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Defence Acquisition Council: डीएसी ने तीनों सेनाओं के लिए 79,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स को दी मंजूरी, वायुसेना को मिलेगा यह घातक सिस्टम

वायुसेना को आटोनोमस अटैक सिस्टम की मंजूरी मिली है। इस सिस्टम की खासियत यह है कि यह ड्रोनों के झुंड में दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को सैचुरेट (बहुत सारे हमलों से ओवरलोड) कर सकता है और सामूहिक हमले यानी कोआर्डिनेटेड स्ट्राइक जैसा माहौल बना सकता है...

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📍नई दिल्ली | 23 Oct, 2025, 5:26 PM

Defence Acquisition Council: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (डीएसी) ने गुरुवार को 79,000 करोड़ रुपये के रक्षा प्रस्तावों को मंजूरी दी। इन प्रस्तावों में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के लिए कई अत्याधुनिक सिस्टम्स की खरीद और इंडीजीनस प्रोडक्शन की मंजूरी दी गई है। अधिकांश प्रोजेक्ट ‘बॉय इंडियन इंडिजेनसली डिजाइंड, डेवलप्ड एंड मैन्युफैक्चर्ड (इंडियन-आईडीडीएम)’ कैटेगरी के तहत हैं, जिनका उद्देश्य देश में रक्षा उपकरणों का निर्माण बढ़ाना और आत्मनिर्भर भारत पहल को रफ्तार देना है। इन प्रस्तावों को मंजूरी मिलने के बाद भारतीय सेनाओं की सामरिक तैयारी, ऑपरेशनल रिस्पॉन्स और तकनीकी श्रेष्ठता में जरूरी सुधार होगा।

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Defence Acquisition Council: भारतीय सेना के लिए नाग

भारतीय सेना के लिए तीन प्रमुख प्रोजेक्ट्स को एक्सेप्टेंस ओएफ नेसेसिटी (एओएन) दी गई है। इनमें नाग मिसाइल सिस्टम एमके-2 (ट्रैक्ड), ग्राउंड बेस्ड मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम (जीबीएमईएस) और हाई मोबिलिटी व्हीकल्स (एचएमवी) शामिल हैं।

सेना के लिए स्वीकृत नाग मिसाइल सिस्टम (नामिस) एक स्वदेशी ट्रैक्ड एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम है, जो दुश्मन के टैंकों, बंकरों और फील्ड फोर्टिफिकेशन को नष्ट करने में सक्षम होगी। यह सिस्टम डीआरडीओ ने डेवलप किया है और “फायर एंड फॉरगेट” टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है। इस सिस्टम के शामिल होने से सीमावर्ती इलाकों खासकर लद्दाख और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में एंटी-टैंक क्षमता में कई गुना बढ़ोतरी होगी।

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जीबीएमईएस सेना को दुश्मन के रडार और कम्यूनिकेशन की रियल टाइम जानकारी देगा। यह भी डीआरडीओ ने डेवलप किया है और इसका प्रोजेक्ट कोडनेम हिमराज है। यह सिस्टम 70 मेगाहर्ट्ज से 40 गीजाहर्ट्ज तक, रडार और कम्यूनिकेशन बैंड दोनों को कवर करता है। इसमें कम्यूनिकेशन इंटेलिजेंस रिसीवर भी शामिल है, जो 30-1000 मेगाहर्ट्ज रेंज में काम करता है। यह दुश्मन के रडार सिग्नलों को ट्रैक करके इलेक्ट्रॉनिक अटैक और काउंटरमेजर्स के लिए डेटा प्रदान करता है। यह हिमशक्ति इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम का हिस्सा है, जो 10,000 वर्ग किमी क्षेत्र में जेमिंग कर सकता है। यह सिस्टम चौबीसों घंटे निगरानी करने में सक्षम है और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर में भारत को फायदा मिलेगा।

वहीं, हाई मोबिलिटी व्हीकल्स (एचएमवी) को कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में लॉजिस्टिक्स सप्लाई और सामान के परिवहन के लिए मंजूरी दी गई है। ये भारी-भरकम मल्टीपर्पज ट्रक हैं, जो लद्दाख के हिमालयी क्षेत्र, राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके, और पूर्वोत्तर के जंगली/दलदली क्षेत्रों में रसद और सैनिकों को ट्रांसपोर्ट करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। यह सिस्टम जीपीएस नेविगेशन और कम्यूनिकेशन सिस्टम से लैस है। सेना के पास पहले से पुराने लगभग 10,000 अशोक लेलैंड स्टालिन औऱ टाटा एलपीटीए 2038 एचएमवी हैं, जिन्हें अपग्रेड/रिप्लेस करना है। नए एचएमवी इनके अपग्रेडेड वर्जन होंगे, जिसमें क्रेन और बेहतर टेक्नोलॉजी होगी। जल्द ही रक्षा मंत्रालय टेंडर आरएअफपी जारी करेगा। वहीं इनकी डिलीवरी 2026-2028 के बीच शुरू होने की उम्मीद है। वहीं, नए एचएमवी को एयरलिफ्ट भी किया जा सकेगा। इनमें मटेरियल हैंडलिंग क्रेन लगे होंगे, जिससे ऊंचे पहाड़ी इलाकों या रेगिस्तानी क्षेत्रों में सप्लाई चेन को मजबूत किया जा सकेगा।

