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Indian Army ATV: LAC पर सेना का हाईटेक कदम; बर्फीले इलाकों में पेट्रोलिंग के लिए तैनात की ATV, चीन पर कड़ी नजर

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Indian Army ATV: भारतीय सेना ने लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर सर्दियों के लिए अपनी तैयारियों को पुख्ता कर लिया है। बर्फीले और दुर्गम इलाकों में पेट्रोलिंग और निगरानी को और प्रभावी बनाने के लिए सेना अब ऑल-टरेन व्हीकल्स (ATV) का इस्तेमाल करेगी। हाल ही में, सेना के फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने इन वाहनों का एक वीडियो अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर साझा किया, जिसमें ये गाड़ियां दुर्गम इलाकों में अपनी ताकत और उपयोगिता दिखाती नजर आ रही हैं।

Indian Army ATV Deploys at LAC in Eastern Ladakh, Snow-Covered Terrains to Counter China

Indian Army ATV: क्या हैं ये ATV और कैसे काम करती हैं?

ऑल-टरेन व्हीकल्स (ATV) को किसी भी प्रकार के कठिन और चुनौतीपूर्ण इलाकों में चलने के लिए डिज़ाइन किया गया है। भारतीय सेना द्वारा उपयोग किए जाने वाले एटीवी में Polaris Sportsman, Polaris RZR, और JSW-Gecko ATOR शामिल हैं। ये वाहन पथरीले रास्तों, खड़ी चढ़ाई, ढलान और बर्फीली सतहों पर भी आसानी से चल सकते हैं।

इन गाड़ियों का उपयोग केवल लद्दाख ही नहीं, बल्कि देश के अन्य दुर्गम इलाकों जैसे गुजरात के कच्छ क्षेत्र में भी किया जा रहा है। एटीवी का हल्का वजन और उच्च गतिशीलता उन्हें मुश्किल भौगोलिक परिस्थितियों में तैनात करने के लिए उपयुक्त बनाता है।

LAC के पास सर्दियों में चुनौतीपूर्ण हालात

लद्दाख का LAC क्षेत्र बर्फ से ढके पहाड़ों और कठोर जलवायु का इलाका है। यहां पर पेट्रोलिंग और निगरानी के लिए आधुनिक तकनीकी उपकरण और वाहन बेहद जरूरी हैं। भारतीय सेना के पास इन दुर्गम इलाकों में निगरानी और सुरक्षा के लिए बेहतर साधनों का होना जरूरी है ताकि वे हर परिस्थिति में मुस्तैद रह सकें।

“Mastering New Mobility
Platform”

Blazing through frozen
battlegrounds, Treading icy sheets and cragging pathways. Amidst
winters, Forever in Operations Division all set to conquer ferocious
blizzards and impassable zones.#Onpathtotransformation#Techinfusion@adgpi
pic.twitter.com/WXLFZLvzdf


@firefurycorps_IA (@firefurycorps) December
8, 2024

एटीवी के उपयोग से भारतीय सैनिकों की गश्त और निगरानी पहले से अधिक कुशल और तेज़ हो गई है। इन गाड़ियों का डिज़ाइन ऐसा है कि वे किसी भी मौसम और इलाके में आसानी से चलाई जा सकती हैं। इनकी मैन्यूवरिंग इतनी सरल है कि सैनिक इसे दुर्गम पहाड़ी इलाकों में भी आसानी से चला सकते हैं।

देपसांग और देमचोक में पेट्रोलिंग की बहाली

भारत और चीन के बीच लंबे समय से विवादित देपसांग के मैदान और देमचोक क्षेत्र में, हाल ही में दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने के बाद, भारतीय सेना ने इन इलाकों में पेट्रोलिंग को फिर से शुरू किया है। इस नई पेट्रोलिंग व्यवस्था के तहत एटीवी का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे गश्त अधिक दूरी तक और अधिक प्रभावी हो रही है।

एटीवी की मदद से सैनिक खतरनाक और चुनौतीपूर्ण मार्गों पर भी आसानी से जा सकते हैं। ये वाहन दूर-दराज के इलाकों में स्थित सैनिकों को तेजी से जरूरी मदद पहुंचाने में भी कारगर साबित हो रहे हैं।

सेना ने क्यों चुने एटीवी?

भारतीय सेना का मानना है कि एटीवी की तैनाती से न केवल पेट्रोलिंग आसान हुई है, बल्कि निगरानी और आपात स्थिति में प्रतिक्रिया देने की क्षमता भी बढ़ी है। इन वाहनों के जरिए सैनिक किसी भी मौसम में रणनीतिक स्थानों और बेस तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

सेना ने बयान जारी करते हुए कहा, “एटीवी हमारे जवानों के लिए बेहद जरूरी साबित हो रहे हैं। इनसे निगरानी में तेजी आई है और जरूरत पड़ने पर हम अपने सैनिकों को सही स्थान पर तैनात कर सकते हैं।” इन वाहनों की मदद से सेना को दुर्गम इलाकों में ऑपरेशन करने में बड़ी मदद मिल रही है।

बर्फीले इलाकों में एटीवी की खासियत

लद्दाख जैसे इलाकों में जहां तापमान शून्य से नीचे चला जाता है और बर्फबारी के कारण रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं, वहां एटीवी का उपयोग गेम चेंजर साबित हो सकता है। ये वाहन न केवल सैनिकों को तेजी से गंतव्य तक पहुंचाने में सक्षम हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि दुर्गम इलाकों में आपूर्ति और अन्य महत्वपूर्ण कार्य बाधित न हों।

सुरक्षा के लिए नई रणनीति

भारतीय सेना ने LAC पर अपनी तैयारी को नए आयाम दिए हैं। एटीवी की मदद से निगरानी और गश्त के काम को पहले से ज्यादा कुशल बनाया गया है। दुर्गम पहाड़ी इलाकों में इन वाहनों की तैनाती से यह सुनिश्चित हुआ है कि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति में सेना तुरंत प्रतिक्रिया दे सके।

ये एटीवी सेना की रणनीतिक ताकत को और मजबूत बनाते हैं और LAC पर सुरक्षा सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। भारतीय सेना द्वारा इस तरह की आधुनिक तकनीकों का उपयोग न केवल सैनिकों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है, बल्कि देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने की प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करता है।

Nepal Army chief India visit: नेपाल सेना प्रमुख का भारत दौरा; गोरखा भर्ती और रक्षा सहयोग पर रहेगा जोर

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Nepal Army chief India visit: नेपाल सेना के प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल 11 से 14 दिसंबर के बीच भारत के आधिकारिक दौरे पर होंगे। यह दौरा भारत-नेपाल के रक्षा संबंधों को मजबूती देने और गोरखा भर्ती प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की संभावनाओं पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे पहले भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी भी नेपाल दौरे पर गए थे।

