📍नई दिल्ली | 9 Oct, 2025, 1:44 PM
Australia-India Defence Ministers: भारत और ऑस्ट्रेलिया ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को नए स्तर पर ले जाने के मकसद से गुरुवार को ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में अपना पहला ‘आस्ट्रेलिया-इंडिया डिफेंस मिनिस्टर्स’ डायलॉग का आयोजन किया। इस दौरान दोनों देशों के बीच तीन महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इनमें इनफॉरमेशन शेयरिंग, सबमरीन रेस्क्यू और संयुक्त स्टाफ स्तर की वार्ता की शुरुआत से जुड़े समझौते शामिल हैं।
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इन दिनों दो दिवसीय दौरे पर ऑस्ट्रेलिया में हैं। उन्होंने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष रिचर्ड मार्ल्स के साथ द्विपक्षीय रक्षा संबंधों और समान विचारधारा वाले देशों के साथ साझेदारी को और मजबूत करने पर विस्तृत चर्चा की। यह वार्ता 2020 में दोनों देशों (Australia-India Defence Ministers) के बीच कॉम्प्रीहेंसिव स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप के दर्जे को बढ़ाए जाने के बाद हो रही चार उच्चस्तरीय बैठकों के बाद आयोजित की गई, जिसे दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग में “अभूतपूर्व प्रगति” के तौर पर देखा जा रहा है।
Australia-India Defence Ministers
वार्ता के दौरान भारत ने ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के जहाजों को भारतीय शिपयार्ड में तैनाती के दौरान मेंटेनेंस, रिपेयर एंड ओवरहॉल (ऍम्आर्ओ) सर्विसेज देने का प्रस्ताव रखा। दोनों रक्षा मंत्रियों ने हर साल रक्षा मंत्रियों की वार्ता आयोजित करने पर सहमति जताई, जिससे द्विपक्षीय सिक्योरिटी स्ट्रक्चर को और विस्तार दिया जा सके और आपसी परामर्श तथा सहयोग को बढ़ाया जा सके।
कैनबरा में हुई इस बैठक में दोनों पक्षों ने म्यूचुअल सबमरीन रेस्क्यू सपोर्ट एंड कोआपरेशन पर ऑस्ट्रेलिया–भारत समझौते (Australia-India Defence Ministers) के क्रियान्वयन व्यवस्था पर दस्तखत का स्वागत किया। इसके अलावा संयुक्त स्टाफ स्तर की वार्ता की स्थापना को भी मंजूरी दी गई, जो संयुक्त अभ्यासों, ऑपरेशनों और सभी क्षेत्रों में इंटरऑपरेबिलिटी को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनेगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रिचर्ड मार्ल्स ने 2024 में हस्ताक्षरित एआईआर-टीओ-एआईआर रिफ्यूलिंग व्यवस्था को लागू करने में हुई प्रगति की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच डिफेंस एक्सरसाइजेज और सहयोग की फ्रिक्वेंसी तथा कॉम्प्लेक्सिटी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसके साथ ही म्यूचुअल लॉजिस्टिक्स सपोर्ट अरेंजमेंट (एमएलएसए) के तहत बढ़ती इंटरऑपरेबिलिटी को भी बढ़ाया गया है।
ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय नौसेना को 2027 में होने वाले सबमरीन रेस्क्यू एक्सरसाइज ब्लैक कैरिलॉन में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया है। साथ ही भारतीय वायुसेना को 2027 में होने वाले एक्सरसाइज तालिस्मान सबरे का भी बुलावा दिया गया है। यह अभ्यास इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक समन्वय को और मजबूती देंगे।
दोनों देशों ने 2026 में ऑस्ट्रेलियन डिफेंस कॉलेज में अतिरिक्त भारतीय छात्रों को शामिल करने और 2027 में पहली बार आस्ट्रेलियन डिफेंस फोर्स अकादमी में भारतीय प्रतिनिधि के लिए स्थान तय करने का भी स्वागत किया।
बैठक में दोनों पक्षों (Australia-India Defence Ministers) ने समकालीन तकनीक में रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई। इसमें जॉइंट वर्किंग ग्रुप ओन डिफेंस इंडस्ट्री, रिसर्च एंड मटेरियल के जरिए से सहयोग पर जोर दिया गया। इस कदम का उद्देश्य रक्षा उद्योग और अनुसंधान में साझेदारी को मजबूत करना है।
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते आक्रामक रुख के बीच दोनों मंत्रियों ने क्षेत्र में साझेदारों के साथ सहयोग को बढ़ाने की महत्ता दोहराई। उन्होंने एक स्वतंत्र, खुला, शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध हिंद-प्रशांत की अवधारणा को समर्थन दिया और क्षेत्र में नेविगेशन और ओवरफ़्लाइट की स्वतंत्रता तथा निर्बाध व्यापार पर बल दिया। उन्होंने 1982 के समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) के प्रावधानों के अनुरूप समुद्र के इस्तेमाल पर भी जोर दिया।
भारत और ऑस्ट्रेलिया (Australia-India Defence Ministers) ने एक-दूसरे के क्षेत्रों से विमानों की तैनाती जारी रखने और ऑपरेशनल परिचय को बढ़ाने पर भी सहमति जताई। इसके अलावा उन्होंने आस्ट्रेलिया–इंडिया–इंडोनेशिया ट्राइलेटरल फॉर्मैट के तहत सहयोग को जारी रखने पर सहमति जताई, ताकि साझा चुनौतियों का समाधान किया जा सके।
दोनों देशों ने ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका के बीच क्वाड डिफेंस कोआपरेशन की प्रगति का भी स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इन चारों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग तेजी से बढ़ रहा है। बैठक में समुद्री क्षेत्र की निगरानी को मजबूत करने पर जोर दिया गया और नवंबर 2025 में होने वाली एक्सरसाइज मालाबार के दौरान दूसरी संयुक्त गतिविधि आयोजित करने की घोषणा की गई।
भारत और ऑस्ट्रेलिया (Australia-India Defence Ministers) ने चारों देशों के बीच समुद्री निगरानी सहयोग को और करीब लाने वाले प्रयासों का समर्थन किया। इस वार्ता ने दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को नई दिशा दी है और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम साबित हुई है।