजा लेना था।

Siachen Glacier: Amid Harsh Winter in Ladakh, Fire and Fury Corps GOC Lt Gen Hitesh Bhalla Visits the World's Highest and Coldest Battlefield

Siachen Glacier: दुर्गम परिस्थितियों में तैनात जवानों का मनोबल बढ़ाया

लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने जवानों से बातचीत के दौरान उनके साहस और समर्पण की सराहना की। उन्होंने जवानों को प्रोत्साहित किया कि वे इसी उत्साह और दृढ़ता के साथ अपने कार्यों में लगे रहें। यह क्षेत्र जहां तापमान अक्सर -50 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है, वहां तैनात जवानों का जज्बा और देशभक्ति की भावना काबिले-तारीफ है। जीओसी ने जवानों से कहा, “आपका साहस और बलिदान ही देश की सुरक्षा का आधार है।”

ऑपरेशनल तैयारियों का किया निरीक्षण

दौरे के दौरान जीओसी ने सियाचिन में तैनात यूनिट्स की ऑपरेशनल तैयारियों का निरीक्षण किया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि जवान किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। लेफ्टिनेंट जनरल भल्ला ने यहां की कड़ी जलवायु और दुर्गम इलाके में जवानों की रणनीतिक तैयारियों को देखकर संतोष जताया और कहा कि सियाचिन में उनकी उपस्थिति ही दुश्मन को एक कड़ा संदेश है।

Siachen Glacier: Amid Harsh Winter in Ladakh, Fire and Fury Corps GOC Lt Gen Hitesh Bhalla Visits the World's Highest and Coldest Battlefield

जवानों की हौसलाअफजाई के लिए खास प्रयास

इस दौरे के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल भल्ला ने जवानों के साथ समय बिताया और उनकी समस्याओं को सुना। उन्होंने उन्हें भरोसा दिलाया कि सेना उनकी जरूरतों और सुविधाओं का पूरा ख्याल रख रही है। जवानों ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि किस तरह वे इन कठोर परिस्थितियों में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं।

सियाचिन: देशभक्ति और चुनौती का प्रतीक

सियाचिन ग्लेशियर का नाम सुनते ही भारतवासियों के दिल में गर्व की भावना जाग जाती है। यह क्षेत्र 1984 से भारतीय सेना के नियंत्रण में है और तब से यहां जवान हर मौसम में तैनात रहते हैं। यहां का जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ है। ऑक्सीजन की कमी, तीव्र ठंड, और दुर्गम इलाके, ये सब इस स्थान को दुनिया के सबसे मुश्किल क्षेत्रों में से एक बनाते हैं।

Siachen Glacier: Amid Harsh Winter in Ladakh, Fire and Fury Corps GOC Lt Gen Hitesh Bhalla Visits the World's Highest and Coldest Battlefield

आधुनिक उपकरणों और सुविधाओं का उपयोग

सियाचिन में तैनात जवानों के लिए आधुनिक उपकरण और सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। लेफ्टिनेंट जनरल भल्ला ने इन इक्पिवमेंट्स और सुविधाओं का जायजा लिया और यह सुनिश्चित किया कि जवानों को हर संभव मदद मिले। सेना ने सियाचिन में ऑपरेशनल तैयारियों को और मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें बेहतर टेंट, गर्म कपड़े, और पोषण युक्त भोजन शामिल हैं।

सियाचिन का रणनीतिक महत्व

सियाचिन ग्लेशियर का रणनीतिक महत्व केवल इसकी ऊंचाई या जलवायु के कारण नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र भारत और पाकिस्तान के बीच भू-राजनीतिक स्थिति में भी अहम भूमिका निभाता है। भारत की उत्तरी सीमाओं की सुरक्षा के लिए सियाचिन में भारतीय सेना की उपस्थिति बेहद महत्वपूर्ण है। यहां तैनात जवानों का साहस और बलिदान पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

Siachen Glacier: Amid Harsh Winter in Ladakh, Fire and Fury Corps GOC Lt Gen Hitesh Bhalla Visits the World's Highest and Coldest Battlefield

जवानों के लिए प्रेरणादायक क्षण

लेफ्टिनेंट जनरल भल्ला का यह दौरा जवानों के लिए बेहद प्रेरणादायक रहा। उनकी उपस्थिति ने जवानों को न केवल मनोबल बढ़ाने का काम किया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि देश उनके बलिदान और कठिनाइयों को समझता है। जीओसी ने जवानों को प्रेरित करते हुए कहा, “देश आप पर गर्व करता है और आपकी सेवा के लिए सदैव आभारी रहेगा।”

