📍नई दिल्ली | 11 Sep, 2025, 12:49 PM
GE-404 Engine: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक से तीसरे GE-404 इंजन की सप्लाई हो गई है। यह इंजन एलसीए (लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) तेजस मार्क-1A कार्यक्रम का अहम हिस्सा है। वहीं, चौथा इंजन इसी महीने भारत पहुंचने की उम्मीद है।
यह डिलीवरी ऐसे समय में हुई है जब भारतीय वायुसेना को तेजस विमानों की जरूरत सबसे ज्यादा है। वायुसेना पहले ही 83 तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दे चुकी है और सरकार ने हाल ही में 97 और विमानों की खरीद को मंजूरी दी है। कुल मिलाकर अब 180 स्वदेशी लड़ाकू विमानों का रास्ता साफ हो चुका है। इन विमानों को समय पर तैयार करने के लिए इंजन की सप्लाई बेहद अहम मानी जा रही है।
एचएएल को इस वित्त वर्ष के आखिर तक 12 जीई-404 (GE-404 Engine) इंजन मिलने हैं। इन इंजनों का इस्तेमाल भारतीय वायुसेना के तेजस बेड़े में होगा। अभी तक तीन इंजन एचएएल को मिल चुके हैं और चौथा इंजन जल्द ही डिलीवर होगा। इसके बाद आने वाले महीनों में इंजन सप्लाई और तेज होने की उम्मीद है।
तेजस एमके-1ए की डिलीवरी में पहले ही बहुत देरी हो चुकी है। इस देरी की मुख्य वजह सप्लाई चेन की दिक्कतें और इंजन की उपलब्धता रही। मार्च 2025 में जीई ने पहला इंजन एचएएल को सौंपा था। इसके बाद से धीरे-धीरे इंजन भारत पहुंच रहे हैं। लेकिन उत्पादन लक्ष्य को पूरा करने के लिए समय पर सप्लाई अनिवार्य है।
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— Raksha Samachar | रक्षा समाचार 🇮🇳 (@RakshaSamachar) September 11, 2025
सूत्रों के मुताबिक एचएएल की योजना 2026-27 तक हर साल 30 तेजस विमान बनाने की है। अभी उत्पादन दर इससे काफी कम है। इंजन सप्लाई सुचारू होने के बाद ही इस लक्ष्य तक पहुंचना संभव होगा।
तेजस एमके-1ए को लेकर भारतीय वायुसेना में काफी उम्मीदें हैं। यह विमान लेटेस्ट एवियोनिक्स, मल्टी-रोल कैपेबिलिटी और स्वदेशी हथियार प्रणालियों से लैस है। इसमें डीआरडीओ की बनाई अस्त्रा मिसाइल, रुद्रम मिसाइल और अन्य स्वदेशी हथियारों को इंटीग्रेट किया जा रहा है। इससे वायुसेना की “बियॉन्ड विजुअल रेंज” क्षमता और दुश्मन के एयर डिफेंस पर हावी होने की क्षमता और बढ़ जाएगी।
सितंबर के आखिर में वायुसेना से मिग-21 की अंतिम दो स्क्वाड्रन रिटायर हो जाएंगी। ऐसे में तेजस एमके-1ए को जल्दी से जल्दी इंडक्शन करना बेहद जरूरी है। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह पहले ही कह चुके हैं कि फोर्स को हर साल 35 से 40 नए लड़ाकू विमानों की जरूरत है। अभी वायुसेना के पास केवल 31 स्क्वाड्रन हैं और मिग-21 की विदाई के बाद यह संख्या 29 रह जाएगी। जबकि “सैंक्शनड स्ट्रेंथ” 42 स्क्वाड्रन मानी जाती है।
तेजस एमके-1ए की देरी से वायुसेना की “नंबर गैप” समस्या और गंभीर हो रही है। हालांकि, अक्टूबर तक वायुसेना को दो तेजस एमके-1ए विमानों की डिलीवरी होने की संभावना है। एचएएल का कहना है कि इसी महीने इन विमानों के फायरिंग ट्रायल पूरे कर लिए जाएंगे, जिनमें अस्त्रा, ASRAAM और लेजर गाइडेड बम शामिल होंगे। सफल परीक्षणों के बाद विमान वायुसेना को सौंप दिए जाएंगे।
इसी बीच एचएएल और जीई के बीच 113 अतिरिक्त इंजनों की खरीद का एक और सौदा लगभग तैयार है। यह सौदा हाल ही में मंजूर किए गए 97 नए तेजस विमानों के लिए होगा। करीब 1 बिलियन डॉलर की यह डील भारतीय वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगी।
तेजस एमके-1ए के अलावा एचएएल और जीई के बीच जीई-414 इंजन के संयुक्त उत्पादन पर भी बातचीत चल रही है। यह इंजन तेजस एमके-2 कार्यक्रम में इस्तेमाल होगा। इस प्रोजेक्ट के तहत भारत को 80 फीसदी तक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में इस प्रोजेक्ट को “मेक इन इंडिया डिफेंस सेक्टर” की दिशा में बड़ा कदम बताया था।
तेजस एमके-1ए को वायुसेना में शामिल करने का सबसे बड़ा मकसद पुराने मिग-21 विमानों को रिप्लेस करना है। 1960 के दशक से सेवा में रहे मिग-21 अब रिटायरमेंट की कगार पर हैं। उनकी जगह तेजस एमके-1ए को मिलनी है। इंजन सप्लाई और उत्पादन क्षमता बढ़ने से यह प्रक्रिया तेज होगी।