Nepal Army Chief India Visit: Focus on Gorkha Recruitment and Defence Cooperation

 

Nepal Army chief India visit: गोरखा भर्ती पर चर्चा

गोरखा सैनिक भारतीय सेना की रीढ़ माने जाते हैं। लंबे समय से भारतीय सेना में गोरखा सैनिकों की भूमिका न केवल सामरिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण रही है। हालांकि, अग्निवीर योजना के लागू होने के बाद, नेपाल ने इस भर्ती प्रक्रिया पर अस्थायी रोक लगा दी थी। नेपाल सरकार ने इस योजना की कुछ शर्तों पर अपनी चिंताओं का ज़िक्र किया था।

जनरल सिग्देल का यह दौरा गोरखा भर्ती को फिर से शुरू करने के लिए दोनों देशों के बीच संवाद का एक अहम मौका प्रदान करेगा। यदि यह प्रक्रिया पुनः शुरू होती है, तो यह न केवल दोनों देशों के बीच के रिश्तों को मजबूत बनाएगी, बल्कि नेपाल को आर्थिक लाभ भी पहुंचाएगी।

Nepal Army Chief India Visit: Focus on Gorkha Recruitment and Defence Cooperation

रक्षा सहयोग में नई संभावनाएं

जनरल सिग्देल की भारत यात्रा के दौरान कई उच्चस्तरीय बैठकों का आयोजन होगा। वे भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करेंगे। इसके अलावा, वे देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में कैडेट्स की पासिंग आउट परेड में निरीक्षण अधिकारी के रूप में भी शामिल होंगे।

यह भी पढ़ें: Indian Army Chief Nepal Visit: क्या नेपाली गोरखा भारतीय सेना में होंगे शामिल? जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने नेपाल में पूर्व गोरखा सैनिकों से की मुलाकात

भारत के राष्ट्रपति द्वारा जनरल सिग्देल को भारतीय सेना के मानद जनरल की उपाधि से सम्मानित किया जाएगा। यह परंपरा भारत और नेपाल के बीच 1950 से चली आ रही है, जिसमें दोनों देशों के सेना प्रमुखों को एक-दूसरे की सेना का मानद जनरल नियुक्त किया जाता है।

Nepal Army Chief India Visit: Focus on Gorkha Recruitment and Defence Cooperation

दौरे का रणनीतिक महत्व

यह दौरा तब हो रहा है, जब भारत और नेपाल दोनों ही अपने रणनीतिक और रक्षा संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। नवंबर 2024 में भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने नेपाल का दौरा किया था। उनके दौरे के दौरान, प्रशिक्षण कार्यक्रम, संयुक्त अभ्यास और गोरखा भर्ती से जुड़े विषयों पर चर्चा हुई थी।

नेपाल और भारत की सेनाओं के बीच मजबूत संबंध गोरखा रेजिमेंट के माध्यम से और गहरे हुए हैं। वर्तमान में, भारतीय सेना में 30,000 से अधिक गोरखा सैनिक सेवा दे रहे हैं। यह रिश्ता न केवल सैन्य स्तर पर बल्कि दोनों देशों के लोगों के बीच भी एक गहरा भावनात्मक जुड़ाव है।

नेपाल-भारत के मजबूत संबंधों का प्रतीक

भारत और नेपाल के बीच सैन्य संबंधों को ऐतिहासिक रूप से मजबूत बनाने में कई परंपराओं और उच्चस्तरीय दौरों का बड़ा योगदान है। भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ जनरल केएम करिअप्पा को 1950 में नेपाली सेना के मानद जनरल का खिताब दिया गया था। यह परंपरा दोनों देशों के बीच विश्वास और सम्मान का प्रतीक है।

जनरल सिग्देल का यह दौरा दोनों देशों के नेतृत्व को एक बार फिर अपने रक्षा संबंधों की समीक्षा करने और भविष्य की रणनीतियों पर विचार करने का मौका देगा।

द्विपक्षीय सहयोग को नई दिशा

नेपाल और भारत के बीच नियमित उच्चस्तरीय बैठकों और आदान-प्रदान से द्विपक्षीय साझेदारी को नई गति मिली है। सेना प्रमुखों के दौरे न केवल औपचारिकता हैं, बल्कि वे रक्षा सहयोग को नई दिशा देने का महत्वपूर्ण जरिया भी हैं।

इस दौरे के दौरान, रक्षा तकनीकों और संयुक्त अभ्यासों पर भी चर्चा की संभावना है, जो क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने में मदद करेंगे।

Indian Army: सैनिकों ने निभाया साथी होने का फर्ज; बेटी की शादी में पिता की कमी पूरी कर कायम की मिसाल

Indian Army: भारतीय सेना के 20 जाट रेजिमेंट के सूबेदार देवेंद्र सिंह अपनी बेटी की शादी की तैयारियों में जुटे थे, लेकिन उनकी अचानक मौत ने पूरे परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया। देवेंद्र सिंह ने शादी से सिर्फ एक महीने पहले वीआरएस लिया था, और शादी से दो दिन पहले एक सड़क दुर्घटना में चल बसे। उनकी मौत से जहां शादी के घर में खुशियों का माहौल मातम में बदल गया, वहीं सेना के साथियों ने इस मुश्किल घड़ी में अपने भाईचारे की मिसाल पेश की।

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Indian Army: सदमे में आई बेटी, पिता के साथियों ने संभाला

गुरुवार को 48 वर्षीय देवेंद्र सिंह मथुरा के मांट-राया रोड पर शादी की तैयारियों के सिलसिले में जा रहे थे। रास्ते में उनकी कार एक खड़ी ट्रैक्टर-ट्रॉली से टकरा गई, जिसमें उनकी और उनके चचेरे भाई उदयवीर सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। इस हादसे से शादी का घर मातम में बदल गया। देवेंद्र की बेटी ज्योति, जिसकी शादी होने वाली थी, सदमे में आ गई और उसने शादी करने से इनकार कर दिया।

भाईचारे की झलक

जब देवेंद्र सिंह के पूर्व कमांडिंग अधिकारी कर्नल चंद्रकांत शर्मा को इस दुखद घटना के बारे में पता चला, तो उन्होंने तुरंत कदम उठाया। पंजाब से उनकी बटालियन के पांच जवान—सूबेदार सोनवीर सिंह और मुकेश कुमार, हवलदार प्रेमवीर, और सिपाही विनोद व बेटाल सिंह—मथुरा पहुंचे। इन सैनिकों ने देवेंद्र सिंह के परिवार को इस कठिन समय में सहारा दिया और शादी को संपन्न कराने का जिम्मा उठाया।

