📍नई दिल्ली | 27 Oct, 2025, 4:53 PM
Defence Production: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जिस तरह से भारतीय सेनाओं ने प्रभावी ढंग से ‘मेक इन इंडिया’ डिफेंस इक्विपमेंट्स का इस्तेमाल किया उससे क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठता मजबूत हुई है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने भारत की आकाश मिसाइल प्रणाली, ब्रह्मोस मिसाइल और आकाशतीर एयर डिफेंस कंट्रोल सिस्टम जैसी स्वदेशी तकनीकों की क्षमताओं को देखा है।
नई दिल्ली में आयोजित सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स के वार्षिक सम्मेलन में बोलते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि इन उपकरणों की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि भारत अब केवल उपयोगकर्ता नहीं, बल्कि एक उत्पादक देश बन चुका है। उन्होंने कहा कि यह सफलता भारतीय सशस्त्र बलों के साथ-साथ देश के डिफेंस इंडस्ट्री वॉरियर्स की भी है, जिन्होंने इनोवेशन, डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग में अग्रणी भूमिका निभाई है।
रक्षा उत्पादन में अपना योगदान बढ़ाए उद्योग जगत
राजनाथ सिंह ने कहा कि 2014 से पहले भारत अपनी सुरक्षा जरूरतों के लिए पूरी तरह आयात पर निर्भर था। लेकिन अब देश में 1.51 लाख करोड़ रुपये का डिफेंस प्रोडक्शन हो रहा है, जिसमें से 33,000 करोड़ रुपये का योगदान निजी क्षेत्र से है।
उन्होंने बताया कि रक्षा निर्यात भी ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच चुका है। 10 साल पहले जहां यह 1,000 करोड़ रुपये से कम था, वहीं अब यह 24,000 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है और मार्च 2026 तक 30,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।
रक्षा मंत्री ने उद्योग जगत से अपील करते हुए कहा कि वे रक्षा उत्पादन में अपने योगदान को मौजूदा 25 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी तक पहुंचाने की योजना पर काम करें।
‘हमारी मिट्टी, हमारी ढाल’
राजनाथ सिंह ने कहा कि जब भारत किसी विदेशी डिफेंस इक्विपमेंट को खरीदता है तो उसके रखरखाव और स्पेयर पार्ट्स की लागत बहुत अधिक होती है। उन्होंने उद्योग जगत से आग्रह किया कि वे सबसिस्टम्स और कंपोनेंट्स के स्वदेशी निर्माण पर ध्यान दें, ताकि सप्लाई और रिपेयमेंट में भारत आत्मनिर्भर बन सके। उन्होंने कहा कि भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि ‘हमारी मिट्टी, हमारी ढाल’ उसकी पहली पसंद बने।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आईडेक्स और अदिति जैसे प्लेटफॉर्म के जरिए युवाओं और उद्योगों को नई तकनीक विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारत को पूरी तरह स्वदेशी रक्षा तकनीक वाले उत्पाद विकसित करने होंगे ताकि देश की सुरक्षा सेल्फ सर्पोटिंग बन सके।

