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Rajnath Singh UN Conclave: संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन सम्मेलन में बोले रक्षा मंत्री- भारत के लिए शांति स्थापना ‘आस्था का विषय’

राजनाथ सिंह ने कहा “गांधीजी के लिए शांति का अर्थ केवल युद्ध से दूर रहना नहीं था, बल्कि न्याय, करुणा और नैतिक शक्ति का प्रतीक था। भारत ने स्वतंत्रता के बाद से ही संयुक्त राष्ट्र के मिशनों में अपना योगदान जारी रखा है।”

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📍नई दिल्ली | 14 Oct, 2025, 12:05 PM

Rajnath Singh UN Conclave: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में आयोजित संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन देशों के प्रमुखों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत हमेशा अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के पक्ष में खड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए शांति स्थापना कोई विकल्प नहीं बल्कि एक आस्था है।

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रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में कहा, “कुछ देश आज खुले तौर पर अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं और कुछ अपनी सुविधा के अनुसार नए नियम बनाकर आने वाली सदी पर प्रभुत्व जमाना चाहते हैं। भारत इन सबके बीच हमेशा नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था का समर्थन करता रहा है। हमारे लिए यह केवल बातों का मुद्दा नहीं है, बल्कि हम इसे कर्म से सिद्ध करते हैं।”

Rajnath Singh UN Conclave: भारत वादों को कर्म के साथ जोड़ने वाला देश

राजनाथ सिंह ने कहा कि हजारों भारतीय सैनिक संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले शांति मिशनों में काम कर रहे हैं। उन्होंने इसे भारत की नीति का प्रतीक बताते हुए कहा, “भारत वादों को कर्म के साथ जोड़ने वाला देश है।”

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की विचारधारा भारत की शांति नीति की नींव है। “गांधीजी के लिए शांति का अर्थ केवल युद्ध से दूर रहना नहीं था, बल्कि न्याय, करुणा और नैतिक शक्ति का प्रतीक था। भारत ने स्वतंत्रता के बाद से ही संयुक्त राष्ट्र के मिशनों में अपना योगदान जारी रखा है।”

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रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि भारत ने अब तक संयुक्त राष्ट्र के 71 मिशनों में से 51 मिशनों में भाग लिया है और वर्तमान में 9 में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। भारत ने अब तक 3 लाख से अधिक सैनिकों और अधिकारियों को विभिन्न शांति अभियानों में भेजा है।

Rajnath Singh UN Conclave: शांति मिशनों की चुनौतियों पर चिंता

राजनाथ सिंह ने कहा कि शांति मिशनों के सामने आज अभूतपूर्व चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा, “कई मिशन देर से तैनाती, अपर्याप्त संसाधन और सीमित जनादेश के कारण प्रभावित हो रहे हैं। जब तक हम संघर्षों के आर्थिक और सामाजिक कारणों को नहीं समझेंगे, तब तक समाधान अस्थायी ही रहेगा।”

उन्होंने कहा कि आधुनिक शांति मिशन केवल युद्धविराम की निगरानी तक सीमित नहीं हैं। अब इनका स्वरूप मल्टी-डायमेंशनल हो गया है, जिनमें संघर्षग्रस्त समाजों को स्थायी शांति की ओर ले जाना भी शामिल है।

टेक्नोलॉजी और सहयोग की भूमिका

रक्षा मंत्री ने कहा कि भविष्य के शांति अभियानों में नई तकनीक, इनोवेशन और सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने कहा, “भारत ने कम लागत वाली स्वदेशी तकनीक विकसित की है जो शांति अभियानों की प्रभावशीलता को बढ़ाती है। इनमें लैंड मोबिलिटी प्लेटफॉर्म, सिक्योर कम्युनिकेशन सिस्टम, सर्विलांस उपकरण, यूएवी और मेडिकल सपोर्ट सिस्टम शामिल हैं।”

उन्होंने कहा कि भारत का संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना प्रशिक्षण केंद्र अब तक 90 से अधिक देशों के प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दे चुका है। यह केंद्र संघर्ष की स्थितियों में बातचीत, मानवीय संचालन और नागरिक सुरक्षा के लिए प्रशिक्षण देता है।

महिलाओं की भागीदारी को बताया प्रेरणादायक

राजनाथ सिंह ने कहा कि शांति अभियानों में महिलाओं की भागीदारी ने मिशनों की प्रभावशीलता और मानवीय जुड़ाव को और मजबूत किया है। उन्होंने याद किया कि 2007 में भारत ने लाइबेरिया में संयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत पहली पूर्ण महिला पुलिस यूनिट तैनात की थी, जो पूरे विश्व के लिए प्रेरणा बनी।

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उन्होंने कहा, “भारतीय महिला अधिकारी आज दक्षिण सूडान, गोलन हाइट्स और लेबनान जैसे मिशनों में गश्त कर रही हैं, स्थानीय महिलाओं के साथ काम कर रही हैं और उन्हें सशक्त बना रही हैं। उनकी सहानुभूति और समर्पण आधुनिक शांति अभियानों का असली चेहरा हैं।”

रक्षा मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि 2024 में एक भारतीय महिला शांति सैनिक को संयुक्त राष्ट्र मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया गया था।

दिया फोर सी का मंत्र

अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने कहा कि भविष्य के शांति अभियानों के लिए चार सी बेहद जरूरी हैं- कंसल्टेशन (परामर्श), कॉपरेशन (सहयोग), कॉर्डिनेशन (समन्वय) और कैपेसिटी बिल्डिंग (क्षमता निर्माण)। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन देशों को अपने अनुभव साझा करने और शांति मिशनों की कार्यक्षमता बढ़ाने का मंच प्रदान करता है।

उन्होंने सभी देशों से आग्रह किया कि जिनके पास उन्नत तकनीक और वित्तीय संसाधन हैं, वे शांति अभियानों में सहयोग बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि ट्रूप कंट्रीब्यूटिंग नेशंस को मिशन की नीतियों के निर्धारण में ज्यादा भागीदारी मिले।

भारत का वैश्विक शांति के प्रति स्थायी संकल्प

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का संकल्प हमेशा से वैश्विक शांति के प्रति दृढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “भारत विश्व गुरु बनने की आकांक्षा रखता है, लेकिन यह प्रभुत्व का नहीं बल्कि सहयोग और समरसता का संदेश है।”

उन्होंने कहा कि भारत अपनी अहिंसा और अंतरात्मा की शांति की परंपरा को साझा करते हुए शांति अभियानों को और मानवीय बनाना चाहता है।

Rajnath Singh UN Conclave: अंत में दिया विश्व शांति का संदेश

अपने संबोधन के अंत में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्राचीन भारतीय ऋषियों की प्रार्थना ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ का उल्लेख करते हुए कहा, “यह प्रार्थना केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए है। सभी सुखी रहें, स्वस्थ रहें, दुख से मुक्त रहें और सबका कल्याण हो।” उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन देशों के बीच गहरा सहयोग और वैश्विक शांति के नए युग की दिशा में एक और कदम साबित होगा।

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