📍नई दिल्ली | 7 Sep, 2025, 11:44 AM
HAL on Dhruv ALH glitch: भारतीय सेना के ध्रुव एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (ALH Dhruv) में एक बार फिर तकनीकी खामी सामने आने पर हेलिकॉप्टर निर्माता कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने सफाई दी है। एचएएल का कहना है कि वन-टाइम चेक (ओटीसी) एक नियमित मेंटेनेंस प्रक्रिया है, जो टेल ड्राइव शाफ्ट (टीडीएस) में किसी खराबी के बाद जारी की जाती है। बता दें कि एक उड़ान के दौरान भारतीय सेना के एक हेलिकॉप्टर के टेल ड्राइव शाफ्ट (TDS) को नुकसान पहुंचा था, जिसके बाद सेना ने पूरे एएलएच बेड़े की जांच का आदेश दिया है।
HAL on Dhruv ALH glitch: रिपोर्ट को बताया एकतरफा
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने अपना बयान जारी करते हुए उस रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं, जिसमें एएलएच ध्रुव हेलीकॉप्टर में एक उड़ान के दौरान हेलिकॉप्टर के टेल ड्राइव शाफ्ट (TDS) को नुकसान पहुंचा था। यह घटना हाल ही में 4 सितंबर को आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन के हेलिकॉप्टर IA-1134 के साथ हुई थी। इस घटना ने एक बार फिर एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर ध्रुव की सेफ्टी को लेकर सवाल खड़े हो गए थे। एचएएल ने इस रिपोर्ट को एकतरफा बताया है।
HAL on Dhruv ALH glitch: वन-टाइम चेक सामान्य मेंटेनेंस प्रक्रिया
एचएएल की तरफ से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया, “वन-टाइम चेक (OTC) एक सामान्य मेंटेनेंस प्रक्रिया है, जिसे किसी भी समस्या के सामने आने पर किया जाता है। इस बार टेल ड्राइव शाफ्ट में समस्या आने पर यह आदेश जारी किया गया। एचएएल भारतीय सेना के साथ मिलकर काम कर रहा है और विशेषज्ञों की टीम को जांच के लिए भेजा गया है।”
This is with reference to articles published in the Hindustan Times newspaper on 6th September 2025, titled ‘New Glitch Plagues ALH Choppers’ and ‘Safety Alarm Triggers Fresh ALH Fleet Check’. The articles, unfortunately, present a one-sided view with misleading commentary.
— HAL (@HALHQBLR) September 7, 2025
एचएएल ने यह भी दोहराया कि ध्रुव ALH बेड़े ने अब तक 4.5 लाख से ज्यादा घंटे उड़ान भरी है और पिछले दो दशक से अधिक समय से इसे सेना, वायुसेना, नौसेना, कोस्ट गार्ड और सिविल ऑपरेटर इस्तेमाल कर रहे हैं। यह हेलिकॉप्टर हिमालय के ऊंचाई वाले इलाकों से लेकर समुद्री इलाकों तक कठिन परिस्थितियों में उड़ान भरता रहा है।
HAL on Dhruv ALH glitch: अभी भी प्लेटफॉर्म पर पूरा भरोसा
एचएएल का कहना है कि हेलीकॉप्टरों की निरंतर उड़ान योग्यता के लिए रखरखाव पहलू महत्वपूर्ण हैं और वह इस बात पर ज़ोर देता है कि सभी रखरखाव निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। एचएएल ने कहा कि हाल ही में बाढ़ के चलते कई इलाकों में चल रहे राहत और आपातकालीन बचाव अभियानों में, भारतीय सेना ने फंसे हुए नागरिकों और सीआरपीएफ कर्मियों को निकालने के लिए एएलएच ध्रुव का इस्तेमाल किया। यहां कि बेहद जोखिम वाले हेलीकॉप्टर बचाव अभियान भी चलाए, जो एएलएच ध्रुव की वजह से ही संभव हो पाए। एचएएल का कहना है कि यह बताता है कि सेना को अभी भी इस प्लेटफॉर्म पर पूरा भरोसा है।
सेना ने जारी किया पत्र