सियाचिन में सेना का मिशन जारी

सियाचिन में भारतीय सेना का मिशन ऑपरेशन मेघदूत केवल सीमा की रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दुश्मन को यह संदेश देने का भी है कि भारत अपनी भूमि की रक्षा के लिए हर समय तैयार है। यहां तैनात जवान न केवल अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं, बल्कि देश के हर नागरिक के दिल में एक खास जगह बना रहे हैं।

जवानों की कड़ी मेहनत को सलाम

सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात जवानों की कड़ी मेहनत, समर्पण और साहस को हर भारतीय सलाम करता है। यह दौरा एक बार फिर यह दिखाता है कि भारतीय सेना हर स्थिति में अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रही है।

लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला का सियाचिन दौरा न केवल जवानों के लिए उत्साहवर्धक रहा, बल्कि यह देशवासियों के लिए भी यह संदेश था कि सियाचिन के ये वीर सैनिक भारत की सुरक्षा के लिए हर चुनौती का सामना करने को तैयार हैं। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण देश के हर नागरिक के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

Indian Army: भारतीय सेना ने सिविलयन हेलीकॉप्टर्स का इस्तेमाल किया शुरू; रसद, सैनिकों की आवाजाही और इमरजेंसी सेवाओं के लिए कर रहे यूज

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Indian Army: सर्दियों के आगमन के बीच, भारतीय सेना ने अपने रसद और आपातकालीन सेवाओं के लिए एक नया रणनीतिक कदम उठाया है। इस बार सेना ने सिविलियन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल शुरू किया है। यह पहल सैनिकों की आवाजाही, कार्गो डिलीवरी, और आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं (CASEVAC) के लिए की गई है। यह कदम न केवल रसद प्रणाली में सुधार करेगा बल्कि उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों की जरूरतों को तेजी से पूरा करने में भी मदद करेगा।

Indian Army: Civilian Helicopters Deployed for Logistics, Troop Movement, and Emergency Services

Indian Army: सैनिकों के लिए रसद पहुंचाने में नई पहल

सेना ने सिविलियन हेलीकॉप्टरों को रसद पहुंचाने, सैनिकों को स्थानांतरित करने और आपातकालीन सेवाओं के लिए शामिल किया है। यह पहल उत्तरी कमान (Northern Command) की “ध्रुव कमांड” (Dhruva Command) के तहत शुरू की गई है। इस कदम से न केवल रसद पहुंचाने की प्रक्रिया में सुधार होगा, बल्कि कठिन और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मिशन की तत्परता भी बढ़ेगी।

सर्दियों की दस्तक ने सेना के लिए रसद पहुंचाने का काम और कठिन बना दिया है। भारतीय सेना को हर साल सर्दियों से पहले अग्रिम चौकियों पर अगले छह महीने की जरूरतों का इंतजाम करना होता है। इस बार भारतीय वायुसेना ने अपने सैन्य हेलीकॉप्टरों को रिजर्व रखने का फैसला किया है, जिससे युद्ध जैसी स्थिति में इनका इस्तेमाल अन्य प्राथमिकताओं के लिए किया जा सके। ऐसे में रसद और सैनिकों की आवाजाही के लिए सिविल हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल एक कुशल और ‘सस्ता’ विकल्प बन सकती है।

क्या हैं सिविलियन हेलीकॉप्टरों के फायदे

सूत्रों के अनुसार, सेना ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की हेलीकॉप्टर कंपनियों जैसे पवन हंस के साथ अनुबंध किया है। इस अनुबंध के तहत, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और अन्य कठिन क्षेत्रों की 44 चौकियों तक रसद, ईंधन, और चिकित्सा सुविधाएं पहुंचाई जाएंगी।

  • जम्मू क्षेत्र: 16 चौकियों को कवर किया जाएगा।
  • कश्मीर और लद्दाख: 28 चौकियां रसद सेवाओं के दायरे में होंगी।
  • माउंटिंग बेस: सात बेस लद्दाख में, दो कश्मीर में और एक जम्मू क्षेत्र में होंगे।

इस अनुबंध को हर साल नवीनीकृत किया जाएगा, और यह सुनिश्चित करेगा कि सर्दियों में भी कठिन इलाकों में सैनिकों को सभी आवश्यक सुविधाएं मिलती रहें।

  • लागत में कमी: सेना के हेलीकॉप्टरों के बजाय सिविलियन हेलीकॉप्टरों का उपयोग करना अधिक किफायती है।
  • हेलीकॉप्टरों की सेवा अवधि में वृद्धि: सेना के हेलीकॉप्टरों का उपयोग केवल युद्ध और आपातकालीन स्थितियों में किया जा सकेगा, जिससे उनकी लाइफ बढ़ेगी।
  • लॉजिस्टिक्स का निर्बाध संचालन: सर्दियों में भी ऊंचाई वाले इलाकों में रसद और मेडिकल सपोर्ट सुनिश्चित किया जा सकेगा।