जवानों ने संभाली जिम्मेदारी

सैनिकों ने ना केवल शादी की तैयारियों को संभाला, बल्कि पूरे खर्च का भार भी उठाया। उन्होंने मेहमानों की मेजबानी की, ज्योति को समझाया और पिता की भूमिका निभाते हुए ‘कन्यादान’ भी किया। यह रस्म जो आमतौर पर पिता द्वारा निभाई जाती है, इन सैनिकों के लिए अपने साथी के प्रति सम्मान और समर्पण की अद्भुत मिसाल बन गई।

दूल्हा भी सेना में जवान

दूल्हा, सौरभ सिंह, इन दिनों मणिपुर में तैनात है, वह अपनी बारात लेकर हाथरस के धनौती बुर्ज गांव से मंत पहुंचा। सौरभ के पिता, हवलदार सत्यवीर, भी देवेंद्र सिंह के साथ सेना में सेवाएं दे चुके थे। दोनों परिवारों के बीच वर्षों से बना यह रिश्ता इस मुश्किल समय में और मजबूत हो गया।

परिवार को मिली नई ताकत

सैनिकों की इस अद्भुत पहल ने परिवार को ना केवल संभाला, बल्कि शादी को भी गरिमा और सम्मान के साथ संपन्न किया। ज्योति के चाचा नरेंद्र सिंह ने कहा, “परिवार पूरी तरह टूट चुका था, लेकिन सैनिकों ने कदम बढ़ाया और पूरे माहौल को बदल दिया।”

गांव वालों ने की सराहना

शादी में मौजूद रिश्तेदार और गांववाले सैनिकों की इस पहल से भावुक हो उठे। आकाश सिंह, जो ज्योति के चचेरे भाई हैं, ने बताया, “इन सैनिकों की उपस्थिति ने सब कुछ बदल दिया। यहां तक कि कमांडिंग ऑफिसर ने भी परिवार से बात कर उन्हें सांत्वना दी।”

पिता का सपना हुआ पूरा

ज्योति के लिए यह पल बेहद मुश्किल था, लेकिन सैनिकों के हौसले और समर्थन ने उसे अपने पिता का सपना पूरा करने की ताकत दी। सैनिकों ने यह सुनिश्चित किया कि देवेंद्र सिंह की अनुपस्थिति में भी शादी उनके सपनों के मुताबिक हो।

यह घटना भारतीय सेना के भाईचारे और मानवता की एक बेहतरीन मिसाल है। सैनिकों ने यह दिखा दिया कि वे ना केवल देश की रक्षा में बल्कि अपने साथियों के परिवारों के प्रति भी गहरी संवेदनशीलता रखते हैं।

देवेंद्र सिंह के साथियों की यह पहल केवल एक शादी को सफल बनाने तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह एक संदेश भी थी कि सेना में रिश्ते खून के नहीं, बल्कि कर्तव्य और सम्मान के होते हैं।

सेना के प्रति सम्मान बढ़ा

गांववालों और रिश्तेदारों ने सैनिकों के इस अद्वितीय समर्पण को देखकर सेना के प्रति अपना सम्मान और प्यार जाहिर किया। उन्होंने इसे एक ऐसी घटना बताया, जो जीवनभर उनके दिलों में बसी रहेगी।

Battle of Rezang La: आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी को भेंट की ‘मेजर शैतान सिंह, PVC (P): द मैन इन हाफ लाइट’ पुस्तक

Battle of Rezang La: Major Shaitan Singh, PVC (P): The Man in Half Light: देश के वीर सैनिकों की शहादत और उनकी बहादुरी की कहानियाँ हमेशा प्रेरणा का स्रोत रही हैं। मेजर शैतान सिंह की वीरता पर आधारित पुस्तक ‘मेजर शैतान सिंह, PVC (P): द मैन इन हाफ लाइट’ एक ऐसी ही प्रेरणादायक गाथा है, जिसने मेजर शैतान सिंह के अदम्य साहस और रेजांग ला के ऐतिहासिक युद्ध को जीवित रखा है। इस पुस्तक का विमोचन पहले ही हो चुका था, और अब युवा लेखक जय समोटा ने इसे भारतीय सेना के प्रमुख, जनरल उपेंद्र द्विवेदी को सम्मान स्वरूप भेंट किया।

Battle of Rezang La: Army Chief General Upendra Dwivedi Presented with 'Major Shaitan Singh, PVC (P): The Man in Half Light' Book

Battle of Rezang La: किताब में क्या है खास

जय समोटा द्वारा लिखी गई यह पुस्तक मेजर शैतान सिंह के जीवन पर आधारित है, जिनका नाम भारतीय सेना के इतिहास में रेजांग ला युद्ध के नायक के रूप में अंकित है। पुस्तक में मेजर शैतान सिंह की वीरता के साथ-साथ उनकी जीवन यात्रा को भी समर्पित किया गया है।

पुस्तक में 100 से अधिक दुर्लभ और ऐतिहासिक तस्वीरें हैं, जो मेजर शैतान सिंह की वीरता, संघर्ष और शहादत को बखूबी प्रदर्शित करती हैं। इन चित्रों के माध्यम से पाठकों को उस समय की परिस्थितियों और युद्ध के माहौल का अहसास होता है। इन तस्वीरों से यह स्पष्ट होता है कि मेजर शैतान सिंह ने किस प्रकार अपने सैनिकों के साथ मिलकर चीनी सेना के खौफनाक हमले का सामना किया।

ब्रिगेडियर आरवी जाटार की भूमिका

इस पुस्तक में एक महत्वपूर्ण योगदान ब्रिगेडियर आरवी जाटार का भी है, जो मेजर शैतान सिंह के साथ रेजांग ला में लड़े थे। पुस्तक की भूमिका में उन्होंने मेजर शैतान सिंह के साहस और नेतृत्व को याद किया है। उन्होंने लिखा है, “मेजर शैतान सिंह का नेतृत्व भारतीय सेना के लिए एक उदाहरण है। उनके हौसले और समर्पण ने न केवल उनकी टुकड़ी को प्रेरित किया, बल्कि पूरी सेना को एक नई दिशा दी।”

ब्रिगेडियर जाटार ने यह भी कहा कि मेजर शैतान सिंह का शौर्य और समर्पण भारतीय सेना के लिए एक प्रेरणा बना रहेगा, और उनकी वीरता को हमेशा याद किया जाएगा।

आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी को भेंट

जय समोटा ने सोमवार को ‘मेजर शैतान सिंह, PVC (P): द मैन इन हाफ लाइट’ पुस्तक को भारतीय सेना के प्रमुख, जनरल उपेंद्र द्विवेदी को भेंट की। जनरल द्विवेदी ने इस मौके पर कहा कि यह भारतीय सेना के वीर सपूतों की यादों को संरक्षित रखने का एक उत्कृष्ट प्रयास है। उन्होंने कहा, “मेजर शैतान सिंह की वीरता भारतीय सेना के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है, और यह पुस्तक उनके बलिदान को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।”

