📍नई दिल्ली | 23 Nov, 2025, 4:37 PM
Tejas Tragedy Lessons: मैं सालों तक हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड का प्रवक्ता रहा हूं और तेजस प्रोग्राम को नजदीक से देखने का मौका मिला है। आज जब दुबई एयर शो में हुए तेजस एमके-1 हादसे पर लोग सवाल उठा रहे हैं, मैं अपने अनुभव के आधार पर कुछ बातें साफ करना चाहता हूं। यह घटना दुखद है, गहरी है, और देश के हर नागरिक को तकलीफ़ पहुंची है। लेकिन इस एक हादसे को तेजस के सफर पर सवाल उठाने का आधार नहीं बनाया जाना चाहिए।
मुझे याद है, 2016 में मैंने एक लेख लिखा था जिसमें बताया था कि कैसे तेजस ने पहली बार बहरीन इंटरनेशनल एयर शो में उड़ान भरकर दुनिया को चौंका दिया था। वह भारत के एयरोस्पेस कॉन्फिडेंस का एक बड़ा प्रदर्शन था। दो लिमिटेड सीरीज प्रोडक्शन एयरक्राफ्ट ने 8-जी पुल, वर्टिकल लूप, स्लो फ्लाईपास्ट और बैरल रोल जैसे मैन्यूवर किए थे। उस समय दुनिया ने पहली बार महसूस किया कि भारत सिर्फ रक्षा उपकरण खरीदने वाला देश नहीं है, बल्कि अपना फाइटर जेट बनाने की क्षमता भी रखता है।
इसके बाद तेजस का सफर लंबा रहा, चुनौतियों से भरा रहा, लेकिन लगातार आगे बढ़ता गया। एचएएल ने एमके1ए वर्जन को तैयार करने में काफी मेहनत की। अक्टूबर 2025 में नासिक में एमके1ए की पहली फ्लाइट देखना मेरे जैसे लोगों के लिए गर्व का क्षण था।
लेकिन ठीक कुछ ही हफ्तों बाद, 21 नवंबर 2025 को दुबई के अल मकतूम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर तेजस एमके1 का क्रैश होना बेहद दुखद रहा। पायलट विंग कमांडर नमंश स्याल की जान चली गई। यह घटना लाइव देखने वाले कई लोगों के लिए भी बड़ा सदमा थी। इंडियन एयर फोर्स ने कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी का ऑर्डर दे दिया है और हर पहलू फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम, इंजन, कंट्रोल सिस्टम या कोई अन्य तकनीकी कारणों की जांच होगी।
यह तेजस का दूसरा क्रैश था। पहला मार्च 2024 में जैसलमेर में हुआ था, जब इंजन सीज होने से विमान गिरा, लेकिन पायलट समय पर इजेक्ट कर गया। दुबई में ऐसा नहीं हो सका, और इस बार हादसा जानलेवा रहा। पायलट का इजेक्ट न कर पाना कई सवाल उठाता है, और यही इस जांच का सबसे अहम हिस्सा होगा।
मैं यह साफ कहना चाहता हूं कि इस हादसे का असर सिर्फ एक विमान के नुकसान तक सीमित नहीं है। यह भारत के मनोबल, आत्मनिर्भरता और भविष्य की एयरोस्पेस योजनाओं को भी प्रभावित कर सकता है। लेकिन मेरा अनुभव कहता है कि ऐसे समय में घबराने की नहीं, मजबूत और संतुलित प्रतिक्रिया देने की जरूरत होती है।
तेजस को लेकर कुछ बातें समझना बहुत जरूरी है। इसका सफर आसान नहीं रहा। 1990 के दशक में जब भारत पर पश्चिमी देशों ने तकनीकी प्रतिबंध लगाए, तब न तो कोई इंजन सपोर्ट था और न कोई एवियोनिक्स तकनीक। डीआरडीओ की गैस टरबाइन रिसर्च एस्टैब्लिशमेंट (जीटीआर) ने कावेरी इंजन बनाने की कोशिश की, लेकिन वह कामयाब न हो सकी। इसी दौरान, जीई एफ404 इंजन पर तेजस का डिजाइन आगे बढ़ाया गया। इस तरह तेजस प्रोग्राम ने मोटे तौर पर अपने दम पर आगे बढ़ना सीखा।
आज हालात बदल चुके हैं। तेजस ने 10,000 से ज्यादा सफल उड़ानें भरी हैं। भारतीय वायुसेना के पास 36 तेजस एमके1 हैं और 97 एमके1ए के लिए 62,400 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट साइन हो चुका है। भारत ने 220 से ज्यादा तेजस जेट ऑर्डर किए हैं। यह छोटी उपलब्धि नहीं है।
मुझे यह भी कहना होगा कि दुनिया की कोई भी एयर फोर्स बिना हादसों के नहीं चलती। अमेरीकी थंडरबर्ड्स से लेकर रूसी नाइट्स तक, सभी ने एयर शो के दौरान विमान खोए हैं। कुछ हादसे पायलट की गलती से हुए, कुछ मेकैनिकल फेलियर से, और कुछ अनियंत्रित परिस्थितियों से। कोई भी विमान सिर्फ एक हादसे के आधार पर जज नहीं किया जाता। तेजस कार्यक्रम इस दिशा में सबसे अहम कदम है। कई देशों ब्राजील, अर्जेंटीना, फिलीपींस ने तेजस में रुचि दिखाई है। लेकिन दुबई हादसे से भारत की एक्सपोर्ट महत्वाकांक्षाओं को झटका जरूर लगा है।
भारत को आज जरूरत है पारदर्शी जांच की, आत्मविश्वास की, और तेजस को बेहतर बनाने की। एचएएल, आईएएफ, डीआरडीओ, मंत्रालय सभी को इस हादसे से सीख लेकर विमान को और मजबूत करना होगा। लेकिन तेजस को छोड़ देना या उस पर अविश्वास जताना समाधान नहीं है। तेजस सिर्फ एक फाइटर जेट नहीं, भारत की एयरोस्पेस महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक है।
दुबई की ये घटना एक कठिन पल जरूर है, लेकिन इसके बाद अगर हम सही तरीके से आगे बढ़ें, तो तेजस पहले से ज्यादा मजबूत बनकर उभरेगा। मैं इस प्रोग्राम में 20 साल से भी ज्यादा समय तक जुड़े रहने के बाद यही विश्वास रखता हूं।
(लेखक गोपाल सुतार कई सालों तक हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के प्रवक्ता रह चुके हैं)
