Light Weight Modular Missile System: भारतीय सेना की एयर डिफेंस क्षमता को एक नई ताकत मिली है। रक्षा मंत्रालय की देखरेख में भारतीय सेना के कॉर्प्स ऑफ आर्मी एयर डिफेंस ने ब्रिटेन की कंपनी थेल्स के साथ एक अहम समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत सेना लाइट वेट मॉड्यूलर मिसाइल सिस्टम (एलएमएम) की खरीद करेगी।
यह मिसाइल सिस्टम अपने नाम की तरह ही हल्का, पोर्टेबल और बेहद घातक है। इसे सैनिक अपने कंधे पर ले जाकर किसी भी इलाके में तैनात कर सकते हैं, चाहे वह रेगिस्तान हो, जंगल या ऊंचाई वाला दुर्गम इलाका। यह सौदा 15 अक्टूबर 2025 को हुआ है और इसे भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के बाद की सबसे अहम डिफेंस डील माना जा रहा है।
Light Weight Modular Missile System
रक्षा सूत्रों के अनुसार, एलएमएम मिसाइल सिस्टम को विशेष रूप से ड्रोन और यूएवी जैसे आधुनिक हवाई खतरों को नष्ट करने के लिए खरीदा गया है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की ओर से ड्रोन के जरिए की गई जासूसी और वेपन सप्लाई की कोशिशों के बाद भारतीय सेना को यह अहसास हुआ कि आने वाले युद्धों में ड्रोन युद्ध का सबसे अहम हिस्सा होंगे। इसी को देखते हुए सेना ने थेल्स की इस नई पीढ़ी की मिसाइल को अपने बेड़े में शामिल करने का फैसला लिया।
यह मिसाइल सिस्टम लेजर बीम राइडिंग तकनीक पर काम करता है। यानी मिसाइल सीधे अपने टारगेट की दिशा में चलने वाली लेजर बीम पर सवार होकर लक्ष्य तक पहुंचती है। यह तकनीक आधुनिक एंटी-जैमिंग और एंटी-इवेजन क्षमता से लैस है, जिससे दुश्मन के ड्रोन या एयरक्राफ्ट्स को बच निकलने का मौका नहीं मिलता।

इसकी खासियत यह है कि यह मिसाइल सभी मौसमों में काम कर सकती है चाहे बारिश हो, धुंध हो या ऊंचाई वाले इलाकों में तेज हवाएं चल रही हों। यह मिसाइल 6 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर निशाना साध सकती है और इसका सिंगल शॉट किल प्रॉबेबिलिटी बहुत ऊंचा है। इसमें लगा प्रॉक्सिमिटी फ्यूज और हाई एक्सप्लोसिव वॉरहेड इसे और ज्यादा घातक बनाता है।
भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “यह मिसाइल सिस्टम ऑपरेशन सिंदूर के बाद हमारी जरूरतों के अनुसार तैयार किया गया है। पाकिस्तान और चीन की सीमाओं पर बढ़ते ड्रोन खतरों को देखते हुए इस सिस्टम से सेना की फ्रंट लाइन के जवान तुरंत जवाब दे सकेंगे।
इस मिसाइल की एक और खास बात यह है कि इसे मल्टीप्लेटफॉर्म लॉन्चिंग सिस्टम के साथ जोड़ा जा सकता है। यानी इसे ट्रक, हेलीकॉप्टर, नेवल शिप या स्टैंडअलोन लॉन्चर से भी दागा जा सकता है। यह सेना को किसी भी प्रकार के ऑपरेशन चाहे वह बॉर्डर पेट्रोलिंग हो या हाई-एल्टीट्यूड एयर डिफेंस में लचीलापन प्रदान करता है।
रक्षा मंत्रालय ने इस डील को भारतीय सेना के आधुनिकीकरण कार्यक्रम के तहत एक रणनीतिक उपलब्धि बताया है। मंत्रालय के अनुसार, यह खरीद न केवल सेना की क्षमता बढ़ाएगी बल्कि भारत की रक्षा साझेदारी को भी मज़बूत करेगी। थेल्स कंपनी पहले भी भारतीय रक्षा क्षेत्र में सक्रिय रही है और रडार, कम्युनिकेशन सिस्टम और मिसाइल टेक्नोलॉजी में भारत को सहयोग दे चुकी है।
इस मिसाइल की तैनाती के बाद भारतीय सेना की एयर डिफेंस सिस्टम को नई धार मिलेगी। यह सिस्टम दुश्मन के हेलीकॉप्टर, फाइटर जेट्स, ड्रोन, और यूसीएवी (अनमैनड कॉम्बैट एरियल व्हीकल्स) को बेहद कम समय में नष्ट कर सकता है। इसके लो इंफ्रांरेड सिग्नेचर टारगेट्स पर भी असरदार होने के चलते यह उन एरियल टारगेट्स को भी पहचान लेता है जिन्हें पारंपरिक रडार पकड़ नहीं पाते।
जानकारों के मुताबिक, यह मिसाइल भारतीय वायु सेना के आकाश और क्यूआर-सैम (क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल) सिस्टम के साथ तालमेल में काम करेगी। जहां आकाश और क्यूआर-सैम बड़े हवाई खतरों से निपटने में उपयोगी हैं, वहीं एलएमएम मिसाइल छोटी दूरी टारगेट्स जैसे छोटे ड्रोन या लो-फ्लाइंग एयरक्राफ्ट्स के खिलाफ बेहद प्रभावी होगी।
मिसाइल सिस्टम के हल्के वजन के कारण इसे हाई-अल्टीट्यूड एरिया में तैनात करना बेहद आसान है। लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश जैसे इलाकों में जहां वायु दाब कम होता है और भारी हथियारों की तैनाती मुश्किल होती है, वहां एलएमएम अपनी पूरी क्षमता से काम करेगा।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस मिसाइल सिस्टम के आने से भारतीय सेना की एंटी-ड्रोन आपरेशंस और टैक्टिकल एयर डिफेंस क्षमता में भारी सुधार होगा। हाल के वर्षों में पाकिस्तान और चीन ने सीमाओं पर बार-बार ड्रोन गतिविधियां बढ़ाई हैं, चाहे वह जासूसी के लिए हों या हथियार और नशे की तस्करी के लिए। ऐसे में यह सिस्टम इन चुनौतियों से आसानी से निपट सकेगा।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद भारतीय सेना के कई एयर डिफेंस फॉर्मेशन को इस सिस्टम से लैस किया जाएगा। इससे फ्रंटलाइन यूनिट्स को तुरंत प्रतिक्रिया देने और दुश्मन की हवाई गतिविधियों को रोकने में बढ़त मिलेगी।
इस सौदे को “ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना का सबसे निर्णायक रक्षा अपग्रेड” कहा जा रहा है। जहां ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की हवाई और ग्राउंड क्षमताओं पर भारी चोट पहुंचाई थी, वहीं एलएमएम सिस्टम यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में कोई भी हवाई खतरा भारत की सीमा पार न कर सके।