जनरल द्विवेदी ने इस पुस्तक को भारतीय सेना के लिए एक अमूल्य धरोहर बताया और कहा कि यह पुस्तक न केवल मेजर शैतान सिंह की गाथा को जीवित रखेगी, बल्कि हमारे जवानों के साहस और समर्पण को भी सम्मानित करेगी।

रेजांग ला का युद्ध: एक स्वर्णिम अध्याय

रेजांग ला का युद्ध भारतीय सेना के इतिहास में न भूलने वाली जंग रही है, जिसमें मेजर शैतान सिंह की कमांड में भारतीय सैनिकों ने चीन के 5,000 सैनिकों का बहादुरी से मुकाबला किया था। इस युद्ध में भारतीय सैनिकों की संख्या महज 120 थी, जबकि चीनी सेना के पास भारी संख्या में सैनिक थे। फिर भी, मेजर शैतान सिंह और उनके सैनिकों ने न केवल चीनी हमले का मुकाबला किया, बल्कि उन्हें भारी नुकसान भी पहुंचाया।

यह युद्ध भारतीय सेना के शौर्य और वीरता का प्रतीक बन चुका है। पुस्तक में इस युद्ध के हर पहलू को विस्तार से बताया गया है, जिससे यह समझने में मदद मिलती है कि कैसे एक छोटे से युद्ध क्षेत्र में अद्वितीय साहस और नेतृत्व ने चीनियों के हौसले पस्त कर दिया थे।

‘मेजर शैतान सिंह, PVC (P): द मैन इन हाफ लाइट’ पुस्तक न केवल मेजर शैतान सिंह की शहादत को बयां करती है, बल्कि भारतीय सेना के प्रत्येक जवान के साहस, बलिदान और देशप्रेम की गाथा भी है। यह पुस्तक हर भारतीय को अपने देश के वीरों को याद करने और उनके योगदान को समझने का अवसर देती है।

CSD Card Controversy: मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन संस्थान (MP-IDSA) के डीजी के पास मिला अनधिकृत कैंटीन स्मार्ट कार्ड, रक्षा मंत्रालय बोला- ‘भूलवश’ हुआ जारी

CSD Card Controversy: देश के प्रमुख थिंक टैंक मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान (MP-IDSA) के महानिदेशक सुजान आर. चिनॉय के पास एक कैंटीन स्मार्ट कार्ड (CSD) होने का मामला सामने आया है, जबकि वे और संस्थान के अन्य कर्मचारी इस सुविधा के पात्र नहीं हैं।

CSD Card Controversy: MP-IDSA DG Found with Unauthorized Canteen Smart Card, MoD Calls It an 'Error'

रक्षा मंत्रालय (MoD) ने इस विषय पर दायर एक सूचना के अधिकार (RTI) के जवाब में स्पष्ट किया कि यह कार्ड “भूलवश” जारी किया गया था। जवाब में कहा गया, “सुजान चिनॉय कैंटीन सुविधाओं के लिए पात्र नहीं हैं। यह कार्ड त्रुटिपूर्ण तरीके से बनाया गया है।”

CSD Card Controversy: RTI में क्या हुआ खुलासा?

यह जानकारी 22 अक्टूबर, 2024 को दिए गए एक जवाब में सामने आई। रक्षा मंत्रालय (सेना) में केंद्रीय जन सूचना अधिकारी ब्रिगेडियर तमोजीत बिस्वास, ने केरल स्थित ‘द पॉलिटी’ नामक एक पब्लिकेशन की आऱटीआई में इस बात की जानकारी दी।

CSD कार्ड पाने के लिए पात्रता के तहत आवेदक को एक गारंटी पत्र पर हस्ताक्षर करना होता है, जिसे एक निर्धारित अधिकारी द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक है। आवेदन के साथ वेतन पर्ची, पैन कार्ड, और 165 रुपये शुल्क जमा करना होता है। हालांकि, DG सुजान चिनॉय ने इस विषय पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

CSD कार्ड कैसे मिला?

संस्थान के कर्मचारियों ने बताया कि महानिदेशक के नाम पर यह कार्ड 2022 में जारी किया गया था और इसे जनवरी 2023 में रिन्यू भी किया गया। कुछ कर्मचारियों ने यह भी बताया कि इस कार्ड का उपयोग करके उन्हें फोर व्हीलर और दूसरी चीजें भी खरीदी हैं।

नीतियों के अनुसार, केवल अधिकृत कार्डधारक ही यूनिट रन कैंटीन (URC) से सामान खरीद सकते हैं। अन्य किसी व्यक्ति को वहां प्रवेश की अनुमति नहीं है।

RTI के जवाब में बताया गया कि कार्ड का आवेदन 90 दिनों तक रखा जाता है, लेकिन DG के मामले में यह आवेदन लगभग एक साल नौ महीने पुराना होने के कारण उपलब्ध नहीं है।

क्या कार्रवाई होगी?

जब इस मामले में आगे की कार्रवाई के बारे में पूछा गया, तो सूत्र स्पष्ट जवाब देने में असमर्थ रहे। हालांकि, यह स्पष्ट है कि कार्ड को “हॉटलिस्ट” कर दिया गया है, जिसका मतलब है कि इसे रद्द कर दिया गया है।

क्या है MP-IDSA

1965 में स्थापित MP-IDSA, रक्षा मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित एक स्वायत्त निकाय है, जिसे सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत किया गया है। आमतौर पर रक्षा मंत्री संस्थान के अध्यक्ष होते हैं, हालांकि कुछ अपवाद भी रहे हैं, जैसे कि प्रणब मुखर्जी, जिन्होंने विदेश मंत्री रहते हुए इस पद को संभाला।

2020 में, संस्थान का नाम दिवंगत रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के सम्मान में बदला गया। संस्थान की नीतियों को लागू करने की जिम्मेदारी इसकी कार्यकारी परिषद (EC) पर है, जिसमें रक्षा और विदेश सचिव जैसे पदेन सदस्य शामिल होते हैं।

कर्मचारियों का विरोध और COVID-19 का मामला

2021 में, संस्थान के 19 कर्मचारियों ने इसके खिलाफ एक कानूनी मामला दायर किया, जो इसके 59 वर्षों के इतिहास में पहली बार हुआ। अदालत ने यह माना कि MP-IDSA के प्रशासन पर रक्षा मंत्रालय का “गहरा और व्यापक नियंत्रण” है, जिससे यह राज्य का एक उपकरण बनता है और इसे संवैधानिक अधिकार क्षेत्र में लाता है।

COVID-19 महामारी के दौरान, संस्थान में सुरक्षा प्रोटोकॉल की अनदेखी के कारण संक्रमण फैलने के आरोप भी लगे। DG ने अप्रैल 2020 से संस्थान को 100 प्रतिशत क्षमता के साथ चालू रखने पर जोर दिया, जबकि उस समय केवल आवश्यक सेवाओं को अनुमति दी गई थी।

क्या है CSD कार्ड का महत्व?