Indian Army: Civilian Helicopters Deployed for Logistics, Troop Movement, and Emergency Services

उत्तराखंड और हिमाचल में योजना

वहीं, भारतीय वायुसेना ने भी रसद और ऑपरेशनल तैयारियों को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं।

  • उत्तराखंड में तीन हवाई पट्टियों (पिथौरागढ़, गौचर और धरासू) को अपने नियंत्रण में लेने की तैयारी चल रही है। ये पट्टियां चीन सीमा के नजदीक रणनीतिक महत्व रखती हैं।
  • हिमाचल प्रदेश में स्पीति घाटी के रंगरिक में नई हवाई पट्टी बनाने की योजना है। यह हवाई पट्टी सर्दियों में भी सैनिकों और रसद के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।

भारतीय वायुसेना का प्लान बी

भारतीय वायुसेना ने भी सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। 20 हवाई अड्डों का विकास किया जा रहा है, ताकि जरूरत पड़ने पर भारी उपकरण, टैंक और सैनिकों को तैनात किया जा सके।

  • लेह एयरबेस पर दूसरा रनवे: यह रनवे लद्दाख और सियाचिन में रसद पहुंचाने में मदद करेगा।
  • सी-130 जे विमान का उपयोग: हिमाचल और उत्तराखंड में सिविलियन रनवे पर इन विमानों की सफलतापूर्वक लैंडिंग हो चुकी है।

भारतीय सेना की तैयारी और चुनौतियां

सर्दियों में जब तापमान -40 डिग्री सेल्सियस तक गिरता है और बर्फबारी से हालात और कठिन हो जाते हैं, तब भी भारतीय सैनिक अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार रहते हैं। सेना के पास विंटर वॉरफेयर का अच्छा अनुभव है, जो इन कठिन परिस्थितियों में उसे मजबूती देता है।

वहीं, भारतीय सेना और वायुसेना ने सर्दियों के दौरान रसद और आपातकालीन सेवाओं के लिए मजबूत तैयारी की है। सिविलियन हेलीकॉप्टरों के इस्तेमाल से न केवल रसद पहुंचाने की प्रक्रिया में सुधार होगा, बल्कि सैन्य हेलीकॉप्टरों की लाइफ लाइन भी बढ़ेगी। साथ ही, यह कदम सेना के रणनीतिक दृष्टिकोण को और मजबूत करेगा। भारतीय सेना और वायुसेना की यह पहल आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।

Nagrota Under Siege: 2016 के आतंकी हमले की दास्तां और जवानों के साहस और बलिदान की अनकही कहानियां, CLAWS में हुआ विमोचन

Nagrota Under Siege: 2016 में जम्मू-कश्मीर के नगरोटा कैंटोनमेंट पर हुए आतंकी हमले की कहानी को अब किताब “नगरोटा अंडर सीज” के रूप में दुनिया के सामने लाया गया है। इस किताब का विमोचन आज दिल्ली कैंट स्थित सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज (CLAWS) में हुआ। इस मौके पर उप सेना प्रमुख (रणनीति) लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ने किताब का लोकार्पण किया। कार्यक्रम में कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और पूर्व सैनिक भी मौजूद रहे।

Nagrota Under Siege" Untold Stories of Courage and Sacrifice from the 2016 Terror Attack, Unveiled at CLAWS

 

Nagrota Under Siege: क्या है किताब में खास?

बेस्टसेलिंग लेखिका भावना अरोड़ा की पुस्तक “नगरोटा अंडर सीज” 2016 में हुए उस कुख्यात आतंकी हमले की कहानी को सामने लाती है। इस हमले को पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित और समर्थित आतंकवादियों ने अंजाम दिया था। किताब में गहन रिसर्च के साथ-साथ सैन्य और सरकारी सूत्रों के दृष्टिकोण को शामिल किया गया है, जिससे यह कहानी और अधिक प्रामाणिक और सजीव बनती है।

इस किताब में उन वीर सैनिकों की बहादुरी को बखूबी से दर्शाया गया है जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना आतंकियों के मंसूबों को नाकाम कर दिया। यह उन परिवारों की हिम्मत और संघर्ष की भी कहानी है, जिन्होंने इस हमले के दौरान अपना सब कुछ खो दिया, लेकिन हिम्मत नहीं हारी।