Defence Acquisition Council: भारतीय नौसेना के लिए एलपीडी और सरफेस गन

भारतीय नौसेना के लिए डीएसी ने कई अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी है। इनमें लैंडिंग प्लेटफार्म डॉक्स (एलपीडी), 30एमएम नेवल सरफेस गंस (एनएसजी), एडवांस्ड लाइट वेट टॉरपीडोज, इलेक्ट्रो आप्टिकल इन्फ्रा-रेड सर्च और ट्रैक सिस्टम्स, और स्मार्ट एम्युनिशन फोर 76 एमएम सुपर रैपिड गन माउंट्स शामिल हैं।

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लैंडिंग प्लेटफार्म डॉक्स की खरीद से नौसेना को एम्फीबियस ऑपरेशन यानी समुद्र से तटीय इलाकों में तेजी से सैनिक कार्रवाई करने में मदद मिलेगी। यह प्लेटफॉर्म भारतीय नौसेना को सेना और वायुसेना के साथ संयुक्त मिशन करने में सक्षम बनाएगा। इनका उपयोग मानवीय सहायता और आपदा राहत अभियानों में भी किया जा सकेगा।

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एडवांस्ड लाइट वेट टॉरपीडोज को डीआरडीओ के नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी, विशाखापट्टनम ने डेवलप किया है। यह टॉरपीडो पारंपरिक, परमाणु और मिडजेट पनडुब्बियों को निशाना बनाने में सक्षम है। इसकी तैनाती से नौसेना की एंटी-सबमैरीन वॉरफेयर को बड़ी मजबूती मिलेगी। लाइटवेट टॉरपीडो को जहाजों, पनडुब्बियों, और हेलीकॉप्टरों से लॉन्च किया जा सकता है। यह एडवांस्ड लाइट वेट टॉरपीडोज वरुणास्त्र औऱ तक्षक का लाइट वेट वर्जन है। वरुणास्त्र का वजन 1,500 किग्रा हैं और इसकी रेंज 40 किमी हैं। वहीं तक्षक टॉरपीडो की रेंज लगभग 7-12 किलोमीटर है। वहीं, एडवांस्ड लाइट वेट टॉरपीडोज की रेंज 20-40 किलोमीटर है। लाइट वेट टॉरपीडोज हिंद महासागर में चीनी पनडुब्बियों (जैसे टाइप-039 युआन-क्लास) और पाकिस्तानी पनडुब्बियों (जैसे अगोस्ता-90B) को निशाना बना सकेंगी।

वहीं, 30एमएम नेवल सरफेस गन को लो इंटेंसिटी मैरीटाइम आपरेशंस और एंटी-पाइरेसी मिशनों के लिए मंजूरी दी गई है। इससे भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल की समुद्री सुरक्षा और गश्ती क्षमता में बढ़ोतरी होगी।

जबकि इलेक्ट्रो आप्टिकल इन्फ्रा-रेड सर्च एंड ट्रैक सिस्टम (ईओ/ऐआर एसटीएस) और स्मार्ट एम्युनिशन नौसैनिक जहाजों की निगरानी और सटीक हमले की क्षमता को बढ़ाएंगे। ये सिस्टम खराब मौसम और लो विजिबिलिटी में भी टारगेट की पहचान करने में सक्षम हैं।

Defence Acquisition Council: भारतीय वायुसेना के लिए आटोनोमस अटैक सिस्टम

भारतीय वायुसेना के लिए डीएसी ने आटोनोमस अटैक सिस्टम कोलेबोरेटिव लॉन्ग रेंज टारगेट सैचुरेशन/डिस्ट्रक्शन सिस्टम और अन्य प्रस्तावों को एक्सेप्टेंस ओएफ नेसेसिटी (एओएन) जारी किया है। यह सिस्टम एक एडवांस आटोनोमस ड्रोन स्वॉर्म नेटवर्क है, जो स्वयं टेकऑफ और लैंडिंग करने, लंबी दूरी तक नेविगेट करने और पहले से तय इलाके क्षेत्र में पेलोड डिलीवर कर सकता है। इस सिस्टम की खासियत यह है कि यह ड्रोनों के झुंड में दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को सैचुरेट (बहुत सारे हमलों से ओवरलोड) कर सकता है और सामूहिक हमले यानी कोआर्डिनेटेड स्ट्राइक जैसा माहौल बना सकता है। आटोनोमस यूएवी स्वार्म सिस्टम में 100 से ज्यादा ड्रोन्स शामिल हो सकते हैं। यह सिस्टम एआई-बेस्ड है, जो खुद फैसले ले सकता है।

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70 से 90 फीसदी तक स्वदेशी सामग्री

रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि लगभग सभी प्रस्तावों में 70 से 90 फीसदी तक स्वदेशी सामग्री शामिल होगी। इन परियोजनाओं में डीआरडीओ, एचएएल, भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल), मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, और एल एंड टी डिफेंस जैसी भारतीय कंपनियों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन स्वीकृत प्रस्तावों का कुल वित्तीय प्रभाव वित्त वर्ष 2025-26 के बजट प्रावधानों के भीतर रहेगा।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह मंजूरी भारत की सेनाओं को फ्यूचर बैटलफील्ड के लिए तैयार करेगी। उन्होंने कहा कि डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल के फैसले भारत को एक मजबूत, तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर और सक्षम रक्षा शक्ति बनाने की दिशा में आगे बढ़ाएंगे।

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