हेलिकॉप्टर के टेल ड्राइव शाफ्ट में गड़बड़ी सामने आने के बाद सेना की ओर से एक पत्र जारी किया गया था, जिसमें कहा गया है कि उड़ान के दौरान IA-1134 हेलिकॉप्टर में स्टेशन #9A पर TDS बेयरिंग माउंट टूटने की घटना दर्ज की गई। पत्र में लिखा गया कि फ्लाइट सेफ्टी सुनिश्चित करने के लिए सभी ध्रुव हेलिकॉप्टरों में वन-टाइम चेक अनिवार्य रूप से किया जाए।
इस जांच में वायुसेना और नौसेना के ध्रुव हेलिकॉप्टर भी शामिल किए गए हैं। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि सभी ALH की जांच टीडीएस बेयरिंग, इलास्टोमेरिक बुश, टेल बूम टॉप फेस शीट और TDS ब्रैकेट की विजुअल जांच के साथ की जाए। इसके लिए 10X मैग्निफाइंग ग्लास के इस्तेमाल का निर्देश भी दिया गया है।
एचएएल का कहना है कि किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सभी तथ्यों और सही डेटा को देखा जाना चाहिए। कंपनी ने मीडिया से अपील की है कि ध्रुव ALH जैसे स्वदेशी प्लेटफॉर्म पर रिपोर्टिंग करते समय गलत और भ्रामक जानकारियों से बचें।
एचएएल का मानना है कि ALH ध्रुव भारतीय सशस्त्र बलों का भरोसेमंद प्लेटफॉर्म है और इसकी तकनीकी जांच और सुधार लगातार जारी है।
पोरबंदर हादसे के बाद किया था ग्राउंड
इस साल जनवरी में गुजरात के पोरबंदर में कोस्ट गार्ड का एक एएलएच ध्रुव क्रैश हुआ था, जिसमें दो पायलट और एक एयरक्रू डाइवर की मौत हो गई थी। इसके बाद नौसेना और कोस्ट गार्ड के ध्रुव हेलिकॉप्टरों को ग्राउंडेड कर दिया गया था। पोरबंदर हादसे के बाद बनी हाई-लेवल कमिटी ने पाया था कि स्वाशप्लेट फ्रैक्चर दुर्घटना का कारण था। यह हेलिकॉप्टर के कंट्रोल सिस्टम का अहम हिस्सा है। हालांकि, इसके टूटने की असली वजह का पता नहीं चल सका। इसके बाद एचएएल ने जांच के दायरे को बढ़ाया और बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) को फैटीग टेस्ट करने की जिम्मेदारी दी।
एचएएल ने नौसेना और कोस्ट गार्ड के दो एएलएच हेलिकॉप्टरों पर विशेष उपकरण लगाए हैं ताकि ट्रांसमिशन सिस्टम, गियरबॉक्स और रोटर हब जैसी अहम यूनिट्स का डेटा जुटाया जा सके। माना जा रहा है कि समुद्री माहौल में लंबे समय तक ऑपरेशन करने से एएलएच में तकनीकी दिक्कतें बढ़ रही हैं।
मई 2025 में गहन जांच के बाद सेना और वायुसेना के लगभग 300 ALH को फिर से उड़ान की अनुमति मिली थी। यह फैसला डिफेक्ट इन्वेस्टिगेशन कमिटी की सिफारिश पर हुआ था। इस कमेटी में CEMILAC (सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्दीनेस एंड सर्टिफिकेशन), DG-AQA (डायरेक्टरेट जनरल ऑफ एरोनॉटिकल क्वालिटी एश्योरेंस) और एचएएल के अधिकारी शामिल थे। वहीं, नौसेना और कोस्ट गार्ड के ALH अब भी ग्राउंडेड हैं और उन्हें उड़ान की अनुमति नहीं मिली है।
रक्षा समाचार डॉट कॉम को जानकारी देते हुए एचएएल के सीनियर सूत्रों ने बताया था कि जल्द ही नौसेना और कोस्टगार्ड के ध्रुव हेलीकॉप्टरों को उड़ान की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने बताया था कि अगले महीने तक कुछ ध्रुव उड़ान भरने लगेंगे। उन्हें पहले कुछ परीक्षणों से गुजरना होगा, और उसके बाद चरणबद्ध तरीके से उड़ान भरने की अनुमति मिलेगी।
पिछले पांच सालों में ध्रुव एएलएच हेलिकॉप्टरों के करीब 15 हादसे हो चुके हैं। 2023-24 में ही हेलिकॉप्टर का डिजाइन रिव्यू किया गया और इसके कंट्रोल सिस्टम में बदलाव किए गए। बावजूद इसके, कई बार तकनीकी खामियों के चलते एएलएच को ग्राउंड करना पड़ा।
एएलएच ध्रुव सेना, वायुसेना, नौसेना और कोस्ट गार्ड के लिए बेहद अहम भूमिका निभाता है। यह न केवल लॉजिस्टिक सपोर्ट बल्कि रेस्क्यू ऑपरेशन और कॉम्बैट मिशनों के लिए भी इस्तेमाल होता है।