Nagrota Under Siege" Untold Stories of Courage and Sacrifice from the 2016 Terror Attack, Unveiled at CLAWS

हमले की पृष्ठभूमि

29 नवंबर 2016 को, जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में भारतीय सेना के मुख्यालय पर आतंकियों ने घातक हमला किया। इस दौरान उन्होंने कैंटोनमेंट एरिया में भारी तबाही मचाने की कोशिश की। लेकिन भारतीय सेना के जवानों ने अपनी सूझबूझ और बहादुरी से आतंकियों का खात्मा कर दिया। हालांकि, इस हमले में भारत ने अपने कई बहादुर जवानों को खो दिया। किताब में बताया है कि उस मनहूस सुबह तीन फिदायीन आतंकवादी, स्थानीय लोगों की मदद से, भारी सुरक्षा वाले सैन्य क्षेत्र में घुसपैठ कर गए। वे हथियार, गोला-बारूद और भोजन से लैस थे, जो उन्हें एक सप्ताह तक टिकाए रख सकता था। उनकी योजना छावनी में बंधक जैसे हालात बनाने की थी। लेकिन भारतीय सेना ने अपने प्रशिक्षण और कौशल का उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए आतंकियों के मंसूबों को नाकाम कर दिया।

किताब “नगरोटा अंडर सीज” इस घटना के हर पहलू को सामने लाती है—हमले की योजना, सैनिकों का साहसिक प्रतिरोध, और उन जिंदगियों की कहानी जो इस हमले से हमेशा के लिए बदल गईं।

वीरों की गाथा

किताब में उन जवानों के किस्से भी शामिल हैं, जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर न केवल आतंकियों को हराया, बल्कि कई निर्दोष लोगों की जान भी बचाई। इन जवानों की बहादुरी का वर्णन पढ़कर हर भारतीय के दिल में गर्व और कृतज्ञता का भाव जाग उठेगा।

Nagrota Under Siege" Untold Stories of Courage and Sacrifice from the 2016 Terror Attack, Unveiled at CLAWS

किताब में उन परिवारों की कहानियां भी हैं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोने के बावजूद हार नहीं मानी। उनकी हिम्मत और संघर्ष देशभर के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

किताब के विमोचन के मौके पर लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ने कहा, “यह किताब केवल एक घटना का विवरण नहीं है, बल्कि यह हमारे सैनिकों की अदम्य साहस और प्रतिबद्धता की कहानी है। नग्रोता हमला भारतीय सेना की ताकत और संकल्प को दर्शाने वाला एक उदाहरण है।”

कार्यक्रम में उपस्थित अन्य अधिकारियों और पूर्व सैनिकों ने भी इस किताब को एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बताया।

मीडिया से बातचीत के दौरान भावना अरोड़ा ने कहा, “‘नगरोटा अंडर सीज’ उन बहादुरों की कहानी है, जिन्होंने ऑपरेशन के दौरान अदम्य साहस दिखाया। इस पुस्तक में सुरक्षा बलों द्वारा 29 नवंबर, 2016 को नगरोटा छावनी में आतंकियों के खिलाफ चलाए गए कठिन ऑपरेशन का सजीव विवरण दिया गया है।”

उन्होंने आगे कहा, “हर दिन एक नई सुबह की शुरुआत होती है, लेकिन उस दिन नगरोटा के लिए सुबह किसी डरावने सपने से कम नहीं थी। 29 नवंबर की सुबह, भारी गोलीबारी और ग्रेनेड विस्फोट की आवाजों ने छावनी में हर किसी को झकझोर दिया।”

वहीं, “नगरोटा अंडर सीज” केवल एक कहानी नहीं है; यह भविष्य के लिए एक सबक भी है। यह हमें आतंकवाद से निपटने की रणनीति और हमारे सुरक्षा बलों के बलिदान की याद दिलाती है। किताब यह भी दिखाती है कि कैसे आतंकवाद को हराने के लिए हमारे सैनिक हर पल तैयार रहते हैं।

“नगरोटा अंडर सीज” उन लोगों के लिए है जो देश की सुरक्षा और इसके लिए किए गए बलिदानों को जानना और पढ़ना चाहते हैं। यह किताब हर भारतीय के दिल में गर्व और देशभक्ति की भावना को जागृत करती है।

Defence Minister Russia Visit: रूस यात्रा पर जाएंगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भारतीय नौसेना को समर्पित करेंगे INS तुषिल