CSD कार्ड भारतीय सशस्त्र बलों के कर्मियों और रक्षा मंत्रालय के पात्र कर्मचारियों को सुविधाजनक मूल्य पर उत्पाद और सेवाएं उपलब्ध कराने का एक साधन है। यह कार्ड विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो रक्षा सेवाओं से जुड़े हैं।

यह मामला न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं की खामियों को उजागर करता है, बल्कि इसे ठीक करने के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।

INS Tushil: भारतीय नौसेना में शामिल हुआ नया मल्टी-रोल स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट

INS Tushil: भारतीय नौसेना का नवीनतम मल्टी-रोल स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट, आईएनएस तुशील (F 70), आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में रूस के कैलिनिनग्राद स्थित यांतर शिपयार्ड में कमीशन किया गया। इस ऐतिहासिक मौके पर रक्षा मंत्री ने इसे भारत की बढ़ती समुद्री ताकत और भारत-रूस के दीर्घकालिक संबंधों में एक नया मील का पत्थर करार दिया।

INS Tushil: New Multi-Role Stealth Guided Missile Frigate Joins the Indian Navy

समुद्री शक्ति में बढ़ोतरी का प्रतीक है INS Tushil

राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर कहा, “आईएनएस तुशील भारत की समुद्री शक्ति में बढ़ोतरी का प्रतीक है। यह जहाज भारत और रूस की गहरी मित्रता, साझे मूल्यों और आपसी विश्वास का प्रमाण है।” उन्होंने इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक बड़ा कदम बताते हुए कहा कि इसमें ‘मेड इन इंडिया’ के तहत कई महत्वपूर्ण तकनीकों को शामिल किया गया है।

उन्होंने कहा कि यह जहाज भारतीय और रूसी उद्योगों की संयुक्त क्षमता का प्रतीक है और भारत के तकनीकी उत्कृष्टता की यात्रा को दर्शाता है।

INS Tushil: New Multi-Role Stealth Guided Missile Frigate Joins the Indian Navy

सुरक्षा और विकास के लिए प्रतिबद्धता (SAGAR)

राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण ‘SAGAR’ (Security and Growth for All in the Region) का उल्लेख करते हुए इसे भारत की समुद्री नीति की रीढ़ बताया। उन्होंने कहा, “SAGAR भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो सामूहिक सुरक्षा, समुद्री सहयोग और सतत विकास को बढ़ावा देता है। इस प्रयास में हमें हमेशा रूस का समर्थन मिला है।”

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हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना की भूमिका

राजनाथ सिंह ने बताया कि भारतीय नौसेना ने हमेशा हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में शांति और स्थिरता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, “हमारी नौसेना ने विभिन्न समुद्री मार्गों पर समुद्री डकैती, हथियार और नशीले पदार्थों की तस्करी, और गैर-राज्यीय गतिविधियों को विफल किया है।”

रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय नौसेना क्षेत्र के मित्र देशों को मानवीय सहायता और आपदा राहत प्रदान करने में हमेशा आगे रही है।

INS Tushil: New Multi-Role Stealth Guided Missile Frigate Joins the Indian Navy

आईएनएस तुशील की खासियतें

आईएनएस तुशील, क्रिवाक III क्लास का अपग्रेडेड फ्रिगेट है। यह नौसैनिक युद्ध के चारों आयामों – वायु, सतह, पानी के नीचे और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम में कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

एडवाांस वेपन सिस्टम

  • ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें: भारत-रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित।
  • सतह से हवा में मार करने वाली श्तिल मिसाइलें
  • एंटी-सबमरीन टॉरपीडो और रॉकेट्स
  • इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और संचार की उन्नत प्रणाली

हेलीकॉप्टर क्षमता

यह जहाज कामोव 28 एंटी-सबमरीन हेलीकॉप्टर और कामोव 31 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग हेलीकॉप्टर को ले जाने में सक्षम है, जो इसकी ताकत को और बढ़ाते हैं।

स्पीड और स्टील्थ तकनीक

  • जहाज 30 नॉट्स से अधिक गति प्राप्त करने में सक्षम है।
  • उन्नत स्टील्थ विशेषताएं इसे दुश्मनों से छिपने में मदद करती हैं।

यह जहाज अत्याधुनिक गैस टरबाइन प्रणोदन प्रणाली से लैस है, जो उच्च स्तर की स्वचालन क्षमता प्रदान करती है।

निर्माण और परीक्षण

  • कील बिछाई गई: 12 जुलाई, 2013
  • लॉन्च: अक्टूबर 2021
  • पहला समुद्री परीक्षण: 25 जनवरी, 2024
  • सभी परीक्षण पूरे: सितंबर 2024

यह जहाज सभी रूसी हथियार प्रणालियों के परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा कर चुका है और युद्ध-तैयार स्थिति में जल्द ही भारत पहुंचेगा।

INS Tushil: New Multi-Role Stealth Guided Missile Frigate Joins the Indian Navy

इस कार्यक्रम में रूसी रक्षा उपमंत्री अलेक्जेंडर वासिलयेविच फोमिन, कैलिनिनग्राद के गवर्नर एलेक्सी बेजप्रोज़्वान्याख, रूसी नौसेना के कमांडर-इन-चीफ एडमिरल अलेक्जेंडर मोइसेव, और भारत के रूस में राजदूत विनय कुमार सहित कई विशिष्ट अतिथि मौजूद थे।

मजबूत होंगे भारत-रूस रिश्ते

रक्षा मंत्री ने भारत-रूस के सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का आह्वान करते हुए कहा कि दोनों देश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष अनुसंधान, और आतंकवाद विरोधी अभियान जैसे क्षेत्रों में मिलकर काम करेंगे।

INNOYODHA 2024: भारतीय सेना के टेक्नोलॉजी इवेंट में अग्निवीर ने गाड़े झंडे! आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हथियार बनाने में निभाई अहम भूमिका

INNOYODHA 2024: भारतीय सेना ने हाल ही में नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में ‘इननो-योद्धा’ कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें सेना के जवानों की तरफ से तैयार किए गए 75 नए इनोवेशंस पेश किए गए थे। इन कार्यक्रम का उद्देश्य मॉर्डन वारफेयर की चुनौतियों का सामना करना और भारतीय सेना को और अधिक मजबूत बनाना है।

INNOYODHA 2024: Agniveers Make Mark at Indian Army's Technology Event, Play Key Role in Developing AI-Enabled Weapon Systems

