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Heron Drones India: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का बड़ा फैसला, इजराइल से खरीदेगा और हेरॉन ड्रोन, स्पाइक एंटी-टैंक मिसाइलों से होंगे लैस

भारतीय वायुसेना और रक्षा मंत्रालय लंबे समय से प्रोजेक्ट चीता (Project Cheetah) पर काम कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य हेरॉन ड्रोन की निगरानी और कॉम्बैट क्षमता को और बढ़ाना है। इसके तहत इन ड्रोन को अपग्रेड किया जा रहा है ताकि ये लंबी दूरी तक लगातार मिशन कर सकें और सैटेलाइट कम्युनिकेशन के जरिए और ज्यादा रेंज हासिल कर सकें...

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📍नई दिल्ली | 18 Sep, 2025, 8:42 PM

Heron Drones India: भारतीय सेनाएं अब इजराइल से और अधिक हेरॉन ड्रोन (Heron UAVs) खरीदने जा रही हैं। ये फैसला ऑपरेशन सिंदूर में इनकी सफल तैनाती के बाद लिया गया है। खास बात यह है कि इन ड्रोन को अब और भी ताकतवर बनाने की योजना है। इन्हें स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों (Spike ATGMs) से लैस किया जाएगा, जिससे भविष्य के युद्धों में ये सीधे दुश्मन के ठिकानों पर वार कर सकेंगे।

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रक्षा सूत्रों के मुताबिक, भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना के पास पहले से ही बड़ी संख्या में हेरॉन ड्रोन मौजूद हैं। जो तीनों सेनाएं अपने-अपने बेस से इन्हें ऑपरेट करती हैं। खुफिया एजेंसियां भी इन्हीं ड्रोन का इस्तेमाल स्पेशल ऑपरेशंस में करती रही हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मई 2025 में पाकिस्तान के खिलाफ इन ड्रोन ने अहम भूमिका निभाई थी। उस समय इन्हें इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉन्नेसेंस (ISR) मिशनों में लगाया गया था। इस ऑपरेशन में मिली सफलता के बाद सेना को यह भरोसा मिला कि इन्हें और बड़ी संख्या में खरीदा जा सकता है।

सेना के एक विंग ने हेरॉन ड्रोन को और अधिक घातक बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। इन पर स्पाइक-एनएलओएस (Spike NLOS – Non Line of Sight) एंटी-टैंक मिसाइल लगाने की तैयारी चल रही है। इससे यह क्षमता मिलेगी कि ड्रोन न सिर्फ निगरानी करें बल्कि दुश्मन के ठिकानों को निशाना भी बना सकें।

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हेरॉन ड्रोन का उपयोग भारतीय सेनाएं लंबे समय से चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर निगरानी के लिए करती रही हैं। इनकी रेंज और ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता इन्हें खास बनाती है। खासकर हिमालयी इलाकों और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में हेरॉन ने खुद को बेहद उपयोगी साबित किया है।

भारतीय वायुसेना और रक्षा मंत्रालय लंबे समय से प्रोजेक्ट चीता (Project Cheetah) पर काम कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य हेरॉन ड्रोन की निगरानी और कॉम्बैट क्षमता को और बढ़ाना है। इसके तहत इन ड्रोन को अपग्रेड किया जा रहा है ताकि ये लंबी दूरी तक लगातार मिशन कर सकें और सैटेलाइट कम्युनिकेशन के जरिए और ज्यादा रेंज हासिल कर सकें।

भारत हाल के वर्षों में हेरॉन मार्क-2 (Heron Mk-2) ड्रोन भी खरीद रहा है। ये ड्रोन आधुनिक सैटेलाइट कम्युनिकेशन सिस्टम से लैस हैं और लंबी अवधि तक उड़ान भरने की क्षमता रखते हैं। इससे सीमाओं पर लगातार निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाना आसान हो गया है।

इसके साथ ही भारत अपने स्वदेशी कार्यक्रम पर भी जोर दे रहा है। सरकार मीडियम ऑल्टिट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (MALE) ड्रोन डेवलप करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इस योजना के तहत 87 नए यूएवी खरीदे जाने की योजना है, जिसके लिए जल्द ही बोली शुरू की जाएगी। रक्षा अधिकारियों के अनुसार, आने वाले 10 से 15 वर्षों में भारतीय सशस्त्र बलों को करीब 400 MALE ड्रोन की जरूरत होगी।

डिफेंस सेक्टर की प्रमुख कंपनियां जैसे हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड, लार्सन एंड टूब्रो, सोलार इंडस्ट्रीज डिफेंस एंड एयरोस्पेस, और अदाणी डिफेंस इसमें प्रमुख दावेदार हो सकती हैं। इसके अलावा कुछ ड्रोन इजराइली डिफेंस कंपनियों के सहयोग से भी डेवलप किए जाने की संभावना है।

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