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Defence Minister Russia Visit: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह 8 से 10 दिसंबर तक रूस का दौरा करेंगे, जहां वे भारत-रूस रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने के लिए कई जरूरी कदम उठाएंगे। इस यात्रा के दौरान, भारतीय नौसेना में अत्याधुनिक स्टेल्थ फ्रिगेट INS तुषिल को भी शामिल किया जाएगा। INS तुषिल भारत और रूस के बीच नौसेना के मॉर्डेनाइजेशन के प्रयासों में एक नया मील का पत्थर साबित होगा। इससे पहले एचएएल चीफ भी मास्को की यात्रा पर थे। बता दें, कि दिसंबर में रूसी राष्ट्रपति व्लॉदिमीर पुतिन की भारत यात्रा प्रस्तावित है।

Defence Minister Rajnath Singh to Visit Russia: INS Tushil to be Inducted into Indian Navy

राजनाथ सिंह की यात्रा में मॉस्को और कलीनिनग्राद शामिल हैं, जो रूस का एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो पोलैंड और लिथुआनिया के बीच बाल्टिक सागर के किनारे स्थित है। कलीनिनग्राद में रूस के महत्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठान हैं, जिसमें बाल्टिक बेड़े का मुख्यालय भी शामिल है, जो रूस की रक्षा रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

कलीनिनग्राद में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह INS तुषिल का ध्वज आरोहण समारोह करेंगे। यह शिप प्रोजेक्ट 11356 के तहत बनने वाली चार फ्रिगेट्स में से पहला है। यह परियोजना भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग का एक अहम हिस्सा है, जिसे अक्टूबर 2016 में हुए एक इंटरगर्वनमेंटल एग्रीमेंट के तहत शुरू किया गया था। इस समझौते के तहत दो फ्रिगेट्स रूस के यांतर शिपयार्ड में बनाए जा रहे हैं, जिनमें INS तुषिल भी शामिल है, जबकि बाकी दो गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) में तकनीकी हस्तांतरण समझौते के तहत निर्माण किए जा रहे हैं।

INS तुषिल एक अत्याधुनिक स्टेल्थ फ्रिगेट है, जो भारतीय नौसेना की सामरिक क्षमताओं को नई मजबूती देगा। यह जहाज हवा से रक्षा, पनडुब्बी युद्ध और सतह युद्ध के लिए तैयार है, जिससे यह नौसेना के ऑपरेशन में बहुमुखी भूमिका निभाएगा। यह जहाज भारतीय नौसेना को अपनी समुद्री सीमा की रक्षा, समुद्री मार्गों की सुरक्षा और नए खतरे से निपटने में सक्षम बनाएगा।

सूत्रों ने बताया कि INS तुषिल को बनाने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। इसके निर्माण में ग्लोबल सप्लाई चेन में बाधा आने से भी देरी हुई है। जिसमें COVID-19 महामारी और रूस-यूक्रेन संघर्ष शामिल हैं। हालांकि, अब यह फ्रिगेट भारतीय नौसेना के बेड़े का हिस्सा बनने के लिए तैयार है और भारतीय नौसेना के सामरिक दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण योगदान करेगा।

इस समय भारत और रूस के बीच रक्षा संबंधों का महत्व और बढ़ गया है, खासकर जब से भारत ने अपनी रक्षा खरीदारी में विविधता लाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। इसके बावजूद, रूस अब भी भारत का प्रमुख डिफेंस सप्लायर बना हुआ है। वहीं, मॉस्को में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, रूस के रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव से मुलाकात करेंगे, जहां वे संयुक्त सैन्य उपकरणों के उत्पादन, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और समुद्री सुरक्षा पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और गहरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे।

INS तुषिल के इस समय भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने का बहुत महत्व है, क्योंकि भारत अपने समुद्री सुरक्षा परिदृश्य को और सुदृढ़ करने की दिशा में काम कर रहा है। विशेषकर Indo-Pacific क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों के बीच, यह फ्रिगेट भारतीय नौसेना को एक नई शक्ति प्रदान करेगा, जिससे भारत अपनी समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों की रक्षा में सक्षम होगा।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का कलीनिनग्राद में रहना, भारत की रूस के साथ मजबूत साझेदारी बनाए रखने के दृष्टिकोण को दर्शाता है। भारत एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करता है और रूस के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।

भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग का इतिहास बहुत पुराना है, और यह यात्रा इस सहयोग को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। राजनाथ सिंह की रूस यात्रा भारतीय रक्षा साझेदारी को एक नई दिशा देगी और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग को और मजबूत करेगी।

वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की इस यात्रा को लेकर भारतीय डिफेंस सेक्टर में काफी उत्साह है और उनकी इस यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंधों के और गहरा होने की उम्मीद जताई जा रही है। यह यात्रा भारतीय सैन्य साझेदारी में नए आयाम जोड़ेगी और दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग को मजबूत करेगी।

