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AFMS PG सीट आवंटन मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र को जारी किया नोटिस, पूर्व सैन्य डॉक्टरों को दी बड़ी राहत

मामला एएफएमएस संस्थानों में मेडिकल पीजी सीटों (AFMS PG) के असमान आवंटन से जुड़ा है, जिसमें पूर्व सैन्य अधिकारी डॉक्टरों ने भेदभाव का आरोप लगाया है...

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📍नई दिल्ली | 10 Oct, 2025, 3:35 PM

AFMS PG: दिल्ली हाईकोर्ट ने आर्मेड फोर्सेस मेडिकल सर्विसेज (एएफएमएस) में पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल सीटों के आवंटन को लेकर चल रहे विवाद में महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। अदालत ने रिट याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत दी है।

यह मामला एएफएमएस संस्थानों में मेडिकल पीजी सीटों (AFMS PG) के असमान आवंटन से जुड़ा है, जिसमें पूर्व सैन्य अधिकारी डॉक्टरों ने भेदभाव का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से इस मामले की पैरवी एडवोकेट सत्यम सिंह राजपूत कर रहे हैं।

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एडवोकेट सत्यम सिंह ने बताया कि यह याचिका एएफएमएस के अंतर्गत 2025–28 सत्र की एमडी/एमएस/डीएनबी पीजी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर दायर की गई है। याचिका में कहा गया कि एएफएमएस द्वारा जारी सीट मैट्रिक्स में पहली प्राथमिकता (सेवारत अधिकारी) के लिए 210 सीटें आरक्षित रखी गईं, जबकि बाकी 207 सीटें सभी अन्य श्रेणियों (प्राथमिकता 2, 3, 4, 5) के लिए खुली छोड़ दी गईं।

इससे पूर्व सैन्य अधिकारी (प्राथमिकता 4) डॉक्टरों को उनके हक की सीटें नहीं मिल रहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह की व्यवस्था से लंबे समय तक देश की सेवा करने वाले डॉक्टरों के साथ सिस्टमेटिक भेदभाव हुआ है।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मौजूदा व्यवस्था में अधिकांश क्लिनिकल सीटें प्राथमिकता 3 और प्राथमिकता 5 उम्मीदवारों को जा रही हैं, जिससे योग्य और अनुभवी पूर्व सैनिकों के अवसर कम हो रहे हैं।

मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति विकास महाजन की बेंच ने याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए गंभीर मुद्दों पर ध्यान देते हुए केंद्र सरकार और एएफएमएस अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए उनकी इंटरिम प्रेयर को स्वीकार कर लिया।

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कोर्ट ने निर्देश दिया कि फिलहाल सीट आवंटन प्रक्रिया (AFMS PG) में कोई अंतिम निर्णय न लिया जाए, ताकि पूर्व सैन्य डॉक्टरों के हित सुरक्षित रह सकें। मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर 2025 को तय की गई है। उस दिन अदालत इस मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई करेगी और यह तय करेगी कि एएफएमएस की मौजूदा सीट वितरण प्रणाली संविधान के अनुच्छेद 14, 16 और 21 के मुताबिक है या नहीं।

याचिकाकर्ताओं की दलील है कि पीजी सीटों (AFMS PG) का आवंटन मनमाने और भेदभावपूर्ण तरीके से किया गया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि प्राथमिकता -1 कैटेगरी के कुछ अधिकारियों को परीक्षा के बाद प्राथमिकता -4 (एक्स सर्विसमेन) में ट्रांसफर कर दिया गया, जो नियमों का उल्लंघन है।

जानकारी के अनुसार, यह तब हुआ जब कुछ अधिकारियों को नीट-पीजी 2025 परीक्षा (3 अगस्त 2025) के बाद एनओसी मिली। उनका कहना है कि यह कदम सूचना बुलेटिन के क्लॉज 24(ए) का उल्लंघन है, जिसमें स्पष्ट प्रावधान है कि परीक्षा के बाद जारी एनओसी को प्राथमिकता 4 पात्रता के लिए स्वीकार नहीं किया जा सकता। अदालत ने इन दलीलों को गंभीरता से लेते हुए सरकार से पूछा है कि ऐसे मामलों में पारदर्शिता कैसे सुनिश्चित की जाएगी।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत से यह भी अपील की कि सभी रिलीज ऑडर्स और एनओसी की जांच की जाए जो 1 अगस्त 2025 के बाद जारी किए गए हैं, ताकि परीक्षा परिणाम के बाद हेराफेरी को रोका जा सके। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि एएफएमएस संस्थानों में समान अवसर का सिद्धांत लागू होना चाहिए और पूर्व सैनिकों के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता 4 में आने वाले डॉक्टरों ने कठिन इलाकों में सेवा की है और उन्हें भी पीजी सीट आवंटन (AFMS PG) में समान हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।

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