इस कार्यक्रम का आयोजन सेना डिजाइन ब्यूरो ने किया था, जो भविष्य की युद्ध नीति के लिए टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट पर जोर देती है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इस पहल के बारे में बात करते हुए कहा, “हाल के युद्धों ने यह सिद्ध कर दिया है कि इनोवेशन केवल एक शब्द नहीं है, यह एक मानसिकता है। यह वह चिंगारी है जो प्रगति को प्रेरित करती है और भविष्य को आकार देती है।”

इस आयोजन में कुल 75 इनोवेशन दिखाए गए थे, जिनमें से 22 को सम्मानित किया गया। इन इनोवेशंस में ड्रोन से लेकर साइबर रक्षा उपकरण तक शामिल थे। इन परियोजनाओं को ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत आगे और विकसित किया जाएगा और फिर बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए निजी उद्योग को सौंपा जाएगा।

INNOYODHA 2024: अग्निवीर ने बनाया AI प्रोजेक्ट

इस आयोजन में खास बात यह थी कि इसमें अग्निवीर गारे प्रतीक (Gare Pratik) ने बी अपना प्रोजेक्ट पेश किया था। वे पहले बैच के अग्निवीरों में से एक हैं। उन्होंने सेना के उत्तरी कमांड के तहत विकसित किए गए Ten AI-Enabled Weapon System (TAIWS) में अहम भूमिका निभाई। गारे प्रतीक ने अनुभवी अधिकारियों के साथ मिलकर इस सिस्टम के AI एल्गोरिदम को बेहतर बनाने और यूजर इंटरफेस को डिज़ाइन करने में मदद की।

गारे प्रतीक ने कहा, “इस तरह के इनोवेशन का हिस्सा बनना मेरे जीवन का महत्वपूर्ण अनुभव रहा है। इसने मुझे यह दिखाया कि कैसे तकनीक और टीमवर्क हमारे राष्ट्रीय रक्षा दृष्टिकोण को नया रूप दे सकते हैं।”

TAIWS एक अत्याधुनिक प्रणाली है, जो AI आधारित निर्णय लेने और मल्टी-सेंसर फ्यूजन का उपयोग करती है, जिससे युद्ध के मैदान में स्थिति की समझ और ऑपरेशनल प्रभावशीलता को बढ़ावा मिलता है। लेफ्टिनेंट कर्नल प्रशांत अग्रवाल ने इसे कम दृश्यता वाले इलाकों के लिए एक गेम-चेंजर बताया। उन्होंने कहा, “प्रयोगों, मजबूतकरण और उचित प्रक्रिया के बाद इस बिना चालक वाले हथियार को सेना में शामिल किया जा सकता है।”

INNOYODHA 2024 की सफलता और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम

इननो-योद्धा कार्यक्रम में कुछ इनोवेशंस को भी सम्मानित किया गया, जिनमें ‘एक्सप्लोडर’, ‘अग्निास्त्र’ और ‘विद्युत रक्षक’ जैसी परियोजनाएं शामिल हैं, जो अब निजी उद्योग को सौंप दी गई हैं। इस पहल के चार वर्षों में 26 बौद्धिक संपदा अधिकार (IPRs) भारतीय सेना को मिले हैं, जो भारतीय सेना के आत्मनिर्भर बनने के प्रयासों को मजबूत करते हैं।

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, “इन इनोवेशन ने हमें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम उठाने में मदद की है। हमें विश्वास है कि यह प्रयास भविष्य में हमारी रक्षा क्षमता को और बेहतर बनाएगा।”

INNOYODHA 2024 के आयोजन से साबित होता है कि भारतीय सेना समय के साथ तकनीकी इनोवेशंस और आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दे रही है। लैंड वारफेयर में आने वाली नई चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए इनोवेशन की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा महसूस हो रही है। विशेषकर साइबर सुरक्षा, ड्रोन तकनीकी और आर्टिफिशियल इटेंलिजेंस जैसे क्षेत्रों में विकास की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए जा रहे हैं।

इन तकनीकी नवाचारों से न केवल भारतीय सेना की लड़ाई की क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि इससे भारतीय रक्षा क्षेत्र को भी वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान मिलेगी। ‘इननो-योद्धा’ जैसी पहल भारत को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में और भी मजबूत करेगी, और यह साबित करेगा कि भारतीय सेना को केवल ताकतवर लड़ाकू बल ही नहीं, बल्कि तकनीकी दृष्टिकोण से भी दुनिया में सबसे अग्रणी माना जाएगा।

OROP Supreme Court: सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- इन रिटायर्ड कर्मियों को OROP के तहत नहीं मिलेगी बढ़ी हुई पेंशन!

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OROP Supreme Court: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने भारतीय सेना के रिटायर नियमित कैप्टन (Captains) के लिए वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना के तहत पेंशन में 10 प्रतिशत की वृद्धि की सिफारिशों को स्वीकार नहीं करने का फैसला लिया है। सरकार का यह फैसला तब सामने आया जब गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा था।

OROP Supreme Court: Government Declines Pension Hike for Retired Captains, Informs Apex Court

इस मामले में सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि सरकार ने पेंशन में बढ़ोतरी की सिफारिशों को नहीं स्वीकार किया है। सुप्रीम कोर्ट में यह मामला भारतीय सेना के रिटायर कप्तानों की पेंशन को लेकर आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल (AFT) के एक आदेश के खिलाफ दाखिल की गई अपील पर सुनवाई के दौरान लाया गया था।

AFT ने 7 दिसंबर 2021 को सरकार को निर्देश दिया था कि वह रिटायर नियमित कप्तानों को मिलने वाली पेंशन पर एक फैसला ले। इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने इस सिफारिश को मंजूरी नहीं दी है।

OROP Supreme Court: क्या था मामला?

सुप्रीम कोर्ट में जब सरकार की ओर से जवाब दिया गया, तो अदालत ने रिटायर सेना कप्तानों के वकीलों से कहा कि यदि वे सरकार के इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं, तो वे इस फैसले को चुनौती दे सकते हैं, क्योंकि इस प्रकार के मामलों में समय की बहुत अहमियत होती है। इसके बाद वकीलों ने कुछ समय लेने की अनुमति मांगी, जिस पर अदालत ने 12 दिसंबर 2024 को मामले की अगली सुनवाई के लिए तारीख तय की।

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले में कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने केंद्र को यह कहते हुए आलोचना की थी कि पिछले कई सालों से रिटायर कप्तानों की पेंशन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया था। कोर्ट ने केंद्र पर 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

OROP योजना और विवाद की जड़ें

इस विवाद की जड़ वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना से जुड़ी है, जिसे केंद्र सरकार ने 2015 में लागू किया था। OROP योजना के तहत, जिन सैनिकों की सेवानिवृत्ति पहले हो चुकी है, उनकी पेंशन को वर्तमान सेवानिवृत्त सैनिकों के समान देने की बात कही गई थी।