TECHNOLOGY DEVELOPMENT FUND: सरकार ने लोकसभा में बताया TDF योजना से आत्मनिर्भर भारत को कितना हुआ फायदा, डेवलप की ये खास तकनीकें

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TECHNOLOGY DEVELOPMENT FUND: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और स्वदेशी तकनीकों के विकास को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से शुरू की गई टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड (TDF) योजना के तहत शानदार प्रगति हुई है। जनवरी 2023 से अब तक इस योजना के तहत 120 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिनमें से 43.89 करोड़ रुपये अनुदान के तौर पर उद्योगों को वितरित किए गए हैं।

Technology Development Fund: Government Highlights Benefits of TDF Scheme in Lok Sabha, Key Technologies Developed for Atmanirbhar Bharat

एमएसएमई और स्टार्टअप को मिला समर्थन
एक प्रश्न के जवाब में सरकार ने आज लोकसभा में बताया कि जनवरी 2022 से अब तक, इस योजना के अंतर्गत 16 माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) और 20 स्टार्टअप्स को सहायता दी गई है। पिछले पांच वर्षों में, MSMEs के लिए 182.41 करोड़ रुपये लागत की 42 परियोजनाएं और स्टार्टअप्स के लिए 59.47 करोड़ रुपये लागत की 25 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। यह योजना रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के माध्यम से चलाई जा रही है।

26 तकनीकों का सफल विकास
इस योजना के तहत 26 अत्याधुनिक तकनीकों का विकास सफलतापूर्वक किया गया है। ये तकनीकें न केवल देश के रक्षा क्षेत्र को मजबूत करती हैं बल्कि भारतीय उद्योगों और स्टार्टअप्स को ग्लोबल चुनौतियों के लिए तैयार भी करती हैं।

प्रमुख विकसित तकनीकों में शामिल हैं:

  1. उन्नत सैन्य विमान के लिए एवीपीएसएम और एआरआईएनसी 818 तकनीक।
  2. नौसेना के जहाजों के लिए 40 TPH और 125 TPH पंप।
  3. न्यूक्लियर इमरजेंसी के दौरान शरीर से दूषित पदार्थों को हटाने के लिए प्रु डिकॉर्प कैप्सूल।
  4. उन्नत ड्रोन, मिसाइल क्रायोकूलर और मानव-स्वास्थ्य पर आधारित एल्गोरिदम।
  5. वर्चुअल सेंसर्स और एआई आधारित तकनीकें।
सफलतापूर्वक विकसित की गई तकनीकें
  1. AVPSM, ARINC 818 – उन्नत सैन्य विमान के लिए
  2. SMFD (स्मार्ट मल्टी-फंक्शनल डिस्प्ले) – उन्नत सैन्य विमान के लिए
  3. 40TPH पंप (सबमर्सिबल पंप) – भारतीय नौसेना के जहाज के लिए जल स्तर बढ़ाने और घटाने के लिए
  4. 125 TPH पंप (रिकिरकुलेशन पंप) – भारतीय नौसेना के जहाज के लिए
  5. Pru Decorp 340mg कैप्सूल – न्यूक्लियर आपातकाल के दौरान शरीर से CS/TL को डीकंटेमिनेट करने के लिए
  6. Pru Decorp 500mg कैप्सूल – न्यूक्लियर आपातकाल के दौरान शरीर से CS/TL को डीकंटेमिनेट करने के लिए
  7. MIG 29K के लिए स्वास्थ्य उपयोग और मॉनिटरिंग प्रणाली (HUMS) का विकास
  8. नौसैनिक प्लेटफॉर्म्स के लिए WT/GT (वाटर टाइट/गैस टाइट) EMI/EMC संगत दरवाजों का विकास
  9. नौसैनिक प्लेटफॉर्म्स के लिए WT/GT (वाटर टाइट/गैस टाइट) EMI/EMC संगत हैच का विकास
  10. विमान अनुप्रयोग के लिए V/UHF ब्लेड एंटीना
  11. विमान अनुप्रयोग के लिए तापमान ट्रांसड्यूसर का विकास
  12. लो ऑर्बिट सैटेलाइट के लिए इथेनॉल और हाइड्रोजन पेरोक्साइड प्रणोदक प्रणाली का उपयोग कर प्रणोदक और थ्रस्टर का विकास
  13. लो ऑर्बिट सैटेलाइट के लिए गैर-हानिकर हाइड्राजाइन नैनो प्रणोदक प्रणाली का उपयोग कर प्रणोदक और थ्रस्टर का विकास
  14. U/W प्लेटफॉर्म के लिए VLF लूप एरियल सिस्टम
  15. U/W प्लेटफॉर्म के लिए VLF-HF मैट्रिक्स
  16. शारीरिक मापदंडों के आधार पर व्यक्ति का अल आधारित पहचान प्रणाली
  17. संपर्क रहित तनाव माप के लिए सेंसर रीडिंग भविष्यवाणी करने वाला सॉफ़्टवेयर
  18. AGTE में तनाव माप के लिए वर्चुअल सेंसर कार्यान्वयन का सॉफ़्टवेयर
  19. AGTE में कंप्रेसर और टर्बाइन टिप माप के लिए वर्चुअल सेंसर
  20. मिसाइल अनुप्रयोग के लिए JT क्रायोकूलर का विकास
  21. तेज़ उपचार के लिए मल्टी थेरेप्युटिक तकनीकों का विकास
  22. मानव रहित जमीन, समुद्री (समुद्र की सतह और जलमग्न) और हवाई वाहनों के लिए सिमुलेटर का विकास
  23. डेटा मूल्यांकन, सक्रिय शिक्षा और दृश्य डेटा के लिए विश्वासशीलता उपकरणों का विकास
  24. बंद/इनडोर वातावरण में खोज और रिपोर्ट मिशन के लिए स्वायत्त ड्रोन को पहले प्रतिक्रिया देने वाले के रूप में विकसित करना
  25. F1F2, F1A टैंक, विंग टैंक के लिए सर्ज राहत वाल्व
  26. विमान अनुप्रयोग के लिए एसी डबल एंडेड ईंधन बूस्टर पंप

स्टार्टअप्स को मिला बढ़ावा
टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड योजना ने विशेष रूप से उन स्टार्टअप्स को मंच दिया है, जो एडवांस टेक्नोलॉजी के डेलवपमेंट में रुचि रखते हैं। ये तकनीकें केवल रक्षा क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं बल्कि औद्योगिक और चिकित्सा क्षेत्र में भी उपयोगी साबित हो सकती हैं।

रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में पहल
रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ ने लोकसभा में जानकारी देते हुए कहा कि यह योजना आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे न केवल विदेशी निर्भरता कम हो रही है बल्कि देश के युवा उद्यमियों और वैज्ञानिकों को भी प्रेरणा मिल रही है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में यह योजना भारतीय रक्षा उद्योग को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।

सरकार की प्रतिबद्धता
यह योजना इस बात का उदाहरण है कि सरकार भारतीय रक्षा उत्पादन को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कितनी प्रतिबद्ध है। DRDO की सक्रिय भागीदारी और उद्योगों के साथ तालमेल ने इस योजना को सफल बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है।

भविष्य की संभावनाएं
इस योजना के तहत विकसित तकनीकों का उपयोग केवल रक्षा क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा। इन तकनीकों को नागरिक क्षेत्र में भी लागू किया जा सकता है, जिससे भारतीय उद्योगों को नई गति मिलेगी। इसके अलावा, यह योजना अन्य उभरते स्टार्टअप्स और एमएसएमई के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनेगी।

टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड योजना: आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मजबूत कदम
यह योजना रक्षा क्षेत्र में इनोवेशन, डेवलपमेंटऔर आत्मनिर्भरता के लिए एक मील का पत्थर साबित हो रही है। भारतीय उद्योग और स्टार्टअप्स के साथ मिलकर सरकार तकनीकी उत्कृष्टता के नए मानक स्थापित कर रही है। यह योजना न केवल आज की जरूरतों को पूरा कर रही है बल्कि भविष्य की चुनौतियों के लिए भी भारतीय रक्षा क्षेत्र को तैयार कर रही है।

Indian Army: 15000 फीट पर जवान दिखा रहे जज्बा, हाई एल्टीट्यूड इलाकों में ऊंचाई और कड़ाके की ठंड के बीच गनर्स कर रहे ट्रेनिंग

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Indian Army: सेना का साहस और समर्पण हर परिस्थिति में अपने चरम पर रहता है। चाहे विपरीत मौसम हो या ऊंचाई पर काम करने की कठिन चुनौती, भारतीय सेना के जांबाज गनर्स हमेशा तत्पर रहते हैं। इसी जज्बे का परिचय देते हुए “फॉरएवर इन ऑपरेशन्स डिवीजन” के गनर्स इन दिनों 15,000 फीट की ऊंचाई पर माइनस तापमान में कठिन ट्रेनिंग कर रहे हैं। बता दें कि भारतीय सेना की ये डिविजन द्रास-करगिल इलाके में तैनात है।

Indian Army: Grit and Glory at 15,000 Feet – Gunners Undergo Intense Training Amid Freezing High-Altitude Conditions