लेकिन इस योजना के लागू होने के बाद कुछ विसंगतियां सामने आईं, खासकर सेना के कप्तान और मेजर रैंक के अफसरों की पेंशन में। पेंशन टेबल में सही डेटा की कमी के कारण यह विसंगतियां आईं। केंद्र सरकार ने इन विसंगतियों को सुलझाने के लिए एक न्यायिक समिति का गठन किया था।

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि कोच्चि स्थित AFT की पीठ ने 6 विसंगतियों की पहचान की थी, जिन्हें सही किया जाना था, लेकिन अभी तक सरकार ने इस पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया था।

अदालत ने कहा था कि फैसला लिया जाए

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि वह रिटायर कप्तानों के मामले में जल्द से जल्द फैसला ले। कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर कोई फैसला नहीं लिया गया तो वह 10 फीसदी की पेंशन वृद्धि को लागू करने का आदेश दे देगा।

अदालत ने केंद्र को आखिरी मौका दिया था कि वह इस मामले में आवश्यक सुधार कर ले। इसके बाद भी अगर सरकार कोई फैसला नहीं करती, तो अदालत खुद से पेंशन वृद्धि का आदेश दे सकती है।

सेना और सरकार के बीच बढ़ती बहस

इस मामले में विवाद का मुख्य कारण यह है कि रिटायर कप्तानों की पेंशन बढ़ाने की सिफारिशें पिछले कुछ समय से लंबित पड़ी हुई थीं। इस मुद्दे पर सेना के अधिकारी और रिटायर सैनिक लगातार सरकार से न्याय की उम्मीद लगाए हुए थे। उन्हें उम्मीद थी कि सरकार OROP योजना के तहत उनके हक को मान्यता देगी और उन्हें वित्तीय फायदे देगी।

अब यह देखना होगा कि केंद्र सरकार इस निर्णय को क्यों वापस लेती है और क्या अदालत इस फैसले को चुनौती देने का कोई रास्ता खोलती है। सेना के रिटायर कप्तान अपनी पेंशन में वृद्धि की उम्मीद लगाए हुए हैं, और यदि सरकार द्वारा किए गए फैसले को अदालत चुनौती देती है, तो यह मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ आ सकता है।

Nyoma Airbase: पूर्वी लद्दाख में चीन से सटे इस एडवांस लैंडिंग ग्राउंड से जल्द उड़ान भरेंगे फाइटर जेट, पहली टेस्ट फ्लाइट की हो रही तैयारी

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Nyoma Airbase: लद्दाख के पूर्वी क्षेत्र में स्थित न्योमा एयरबेस इस महीने अपनी पहली आधिकारिक परीक्षण उड़ान भरने के लिए तैयार है। यह एयरबेस वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास चीनी सीमा से 31 किमी पहले स्थित है और इसे भारतीय वायु सेना (IAF) के लड़ाकू विमानों और परिवहन विमानों के ऑपरेशंस के लिए तैयार किया गया है।

Nyoma Airbase: Fighter Jets to Take Off from This Advanced Landing Ground in Eastern Ladakh Near China, First Test Flight Preparations Underway

न्योमा एयरबेस की स्थिति समुद्र तल से 13,000 फीट की ऊंचाई पर है, और यहां के उन्नत ढांचे में हाल ही में कई सुधार किए गए हैं ताकि यह अत्याधुनिक विमान संचालन के लिए तैयार हो सके। खासकर भारत की उत्तरी सीमा पर मौजूद यह एयरबेस भारतीय वायु सेना के लिए एक रणनीतिक महत्व रखता है। एक बार यह एयरबेस पूरी तरह से चालू हो जाने के बाद, यह दुनिया के सबसे ऊंचाई वाले एयरबेस में से एक बन जाएगा, जो सुखोई Su-30 MKI और राफेल जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों के साथ-साथ C-130J सुपर हरक्यूलिस जैसे भारी-भरकम परिवहन विमानों को भी संभालने में सक्षम होगा।

परीक्षण उड़ान का महत्व

न्योमा एयरबेस की परीक्षण उड़ान भारतीय वायु सेना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। यह परीक्षण एयरबेस की तैयारियों का आकलन करेगा, जिसमें नई बनाई गई रनवे, उन्नत नेविगेशन प्रणाली और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की जांच की जाएगी। इस विकास को LAC के आस-पास बढ़ते तनाव के संदर्भ में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। यह एयरबेस वायु सेना को क्षेत्र में तेजी से तैनाती और समर्थन प्रदान करने में मदद करेगा, जिससे इसे एक महत्वपूर्ण सामरिक लाभ मिलेगा।

न्योमा एयरबेस ने पहले ही सीमा क्षेत्रों में आपूर्ति और कर्मियों को एयरलिफ्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और इसके उन्नयन से भारत की सीमा सुरक्षा को और अधिक मजबूती मिलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस परीक्षण उड़ान के बाद, यह एयरबेस भारतीय रक्षा बलों के लिए एक महत्वपूर्ण ठिकाना बन जाएगा।

बनाया 3 किलोमीटर लंबा रनवे

न्योमा एयरबेस में 3 किलोमीटर लंबे रनवे का निर्माण किया गया है, जिसे आपातकालीन संचालन के लिए डिजाइन किया गया है। यह एयरबेस LAC के नजदीक स्थित सबसे करीबी एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (ALG) है, और किसी भी आपातकालीन हालात में इसे तुरंत एक्टिव किया जा सकता है। यहां से भारतीय वायु सेना को दुर्गम पहाड़ी इलाकों में स्थित सीमा क्षेत्रों तक सीधा पहुंचने का मौका मिलेगा, जहां पारंपरिक सड़क परिवहन अक्सर चुनौतीपूर्ण होता है।

वहीं हाल में चीन के साथ हुए डिसइंगेजमेंट और पेट्रोलिंग समझौते के बाद न्योमा एयरबेस की महत्ता और भी बढ़ गई है, जिनमें भारत और चीन के बीच डेमचोक और देपसांग प्लेन्स में सैनिकों के पीछे हटने का फैसला लिया गया था। इन समझौतों के बाद विवादित जगहों पर गश्त फिर से शुरू हो गई है।

इंफ्रास्ट्रक्चर में विकास और सीमा सुरक्षा

भारत सरकार द्वारा सीमा क्षेत्रों में तेजी से किए जा रहे बुनियादी ढांचे के विकास को राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता के रूप में देखा जा सकता है। विशेष रूप से लद्दाख जैसे संवेदनशील क्षेत्र में सड़कें, सुरंगें और पुलों का निर्माण इस क्षेत्र में रणनीतिक प्रतिक्रिया क्षमता और रसद समर्थन को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है।