Indian Army: कड़ाके की ठंड में अदम्य साहस

इस ट्रेनिंग का उद्देश्य गनर्स को किसी भी चुनौतीपूर्ण हालात में ऑपरेशन के लिए तैयार करना है। जब तापमान शून्य से नीचे चला जाता है और ठंडी हवाएं शरीर को सुन्न कर देती हैं, तो ये गनर्स अपने हौसले और कर्तव्यनिष्ठा से हर चुनौती को पार कर जाते हैं। माइनस तापमान में ट्रेनिंग करना न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक शक्ति की भी परीक्षा होती है।

“टॉप गन” गनर्स का जज्बा

15,000 फीट की ऊंचाई पर होने वाली इस ट्रेनिंग में गनर्स को अपने हथियारों को ऑपरेशनल बनाए रखने, सामरिक तकनीकों को सीखने और विपरीत मौसम में खुद को टिकाए रखने की कला सिखाई जा रही है। भारतीय सेना के ये “टॉप गन” गनर्स हर परिस्थिति में खुद को तैयार रखने के लिए तैयार हैं।

Indian Army: Grit and Glory at 15,000 Feet – Gunners Undergo Intense Training Amid Freezing High-Altitude Conditions

चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सीखना

  • हाई एल्टीट्यूड पर ऑक्सीजन की कमी: इस ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी के चलते सांस लेना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में गनर्स को अपने शरीर को वातावरण के अनुकूल ढालना सिखाया जाता है।
  • सब-जीरो तापमान: जब तापमान माइनस में होता है, तो हथियार और उपकरणों को संभालना एक बड़ी चुनौती होती है। गनर्स को इन परिस्थितियों में भी दक्षता के साथ काम करना सिखाया जाता है।
  • मानसिक और शारीरिक फिटनेस: विपरीत मौसम में ऑपरेशन के लिए मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।

मिशन-रेडी रहने की तैयारी

यह ट्रेनिंग गनर्स को सिखाती है कि किसी भी ऑपरेशन में मौसम या हालात उनके संकल्प और तैयारी के बीच बाधा नहीं बन सकते। वे विपरीत परिस्थितियों में न केवल खुद को संभाल सकते हैं, बल्कि देश की रक्षा के लिए पूरी तत्परता से अपने कर्तव्यों का पालन भी कर सकते हैं।

भारतीय सेना का हर जवान इस बात का उदाहरण है कि कठिन परिस्थितियां इंसान को तोड़ नहीं सकतीं, बल्कि उसे मजबूत बनाती हैं। इस तरह की ट्रेनिंग के जरिए गनर्स खुद को हर स्थिति के लिए तैयार रखते हैं और सेना की प्रतिष्ठा को और ऊंचा करते हैं।

Indian Army: Grit and Glory at 15,000 Feet – Gunners Undergo Intense Training Amid Freezing High-Altitude Conditions

इस कठिन ट्रेनिंग से गनर्स न केवल अपने कौशल को निखार रहे हैं, बल्कि यह भी साबित कर रहे हैं कि भारतीय सेना किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह सक्षम है। चाहे सियाचिन हो, लेह-लद्दाख, या अन्य ऊंचाई वाले क्षेत्र, भारतीय सेना हर जगह अपने अदम्य साहस और समर्पण का परिचय देती है।

इससे पहले 10 नवंबर को भी लद्दाख से भारतीय सेना का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें भारतीय सेना के लेह स्थित चौदहवीं कोर के जवान एक 1,200 किलोग्राम वजनी एक एडवांस एयर डिफेंस तोप को ऊँची चोटी तक ले जाते हुए दिखे थे। फायर एंड फ्यूरी के नाम से मशहूर 14 कोर की तरफ से जारी वीडियो में जवानों को एंटी-एयरक्राफ्ट गन के साथ दिखाया गया है, जो भारतीय सेना की हवाई हमलों, खासकर ड्रोन हमलों के खिलाफ तैयारी को दर्शाता है।

बता दें कि लद्दाख के बर्फ से ढके पहाड़ न केवल पारंपरिक युद्ध के लिए चुनौतीपूर्ण हैं, बल्कि यह चीन के साथ सीमा पर महत्वपूर्ण स्थानों पर निगरानी बनाए रखने के लिए बेहद अहम हैं। हालांकि, पूर्वी लद्दाख के कुछ क्षेत्रों में सेनाओं के डिसएंगेजमेंट (वापसी) की प्रक्रिया में प्रगति हुई है, फिर भी कुछ क्षेत्र संवेदनशील बने हुए हैं, जहाँ सैनिकों की तैनाती अभी भी महत्वपूर्ण है।

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