न्योमा एयरबेस के विकास को एक व्यापक रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है, जिसका उद्देश्य भारत की उत्तरी सीमाओं पर रक्षा क्षमताओं को मजबूत करना है। इस एयरबेस के पास उच्च तकनीकी विमान और भारी-भरकम परिवहन विमानों को संभालने की क्षमता होगी, जो वायु सेना की संचालन लचीलापन और प्रतिक्रिया समय में सुधार करेगा। LAC पर बढ़ते तनाव और किसी भी स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया की आवश्यकता को देखते हुए, यह विकास भारतीय रक्षा प्रणाली को और अधिक सक्षम बनाएगा।

न्योमा एयरबेस का क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में योगदान

न्योमा एयरबेस का महत्व केवल सैन्य दृष्टिकोण से नहीं बल्कि क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और रसद समर्थन में भी है। यह एयरबेस न केवल सीमा सुरक्षा को बढ़ावा देगा, बल्कि यह लद्दाख जैसे दूरदराज के क्षेत्रों में नागरिकों के लिए भी महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। एयरबेस का उन्नयन क्षेत्र में आपातकालीन सेवाओं के लिए एक नया आयाम पेश करेगा, और यह क्षेत्रीय विकास के लिए भी अहम साबित होगा।

न्योमा एयरबेस का परीक्षण उड़ान भारतीय वायु सेना और भारत की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय सेना की बढ़ती क्षमताओं और सीमाओं की रक्षा के लिए एक मजबूत संदेश भी है। इस एयरबेस का निर्माण और विकास भारत की रक्षा सुरक्षा के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करेगा, जिससे देश अपनी सीमाओं पर कहीं से भी प्रभावी तरीके से प्रतिक्रिया दे सकेगा।

World Masters Racketlon: भारतीय सेना के ब्रिगेडियर नवनीत नारायण ने वर्ल्ड मास्टर्स रैकेटलॉन में किया देश का नाम रोशन

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World Masters Racketlon: भारतीय सेना के अधिकारी ब्रिगेडियर नवनीत नारायण ने वर्ल्ड मास्टर्स रैकेटलॉन टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन किया है। यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट मुंबई के विलिंगडन स्पोर्ट्स क्लब में आयोजित हुआ था, जहां उन्होंने सिंगल्स और डबल्स दोनों श्रेणियों में उपविजेता का स्थान हासिल किया।

World Masters Racketlon: Brigadier Navneet Narain of Indian Army Brings Glory to India with Stellar Performance

दिल्ली में सेना मुख्यालय में तैनात ब्रिगेडियर नवनीत नारायण ने अपनी प्रतिभा, दृढ़ संकल्प और मेहनत से यह उपलब्धि हासिल की है। उनके इस उत्कृष्ट प्रदर्शन ने न केवल सेना बल्कि पूरे देश को गर्व से भर दिया है।

क्या है World Masters Racketlon और इसकी विशेषता?

वर्ल्ड मास्टर्स रैकेटलॉन को रैकेट खेलों का “आयरनमैन” भी कहा जाता है। इसमें चार अलग-अलग रैकेट खेल शामिल होते हैं – टेबल टेनिस, बैडमिंटन, स्क्वैश और लॉन टेनिस। इस टूर्नामेंट में खिलाड़ी की हर खेल में क्षमता और कौशल का परीक्षण होता है।

ब्रिगेडियर नारायण ने इस चुनौतीपूर्ण प्रतियोगिता में भाग लेकर यह साबित कर दिया कि भारतीय खिलाड़ी किसी भी खेल में विश्व स्तर पर अपनी जगह बना सकते हैं।

खेलों में ब्रिगेडियर नवनीत नारायण का सफर

ब्रिगेडियर नवनीत नारायण का खेलों में सफर प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत स्क्वैश से की थी और 2000 में एशियन स्क्वैश चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। अपने स्क्वैश के अनुभव और कौशल को उन्होंने रैकेटलॉन में भी बेहतरीन तरीके से लागू किया।

अक्टूबर 2024 में, उन्होंने मुंबई में आयोजित ऑल इंडिया रैकेटलॉन चैंपियनशिप में ओवर-50 सिंगल्स और डबल्स श्रेणियों में खिताब जीता था। यह उनकी कड़ी मेहनत और खेल के प्रति समर्पण का प्रमाण है।

World Masters Racketlon: Brigadier Navneet Narain of Indian Army Brings Glory to India with Stellar Performance

उनकी यह उपलब्धि इस बात का सबूत है कि उन्होंने हर कदम पर अपने खेल को बेहतर बनाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने के लिए मेहनत की है।

ब्रिगेडियर नारायण ने सेना में अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए खेलों में अपनी पहचान बनाई है। सेना में रहकर अनुशासन और फिटनेस के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें खेलों में भी उत्कृष्ट बनने में मदद की।

उनके इस सफर के बारे में एक अधिकारी ने कहा, “ब्रिगेडियर नवनीत नारायण ने यह साबित किया है कि मेहनत और लगन से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उनकी इस उपलब्धि ने भारतीय सेना को भी गर्व महसूस कराया है।”

भारत के लिए गर्व का क्षण

वर्ल्ड मास्टर्स रैकेटलॉन जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट में भारतीय खिलाड़ी का उपविजेता बनना देश के लिए गर्व की बात है। ब्रिगेडियर नारायण ने दिखा दिया कि भारतीय खिलाड़ी न केवल किसी एक खेल में बल्कि बहु-खेलों में भी अपना दबदबा बना सकते हैं।

उनकी इस उपलब्धि पर सेना के वरिष्ठ अधिकारियों और खेल प्रेमियों ने उन्हें बधाई दी है। यह जीत युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा देने के साथ-साथ खेलों में भारत की बढ़ती पहचान का प्रतीक है।

ब्रिगेडियर नवनीत नारायण की यह सफलता न केवल उनके लिए बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा है जो खेलों में अपना भविष्य देख रहे हैं। यह दिखाता है कि उम्र केवल एक संख्या है और यदि आप अपने सपनों के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, तो हर लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

उनकी यह उपलब्धि भारत में रैकेटलॉन जैसे बहु-खेलों को भी बढ़ावा देगी और युवा खिलाड़ियों को इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिए प्रेरित करेगी।

ब्रिगेडियर नारायण के लिए बधाई संदेश

ब्रिगेडियर नारायण के शानदार प्रदर्शन पर पूरे देश से बधाई संदेश आ रहे हैं। उनकी इस सफलता ने भारतीय सेना और देश के खिलाड़ियों की काबिलियत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर साबित किया है।

उनकी यह उपलब्धि भारतीय सेना के आदर्शों, अनुशासन और खेलों के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक है। भारतीय सेना ने हमेशा अपने जवानों को खेलों में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया है, और ब्रिगेडियर नारायण इसकी जीवंत मिसाल हैं।